(मार्च 2022 में जीआईजेएन ने महिला पत्रकारों के लिए यह मार्गदर्शिका प्रकाशित की। अब हम वर्तमान पेज को अपडेट करना बंद कर देंगे।)
महिला पत्रकारों को अपना काम करते समय कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जीआईजेएन ने दुनिया भर में हमारी महिला सहयोगियों की मदद के लिए उपयोगी संसाधन का यह संकलन तैयार किया है। इसमें ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाव, कार्यस्थल पर भेदभाव और लिंग आधारित हिंसा जैसे मुद्दों से निपटने के लिए नेटवर्क, संसाधन और उपकरणों का विवरण शामिल है। इसके अलावा, विभिन्न अवसरों और खासकर महिला पत्रकारों के लिए उपलब्ध समर्थन या सुविधाओं की जानकारी भी दी गई है।
इस गाइड में इन विषयों का संग्रह है:
नेटवर्क (अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय)
सुरक्षा
भेदभाव और उत्पीड़न
सलाहकार / मेंटर्स
अनुदान और फैलोशिप
पुरस्कार
महिला विशेषज्ञ
खोजी पत्रकारिता
महिला खोजी पत्रकारों की खबरें
कैरियर
अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क
खोजी पत्रकारिता का क्षेत्र अब भी पुरुष-प्रधान उद्योग बना हुआ है। इसलिए महिला पत्रकारों को आपसी समझ बनाकर अन्य महिलाओं तक पहुंचना और परस्पर सहयोग करना मददगार हो सकता है। ऐसे परस्पर समर्थन यानी ‘पीयर सपोर्ट‘ के लिए ‘प्रोफेशनल नेटवर्क‘ बेहतरीन संसाधन हैं। ऐसे नेटवर्क के जरिए आपको मेंटरशिप (परामर्शदाता), कोलाबोरेशन (सहयोग आधारित रिपोर्टिंग) और कॉन्टैक्ट्स (संपर्क) संबंधी सुविधाएं भी मिलती हैं। इसलिए हमने दुनिया भर की महिला पत्रकारों के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक नेटवर्क की यह सूची बनाई है।
जीआईजेएन वीमेन एक ऑनलाइन समूह है। इसे ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क (जीआईजेएन) ने बनाया है। इसमें खोजी पत्रकारिता में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होती है।
कॉलिशन फॉर वुमेन इन जर्नलिज्म (Coalition for Women in Journalism) वर्ष 2017 में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य दुनिया भर में महिला पत्रकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें अनुभवी महिला पत्रकारों के जरिए परामर्श, संसाधन, वकालत उपलब्ध कराई जाती है। विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस गठबंधन का संपर्क क्षेत्र लैटिन अमेरिका और एशिया के देशों में फैला है।
इंटरनेशनल वुमेन्स मीडिया फाउंडेशन (International Women’s Media Foundation) वाशिंगटन, डीसी स्थित इस संगठन की स्थापना 1990 में हुई थी। यह अनुदान, प्रशिक्षण, विभिन्न पुरस्कार प्रदान करता है। यह दुनिया भर की महिला पत्रकारों के लिए रिपोर्टिंग यात्राएं आयोजित करता है। इन यात्राओं के जरिए उन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिन पर पर्याप्त रिपोर्टिंग नहीं हुई हो। इसके पास एक आपातकालीन कोष भी है। यह सुरक्षा प्रशिक्षण भी देता है। इसकी पूरी जानकारी नीचे ‘सुरक्षा‘ वाले खंड में मिल जाएगी।
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वुमेन इन रेडियो एंड टेलीविजन (International Association of Women in Radio & Television) यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत महिलाओं का वैश्विक नेटवर्क है। अफगानिस्तान, कैमरून, इराक-कुर्दिस्तान, मोल्दोवा, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, युगांडा, कंबोडिया, भारत, केन्या, नेपाल, फिलीपींस, तंजानिया और अमेरिका में इसकी शाखाएं (चैप्टर) हैं। यह महिलाओं और मीडिया पर केंद्रित वैश्विक परियोजनाओं में मदद करता है। साथ ही, सम्मेलनों का आयोजन और पेशेवर कौशल प्रशिक्षण के अवसर भी प्रदान करता है।
