हिंदी
खबर के लिए झूठ का सहारा लेना कितना उचित?
|
छद्म रिपोर्टिंग अथवा अंडरकवर तकनीकों का उपयोग करके पत्रकारिता करने संबंधी नैतिक पहलुओं का आकलन करने के लिए हमने यह छह सूत्रीय चेकलिस्ट बनाई है। इसमें छद्मवेश बनाना और किसी रूप में फंसाना भी शामिल है।
Global Investigative Journalism Network (https://archive.gijn.org/tag/gijn-hindi/)
छद्म रिपोर्टिंग अथवा अंडरकवर तकनीकों का उपयोग करके पत्रकारिता करने संबंधी नैतिक पहलुओं का आकलन करने के लिए हमने यह छह सूत्रीय चेकलिस्ट बनाई है। इसमें छद्मवेश बनाना और किसी रूप में फंसाना भी शामिल है।
भुगतान आधारित उपयोगकर्ताओं के लिए गूगल ने अपने ‘गूगल मीट‘ टूल में भी काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। यह अब जूम जैसी कई सुविधाएँ प्रदान करता है। जैसे- मल्टिपल व्यू, कॉल एन्क्रिप्शन, ब्रेकआउट रूम। हालांकि, लोगों का कहना है कि ऑफलाइन उपयोग के दौरान ‘गूगल वर्कस्पेस‘ ऐप्स भरोसेमंद नहीं हैं। इसलिए जहां अच्छा इंटरनेट कनेक्शन न हो, उन स्थानों के लिए यह आदर्श नहीं है।
समय के साथ तस्वीरों का आकार बदलता रहता है। तस्वीर बनाने की रासायनिक प्रक्रिया में भी बदलाव आता है। इसके आधार पर ‘ग्राफिक्स एटलस’ जैसी वेबसाइट किसी फोटो की एक समय अवधि बताने में मदद कर सकती हैं।
अकादमिक पत्रिकाएं अक्सर ‘सांख्यिकीय महत्व’ वाले परिणामों के साथ अनुसंधान को प्राथमिकता देती हैं। इसलिए शोधकर्ता अक्सर उस दिशा में अपने प्रयास केंद्रित करते हैं। कई अध्ययनों से पता चलता है कि सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण निष्कर्षों वाले रिसर्च पेपर्स के प्रकाशित करने की अधिक संभावना रहती है।
अन-इक्वल सीन्स नामक एक गैर-लाभकारी संगठन सामाजिक न्याय पर काम करता है। उसने ड्रोन इमेजरी का उपयोग करके असमानता दिखाने वाली तस्वीरें ली हैं। इस संगठन ने शहरों में लंबे समय से चली आ रही असमानता के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा की है और नीतिगत समाधान पर संवाद शुरू किया है।
पृथ्वी पर जल और जमीन की सतहों में आने वाले बदलावों का पता लगाने और उनकी माप-जोख करने में भी यह उपकरण खोजी रिपोर्टरों की मदद कर सकता है। पिछले साल ईआईएफ ने बुल्गारिया की वर्ना झील और उसके पास की खाड़ी में गंदे पानी (वेस्ट वॉटर) के एक बड़े रिसाव से हुए नुकसान की जांच की। यह काला सागर से जुड़ा हुआ मछली पकड़ने और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। टीम ने झील पर शैवाल के फैलने का पता लगाने के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करने का निर्णय लिया।
टीम ने टिकटॉक पर दिखाए गए एक फुटेज को सत्यापित करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया। इस वीडियो में खारकीव के पास गोलाबारी होती हुई दिख रही थी। ‘एक ऐसी जगह, जिसपर फरवरी के अंत में बमबारी हुई थी।’ एक साथ काम करते हुए, उन्होंने पहचान लिया कि गोले कहाँ से दागे गए होंगे, जबकि उस समय तक यह स्पष्ट नहीं था कि जमीन पर चल क्या रहा है।
पूरी दुनिया में स्वतंत्र मीडिया हमेशा ही पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए मजबूती से संघर्ष करता रहा है। स्वतंत्र मीडिया और खोजी पत्रकार हमेशा सरकारों की गलत नीतियों और अनियमितताओं को जनता के समक्ष रखते रहे हैं। आरटीआई इसके लिए बेहद महत्वपूर्ण उपकरण है।
सैनिक तख्तापलट होने या बहुदलीय चुनावों पर प्रतिबंध लगने से किसी लोकतंत्र का खत्म होना आसानी से दिख सकता है। लेकिन तानाशाही की ओर धीरे-धीरे बढ़ने वाले मौजूदा कदमों से लोकतंत्र पर खतरे की पहचान करना आसान नहीं है। अब कानूनी पहलुओं और आपातकाल की आड़ में लोकतांत्रिक संस्थानों का क्षरण होने के सच को छुपाया जाता है।
During the last two years of the pandemic, government expenditure in the health sector has increased significantly. While the bulk vaccine purchases accounted for a large proportion of the total expenditure, buying sanitation equipment, creating makeshift isolation centers, the commissioning of oxygen plants and emergency services all saw huge increases in spending.