GIJN में सदस्यता

GIJN में सदस्यता के लिए केवल वही संस्थाएं पात्र होंगी जो किसी न किसी रूप से खोजी पत्रकारिता और डेटा जर्नलिज्म से जुड़ी हों। शासकीय संस्थाएं सदस्यता नहीं ले सकेंगीं। इसी तरह व्यक्तिगत स्तर पर पत्रकार और लाभ कमाने वाले संस्थान सदस्यता नहीं ले सकेंगे।

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GIJN Selects Three Media Organizations for Watchdog Capacity-Building

The Global Investigative Journalism Network is delighted to announce the selection of three Asian media organizations as participants in our new Investigative Journalism Assessment Program (IJ-MAP): The Caravan magazine in India, the KBR radio network in Indonesia; and the nonprofit Philippine Center for Investigative Journalism.

জলবায়ু সংকট: অনুসন্ধানী সাংবাদিকদের জন্য আইডিয়া

English

জলবায়ু পরিবর্তন গোটা বিশ্বের জন্যই বড় সংকট হয়ে দাঁড়িয়েছে। সে কথা মাথায় রেখেই এই রিসোর্স পেজ তৈরি করেছে জিআইজেএন। এর উদ্দেশ্য হলো, বিষয়টি নিয়ে অনুসন্ধানী সাংবাদিকতার নতুন নতুন ধারণা সাংবাদিকদের সামনে তুলে ধরা, যেন তাঁরা বেশি করে রিপোর্ট করতে পারেন।  

এই রিসোর্স পেজে তিনটি ভাগ। 

প্রথম ভাগে, আমরা তুলে ধরেছি গুরুত্বপূর্ণ কিছু প্রবন্ধ। তাতে পাওয়া যাবে, কীভাবে অনুসন্ধান করতে হয়, সম্ভাব্য বিষয় কী হতে পারে এবং রিপোর্ট করতে গেলে কী মাথায় রাখতে হবে।

দ্বিতীয় ভাগে, আমরা জড়ো করেছি কিছু মন্তব্য প্রতিবেদন। এতে প্রাধান্য পেয়েছে জলবায়ু পরিবর্তন নিয়ে সমসাময়িক সাংবাদিকতার সমালোচনা। পরামর্শ রয়েছে, কীভাবে রিপোর্টিং আরও উন্নত করা যাবে।

তৃতীয় ভাগে, পাওয়া যাবে জলবায়ু নিয়ে সাংবাদিকদের জন্য দরকারি তথ্য ও রিসোর্সের লিংক।
প্রথম ভাগ: অনুসন্ধানী সাংবাদিকতা ও জলবায়ু পরিবর্তন
জলবায়ু পরিবর্তন: যেভাবে অনুসন্ধান করবেন এই শতাব্দীর সবচেয়ে জরুরি স্টোরি; লিখেছেন আর্থ জার্নালিজম নেটওয়ার্কের নির্বাহী পরিচালক জেমস ফান। এখানে তিনি তুলে ধরেছেন, জলবায়ু পরিবর্তন নিয়ে কত রকমের অনুসন্ধানী রিপোর্ট করা যায়।

এখানে উল্লেখযোগ্য কয়েকটি পরামর্শ:

গ্রিনহাউস গ্যাস নির্গমনের প্রধান উৎস হিসেবে কয়লা, তেল ও খনিজ গ্যাস উত্তোলনের সঙ্গে জড়িত প্রতিষ্ঠানগুলো হতে পারে আপনার অনুসন্ধানী প্রতিবেদনের প্রধান বিষয়বস্তু।
আরও অনেক ধরনের শিল্পপ্রতিষ্ঠান নিয়ে সরাসরি জলবায়ু পরিবর্তনে ভূমিকা রাখছে। তাদের নিয়ে গভীর ও বিশ্লেষণী প্রতিবেদন করুন।
নজর রাখুন, গোষ্ঠীস্বার্থ কীভাবে প্রভাব ফেলছে বিভিন্ন দেশের সরকারি নীতিমালায়। রিপোর্ট করুন সেই নীতিগুলো নিয়ে। প্রশ্ন তুলুন, “সরকার কি জলবায়ু পরিবর্তন মোকাবিলার চেষ্টা করছে, নাকি পরিস্থিতি আরও খারাপের দিকে নিয়ে যাচ্ছে?”
“শুধু নিজ দেশে কী ঘটছে, সেদিকে নজর রাখাই যথেষ্ট নয়। খতিয়ে দেখুন, আপনার সরকার অন্য দেশের পরিবেশের ওপর কী ধরনের প্রভাব ফেলছে।”
সতর্কভাবে পর্যবেক্ষণ করুন, আইনকানুনের প্রয়োগ ঠিকভাবে হচ্ছে কি না। 
গ্রিনহাউস গ্যাস নির্গমন মোকাবিলায় কী ধরনের পদক্ষেপ নেওয়া হচ্ছে নজরে রাখুন।
জলবায়ু পরিবর্তনের নিয়ে প্রভাব বিষয়ে আরও বেশি বেশি রিপোর্ট করুন।
অনুসন্ধান করুন  জলবায়ু নিয়ে অ্যাকটিভিস্ট গ্রুপগুলো কী করছে, তাদের লক্ষ্য কী এবং তারা কোথা থেকে টাকা পাচ্ছে।
জলবায়ু পরিবর্তন প্রতিরোধ ও অভিযোজনের ক্ষেত্রে সমাধানের উদ্যোগগুলোকেও অনুসন্ধানের আওতায় আনুন।
জলবায়ু পরিবর্তন প্রতিরোধ বা অভিযোজনের জন্য সামনে কী কী করা দরকার, তা-ও খতিয়ে দেখুন।

