दुनिया भर में पत्रकारों की असुरक्षा के आंकड़े काफी चिंताजनक हैं। ‘कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स‘ के अनुसार, 1992 से अब तक 1400 से अधिक पत्रकारों की हत्या कर दी गई। उनमें से 890 से अधिक पत्रकारों के किसी भी हत्यारे को कभी न्याय के कटघरे में लाया तक नहीं गया। दोषियों पर कार्रवाई नहीं किया जाना उन्हें ‘दंड से मुक्ति‘ देने के समान है। सौ खून माफ? यानी हत्यारों को ‘इम्प्यूनिटी‘ मिल गई। आज भी दुनिया भर में 274 से अधिक पत्रकार जेल में बंद हैं। यह समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। ताजा आंकड़े पत्रकारों पर हमलों और हत्याओं के नए रिकॉर्ड बना रहे हैं।
मैरी कॉल्विन और डेनियल पर्ल जैसे हाई प्रोफाइल पत्रकार भी हत्या का शिकार हुए हैं। लेकिन मरने वालों में अधिकांश पत्रकार स्थानीय मीडिया से जुड़े हैं। ऐसे आंकड़े असल सच्चाई की एक झलक मात्र हैं। पत्रकारों की पिटाई, अपहरण, कारावास और धमकियों की संख्या काफी अधिक है। उन्हें चुप कराने की कोशिशें भी बड़ी संख्या में हो रही हैं।
पत्रकारों को ख़तरा विभिन्न क़िस्म की ताक़तों से है। इनमें ड्रग माफिया, आतंकी समूह, निरंकुश सरकारें, जातीय शत्रु, उन्मादी और अराजक तत्व इत्यादि शामिल हैं। दुनिया में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कई संगठन सक्रिय हैं। इनमें अभिव्यक्ति की आजादी के पक्षधर प्रतिनिधि संगठनों के साथ ही ‘संयुक्त राष्ट्रसंघ‘ तथा ‘ऑर्गेनाइजेशन फाॅर सिक्यूरिटी एंड काॅ-ऑपरेशन इन यूरोप‘ शामिल हैं। ‘ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क‘ की संसाधन श्रृंखला में हम पत्रकारों की सुरक्षा के लिए यह गाइड प्रकाशित कर रहे हैं। यहां कई प्रमुख गाइडों के लिंक प्रस्तुत हैं। साथ ही, प्रेस स्वतंत्रता पर सक्रिय प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का विवरण भी दिया गया है।
संघर्ष कवरेज के दौरान पत्रकार अपनी सुरक्षा कैसे करें
What to Do When Authorities Raid Your Home:किसी पत्रकार के घर पर जब अधिकारी कोई छापामारी करें, तो क्या करना चाहिए, यह जानना जरूरी है। किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा छापेमारी के दौरान आपको कैसा व्यवहार करना चाहिए, यह समझने के लिए इस गाइड का उपयोग करें। अधिकारियों को जब यह बात समझ में आएगी कि आप अपने अधिकारों के बारे में जानते हैं, तो वे अधिक संयमित होंगे और ज्यादती करने से हिचकेंगे।
What to Do When You Or Your Sources Are Being Followed: जब आपका या आपके स्रोतों का पीछा किया जा रहा हो, तो क्या करना चाहिए। आपके खिलाफ जासूसी के मामलों से कैसे निपटें? NICAR21 data journalism conference (2021) पर आधारित यह गाइड काफी महत्वपूर्ण है।
Committee for the Protection of Journalists’ Safety Kit: ‘कमिटी फाॅर द प्रोटेक्शन ऑफ जर्नलिस्ट्स‘ (सीपीजे) ने पत्रकारों के लिए वर्ष 2018 में यह सुरक्षा किट जारी किया था। चार खंडों का यह गाइड पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के लिए काफी उपयोगी है। इसमें भौतिक, डिजिटल और मनोवैज्ञानिक सुरक्षा के लिए संसाधनों और उपकरणों की जानकारी मिलती है। सीपीजे ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कई अन्य गाइड भी जारी किए हैं। इनका उपयोग सार्थक होगा। इसके अलावा सीपीजे ने Safety Notes भी प्रकाशित किए हैं, जैसे : Physical safety: Solo reporting और Physical safety: Mitigating sexual violence, अमेरिकी चुनावों के समय जारी किया गया यह सुरक्षा किट भी महत्वपूर्ण है : U.S. elections 2020: Journalist safety kit.
