यदि आप गूगल क्रोम को अपने डिफ़ॉल्ट मोबाइल ब्राउज़र के रूप में उपयोग कर रहे हैं, तो जिस फोटो को आप जांचना चाहते है उस फोटो को देर तक प्रेस करें और फिर एक ड्रॉप-डाउन मेन्यू दिखाई देगा। रिवर्स इमेज सर्च शुरू करने के लिए “सर्च गूगल फॉर दिस इमेज” को सिलेक्ट करें।
आप पीड़ितों पर चाहे जितना भी विश्वास करते हों, लेकिन सत्यापन के बगैर उनकी किसी बात को ‘तथ्य‘ के रूप में न लें। उनकी बातों की प्रस्तुति के तरीके में भी सावधानी बरतें। जैसे- अगर आप लिखते हैं, कि ‘उसे कुछ भी याद नहीं है‘ तो यह आपकी ओर से कही गई बात होगी।
1970 के दशक में अमेरिका के वाटरगेट कांड के बाद से खोजी पत्रकारिता का महत्व काफी बढ़ गया। हाल के दिनों में पेंडोरा पेपर्स जैसे बड़े खुलासे हुए। इस तरह देखें, तो खोजी पत्रकार लंबे समय से दुनिया भर में भ्रष्टाचार और गलत कामों को उजागर करने में सबसे आगे रहे हैं। वे किसी भी लोकतंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। किसी निरंकुश और दमनकारी शासन में तो उनकी भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हैं।
आज दुनिया भर में गलत सूचनाओं और दुष्प्रचार के काफी मामले सामने आ रहे हैं। खोजी पत्रकार ऐसे मामलों की जांच करके पता लगाते हैं कि इसके पीछे कौन है। लेकिन प्रोपब्लिका से जुड़े पत्रकार क्रेग सिल्वरमैन इसे पर्याप्त नहीं मानते। उनका कहना है कि दुष्प्रचार करने वालों की मंशा समझना भी उतना ही जरूरी है।
डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके हरेक सामग्री को सत्यापित करने की भी एक सीमा है। हर मामले में एल्गोरिदम कारगर हो, ऐसा जरूरी नहीं। कोई चाहे तो एल्गोरिदम को झांसा देने वाले तरीकों का उपयोग करके फर्जी सामग्री अपलोड कर सकता है। ऐसे लोग ‘रिवर्स इमेज सर्च‘ से बचने के लिए कुछ ट्रिक्स का इस्तेमाल करते हैं। जैसे, वीडियो मिरर करना, कलर स्कीम को ब्लैक एंड व्हाइट में बदलना, जूम इन या आउट करना इत्यादि। इसके लिए जांच का सबसे अच्छा तरीका यह है कि वीडियो के हर पहलू पर गौर करें। उसे जिस तरह की घटना बताया जा रहा है, उसके साथ वीडियो के हर पहलू का कितना तालमेल है? वीडियो उस कथित घटना के अनुरूप है अथवा नहीं?