ट्रोल और ऑनलाइन उत्पीड़न का मुकाबला कैसे करें पत्रकार?
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दुुनिया भर में दिख रही प्रवृतियां बताती हैं कि पत्रकारों पर पहले की तुलना में बढ़ते खतरों पर विचार करना जरूरी है। इनमें शारीरिक हिंसा, मानसिक उत्पीड़न, व्यक्तिगत सूचनाओं को उजागर करना, डिजिटल सुरक्षा का उल्लंघन और पत्रकारों की तस्वीरों में हेरफेर करके फर्जीवाड़ा करना शामिल है। ऐसी चीजें पत्रकारों के जीवन को भी खतरे में डालती हैं। इसके कारण उनकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति सीमित हो सकती है। यहां तक कि उन्हें मीडिया का पेशा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। जिस तरह ऑनलाइन जगत में सच पर हमला हो रहा है, वैसे ही पत्रकार भी निशाने पर हैं। इसलिए उन्हें अपनी डिजिटल सुरक्षा के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।