खोजी पत्रकारों को बहुत सावधान होकर अपनी रणनीति बनानी पड़ती है। इसमें कोई मामूली चूक होने से आपको भविष्य में किसी बड़ी खबर से वंचित होना पड़ सकता है।
GIJN ने खोजी पत्रकारों के एक विविध समूह से बात की। उस समूह के नौ पत्रकारों से उनकी पत्रकारिता के दौरान लिए गए किसी एक गलत कदम के अनुभव के बारे में पूछा गया। हर एक ने उस गलती से मिले सबक को भी साझा किया। उनके अनुभवों से एक बात सामने आई कि मानव स्रोत के असहयोगी रवैये से निपटना एक बड़ी चुनौती है। अधिकांश पत्रकारों ने सलाह दी कि ‘स्रोत’ के साथ बातचीत करने से पहले अच्छी तरह तैयारी जरूर कर लें।
जांच में आपने कौन सी गलती की, जिससे हम सीख सकते हैं? इस सवाल पर 9 खोजी पत्रकारों के जवाब नीचे प्रस्तुत हैं।
वुयिसाइल हल्त्सवायो इस्वातिनी, दक्षिणी अफ्रीका स्थित इनहेलेज सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के निदेशक
एक गलती अब मैं अपने करियर में कभी दोहराना नहीं चाहूंगा। वह गलती है- किसी सरकारी अधिकारी को अपनी खोज के बारे में अधिक जानकारी देना। अगर आपने जांच के दौरान कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हासिल कर लिए हों, तो इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को न दें। मैंने स्कूलों की पोशाक के मूल्य निर्धारण मामले में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की थी। यह एक बड़ी खोजी खबर बनती। मैंने इसके कुछ बिंदुओं पर संबंधित सरकारी नियामक संस्था का पक्ष जानना चाहा। उस सरकारी अधिकारी ने मुझे एक प्रश्नावली भेजने के लिए कहा, ताकि वे लिखित प्रतिक्रिया दे सकें। मैंने अपनी जांच के सभी बिंदुओं पर आधारित एक प्रश्नावली भेज दी। इसके दो दिन बाद उस सरकारी संस्था ने राष्ट्रीय समाचारपत्रों में एक नोटिस जारी करके जनता को सूचित किया कि वह स्कूल पोशाकों के मूल्य निर्धारण की जांच कर रहा है! जनता से इस पर सुझाव भी आमंत्रित किए गए। इस तरह मुझे पूरी जांच में दरकिनार कर दिया गया। इस तथाकथित जांच के अंत में मुझे रिपोर्ट भी नहीं मिली। मैं उस पर अपनी खोजपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित नहीं कर पाया। इस तरह मैंने सीखा कि आप संबंधित सरकारी जवाबदेही स्रोत को बहुत अधिक जानकारी न दें। उनमें ऐसी खबरों को मारने या दबाने की प्रवृत्ति होती है।
एक्सल गोर्ड हमलेजो स्वीडन स्थित पब्लिक ब्रॉडकास्टर SVT में खोजी रिपोर्टर
हमने एक गुप्त रिपोर्टिंग की। इसमें सफलता मिलने के बाद भी हमें विफल होना पड़ा। दुनिया की सबसे बड़ी सुरक्षा कंपनी में रिश्वतखोरी से जुड़ा मामला था। उस कंपनी में लगभग चार लाख कर्मचारी हैं। इस कंपनी के माध्यम से सरकारी अफसरों को सैर-सपाटा कराने, रिश्वतखोरी और ऐय्याशी के बारे में हमें जानकारी मिली थी। इसलिए हम एक होटल का बिल चाहते थे। पत्रकार को कोई होटल ऐसा बिल नहीं देगा। इसलिए मैंने एक सरकारी अधिकारी के नाम से एक जी-मेल खाता बनाया। इसके बाद होटल को फोन करके कहा कि मैं अपने बिल का भुगतान कर रहा हूँ, कृपया पिछले दिनों होटल में मेरे ठहरने का बिल भेज दीजिये। मैंने उन्हें ई-मेल पता भी दे दिया। उन्होंने कहा कि वे इसे तुरंत भेज देंगे। लेकिन मुझे ई-मेल नहीं मिला। यह असली अधिकारी के ई-मेल पर चला गया! मैंने फिर से फोन किया। होटल कर्मचारी ने कहा कि उन्होंने इसे अपने डेटाबेस पर पंजीकृत ईमेल पर भेज दिया है। मैंने कहा कि वह पुराना ई-मेल है, मेरे बताए नए ई-मेल पर भेजो। फिर मुझे वह बिल मिल गया। लेकिन दुर्भाग्य से उस अधिकारी के पास भी वह बिल जाने के कारण वह सतर्क हो गया और हम इसे गोपनीय नहीं रख सके।