The Safety Guide for Journalists: पत्रकारों के लिए सुरक्षा गाइड: ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स‘ और यूनेस्को ने 2017 में उच्च जोखिम वाले परिवेश में काम करने वाले पत्रकारों के लिए एक पुस्तिका जारी की थी। यह अंग्रेजी, फ्रेंच,स्पेनिश और पुर्तगाली में उपलब्ध है।
A Culture of Safety (ACOS): ‘ए कल्चर ऑफ सेफ्टी‘ (एसीओएस) यह मीडिया संस्थानों, स्वतंत्र पत्रकार संघों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सक्रिय स्वयंसेवी समूहों का गठबंधन है। यह सुरक्षित और जवाबदेह पत्रकारिता को आगे बढ़ाने का साझा प्रयास है। इस गठबंधन ने पत्रकारों के लिए कई गाइड जारी किए हैं। जैसे- ‘सुरक्षा स्व-मूल्यांकन उपकरण‘, ‘सुरक्षा सिद्धांत‘, ‘सुरक्षा जाँच सूची‘ तथा अन्य। ऐसे संसाधन अरबी, फ्रेंच, हिब्रू, फारसी, पुर्तगाली, रूसी, स्पेनिश और तुर्की भाषाओं में उपलब्ध हैं।
Security Manual for Protest Coverage, अबराजी (द ब्राजीलियन एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म) ने प्रोटेस्ट कवरेज के लिए यह सुरक्षा मैनुअल जारी किया है। यह अंग्रेजी, पुर्तगाली और स्पेनिश भाषाओं में उपलब्ध है। सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों को कवर करने वाला अनुभाग भी काफी उपयोगी है।
Safety Handbook for Women Journalists: महिला पत्रकारों के लिए यह सुरक्षा पुस्तिका 95 पेज की है। इसे ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वीमेन रेडियो और टेलीविजन‘ ने वर्ष 2017 में जारी किया गया था। इसमें महिला पत्रकारों को संघर्ष क्षेत्रों और युद्ध रिपोर्टिंग के दौरान जोखिम के मूल्यांकन, ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाव और यात्रा सुरक्षा जैसे विषयों पर उपयोगी सलाह मिलती है।
The Hong Kong Protests: An FCC Workshop Series for Journalists: ‘द फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब‘, हांगकांग द्वारा वर्ष 2019 में किए गए वेबिनार की यह श्रृंखला भी काफी उपयोगी है। इसके कुछ स्लाइड शो भी उपलब्ध हैं।
23 guidelines for journalists to safely cover protests: पॉयन्टर इंस्टीट्यूट ने विरोध प्रदर्शनों को सुरक्षित रूप से कवर करने के लिए यह 23 दिशानिर्देश जारी किया है। वर्ष 2020 में अमेरिका के मिनियापोलिस में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में प्राप्त सुझावों के आधार पर इसे तैयार किया गया।
What to do if you’re exposed to tear gas- यदि आप आंसू गैस का शिकार हो जाएं, तो क्या करें? पॉपुलर साइंस पत्रिका में वर्ष 2019 में प्रकाशित यह मार्गदर्शिका बताती है कि अपनी और दूसरों की सुरक्षा कैसे करें।
Tips for staying safe while covering violent protests हिंसक विरोध प्रदर्शनों को कवर करते हुए सुरक्षित रहने के टिप्स – जॉर्ज लुइस सिएरा का 2017 का लेख। आइजेनेट ने इसे अंग्रेजी में अनुवाद करके पुनर्प्रकाशित किया।
A guide for journalists covering protests विरोध प्रदर्शन कवर करने वाले पत्रकारों के लिए गाइड – अमेरिकी समूह मकरॉक द्वारा 2017 में जारी यह मार्गदर्शिका बताती है कि विरोध प्रदर्शन को कवर करते समय पत्रकार खुद की और अपने उपकरणों की सुरक्षा का प्रबंधन कैसे करें।
13 security tips ‘हार्वर्ड कैनेडी स्कूल शोरेंस्टीन सेंटर जर्नलिस्ट्स रिसोर्स‘ के द्वारा यह ‘13 सुरक्षा सलाह‘ दी गई है। यह खास तौर पर ऑनलाइन नफरत को कवर करने वाले पत्रकारों के लिए काफी उपयोगी है।