দ্য মিডিয়া আর কমপ্লেসেন্ট হোয়াইল দ্য ওয়ার্ল্ড বার্নস। লেখাটির উপশিরোনাম ছিল: “১.৫ ডিগ্রির পৃথিবীর পক্ষে লড়াই করা সাংবাদিকদের জন্য নতুন একটি গাইড।” ২০১৯ সালে প্রবন্ধটি লিখেন দ্য নেশনের পরিবেশবিষয়ক সাংবাদিক মার্ক হার্টসগার্ড এবং কলাম্বিয়া জার্নালিজম রিভিউর প্রধান সম্পাদক ও প্রকাশক কাইল পোপ। তাঁরা বলেন, “এখন পর্যন্ত জলবায়ু পরিবর্তন নিয়ে যত রিপোর্ট হয়েছে, সেগুলো দেখে মনে হয় মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের বেশির ভাগ সংবাদমাধ্যমই এই ইস্যুর গুরুত্ব পুরোপুরি বুঝে উঠতে পারেনি। ব্রেকবিহীন একটি ট্রেন আমাদের দিকে ধেয়ে আসছে। এর নাম জলবায়ু পরিবর্তন। এটি কোনো আতঙ্ক ছড়ানোর বিষয় নয়; এটি বৈজ্ঞানিক তথ্য।”

তাঁদের পরামর্শ:

পাঠকদের দোষ দেবেন না। আর শিশুদের কথা শুনুন।
জলবায়ু নিয়ে বৈচিত্র্যপূর্ণ ডেস্ক গড়ে তুলুন, কিন্তু রিপোর্ট যাতে একঘেয়ে না হয়।
বিজ্ঞান সম্পর্কে জানুন।
কোনো এক পক্ষের কথায় ভজে যাবেন না। 

ক্ষমতাকেন্দ্রিক মনোভাব পরিহার করুন।
দুর্দশাগ্রস্তদের সাহায্য করুন।
সমাধান নিয়ে কথা বলুন।
কারও দিকে আঙুল তুলতে ভয় করবেন না।

২০১৯ সালে শীর্ষ সাংবাদিক, বিজ্ঞানী ও জলবায়ু বিশেষজ্ঞদের এক জায়গায় করেছিল কলাম্বিয়া জার্নালিজম রিভিউ ও দ্য নেশন। তাদের উদ্দেশ্য ছিল “বৈশ্বিক তাপমাত্রা বৃদ্ধি ১.৫ ডিগ্রির নিচে ধরে রাখার যে লক্ষ্য নিয়ে বিজ্ঞানীরা কাজ করছেন, তার সঙ্গে সামঞ্জস্য রেখে সাংবাদিকতার একটি গাইড বানানো।” এখানে দেখুন পাঁচ ঘণ্টার সেই টাউন হল মিটিং-এর ভিডিও। লন্ডনভিত্তিক ফ্রিল্যান্স সাংবাদিক হুয়ান মেয়রগা টুইটারে, তার স্প্যানিশ অনুবাদও প্রকাশ করেছিলেন। এই সম্মেলন থেকেই শুরু হয়ে একটি দীর্ঘমেয়াদি প্রকল্প, যার নাম: কভারিং ক্লাইমেট নাও।

এখানে দেখুন সেই সম্মেলন নিয়ে সিজেআর-এর সারমর্ম। লিখেছেন জন ওসোপ। এই সম্মেলন নিয়ে অন্যদের মতামত ছিল এ রকম:

বলিভিয়ার আম্বিয়েদাল ডে ইনফরমেসিয়ন-এর প্রতিষ্ঠাতা ও সম্পাদক এদুয়ার্দো ফ্রাঙ্কো বার্টন বিষয়টি উপস্থাপন করেছিলেন জিআইজেসি১৯-এ। এবং নিজের বক্তব্যের সারমর্ম টেনেছিলেন সাতটি গুরুত্বপূর্ণ পয়েন্টে। দেখুন সেই টিপশিট। 
লিটারারি হাব-এর কোরিন সেগাল লিখেছেন, ক্লাইমেট চেঞ্জ অ্যান্ড দ্য জার্নালিস্টস হু আর ট্রায়িং টু সেভ ইউ;
ডেপল বিশ্ববিদ্যালয়ে কলেজ অব কমিউনিকেশনের সহযোগী অধ্যাপক জিল হপকে লিখেছেন: এক্সপার্টিজ অব ক্লাইমেট চেঞ্জ কমিউনিকেশন রিসার্চার্স নিডেড ইন #কাভারিংক্লাইমেটনাও;
নর্থ ইস্টার্ন ইউনিভার্সিটিতে কমিউনিকেশন, পাবলিক পলিসি অ্যান্ড আরবান অ্যাফেয়ার্সের অধ্যাপক এবং এনভায়রনমেন্টাল কমিউনিকেশন জার্নালের প্রধান সম্পাদক ম্যাথিউ সি. নিসবেট লিখেছেন: সায়েন্স, পাবলিকস, পলিটিকস: দ্য ট্রাবল উইথ ক্লাইমেট ইমার্জেন্সি জার্নালিজম।

দ্য মিডিয়া ইজ ফেইলিং অন ক্লাইমেট চেঞ্জ – হিয়ার ইজ হাও দে ক্যান ডু বেটার অ্যাহেড অব ২০২০; গার্ডিয়ানে প্রকাশিত এই লেখায় কিছু পরামর্শ দিয়েছেন এমিলি হোল্ডেন: 

সংখ্যায় কম হলেও জলবায়ু পরিবর্তন নিয়ে ভাবে, এমন কনজারভেটিভদের দিকে দৃষ্টি দিন।
নির্বাচনে দাঁড়ানো প্রার্থীরা সামনে না আনলেও আপনারা সামনে আনুন জলবায়ু পরিবর্তনের বিষয়টি।
জলবায়ু পরিবর্তনের বিষয়টি নিয়ে আসুন স্থানীয় নিউজ স্টোরি হিসেবে।
সমাধানের দিকে মনোযোগ দিন।
লিখুন বা বলুন খুব সাবধানতার সঙ্গে।

কলাম্বিয়া জার্নালিজম স্কুলের ডক্টোরাল ক্যান্ডিডেট রোসলিন্ড ডোনাল্ড তাঁর দ্য ক্লাইমেট ক্রাইসিস ইজ আ স্টোরি ফর এভরি বিট প্রবন্ধে আলোচনা করেছেন কীভাবে জলবায়ু পরিবর্তনকে নিউজরুমের প্রতিটি ক্ষেত্রে অন্তর্ভুক্ত করা যায়। তাঁর তালিকায় আছে: স্বাস্থ্য, অবকাঠামো, রাজনীতি, জলবায়ু পরিবর্তনের সঙ্গে অভিবাসনের সম্পর্ক, জাতীয় নিরাপত্তা, খেলাধুলা, খাদ্য ও কৃষি। লেখাটি ২০১৯ সালে প্রকাশিত হয়েছিল কলাম্বিয়া জার্নালিজম রিভিউয়ে। একই বিষয়ে ২০১৯ সালে ডোনাল্ড ট্রাম্পের দেওয়া একটি বক্তৃতা নিয়ে লেখা এই প্রবন্ধও দেখতে পারেন: এইট নিউজরুম বিটস ইউ ডিডন্ট নো কভারড ক্লাইমেট চেঞ্জ।

১০টি “বেস্ট প্র্যাকটিসের” তালিকা তৈরি করেছে কভারিং ক্লাইমেট নাও। সহযোগিতামূলক এই প্রকল্পের অংশীদার হিসেবে আছে ৪০০টি সংবাদমাধ্যম। 

১.

स्वतंत्र खोजी पत्रकार कैसे छपवायें अपनी खबरें?