इस तरह हम सफल होकर भी विफल रहे। हमने सबक सीखा कि ऐसे मामलों में आपको सहकर्मियों के साथ हर बिंदु पर बारीकी से चर्चा करनी होगी। यह सोचना होगा कि परिणाम क्या हो सकता है। मैंने अगर होटल वाले को कहा होता कि उनके पास जो ई-मेल है, वह पुराना है, नए पर भेजो, तब शायद यह गड़बड़ी न होती। जब आप दो कदम आगे की सोचते हैं, तो आपको तीसरे और चौथे चरण के बारे में भी सोचना होगा। आगे क्या हो सकता है, इन संभावनाओं पर अच्छी तरह विचार करना जरूरी है।
मार्था मेंडोज़ा यूएसए स्थित एसोसिएटेड प्रेस में पुलित्जर-विजेता खोजी रिपोर्टर
मैं हमेशा लोगों को बता देती हूं कि मैं क्या जांच कर रही हूं। मैं इस बात को छिपा नहीं पाती जिसके कारण एक बार हमारी जांच में बाधा आई। हम सी-फ़ूड यानी समुद्री खाद्य पदार्थ, मछली इत्यादि के व्यवसाय में गुलामों जैसे हाल में काम करने वाले लगभग दो हजार श्रमिकों के शोषण पर जांच कर रहे थे। हमारी स्टोरी ‘सी-फूड फ्रॉम स्लेव्स’ के बाद इनकी गुलामी से मुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई।
उस स्टोरी से जुड़ी एक गलती संबंधी अनुभव शेयर कर रही हूँ।
हमने अमेरिका में समुद्री भोजन के एक समूह को ट्रैक किया। मैं उनके भव्य एक्सपो में गई। वहां मैंने सबसे पहले उस एक्सपो के निदेशक का साक्षात्कार किया। मैंने उसे कैमरे में कैद करना जरूरी समझा क्योंकि वह अमेरिका में समुद्री भोजन के आयात का प्रभारी था।
लेकिन इस इंटरव्यू के बाद उसने मेरी तस्वीर के साथ वहां मौजूद सभी कंपनियों को सूचित किया- “एपी से मार्था मेंडोज़ा यहां आई हुई है। वह श्रमिकों के शोषण के बारे में लिख रही हैं। आप उससे कोई बात न करें।”
नतीजा यह हुआ कि मैं जिस सी-फूड कंपनी के मालिक के पास जाती, वह बात करने से साफ मना कर देता। इस तरह मैंने यह सबक सीखा कि मुझे एक्सपो के निदेशक से पहले बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे अन्य लोगों से जानकारी लेने तक इंतजार करना चाहिए था।
मिया मालन दक्षिण अफ्रीका स्थित भिकिसिसा सेंटर फॉर हेल्थ जर्नलिज्म की प्रधान संपादक
मैंने कभी भी आंकड़ों के लिए दूसरे के स्रोत पर भरोसा नहीं किया है। यह बात मामूली लग सकती है। लेकिन कई पत्रकार किसी डेटा की खुद जांच न करके उसके संबंध में किसी अन्य के दावे को सच मान लेते हैं। ऐसा करना उचित नहीं।
जैसे, एक स्वास्थ्य मंत्री अपने देश के आंकड़ों के बजाय अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों का गलत हवाला देते हुए कोई दावा करे, तो आप उसके मूल दस्तावेज से जांच कर लें। कोई मानसिक स्वास्थ्य संगठन अगर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके दुनिया में मानसिक अवसाद से ग्रस्त लोगों की संख्या गलत बताता है, तो उस पर भरोसा न करें।
मुझे आश्चर्य हुआ है कि ऐसे स्रोत कितनी बार गलत होते हैं। जब तक आपने उनके द्वारा उद्धृत किए जा रहे मूल स्रोत की जांच नहीं की है, तब तक आंकड़ों पर विश्वास न करें और इसे उद्धृत न करें। कोई रिसर्च जर्नल कितना भी प्रतिष्ठित क्यों न हो, अगर वह दूसरे अध्ययन के परिणामों का हवाला देता है, तो उसके मूल अध्ययन की जाँच करें। देखें कि क्या इसमें सही व्याख्या की गई है। आप यह देखकर हैरान होंगे कि लेखक कितनी बार अपनी जरूरत के अनुरूप निष्कर्षों को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हैं।”
डेविड मैकस्वेन प्रो-पब्लिका यूएसए में खोजी रिपोर्टर
अगर आप किसी आधिकारिक स्रोत से बात कर रहे हों, तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि आप ‘ऑन रिकॉर्ड’ बात कर रहे हैं, या ‘ऑफ द रिकॉर्ड’। मैंने किसी अधिकारी से बात करने में ऐसी गलती कर दी थी। उन्हें यह भ्रम हुआ कि पूरी बात ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ है?