COVID-19 Safety Protocol वर्ष 2020 में ‘एसीओएस एलायंस‘ ने यह ‘कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल‘ लॉन्च किया। इसमें कोरोना महामारी के दौरान मीडिया संस्थानों के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने के उपयोगी सुझाव दिए गए हैं। खास तौर पर स्वतंत्र पत्रकारों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखा गया है। इसके सुझावों और उपकरणों को अन्य प्रकार के संकट के दौरान कवरेज के दौरान भी उपयोग में लाया जा सकता है।
Safe + Secure यह हैंडबुक वर्ष 2019 में जारी किया गया। इसकी चेकलिस्ट में डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माताओं की सुरक्षा के मुद्दों पर उपयोगी जानकारी दी गई है। इसमें यह भी बताया गया है कि इस संबंध में प्रशिक्षण कहां मिलेगा।
5 tips from IPI for journalists experiencing harassment ‘इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट‘ का वर्ष 2020 में प्रकाशित यह लेख ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करने वाले पत्रकारों की मदद के लिए न्यूज रूम प्रोटोकॉल बताता है। आइपीआइ ने ऑनलाइन उत्पीड़न से निपटने के लिए अन्य संसाधन भी तैयार किए हैं।
Online SOS ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना कर रहे पत्रकारों के लिए यह ऑनलाइन एसओएस संसाधन है। इसमें चेकलिस्ट, विशेषज्ञ गाइड और संसाधन की सूचियां शामिल हैं।
The Online Harassment Field Manual ‘पेन अमेरिका‘ ने वर्ष 2017 में यह ‘ऑनलाइन उत्पीड़न फील्ड मैनुअल‘ जारी किया। इसमें लेखकों, पत्रकारों को साइबर घृणा और ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाव की प्रभावी रणनीतियाँ और संसाधन शामिल हैं।
The Safety Net Manual, इसमें आपातकालीन स्थितियों में पत्रकारों के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं। इसे दक्षिण पूर्व यूरोप मीडिया संगठन ने वर्ष 2017 में बनाया था। यह अंग्रेजी तथा 11 अन्य भाषाओं में उपलब्ध है।
Police, Protestors, and the Press प्रेस की स्वतंत्रता के लिए ‘यूएस ग्रुप रिपोर्टर्स कमिटी‘ द्वारा वर्ष 2020 में जारी यह कानूनी सलाह भी पत्रकारों के लिए उपयोगी है।
Radio Television Digital News Association Guidelines: Civil Unres अमेरिकी समूह की इस गाइड में सुरक्षा के उपाय बताए गए हैं। साथ ही, इसमें खास तौर पर यह बताया गया है कि सार्वजनिक अशांति के मामलों की रिपोर्टिंग कैसे करें। उदाहरण के लिए, इसमें सलाह दी गई है कि किसी भी व्यक्ति की मंशा पर अपनी कोई टिप्पणी न करें। आप यह नहीं जानते कि कोई क्या सोचता या महसूस करता है। आप केवल यह जान सकते हैं कि वह क्या कहता है, या क्या करता है।
Online Harassment of Journalists: Attack of the Trolls: ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स‘ ने 12 ब्यूरो के अपने विश्वव्यापी नेटवर्क के संवाददाताओं की मदद से पत्रकारों पर नए खतरों की जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि सोशल मीडिया में धमकी और अपमान के जरिए किस तरह पत्रकारों का ऑनलाइन उत्पीड़न किया जाता है। ट्रोल्स का यह हमला पत्रकारों को चुप कराने की साजिश है। ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स‘ ने इन खतरनाक ऑनलाइन अभियानों का जवाब देने के लिए वर्ष 2018 में 25 सिफारिशें पेश की। इसमें सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, मीडिया कंपनियों और विज्ञापनदाताओं के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। See GIJN summary.
