चुनाव कवरेज में इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग पर जीआईजेएन की गाइड: परिचय

चुनावी रिपोर्टिंग के दौरान नए-नए प्रश्नों पर विचार करने के लिए कई प्रकार के वैश्विक और स्थानीय डेटाबेस काफी उपयोगी होते हैं। विभिन्न चीजों के बीच संबंध तलाशने और तथ्यों की जांच करने के लिए यह उत्कृष्ट संसाधन हैं। इस गाइड के आगामी अध्यायों में हम ऐसे कई उपयोगी डेटासेट साझा करेंगे।

तानाशाही का खेल: ऐसे समझें पत्रकार

स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मीडिया को जनता दुश्मन बताकर पत्रकारों पर हमले करना। सरकार की कमियों को उजागर करने वाली खबरों को ‘नकली समाचार’ कहकर  खारिज करना। गलत जानकारी या वैकल्पिक झूठे तथ्यों के जरिए वैध और वास्तविक जानकारी को नीचा दिखाना। मीडिया के माहौल को अगंभीर और अविश्वसनीय करके भ्रम की स्थिति पैदा करना। सच के प्रति लोगों की जिज्ञासा कम करना।

सोशल मीडिया के जरिये कैसे अपने पाठकों की संख्या बढ़ाएं

आप अपनी सोशल मीडिया अथवा ऑडिएंस टीम से यह भी न पूछें कि क्या वे कुछ वायरल कर सकते हैं। किसी कंटेंट का ‘वायरल‘ होना अप्रत्याशित होता है। इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो आप किसी पर दबाव डालकर करा सकते हैं। निश्चित रूप से, वायरल होने लायक सामग्री के लक्षण होते हैं जो इसे अधिक साझा करने योग्य और आकर्षक बनाते हैं। लेकिन यह उम्मीद न करें कि आपके चाहने भर से कुछ ऐसा हो जाएगा।

मीडिया को डराने के लिए बढ़ते डिजिटल हमले

हाल के वर्षों में ऐसे डिजिटल हमलों को संख्या, आवृत्ति और गंभीरता बढ़ी है। ऐसे हमलों के नए-नए तरीके भी सामने आ रहे हैं। कुछ साइबर हमले काफी घातक होजे हैं और किसी कवरेज को रोकने में भी प्रभावी होते हैं। ऐसे हमलावरों को एक अतिरिक्त लाभ मिलता है, क्योंकि ऐसे अपराधी वीपीएन के पीछे छिपे होते हैं उनकी पहचान को सामने लाना मुश्किल होता हे।

सोशल मीडिया पर किसी का नाम पता कैसे खोजें: कुछ टिप्स

पत्रकारिता में आपको बेहद कम समय के भीतर किसी डेटा की तलाश करना जरूरी होता है। सही तरीके से सर्च करके कम समय में आप बेहतर परिणाम हासिल कर सकते हैं। हेंक वैन एस ने केस स्टडी के रूप में एक ब्रेकिंग न्यूज से जुड़े सर्च का उदाहरण साझा किया।

इंटरनेट पर दुष्प्रचार का पर्दाफ़ाश कैसे करें

आज दुनिया भर में गलत सूचनाओं और दुष्प्रचार के काफी मामले सामने आ रहे हैं। खोजी पत्रकार ऐसे मामलों की जांच करके पता लगाते हैं कि इसके पीछे कौन है। लेकिन प्रोपब्लिका से जुड़े पत्रकार क्रेग सिल्वरमैन इसे पर्याप्त नहीं मानते। उनका कहना है कि दुष्प्रचार करने वालों की मंशा समझना भी उतना ही जरूरी है।