मैंने इससे सबक सीखा कि हमें यह समझना होगा कि हमारे ‘स्रोत’ को पत्रकारिता के सभी नियमों की पूरी जानकारी नहीं होगी। इसलिए किसी से बातचीत के पहले यह स्पष्ट करना बेहतर होगा कि यह बातचीत है ‘ऑन रिकॉर्ड’ है। यदि आप ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ बात करना चाहते हैं, तो हम इसे अलग से कर सकते हैं। आप यह सुनिश्चित करें कि कोई भी व्यक्ति खुद को ठगा हुआ महसूस न करे।
अगर आप वास्तव में कोई दीर्घकालिक खबर निकालने को उत्सुक हैं, तो उसके लिए आपको पूरी तैयारी और उत्साह के साथ काम करना होगा। यदि उस विषय की आपको अधिक परवाह नहीं है, तो आप बहुत अच्छा काम नहीं कर पाएंगे।
रोजा फर्नेक्स, द ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म, यूके में खोजी स्वास्थ्य पत्रकार
किसी खबर से जुड़े महत्वपूर्ण और जवाबदेह सोर्स या अधिकारी से इंटरव्यू करने में जल्दबाजी न करें। पहले उससे संबंधित सारी जानकारी जुटा लें ताकि एक ही बार इंटरव्यू में आप सारे कठिन सवाल पूछ सकें।
मैंने एक ऐसे व्यक्ति के साथ जवाबदेही साक्षात्कार में जल्दबाजी करने की गलती कर दी। मुझे संदेह था कि उस मामले में उस व्यक्ति की भूमिका संदिग्ध है। वह मेरे लिए एक मुश्किल स्रोत था। मैंने अपनी जांच के प्रारंभ में ही उससे साक्षात्कार कर लिया। मुझे यह उम्मीद थी कि बाद में अधिक कठिन प्रश्नों के साथ दूसरा साक्षात्कार कर लूंगी। लेकिन मैंने गलत समझा था। प्रथम साक्षात्कार के समय सबूतों की कमी के कारण मैंने उनसे कठिन प्रश्न नहीं किये। लेकिन दूसरे साक्षात्कार की कोशिश करने पर उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही आपसे एक बार बात कर ली है। इस तरह मैं अधिक कठिन प्रश्नों के साथ उनसे साक्षात्कार नहीं कर पाई। जबकि अगर मैंने पहले इंटरव्यू के बदले कुछ और इंतजार किया होता, तो उनसे सटीक कठिन प्रश्नों के साथ इंटरव्यू का अवसर होता। एक ही इंटरव्यू में मुझे वे उत्तर मिल सकते थे जिनकी मुझे आवश्यकता थी। मुझे दूसरे साक्षात्कार की आवश्यकता ही नहीं होती।
जुलियाना डाल पिवा, यूओएल नोटिसियास की स्तंभकार तथा ओ ग्लोबो, ब्राजील की पूर्व खोजी रिपोर्टर
एक गलती से मैं बहुत कुछ सीख गई। मैं ब्राजील की सैन्य तानाशाही के दौरान राजनीतिक तौर पर गायब किए गए लोगों के आंकड़ों की जांच कर रही थी। उन दिनों यह डेटा बहुत अव्यवस्थित था। एक दिन मेरे अखबार ने मुझसे रियो डी जनेरियो की तानाशाही के दौरान राजनीतिक तौर पर गायब होने के मामलों पर 24 घंटों के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया। इसका मतलब था कि मुझे कुल 500 पीड़ितों में से 30 मामलों को संकलित करना था। गायब होने वाले लोगों और मारे गए लोगों की कुल संख्या के बीच ऐसे लोग भी थे जिनके परिवार उन शवों को दफना पाए थे। विभिन्न सर्वेक्षणों में फैले आंकड़ों को देखते हुए मैं एक महत्वपूर्ण नाम भूल गई।