Media Professionals and Armed Conflict, ‘ब्रिटिश रेडक्रॉस‘ और ‘ब्रिटिश इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड कम्पेरेटिव लॉ‘ (बीआईआईसीएल) द्वारा वर्ष 2017 में तैयार यह हैंडबुक भी पत्रकारों के लिए उपयोगी संसाधन है। इसमें हथियारबंद संघर्षों के दौरान पेशेवर पत्रकारों के लिए सुरक्षा संबंधी उपाय बताए गए हैं।
Reporting for Change: Handbook for Local Journalists in Crisis Areas ‘इंस्टीट्यूट फाॅर वॉर एंड पीस रिपोर्टिंग‘ ने वर्ष 2009 में इसे तैयार किया था। संकटग्रस्त क्षेत्रों में स्थानीय पत्रकारों के लिए इस हैंडबुक में युद्ध क्षेत्र में सुरक्षा पर एक अध्याय शामिल है। यह अंग्रेजी, अरबी, फारसी, रूसी, कजाख, किर्गिज और ताजिक भाषाओं में उपलब्ध है।
James W. Foley Legacy Foundation इस फाउंडेशन ने अंडरग्रेजुएट और ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए यह पत्रकार सुरक्षा पाठ्यक्रम विकसित किया है। इसमें जोखिम मूल्यांकन, शत्रुतापूर्ण स्रोतों के साक्षात्कार, डिजिटल डेटा की सुरक्षा इत्यादि पर मार्गदर्शन दिया गया है।
How to Prevent, Identify and Address Vicarious Trauma — While Conducting Open Source Investigations in the Middle East, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बर्कमैन क्लेन सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी के एक शोध सहायक हन्ना एलिस का वर्ष 2018 का यह लेख भी महत्वपूर्ण है। इसमें खास तौर पर मध्य पूर्व में किसी वीभत्स हमले की रिपोर्टिंग के दौरान भावनात्मक कुप्रभाव से बचने के उपाय बताए गए हैं।
Freelance Files: For Freelancers in Conflict Zones, Help Is out There ‘सोसाइटी फॉर एनवायर्नमेंटल जर्नलिस्ट्स‘ वेबसाइट पर डेल विलमैन का वर्ष 2017 का यह लेख काफी जानकारी देता है। इसमें फ्रीलांस पत्रकारों को संघर्ष क्षेत्रों में रिपोर्टिंग के दौरान सुरक्षा संबंधी उपाय बताए गए हैं।
Journalism and Vicarious Trauma: A Guide for Journalists, Editors and News Organisations सैम डबरले और मिशेल ग्रांट की यह 2017 हैंडबुक वीभत्स हमलों की रिपोर्टिंग के दौरान भावनात्मक कुप्रभाव से बचने की सावधानी बताता है। यह पत्रकारों, संपादकों और समाचार संगठनों के लिए एक उपयोगी गाइड है।
इंटरनेशनल वुमेन्स मीडिया फाउंडेशन ने खास तौर पर महिला पत्रकारों की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण का प्रारूप बनाया है। उनके संसाधनों की सूची यहां देखें।
Self-care for Journalists, पत्रकारों के लिए अपनी देखभाल स्वयं करने संबंधी यह एक व्यावहारिक गाइड है। इसे NICAR2019 में एक पावरपॉइंट में प्रस्तुत किया गया था।
The Journalist Survival Guide इसमें नौ एनिमेटेड चैप्टर हैं। इसमें आंसू गैस से निपटने की जानकारी भी शामिल है। ‘समीर कासिर फाउंडेशन‘ द्वारा इसे वर्ष 2012 में जारी किया गया। यह अंग्रेजी और अरबी भाषा में उपलब्ध है।
Emergency Protocol Case Study, रूसी समाचार पत्र ‘मेडुजा‘ के खोजी पत्रकार इवान गोलुनोव ने इसे तैयार किया। इसे जीआइजेएन की 2019 कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया गया। इसमें बताया गया है कि जब पत्रकार इवान गोलुनोव को गिरफ्तार कर लिया गया, तो उनके अखबार ‘मेडुजा‘ ने क्या कदम उठाए।