वुमेन फोटोग्राफ (Women Photograph) यह गैर-लाभकारी नेटवर्क वर्ष 2017 में बनाया गया था। इसका उद्देश्य फोटो जर्नलिज्म के क्षेत्र में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है। समाज में जैसी विविधता है, वैसी फोटो पत्रकारिता में भी दिखनी चाहिए। इस नेटवर्क ने दुनिया भर की लगभग 1000 स्वतंत्र वृत्तचित्र फोटोग्राफरों की एक निर्देशिका बनाई है, जिनकी महिला और नन-बाइनरी विजुअल जर्नलिस्ट के बतौर पहचान है। इस नेटवर्क का प्रयास है कि मीडिया में महिलाओं द्वारा ली गई अधिक तस्वीरों का उपयोग हो। वर्ष 2020 में फ्रंट पेज पर बायलाइन छपी तस्वीरों का डेटा आप यहां देख सकते हैं। वुमेन फोटोग्राफ नेटवर्क ने यह डेटा एकत्र किया है।
मीडिया मॉम्स (Media Moms) यह एक आमंत्रित सदस्यों का फेसबुक ग्रुप है। इसमें 500 से अधिक सदस्य हैं। यह ऐसी माताओं का समूह है, जो पत्रकार हैं या मीडिया संस्थान के किसी भी काम या पत्रकारिता शिक्षा से जुड़ी हों। इसमें मीडिया के व्यावसायिक पक्ष में काम करने वाली माताएं भी शामिल हैं। इसका मिशन वक्तव्य है कि हमें अपने काम की समय सीमा और घर पर जीवन को संतुलित करने वाली विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह फेसबुक समूह अपनी स्टोरीज शेयर करने, मुद्दों और समाधानों पर चर्चा करने तथा एक’-दूसरे को भावनात्मक सहयोग प्रदान करने का सहायक मंच है।
अफ्रीका में नेटवर्क
वानाडाटा (WanaData) को ‘कोड फॉर अफ्रीका‘ ने लॉन्च किया है। यह महिला अफ्रीकी पत्रकारों, डेटा वैज्ञानिकों और डेटा-संचालित खबरें लिखने में सहयोग करने वाले तकनीकी लोगों का नेटवर्क है। ट्विटर पर हैशटैग वानाडेटा (#Wanadata) लिखकर आप इसकी खबरें और चर्चा देख सकते हैं। इसकी टीम में शामिल होने तथा अपनी कोई कहानी पिच करने के लिए यह लिंक है। ‘वानाडाटा‘ नेटवर्क अपने भागीदारों के साथ मिलकर एक डिजिटल पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाता है।
अफ्रीकन वुमेन इन मीडिया (African Women in Media) वर्ष 2016 में स्थापित यह एक फेसबुक ग्रुप (Facebook group) है। यह हर साल एक आयोजन करता है। इसका एक साप्ताहिक न्यूजलेटर है, जो मीडिया उद्योग में अफ्रीकी महिलाओं के व्यावसायिक विकास और मीडिया में लैंगिक मुद्दों पर केंद्रित है। वर्ष 2020 में इस नेटवर्क ने ‘फोजो मीडिया इंस्टीट्यूट’ के साथ मिलकर एक अध्ययन प्रकाशित किया। इसमें उप-सहारा अफ्रीका में महिला पत्रकारों के प्रवेश संबंधी बाधाओं का खुलासा किया गया। इसमें 17 अफ्रीकी देशों की 125 महिला पत्रकारों का सर्वेक्षण किया गया।
एसोसिएशन ऑफ मीडिया वुमेन इन केन्या (Association of Media Women in Kenya) वर्ष 1983 में स्थापित यह एक गैर-लाभकारी सदस्यता संगठन है। यह मीडिया के माध्यम से समाज और मीडिया उद्योग में महिलाओं की उपस्थिति दिखाने और समानता पर केंद्रित है। यह महिला पत्रकारों के डिजिटल सुरक्षा सर्वेक्षण सहित संसाधनों का प्रकाशन करता है। यह एक छात्रवृत्ति निधि भी प्रदान करता है।
नाइजीरिया एसोसिएशन ऑफ वुमेन जर्नलिस्ट्स (Nigeria Association of Women Journalists) लगभग 25 साल पहले स्थापित इस नेटवर्क का उद्देश्य मीडिया में महिलाओं की पहुंच और नेतृत्व को बढ़ाना है। यह नाइजीरिया में महिला पत्रकारों को वकालत और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
कैमरून मीडिया वुमेन (Cameroon Media Women) यह एक व्हाट्सएप ग्रुप और फेसबुक पेज है। वर्ष 2018 में इसे ‘मी-टू आंदोलन’ के दौरान लॉन्च किया था। इसका हैशटैग (#StopSexualHarassment237) रखा गया था, जो कैमरून देश का ‘कोड‘ है। ट्विटर पर महिला पत्रकारों ने चर्चा करके न्यूजरूम में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर विचार और वीडियो साझा किए।
इंटर-अफ्रीकन नेटवर्क फॉर वुमेन, मीडिया, जेंडर इक्विटी एंड डवलपमेंट (Inter-African Network for Women, Media, Gender Equity and Development) सेनेगल स्थित इस नेटवर्क की स्थापना वर्ष 2001 में की गई थी। यह पश्चिम और मध्य अफ्रीका के 22 देशों में कार्यरत है। यह अफ्रीका में मीडिया, लैंगिक समानता और विकास के लिए समर्पित है। यह महिला पत्रकारों को प्रशिक्षण प्रदान करता है। साथ ही यह सूचना और प्रशिक्षण के लिए संसाधन किट तैयार करता है। यह सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा भी देता है।