इस आलेख में अपनी खबर को पिच करना या बिक्री करने से अभिप्राय उसे प्रकाशित, प्रसारित करने के लिए मीडिया संस्थान को सहमत कराना है। किसी भी खोजी खबर को लिखने और उसके शोध तथा यात्रा इत्यादि में काफी समय और पैसा लगता है। इस व्यय के लिए मीडिया संस्थान को सहमत कराने की कोशिश पर यह आलेख केंद्रित है।

GIJN में सदस्यता

ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क की सदस्यता खोजी पत्रकारिता और डेटा जर्नलिज्म के क्षेत्र में काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों, गैर-लाभ की संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों या उनके समकक्ष संगठनों के लिए है। सदस्यता के लिए केवल वही संस्थाएं पात्र होंगी जो किसी न किसी रूप से खोजी पत्रकारिता और डेटा जर्नलिज्म से जुड़ी हों। शासकीय संस्थाएं सदस्यता नहीं ले सकेंगी इसी तरह व्यक्तिगत स्तर पर पत्रकार और लाभ कमाने वाले संस्थान सदस्यता नहीं ले सकेंगे। हालांकि नेटवर्क सभी क्षेत्रों के खोजी पत्रकारों को सहयोग करने से पीछे नहीं हटेगा।

जनहित और सामाजिक न्याय के मुद्दे को उजागर करने वाली किसी खबर को जब व्यवस्थित तरीके से गहन पड़ताल और सार्वजनिक अभिलेखों तथा उपलब्ध आंकड़ों के आधार लिखा जाए तब उसे खोजी पत्रकारिता या इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के रूप में परिभाषित किया जाता है। ज्यादा जानने के लिए GIJN Resource Center को देखें। 

GIJN में सदस्यता, आवेदन और उसके बाद बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मंज़ूरी कर बाद ही दी जाती है। सामान्य रूप से GIJN के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग साल में तीन बार होती है। यदि आपको लगता है कि आपकी संस्था सदस्यता के लिए निश्चित अर्हताएं पूरी करती है तो इस पृष्ठ के अंत में दिए गए फार्म को भरें।

GIJN की सदस्यता के लिए गैर-लाभ की संस्थाएं जैसे स्वयंसेवी संगठन, ट्रस्ट, एनजीओ, शैक्षणिक संस्थाएं, विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता विभाग या समकक्ष संस्थाएं पात्र होंगी। वर्तमान में GIJN के 80 देशों में 203 संगठन सदस्य हैं।
GIJN की सदस्यता इनके लिए उपलब्ध है 

खोजी पत्रकारों के वे समूह जो रिपोर्टरों के संगठन या नेटवर्क के रूप में इकट्ठा हैं।
वह संगठन या संस्थाएं जो मौलिक इन्वेस्टिगेटिव रिर्पोटिंग स्वयं करते हैं या उन्हें स्पॉन्सर करते हैं, जिससे कि वे उनके स्वयं के प्रकाशन प्लेटफार्म पर या किसी सहयोगी मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित या प्रसारित हो सकें। 
ऐसे समूह, सेंटर या संस्थाएं जो खोजी पत्रकारों को प्रशिक्षण देने का कार्य अपनी मुख्य गतिविधि के रूप में करते हों।

संभावित सदस्यों को उनके द्वारा इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के क्षेत्र में आयोजित ट्रेनिंग, प्रमोशन, सहयोग, रिपोर्टिंग, प्रकाशन या प्रसारण के कार्य के प्रमाण उपलब्ध कराना होंगे।  यह जानने के लिए कि संस्था एक सतत चलने वाली संस्था है इसके लिए अपने रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र, पूर्णकालिक स्टाफ की सूची, बजट की रूपरेखा, वेबसाइट और सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति के प्रमाण बताना होंगे।

GIJN में बतौर सदस्य शामिल होने के लिए कोई फीस या शुल्क नहीं है। सदस्य संगठनों से अपेक्षा की जाती है कि वह GIJN में सक्रिय रुप से हिस्सेदारी करते हुए पत्रकारिता के प्रोफेशनल एवं उच्च मानदंडों का पालन करेंगे। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी पत्रकारिता में  शुद्धता (सटीकता), स्वतंत्रता, पारदर्शिता एवं बराबरी के सिद्धांतों का पालन करेंगे। सदस्य संगठन हर दो वर्ष में होने वाली Global Investigative Journalism Conference में अपने स्टाफ को भेज कर नेटवर्क का सहयोग करेंगे।