Groundtruth: A Field Guide for Correspondents संवाददाताओं के लिए यह एक फील्ड गाइड है। इसमें पत्रकारों को घटनास्थल में रिपोर्टिंग के दौरान सावधानी के सिद्धांतों और प्रथाओं संबंधी दिशानिर्देश शामिल हैं। इसमें अनुभवी पत्रकारों के लेख भी हैं। वर्ष 2019 का यह लेख भी देखें – Five tips to protect yourself from threats and harassment.
पत्रकारों की सुरक्षा पर काम करने वाले संगठन
A Culture of Safety (ACOS) दुनिया भर में फ्रीलांस सुरक्षा मानकों में सुधार के लिए प्रमुख मीडिया संस्थानों ने वर्ष 2015 में ‘ए कल्चर ऑफ सेफ्टी‘ (एसीओएस) नामक गठबंधन बनाया। इसके द्वारा पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कई पहल की जाती है।
Article 19 लंदन में स्थित यह संगठन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए निगरानी, शोध, प्रकाशन, लॉबी, अभियान, मानक निर्धारण जैसे काम करता है। यह न्यायिक लड़ाई भी लड़ता है। यह पत्रकारों और उनके परिजनों का जीवन और उनकी आजीविका बचाने के अभियान में शामिल है।
Committee to Protect Journalists (CPJ): पत्रकारों की रक्षा के लिए बनी यह समिति न्यूयॉर्क में स्थित है। यह वर्ष 1981 में स्थापित की गई थी। पत्रकारों के निदेशक मंडल द्वारा इसका प्रबंधन किया जाता है। यह समिति वार्षिक रिपोर्ट तैयार करती है, अंतर्राष्ट्रीय मिशन संचालित करती है, और कई अन्य गतिविधियों के साथ ही ‘इम्प्यूनिटी इन्डेक्स‘ तैयार करती है। यहां ‘इम्प्यूनिटी‘ का आशय है- ‘दंडमुक्ति‘, यानी पत्रकारों पर हमला करने वालों को सजा नहीं मिलना। इसके द्वारा ‘पत्रकार सहायता कार्यक्रम‘ भी चलाया जाता है। इसमें संकटग्रस्त पत्रकारों को कानूनी मदद, चिकित्सा और पुनर्वास सहायता दी जाती है। साथ ही, मारे गए और कैद किए गए पत्रकारों के परिवारों के लिए सहायता का भी प्रावधान है।
First Draft फर्स्ट ड्राफ्ट – यह मीडिया संस्थाओं और सामाजिक लोगों का एक निष्पक्ष नेटवर्क है। यह सोशल वेब से प्राप्त सामग्री को खोजने, सत्यापित करने और प्रकाशित करने में व्यावहारिक और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है।
Global Journalist Security: यह वर्ष 2011 में स्थापित वाशिंगटन स्थित एक परामर्श फर्म है। यह मीडियाकर्मियों, नागरिक पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवी संगठनों के कर्मचारियों को सुरक्षा प्रशिक्षण और सलाह देती है। यह विकसित देशों के साथ ही उभरते हुए लोकतांत्रिक देशों में अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता और मानवाधिकार मानकों को पूरा करने के लिए सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करती है। साथ ही, उन्हें प्रेस के साथ समुचित व्यवहार करना भी सिखाती है।