लैटिन अमेरिका में नेटवर्क
चिकास पोडेरोसस (Chicas Poderosas) वर्ष 2013 में आरम्भ किया गया। यह स्पेन और लैटिन अमेरिका के 13 देशों में कार्यरत है। यह खोजी पत्रकारिता पर कार्यशालाओं और हैकथॉन का आयोजन करता है। यह महिलाओं को नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के साथ ही डिजिटल और नए मीडिया संबंधी कौशल में प्रशिक्षित करता है। यह परामर्श और फैलोशिप की सुविधा भी प्रदान करता है।
कॉलिशन फॉर वुमेन इन जर्नलिज्म (Coalition for Women in Journalism) वर्ष 2017 में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य दुनिया भर में महिला पत्रकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें अनुभवी महिला पत्रकारों के जरिए परामर्श, संसाधन, वकालत उपलब्ध कराई जाती है। विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस गठबंधन का मैक्सिको में चैप्टर है।
मध्य पूर्व में नेटवर्क
अरब वुमेन मीडिया सेंटर (Arab Women Media Center) वर्ष 1999 में स्थापित यह एक ‘अम्मान‘ आधारित एनजीओ है। यह महिलाओं और युवाओं के लिए नौकरी संबंधी प्रशिक्षण, कौशल विकास और मीडिया साक्षरता पर केंद्रित है। यह महिलाओं और मीडिया पर केंद्रित वृत्तचित्र फिल्मों और संसाधनों का निर्माण करता है। इस क्षेत्र में महिला पत्रकारों को जोड़ने के लिए इसका एक ऑनलाइन नेटवर्क भी है।
सीरियन फिमेल जर्नलिस्ट नेटवर्क (Syrian Female Journalists Network) नीदरलैंड में स्थित इस नेटवर्क की स्थापना वर्ष 2012 में हुई थी। इसका मिशन सीरिया में महिला पत्रकारों की आवाज को बढ़ाना और उन्हें नेतृत्वकारी स्थिति में लाना है। इसके सदस्यों में पुरुष और महिला दोनों तरह के पत्रकार शामिल हैं। यह सीरिया, तुर्की, लेबनान और जॉर्डन में महिला पत्रकारों को प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह लैंगिक समानता और नारीवाद पर भी ध्यान केंद्रित करता है। यह नेटवर्क अपने सदस्यों के बीच संसाधनों और अवसरों को साझा करता है।
मैरी कॉल्विन जर्नलिस्ट्स नेटवर्क (The Marie Colvin Journalists’ Network) यह महिला पत्रकारों का एक ऑनलाइन समुदाय है। इसमें सदस्यों को व्यावहारिक सहयोग और परामर्श मिलता है। इसमें एक-दूसरों के साथ सलाह को साझा किया जाता है। अरब दुनिया में काम करने वाली अरबी भाषी महिला पत्रकारों के लिए यह निशुल्क सुविधा है।
उत्तरी अमेरिका में नेटवर्क
जर्नलिज्म एंड वुमेन सिम्पोजियम (Journalism & Women Symposium) यह वर्ष 1985 में शुरू हुआ। इसका उद्देश्य अमेरिका में महिला पत्रकारों का एक समुदाय तैयार करना है। इसने महिला पत्रकारों की सक्रिय राष्ट्रीय सूची बनाई है। इसके क्षेत्रीय चैप्टर भी हैं। यह नेटवर्किंग और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता है। यह मीडिया में महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में संसाधन, सहायता, प्रशिक्षण और जानकारी प्रदान करने पर केंद्रित है। हर साल यह एक वार्षिक सम्मेलन का आयोजन करता है। यह महिला पत्रकारों को परामर्श भी प्रदान करता है।
इंटरनेशनल वुमेन्स मीडिया फाउंडेशन (International Women’s Media Foundation) वाशिंगटन डीसी स्थित इस संगठन की स्थापना 1990 में हुई थी। यह अनुदान, प्रशिक्षण, विभिन्न पुरस्कार प्रदान करता है। यह दुनिया भर की महिला पत्रकारों के लिए रिपोर्टिंग यात्राएं आयोजित करता है। इन यात्राओं के जरिए उन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिन पर पर्याप्त रिपोर्टिंग नहीं हुई हो। इसके पास एक आपातकालीन कोष भी है। यह सुरक्षा प्रशिक्षण भी देता है। इसकी पूरी जानकारी नीचे ‘सुरक्षा‘ वाले खंड में मिल जाएगी।