वे सभी सदस्य जो अब सक्रिय नहीं हैं या पत्रकारिता तथा नॉनप्रॉफिट संस्थाओं के मैनेजमेंट में पालन किये जाने वाले उच्च आदर्शों की प्रतिपूर्ति नहीं करते, उनकी सदस्यता संचालक मंडल द्वारा वोटिंग करके समाप्त की जा सकती है।
GIJN सदस्य होने पर

संचालक मंडल के सदस्यों के चुनाव में वोटिंग का अधिकार तथा ग्लोबल कॉन्फ्रेंस के स्थान चयन में वोटिंग।
GIJN की कॉन्फ्रेंस, वर्कशॉप और हेल्पडेस्क में विशेष वरीयता।
सहयोग राशि एवं फंड प्राप्त करने, सतत सक्रिय रहने, रिपोर्टिंग एवं नवीन टेक्नालॉजी के संबंध में निशुल्क सलाह। 
अनेकों भाषाओं में सदस्य संगठन के काम का प्रमोशन।
डिस्काउंट पर या निशुल्क सॉफ्टवेयर।
 अंतरराष्ट्रीय स्तर के खोजी पत्रकारों के ग्लोबल नेटवर्क में हिस्सेदारी करने का अवसर।
 जब सदस्यों पर संकट आए तब आपस में सहयोग करना।

GIJN क्या करता है

खोजी पत्रकारिता और डेटा जर्नलिज़्म की विधा पर मार्गदर्शिकाएँ, टिप-शीट, नए वित्तीय और रिपोर्टिंग मॉडल, सुरक्षा और वैधानिक विषयों पर नवीनतम और आधुनिक परिवर्तनों पर लेखों का प्रकाशन। वर्ष 2018 में हमने 272 लेखकों/पत्रकारों के 385 लेख/खबरें सात भाषाओं में प्रकाशित किए।
खोजी पत्रकारों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए ऑनलाइन तथा व्यक्तिगत तरीके से आपसी मेलजोल को बढ़ावा देना। यह कार्य 80 देशों के 203 संगठनों के माध्यम से हो रहा है।
हर 2 वर्ष में वैश्विक इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म पत्रकारिता सम्मेलन का आयोजन। GIJN ने साल 2001 से अब तक 140 देशों के 8000 पत्रकारों को एक साथ लाने का काम किया है। 
हर 2 वर्ष में एक बार एशियन इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस का आयोजन तथा अफ्रीका, लैटिन अमेरिका एवं विश्व के अन्य इलाकों में क्षेत्रीय सम्मेलनों और वर्कशॉप के आयोजन में सहयोग।
विश्व भर के पत्रकारों के लिए इन्वेस्टिगेटिव टूल्स और तकनीकों का प्रशिक्षण। इस तरह के प्रशिक्षण समय-समय पर आयोजित होने वाली वर्कशॉप, सेमिनार, प्रबोधन, ऑनलाइन वीडियो और वेबिनार के माध्यम से किए जाते हैं।
प्रतिदिन दर्जनों सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से 8 भाषाओं में खोजी पत्रकारों के लिए विभिन्न उपयोगी सामग्री का वितरण।
खोजी पत्रकारिता के संबंध में प्रतिदिन नवीनतम लेखों और जानकारियों का प्रकाशन। हमारी वेबसाइट जो 120 से अधिक देशों में प्रतिदिन देखी जाती है उस पर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग से संबंधित खबरें, नए मॉडल, भविष्य की रिपोर्टिंग, इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के टिप्स और टूल्स इत्यादि प्रकाशित किए जाते हैं।
हमारे बहुभाषी रिसोर्ट सेंटर में हजारों टिप-शीट, कैसे करें – गाइड, रिपोर्टिंग पर वीडियो, फैलोशिप, अवार्ड, फंडिंग और नेटवर्किंग जैसे अनेकों विषयों पर जानकारी उपलब्ध है।
एक हेल्प-डेस्क के माध्यम से इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म से जुड़े प्रश्नों के उत्तर 100 से अधिक विषय-विशेषज्ञ समय-समय पर देते हैं। नॉनप्रॉफिट संस्थाओं, सिक्योरिटी, डाटा एवं अन्य संबंधित विषयों पर हमारे विशेषज्ञ जानकारी उपलब्ध कराते हैं। स्थापना से लेकर अब तक 8500 से ज्यादा इस तरह के प्रश्नों का समाधान किया जा चुका है।
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हर 2 वर्ष में एक बार “ग्लोबल शाइनिंग लाइट अवार्ड” किसी ऐसे खोजी पत्रकार को प्रदान किया जाता है जो मुश्किल हालातों में काम कर रहे हैं।
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