Inter American Press Association (IAPA): इंटर अमेरिकन प्रेस एसोसिएशन – यह मियामी, फ्लोरिडा में स्थित है। इसकी स्थापना 1940 दशक के उत्तरार्द्ध में हुई थी। कनाडा से लेकर चिली तक लगभग 1,400 प्रकाशन समूह इसके सदस्य हैं। यह प्रेस की स्वतंत्रता की निगरानी करता है। इसके विशेष कार्यक्रमों में किसी पत्रकार की मौत पर रैपिड रिस्पांस यूनिट बनाना, प्रत्येक देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट जारी करना शामिल है। यह खतरनाक देशों में काम करने वाले पत्रकारों का मार्गदर्शन करने के लिए ‘जोखिम मानचित्र‘ भी प्रकाशित करता है। यह पत्रकारों की हत्या की विस्तृत जानकारी के साथ ‘इम्प्यूनिटी प्रोजेक्ट‘ भी संचालित करता है।
International Federation of Journalists (IFJ): इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स – यह ब्रूसेल्स में स्थित है। इसे 1952 में अपने आधुनिक रूप में लॉन्च किया गया। यह खुद को पत्रकारों के दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बताता है। यह प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दों पर नजर रखता है और पत्रकारों की सुरक्षा की वकालत करता है। इसने ‘इटरनेशनल न्यूज सेफ्टी इंस्टीट्यूट‘ की स्थापना की थी।
International Freedom of Information Exchange (IFEX): टोरंटो स्थित यह संगठन सूचनाओं का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह साप्ताहिक ई-मेल न्यूजलेटर, प्रेस स्वतंत्रता से संबंधित लेखों का नियमित डाइजेस्ट, और दुनिया भर के सदस्यों से ‘एक्शन अलर्ट‘ जारी करता है। इसके कारण इसे दुनिया की प्रमुख और मुक्त अभिव्यक्ति सूचना सेवा कहा जाता है। इसके सदस्यों में 50 से अधिक देशों के 90 से अधिक संगठन शामिल हैं। वर्ष 2011 में इसने 23 नवंबर को ‘इंड इम्प्यूनिटी‘ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। यानी ‘दंडमुक्ति बंद करो‘, पत्रकारों पर हमला करने वालों के प्रति नरमी बरतना बंद करो, उन्हें सजा दो।
International News Safety Institute (INSI): यह ब्रूसेल्स में स्थित है। वर्ष 2003 में आइएफजे और आइपीआइ ने मिलकर इसका गठन किया। यह समाचार संगठनों, पत्रकार सहायता समूहों और विशेष रूप से खतरनाक वातावरण में काम करने वाले समाचार मीडिया कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए समर्पित व्यक्तियों का गठबंधन है। यह प्रशिक्षण आयोजित करता है, सुरक्षा के तरीके और नियमावली जारी करता है। यह हिंसक हमले या दुर्घटना में घायल अथवा मृत पत्रकारों के मामलों से विशेष सरोकार रखता है।
International Press Institute (IPI): वर्ष 1950 में इसका गठन किया गया था। यह वियना में है। यह संपादकों, मीडिया अधिकारियों और प्रमुख पत्रकारों का एक वैश्विक नेटवर्क है। यह आईएनएसआई का संस्थापक है। यह हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता समीक्षा के जरिए प्रेस स्वतंत्रता की निगरानी करता है। यह उन देशों में नियमित मिशन आयोजित करता है जहां प्रेस की आजादी को खतरा है। यह पत्रकारों पर हमलों पर भी नजर रखता है।