एसोसिएशन फॉर वुमेन इन कम्युनिकेशन (Association for Women in Communications) यूएस केंद्रित यह नेटवर्क वर्ष 1909 में शुरू हुआ था। यह महिला पत्रकारों के लिए सीखने के अवसर बढ़ाने और एक जॉब-बोर्ड की सुविधा प्रदान करता है। यह महिला नेताओं के एक नेटवर्क के माध्यम से संचार में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने के लिए काम करता है।
एशिया में नेटवर्क
नेटवर्क ऑफ वुमेन इन मीडिया, इंडिया (Network of Women in Media, India) यह भारत में महिला पत्रकारों को उनके अधिकार और नेटवर्किंग प्रदान करने वाला संगठन है। यह मीडिया उद्योग और समाज के भीतर सूचना और संसाधनों को साझा करने, विचारों का आदान-प्रदान करने, मीडिया जागरुकता और नैतिकता को बढ़ावा देने और लैंगिक समानता और न्याय के लिए काम करने का मंच प्रदान करता है। देश भर में इसके 16 चैप्टर हैं।
वर्किंग वुमेन जर्नलिस्ट (Working Women Journalists) यह नेपाल का संगठन है जो मीडिया में महिलाओं के लिए वकालत करता है। मीडिया में महिलाओं की पहुंच बढ़ाने, समान अवसर प्रदान करने की पैरवी करता है। यह प्रशिक्षण, सेमिनार और कार्यशालाएं भी आयोजित करता है।
न्यू-वॉइसेस (NüVoices) यह नेटवर्क चीन के संबंध में काम करने वाली महिला पत्रकारों की मदद करता है। इसका एक फेसबुक पेज है। ग्रेटर चीन, अमेरिका और यूरोप में इसके चैप्टर हैं। इसने महिला विशेषज्ञों की एक निर्देशिका भी बनाई है।
कॉलिशन फॉर वुमेन इन जर्नलिज्म (Coalition for Women in Journalism) इसका उद्देश्य दुनिया भर में महिला पत्रकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें अनुभवी महिला पत्रकारों के जरिए परामर्श, संसाधन, वकालत उपलब्ध कराई जाती है। विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और भारत में इसके चैप्टर हैं।
वुमेन इन मीडिया नेटवर्क जापान (Women in Media Network Japan) इसका गठन वर्ष 2018 में 86 महिला पत्रकारों द्वारा किया गया था। इसे यौन उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन (#WithYou movement) के तहत प्रारंभ किया गया था।
यूरोप में नेटवर्क
द सेकेंड सोर्स (The Second Source) यूनाइटेड किंगडम में महिला पत्रकारों के एक समूह ने वर्ष 2017 में इसका गठन किया था। इसका मकसद महिलाओं के लिए वैकल्पिक पेशेवर नेटवर्क प्रदान करने के साथ ही महिला पत्रकारों को मीडिया में उत्पीड़न से बचाना है। इस संगठन का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में सूचित करना, जागरूकता बढ़ाना और मीडिया उद्योग में बदलाव लाना है। वर्ष 2018 में ‘द सेकेंड सोर्स‘ ने एक मेंटरशिप प्रोग्राम शुरू किया। इस प्रोग्राम का उद्देश्य उन महिलाओं की मदद करना है, जो पेशेवर पत्रकार के रूप में शुरुआत कर रही हैं, या जो मीडिया उद्योग से बाहर निकलने पर विचार कर रही हैं। जिन महिला पत्रकारों को किसी परामर्श की आवश्यकता हो, उन्हें भी इसमें मदद मिलती है। इसमें कैरियर सलाह के साथ ही काम से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए सलाह भी मिलती है।
वीमेन इन जर्नलिज्म (Women in Journalism) यूनाइटेड किंगडम में महिला पत्रकारों का यह लंदन स्थित एक पेशेवर नेटवर्क है। यह सेमिनार और पैनल आयोजित करता है। यह अनुसंधान आयोजित करता है। यह नेटवर्किंग कार्यक्रमों की सुविधा भी प्रदान करता है। यह नई और स्थापित दोनों तरह की महिला पत्रकारों को परामर्श (मेंटरिंग) देता है।
प्रेनो ला-उन (Prenons la une) फ्रांस का यह महिला पत्रकारों का एक संघ है जो मीडिया में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व और न्यूजरूम में पेशेवर समानता की वकालत करता है। यह नेटवर्क कुछ एक महीनों में बैठक करके भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करने वाली महिलाओं को सहायता प्रदान करता है।
जर्नलिस्ट-इनबंड (Journalistinnenbund) यह जर्मनी में 400 से अधिक महिला पत्रकारों का एक राष्ट्रव्यापी, क्रॉस-जेनरेशनल नेटवर्क है। इसे वर्ष 1987 में स्थापित किया गया था। देश भर में इसके क्षेत्रीय समूह हैं। उभरती महिला पत्रकारों के लिए इसका एक परामर्श कार्यक्रम है।
