खोजी पत्रकारों के लिए गाइड: चुनावी रिपोर्टिंग के नए उपकरण- पहला अध्याय

ट्विटर एसएनए टूल निःशुल्क पाने के लिए पत्रकारों को वी-वेरीफाई की उन्नत सुविधाओं के लिए आवेदन करना होगा। इसके लिए पंजीकरण के आसान चरण नीचे दिए गए हैं। आपको इसकी मुफ्त सेवा पाने के लिए किसी न्यूज वेबसाइट या शोध संगठन से जुड़ा ई-मेल पता देना होगा। यह आवेदन करने में मात्र कुछ मिनट लगते हैं। इस टूल को शोधकर्ताओं, मानवाधिकार समूहों और खोजी पत्रकारों के लिए बनाया गया है।

कहीं आपके स्मार्टफोन से आपके सोर्स तो ख़तरे में नहीं पड़ रहे?

एक बार जब आप अपने गूगल खाते से अपने एंड्रॉयड फोन में साइन-इन करते हैं, तो आपके फोन में मौजूद संपर्क गूगल के सर्वर पर कॉपी हो जाते हैं। इसके कारण आप जिस किसी भी डिवाइस में गूगल खाते से साइन-इन करेंगे, तो उस उपकरण में वह संपर्क सूची आपको मिल जाएगी। जिस तरह आपके ‘आई-फोन‘ के कॉन्टैक्ट्स ऐप में कॉन्टैक्ट जोड़ने का तरीका आपके ‘मैक‘ पर कॉन्टैक्ट्स ऐप के साथ सिंक होता है, वैसे ही अपने गूगल अकाउंट में साइन-इन रहते हुए अपने एंड्रॉइड फोन में कॉन्टैक्ट को जोड़ने से यह आपके गूगल कॉन्टैक्ट्स में भी जुड़ जाएगा।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2022: पत्रकारों पर बढ़ते डिजिटल और शारीरिक हमले

“सरकारों ने अभिव्यक्ति पर नियंत्रण के लिए इसे अन्य कानूनों से जोड़ दिया है। अब मीडिया के खिलाफ ‘आतंकवाद विरोधी कानून‘ का दुरूपयोग हो रहा है। विद्रोही समूहों को कवर करने वाले पत्रकारों पर मुकदमा होता है। यदि आप किसी विद्रोही का साक्षात्कार करते हैं, तो आतंकवादी समूह को बढ़ावा देने का आरोप लग जाएगा।“

आपके पसंदीदा ट्रांसक्रिप्शन टूल कितने सुरक्षित हैं?

यदि आप संवेदनशील सामग्री के साथ काम कर रहे हैं, तो आपकी रिकॉर्डिंग किसी को जोखिम में डाल सकती हैं। उनके सार्वजनिक होने या अधिकारियों तक पहुंचने पर आपके स्रोत तथा अन्य लोगों को खतरा है। इसलिए, हमारा सुझाव है कि उस डेटा तक किसकी पहुंच हो, इस पर आपको नियंत्रण रखना होगा। यदि आप किसी संपादक के साथ या किसी एसाइनमेंट के तहत काम कर रहे हैं, और आपकी रिकॉर्डिंग विशेष रूप से संवेदनशील है, तो रिकॉर्डिंग की सुरक्षा के कारण हस्तलिखित ट्रांसक्रिप्शन पर जोर दें। इसके लिए अपने संपादक से सहायता मांगें।

जलवायु परिवर्तन: मीथेन उत्सर्जन की रिपोर्टिंग पर जीआईजेएन की गाइड

कई कंपनियां अपने मीथेन उत्सर्जन के बारे में पारदर्शी नहीं हैं, लेकिन उन पर ज्यादा जानकारियां सार्वजनिक करने और उत्सर्जन घटाने का दबाव बढ़ रहा है। उनसे बढ़ रही अपेक्षाएं पत्रकारों में- जिनमें बिजनेस जर्नलिस्ट भी शामिल हैं- ऐसी प्रेरणा जगाने के लिए काफी होनी चाहिए कि वे उनसे और ज्यादा सवाल पूछें।

डेटा जर्नलिज्म: संपादकों के लिए टिप्स

यदि एक रिपोर्टर को किसी स्रोत से जानकारी मिलती है कि इमारतों में आग लगने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी बढ़ गई हैं, तो संपादक उसे ऐसे आंकड़ों की तलाश में जाने के लिए कह सकते हैं जो इस तरह के सवालों के जवाब देते हों : “क्या ये घटनाएं मुख्यतः घरों में आग लगने की थीं? क्या ऐसी घटनाओं में हुई तेज वृद्धि के पीछे लोगों का धूम्रपान करना या स्पेस हीटर लगाने जैसा कोई कारण मौजूद था? ”

सरकारी डेटा न मिले, तो घृणा आधारित अपराधों की रिपोर्टिंग कैसे करें?

क्राउड-सोर्सिंग पर आधारित ऐसी परियोजनाओं में कई तरह की चुनौतियां भी होती हैं। सूचनाओं एवं डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना एक बड़ा काम है। प्रविष्टियों का दोहराव, रोकना तथा हर रिपोर्ट का सत्यापन करना भी आसान नहीं है। परिणामों की व्याख्या में भी किसी पूर्वाग्रह से बचना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे जोखिम के प्रति सचेत रहते हुए यह कोशिश करने लायक है।

कोविड-19 पर रिपोर्टिंग के कुछ विशेष टिप्स

“हम सिर्फ कोरोना महामारी से नहीं लड़ रहे हैं बल्कि हम ‘इन्फोडेमिक‘ यानी झूठ की महामारी से भी लड़ना पड़ रहा है।“ 15 फरवरी को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम गेब्रेयेसस ने कहा। उन्होंने कहा कि गलत सूचनाओं के इस युग में ऑनलाइन झूठ और साजिश के सिद्धांत से बचना होगा। पत्रकारों को ऐसी गलत सूचनाओं को खारिज करने में मदद करनी चाहिए।

पत्रकारिता की नई ताक़त है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लेकिन दायित्व भी कम नहीं

प्रत्येक एआई टूल को हरेक मीडिया संस्थान की खास जरूरत के अनुसार सेट करना होगा। किसी मशीन को आपकी पत्रकारिता के  मूल्यों और दृष्टिकोण की जानकारी नहीं है। कोई मशीन यह तय नहीं कर सकती कि आपके लिए कौन-से मूल्य महत्वपूर्ण हैं। यह एक मानवीय निर्णय है।

webinar on covid

GIJN Webinar: Health and Accountability: Investigating Covid-related Purchases

During the last two years of the pandemic, government expenditure in the health sector has increased significantly. While the bulk vaccine purchases accounted for a large proportion of the total expenditure, buying sanitation equipment, creating makeshift isolation centers, the commissioning of oxygen plants and emergency services all saw huge increases in spending. 

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