Reporters Without Borders (Reporters Sans Frontières, or RSF): रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स – यह वर्ष 1985 में स्थापित किया गया और पेरिस में स्थित है। यह प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन संबंधी जानकारी एकत्र करके आवश्यकतानुसार अंतरराष्ट्रीय मिशन प्रायोजित करता है। यह पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को अपनी रक्षा में मदद करता है। यह कैद पत्रकारों के परिजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है और खासकर युद्ध क्षेत्रों में पत्रकारों की सुरक्षा में सुधार में मदद करता है। यह उनके लिए बीमा भी उपलब्ध कराता है। यह खतरनाक क्षेत्रों की यात्रा करने वाले पत्रकारों को बिना किसी कीमत के बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट देता है।
World Association of Newspapers and News Publishers (WAN-IFRA): इसे वर्ष 1948 में स्थापित किया गया। यह पेरिस में स्थित है। यह पांच महाद्वीपों के 18,000 से अधिक प्रकाशन समूहों का प्रतिनिधित्व करता है। यह मीडिया उद्योग के बुनियादी मुद्दों पर मदद और जानकारी प्रदान करने के अलावा प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों पर हमलों पर विशेष ध्यान रखता है। यह मीडिया की स्वतंत्रता के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से दीर्घकालिक अभियान आयोजित करता है।
Free Press Unlimited: फ्री प्रेस अनलिमिटेड – इस डच मीडिया डेवलपमेंट एनजीओ के पास रिपोर्टर्स रिस्पॉन्ड नामक एक अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन कोष है जो पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को प्रत्यक्ष सहायता प्रदान करता है। मीडिया के समक्ष कोई स्थानीय बाधा आने पर उनका काम जल्द फिर से शुरू करने में मदद करता है। इसका लक्ष्य 24 घंटे के भीतर अनुरोधों का जवाब देना है।
Legal Defense Fund for Journalists यह पत्रकारों की कानूनी रक्षा के लिए ‘फ्री प्रेस अनलिमिटेड‘ का कोष है। इसके द्वारा उन पत्रकारों को वित्तीय सहायता दी जाती है, कानूनी शुल्क वहन करने में असमर्थ हों। ऐसे पत्रकारों को अदालती लड़ाई या कारावास के दौरान मदद की जाती है।
Rory Peck Trust: लंदन स्थित ‘रोरी पेक ट्रस्ट‘ दुनिया भर में स्वतंत्र पत्रकारों और उनके परिजनों को सहायता प्रदान करता है। यह ऐसे पत्रकारों का योगदान सामने लाकर उनकी प्रोफाइल बढ़ाने, उनके कल्याण और सुरक्षा को बढ़ावा देने और स्वतंत्र रूप से निर्भीक पत्रकारिता के अधिकार का समर्थन करता है। इसके प्रमुख कार्यक्रम हैं- Freelance Assistance Programme, Freelance Resources, और Rory Peck Awards.
RISC: आरआईएससी (रिपोर्टर्स इंस्ट्रक्टेड इन सेविंग कलीग्स) – एक यूएस आधारित समूह है। यह दुनिया भर के संघर्ष क्षेत्रों और दूरदराज के क्षेत्रों में कार्यरत पत्रकारों को निशुल्क सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह संकट की रोकथाम पर केंद्रित दो दिनों का सुरक्षा निर्देश देता है। फिर चार दिवसीय व्यापक प्राथमिक चिकित्सा पाठ्यक्रम भी है। यह कार्यक्रम अनुभवी, कामकाजी, स्वतंत्र और स्थानीय पत्रकारों के लिए है। यह प्रशिक्षण विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाता है। इसके लिए आए आवेदनों के अनुरूप प्रशिक्षण का स्थान तय होता है।
(यह गाइड जून 2021 में अद्यतन की गई है )