चिकास पोडेरोसस स्पेन (Chicas Poderosas Spain) वर्ष 2018 में एक सम्मेलन के जरिए इसे लॉन्च किया गया था। इसमें 155 प्रतिभागी शामिल हुए। यह लैटिन अमेरिकी समूह पर एक स्पिन-ऑफ है। इसका ट्विटर हैंडल @PoderosasES है।
सुरक्षा संसाधन
सुरक्षा को लेकर सभी पत्रकार चिंतित हैं। लेकिन महिलाओं को लिंग आधारित हिंसा, उत्पीड़न, न्यूजरूम और मीडिया क्षेत्र में भेदभाव और ऑनलाइन हमलों जैसे अतिरिक्त खतरों का सामना करना पड़ता है। मीडिया उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए कुछ संसाधन नीचे दिए गए हैं।
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वुमेन इन रेडियो एंड टेलीविजन ने महिला पत्रकारों के लिए एक सुरक्षा पुस्तिका (Safety Handbook for Women Journalists) प्रकाशित की है। यह 95 पृष्ठ की गाइड है। यह संघर्ष क्षेत्रों में महिला पत्रकारों की सुरक्षा पर केंद्रित है। इसमें जोखिम मूल्यांकन, ऑनलाइन उत्पीड़न और यात्रा सुरक्षा संबंधी अनुभाग शामिल हैं।
कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने वर्ष 2019 में दो महत्वपूर्ण संसाधन बनाए हैं:
शारीरिक सुरक्षा : एकल रिपोर्टिंग (Physical Safety: Solo Reporting)
शारीरिक सुरक्षा : यौन हिंसा रोकना (Physical Safety: Mitigating Sexual Violence)
सीपीजे ने अमेरिका और कनाडा में महिला पत्रकारों के सुरक्षा मुद्दों पर सर्वेक्षण किया। उसका विवरण इस ब्लॉग पोस्ट में दिया गया है। सीपीजे के सुरक्षा नोट्स के नए खंड में अतिरिक्त सामग्री जोड़ी गई है। इसकी पत्रकार सुरक्षा मार्गदर्शिका भी उपयोगी है।
इंटरनेशनल वुमेन्स मीडिया फाउंडेशन (International Women’s Media Foundation) – इसने महिला पत्रकारों की सहायता के लिए एक आपातकालीन कोष (Emergency Fund) बनाया है। इसमें कानूनी और चिकित्सा सहायता के अलावा आपातकाल में सुरक्षित यात्रा जैसे खर्च शामिल हैं।
जीआईजेएन ने विभिन्न सुरक्षा गाइडों और ऐसे संगठनों का एक संसाधन पृष्ठ तैयार किया है, जो पत्रकारों को खतरे में सहायता प्रदान करते हैं। जिस देश में पत्रकार की सुरक्षा को खतरा है, वहां से बाहर ले जाने के अलावा चिकित्सा और कानूनी सहायता प्रदान की जाती है।
यूरोपियन सेंटर फॉर प्रेस एंड मीडिया फ्रीडम (European Center for Press & Media Freedom) ने एक अलार्म सेंटर शुरू किया है। इसमें कोई महिला पत्रकार एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग के जरिए खुद पर हमलों की रिपोर्ट करके मदद मांग सकती हैं। संदेशों को महिला कर्मचारियों द्वारा खोला जाता है और रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाता है।
सुरक्षा के बारे में अधिक जानकारी के लिए, जीआईजेएन का संसाधन देखें – पत्रकारों के लिए आपातकालीन सहायता ।इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) (International Federation of Journalists) महिला पत्रकारों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए यह एक अभियान चला रहा है। इस अभियान में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (International Labor Organization) का सहयोग मिल रहा है। इसके संसाधनों में टूलकिट, प्रकाशन और प्रासंगिक नीतियों के लिंक शामिल हैं। आईएफजे पत्रकारों की समस्याओं का समाधान करने और संबंधित सरकारों पर सार्थक बदलाव के लिए दबाव बनाने के लिए सहायता और संसाधन प्रदान करता है। नवंबर 2019 में आईएफजे ने महिला पत्रकारों की ऑनलाइन ट्रोलिंग के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ने के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
आईडब्ल्यूएमएफ के योगा वीडियो – महिला पत्रकारों के लिए सुरक्षा उपायों के साथ ही अपनी देखभाल भी महत्वपूर्ण है। काम का तनाव दूर करने, मानसिक आधात से निपटने और अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए योगा अभ्यास काफी उपयोगी है। आईडब्ल्यूएमएफ ने विशेष रूप से महिला पत्रकारों के लिए यह वीडियो डिजाइन किया है। सुबह और शाम के योगा अभ्यास के लिए इसे देखें।
ट्रॉल-बुस्टर डॉट कॉम (Troll-Busters.com) – एक वैश्विक अभियान है। यह पत्रकारों के लिए ‘ऑनलाइन कीट नियंत्रण‘ प्रदान करता है। यह खासकर महिला पत्रकारों पर केंद्रित है। यह ऑनलाइन खतरों और उत्पीड़न की पहचान, सूचित करने और रोकथाम में विशेषज्ञता रखता है। उनके पास महिला पत्रकारों के लिए विशिष्ट संसाधन और प्रशिक्षण भी हैं।
पेन अमेरिका (PEN America) ने हाल ही में ‘ऑनलाइन हैरेसमेंट फील्ड मैनुअल‘ जारी किया। यह ऑनलाइन उत्पीड़न और नफरत अभियान से बचाव के लिए व्यावहारिक उपकरणों और उपायों की जानकारी देने वाला फील्ड मैनुअल है। इसे साइबर-स्टॉकिंग, डॉकिंग, हेट स्पीच और डिजिटल उत्पीड़न के अन्य रूपों पर सलाह, मार्गदर्शन और संसाधनों का एक संपूर्ण गाइड कहा गया है। इसमें ‘क्या करें‘ पर सार्वभौमिक सलाह के अलावा विभिन्न प्रासंगिक अमेरिकी कानूनों की जानकारी शामिल है।
बाइट बैक (Byte Back) ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स‘ (International Federation of Journalists) और एशिया प्रशांत क्षेत्र में पार्टनर संगठनों ने वर्ष 2016 में यह अभियान शुरू किया। बाइट बैक अभियान का मकसद महिला पत्रकारों पर साइबर धमकियों और ऑनलाइन उत्पीड़न का मुकाबला करना है। इसमें ऑनलाइन उत्पीड़न और ट्रोलिंग से निपटने के लिए संसाधन, रणनीति और सहयोग प्रदान किया जाता है।
‘एक्सेस नाऊ‘ की डिजिटल सुरक्षा हेल्पलाइन (Access Now’s Digital Security Helpline) इसमें दुनिया भर के पत्रकारों और संगठनों को निशुल्क सहायता मिलती है। इसके तहत डिजिटल सुरक्षा प्रथाओं को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन, पुर्तगाली, रूसी, ऑस्ट्रोनेशियन भाषा तागालोग, अरबी और इतालवी में दो घंटे के भीतर त्वरित आपातकालीन सहायता उपलब्ध है।
डीआईवाई गाइड टू फेमिनिस्ट साइबर सिक्यूरिटी (A DIY Guide to Feminist Cybersecurity) यह महिलाओं की साइबर सुरक्षा के लिए एक गाइड है। इसमें ऑनलाइन ट्रैकिंग, धोखाधड़ी और बेनामी उपकरणों को अवरुद्ध करने, मैलवेयर से बचाव, मजबूत प्रमाणीकरण प्रथा अपनाने, सोशल मीडिया पर गोपनीयता जैसे मामलों के अलावा डिवाइस और संचार एन्क्रिप्शन (स्पेनिश संस्करण) की जानकारी मिलती है।
स्पीक अप एंड स्टे सेफ (आर): ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाव की गाइड (Speak Up & Stay Safe (r): A Guide to Protecting Yourself From Online Harassment) यह फेमिनिस्ट फ्रीक्वेंसी द्वारा जारी किया गया है। इसमें सोशल मीडिया और गेमिंग प्लेटफॉर्म पर डॉक्सिंग, गोपनीयता, कंपार्टमेंटलाइजेशन प्रथाओं, प्रमाणीकरण सुरक्षा को मजबूत करने, व्यक्तिगत वेबसाइट सुरक्षा, भौतिक मेल गोपनीयता का मुकाबला करने जैसे मामलों पर उपयोगी सलाह दी गई है।
एलर्टा माचिट्रॉल ने महिलाओं के खिलाफ डिजिटल हिंसा का मुकाबला करने के लिए वर्ष 2015 में करिस्मा फाउंडेशन ने इसे शुरू किया। यह कोलंबिया-आधारित स्पेनिश-भाषा का अभियान है। यह ऑनलाइन उत्पीड़न से लड़ने के लिए अलर्ट जनरेटर (Alert Generator) और मनोरंजक तरीके से स्वयं सहायता रणनीतियां प्रदान करता है।
क्रैश ओवरराइड नेटवर्क (Crash Override Network) का संसाधन केंद्र – इसमें ऑनलाइन दुरुपयोग के मामलों में उपयोगी टूल, गाइड और सेवाओं की सूची दी गई है। इसमें डॉक्सिंग और बगैर सहमति वाली अंतरंग तस्वीरों और व्यक्तिगत डेटा, पासवर्ड और उपकरणों की सुरक्षा भी शामिल है।
ऑनलाइन एसओएस (Online SOS) यह एक गैर-लाभकारी संगठन है। यह अमेरिकी पत्रकारों पर किसी भी प्रकार के ऑनलाइन उत्पीड़न मामलों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जुड़ी मदद, कानूनी उपचार, रोजगार से संबंधित विकल्प, केस प्रबंधन, प्लेटफॉर्म पर विस्तार, विशेषज्ञ रेफरल और संकट से निपटने के संबंध में मुफ्त सहायता प्रदान करता है।
टेक बैक द टेक (Take Back the Tech) यह एक वैश्विक सहयोगी अभियान है। इसका उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर रोक लगाना है। यह प्रौद्योगिकी से संबंधित उत्पीड़न, उपकरणों के लिए डिजिटल सुरक्षा टूलकिट और अधिकारों के लिए संसाधन, आत्म-देखभाल और उत्तरजीवी पीड़ितों को सहायता प्रदान करता है। यह स्थानीय अभियान शुरू करने में भी सहायता करता है।
वर्ष 2019 में अकेली महिला पत्रकार की यात्रा के लिए सबसे खराब और सबसे सुरक्षित देश (The Worst (& Safest) Countries for Solo Female Travel in 2019) पत्रकार आशेर फर्गुसन और लिरिक बेन्सन ने 50 देशों का यह एक अध्ययन किया है। महिलाएं अकेले यात्रा करते समय कैसे सुरक्षित रह सकती हैं, इस पर 42 टिप्स देखें।
सेफ्टी ऑफ फिमेल जर्नलिस्ट्स ऑनलाइन ( “Safety of Female Journalists Online Guide) – मीडिया की स्वतंत्रता (आरएफओएम) पर ओएससीई प्रतिनिधि के कार्यालय द्वारा यह 200 पृष्ठ की संसाधन मार्गदर्शिका विकसित की गई है।
महिलाओं से भेदभाव और उत्पीड़न पर संसाधन
पत्रकारिता सहित अधिकांश उद्योगों में कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव और उत्पीड़न आम समस्या हैं। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 18 देशों में अब भी महिलाओं को रोजगार करने के लिए अपने पति की अनुमति लेना जरूरी है। 59 देशों में महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ कोई कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती। 104 देशों में महिलाएं किस प्रकार की नौकरी कर सकती हैं, इसे लेकर कई तरह के प्रतिबंध हैं। महिलाओं के साथ वेतन संबंधी भेदभाव भी एक वैश्विक समस्या है। इसलिए महिला पत्रकारों को कार्यस्थल में लैंगिक भेदभाव और यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए उपलब्ध कुछ संसाधन यहां प्रस्तुत हैं।
वुमेन इन न्यूज (Women in News) ने अपने मीडिया संगठनों में यौन उत्पीड़न रोकने के लिए नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए एक टूलकिट विकसित किया है। इसका अरबी, स्पेनिश, फ्रेंच, वियतनामी, बर्मी और रूसी में भी अनुवाद किया गया है। टूलकिट में एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका, जागरूकता पोस्टर, आदर्श नीतियां, सर्वेक्षण और संचार टेम्पलेट शामिल हैं। ‘वुमेन इन न्यूज‘ संस्था के पास महिलाओं के लिए बेहतर कामकाजी माहौल बनाने में प्रबंधकों की मदद करने के लिए विभिन्न संसाधन भी हैं। यह संगठन उप-सहारा अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में काम करता है। उनके पॉडकास्ट ‘द बैकस्टोरी‘ में मीडिया संगठनों में महिला नेतृत्व के मुद्दों पर चर्चा होती है।
यूनेस्को और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स (आईसीएफजे) ने मिलकर महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा पर एक सर्वेक्षण प्रकाशित किया है। इसे ऑनलाइन हिंसा पर अब तक का सबसे व्यापक सर्वेक्षण कहा जा सकता है। इसमें भौगोलिक रूप से भी काफी विविधता है। इस सर्वेक्षण में 113 देशों की 714 महिला पत्रकारों की प्रतिक्रिया शामिल है।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) (International Federation of Journalists) महिला पत्रकारों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए यह एक अभियान चला रहा है। इस अभियान में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन का सहयोग है। इसके संसाधनों में टूलकिट, प्रकाशन और महिला पत्रकारों के वेतन संबंधी भेदभाव के लिंक शामिल हैं। आईएफजे पत्रकारों की समस्याओं का समाधान करने और संबंधित सरकारों पर सार्थक बदलाव के लिए दबाव बनाने और उत्पीड़न रोकने के लिए सहायता और संसाधन प्रदान करता है।
टाइम्स अप लीगल डिफेंस फंड (TIME’S UP Legal Defense Fund) यह संगठन अमेरिका में कार्यरत है। कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न और भेदभाव की शिकार महिलाओं को यह संगठन वकीलों और मीडिया विशेषज्ञों से जोड़ता है।
वाशिंगटन स्थित ‘प्रेस फॉरवर्ड‘ (Press Forward) ने कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न की शिकार महिला पत्रकारों के लिए एक चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका बनाई है। इसके पास अन्य प्रासंगिक संसाधन भी हैं। इन्हें अमेरिकी कानूनों और नीतियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। लेकिन यह अन्य देशों के लिए भी उपयोगी हैं।
प्रेनो ला-उन (Prenons la une) यह फ्रांस में महिला पत्रकारों का एक संघ है। यह मीडिया में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व और न्यूजरूम में पेशेवर समानता की वकालत करता है। यह नेटवर्क भेदभाव और उत्पीड़न का सामना कर रही महिलाओं को सहायता प्रदान करता है।
ब्राजीलियाई एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टीगेटिव जर्नलिज्म (अब्राजी) (Brazilian Association of Investigative Journalism) ने मीडिया उद्योग में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर शोध किया। इसके निष्कर्षों के आधार पर ‘मुलहेरेस नो जर्नलिज्मो ब्रासीलेरियो‘ (Mulheres No Jornalismo Brasileiro) ने ब्राजील के मीडिया संस्थानों में लिंग-आधारित उत्पीड़न, भेदभाव और हिंसा से निपटने के लिए अनुशंसा तैयार की। वर्ष 2018 में ब्राजील की 50 महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ फेसबुक और ट्विटर पर एक वीडियो घोषणापत्र जारी किया। इसके लिए हैशटैग “Let Her Work.” का उपयोग किया गया। इस हैशटैग का अर्थ है ‘लेट हर वर्क‘ – यानी उसे अपना काम करने दो।
कैमरून मीडिया वुमेन (Cameroon Media Women) यह एक व्हाट्सएप ग्रुप और बंद फेसबुक पेज है। वर्ष 2018 में इसे ‘मी-टू आंदोलन’ के दौरान लॉन्च किया था। इसका हैशटैग #StopSexualHarassment237 रखा गया था। यह कैमरून देश का ‘कोड‘ है। ट्विटर पर महिला पत्रकारों ने चर्चा करके न्यूजरूम में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर विचार और वीडियो साझा किए।
मी-टू आंदोलन (#MeToo movement) ने एशिया में अपनी गहरी छाप छोड़ी। ‘अनकवरिंग एशिया 2018‘ (GIJN panel at Uncovering Asia 2018) शीर्षक एक जीआईजेएन पैनल में महिला पत्रकारों ने चीन और जापान में यौन उत्पीड़न की जांच और कवर करने संबंधी अनुभव साझा किए। इसके अलावा, यहां जीआईजेएन के हांगकांग ब्यूरो से चीन में मी-टू आंदोलन को कवर करने में खोजी पत्रकारों की भूमिका पर एक श्रृंखला है।
द सेकेंड सोर्स (The Second Source) यूनाइटेड किंगडम में महिला पत्रकारों के एक समूह ने इसका गठन किया था। इस संगठन का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में सूचित करना, जागरूकता बढ़ाना और मीडिया उद्योग में बदलाव लाना है।
वुमेन इन न्यूज (Women in News) इसका एक ताजा अध्ययन: ‘ग्लास सीलिंग्स : वीमेन इन साउथ अफ्रीकन मीडिया हाउसेस‘ (Glass Ceilings: Women in South African Media Houses) काफी महत्वपूर्ण है। यह मीडिया संगठनों में लैंगिक उत्पीड़न के सामान्य मुद्दों की पहचान करता है। उनसे निपटने के लिए सिफारिशें भी दी गई हैं।
डिजिटल वुमन लीडर्स (Digital Women Leaders) इसके द्वारा महिला पत्रकारों को व्यक्तिगत रूप से 30 मिनट के लिए मुफ्त परामर्श प्रदान किया जाता है। इसमें कार्यस्थल पर भेदभाव, उत्पीड़न और वेतन के अंतर जैसे मुद्दे शामिल हैं।
टोटेम प्रोजेक्ट (The Totem Project) इसने ‘इंटरनेशनल वुमेन मीडिया फाउंडेशन‘ के साथ साझेदारी में उत्पीड़न पर कई ऑनलाइन पाठ्यक्रम बनाए हैं। यह विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध हैं।
‘वुमेन डिजर्व बेटर, द डब्ल्यूएचओ कुड लीड द वे‘ (Women deserve better. The WHO could lead the way) प्रोफेसर शीला ट्लाऊ और न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क, (2022)
जेंडर एंड लैंग्वेज (Gender & Language) लिंग आधारित भाषा किस तरह नन-बाइनरी लोगों पर कोई असर डालती है और समाज उन्हें कैसे देखता है?