कुछ महीने बाद जब पहली बार तानाशाही के दस्तावेजों को जारी किया गया, तो मुझे लगभग 40 वर्षों में तानाशाही से पहला दस्तावेज मिला, जिसमें मारे गए गुरिल्ला लोगों की मौत को स्वीकार किया गया था। मैंने नामों की उस विशाल सूची में उस व्यक्ति का नाम खोजा, जिसे मैं गलती से भूल गई थी। उसे मैंने केवल इसलिए देखा क्योंकि पहले वह गलती हुई थी। इसके कारण मैं मारियो अल्वेस का नाम और उसका इतिहास कभी नहीं भूल पाई। जाहिर है कि गलतियाँ आपको सिखाती हैं।
अलेक्जेंड्रे ब्रुटेल स्वतंत्र खोजी पत्रकार, इंवॉयर्नमेंटल इन्वेस्टिगेटिव फोरम, फ्रांस के निदेशक
हमने एक फ्रांसीसी-ट्यूनीशियाई कंपनी द्वारा दक्षिणी ट्यूनीशिया में गैरकानूनी फ्रैकिंग संचालन संबंधी जांच की थी। यह जमीन और चट्टानों में गैरकानूनी तरीके से हाइड्रोलिक फ्रेक्चरिंग करके गैस निकालने संबंधी मामला था। इससे पर्यावरण और जनजीवन को नुकसान होता है। इस जांच के दौरान हमारा काम सहारा रेगिस्तान के ट्यूनीशियाई हिस्से के बीच में स्थित पानी के तालाबों की तलाश करना था। हम उस कंपनी को तेल और गैस निकालने के अधिकार की सीमाओं को समझने के लिए ऑनलाइन सर्च भी कर रहे थे। लेकिन कुछ भी नहीं मिला। इसके लिए के हफ्तों तक हमने 40,000 वर्ग किलोमीटर के एक क्षेत्र की समीक्षा की। हम जो कुछ भी कर सकते हैं, उसका मानचित्रण कर रहे थे। परियोजना के अंत में, हमने महसूस किया कि ETAP (ट्यूनीशिया की राष्ट्रीय तेल एजेंसी) वेबसाइट पर पहले से ही उस कंपनी को मिले अधिकारों और अनुमति की जानकारी देने वाला एक नक्शा उपलब्ध था। गूगल पर ‘कंपनी एक्स ऑयल कनसेशन’ सर्च करने के बजाय पहले डेटा स्रोत की तलाश करना बेहतर होता। हमें तेल उद्योग की जांच की शुरुआत में गूगल में ‘तेल रियायत रजिस्ट्री’ या इसी तरह के अन्य प्रश्नों के साथ जांच करनी चाहिए थी। पहले ही सही सर्च करके हम काफी समय और ऊर्जा बचा सकते थे।
डैन मैकक्रम फाइनेंशियल टाइम्स यूके में खोजी रिपोर्टर
जीआईजेएन वेबिनार में मैकक्रम ने अपनी दो गलतियों की जानकारी दी। उन्होंने जर्मनी की वायरकार्ड इलेक्ट्रॉनिक भुगतान कंपनी में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी संबंधी जांच की थी।
वर्ष 2016 की शुरुआत में छोटे व्यापारियों का एक समूह मेरे पास आया। उन्होंने इस वायरकार्ड कंपनी के खिलाफ आरोप संबंधी दस्तावेज मुझे दिए। वे लोग चाहते थे कि उनके आरोपों को गुमनाम रूप से प्रकाशित किया जाए। इसे छोटे व्यापारियों के हमले के रूप में जाना जाता है। इस खबर से शेयर की कीमत कम होने की उम्मीद थी। मुझे लगा कि यह खबर जर्मनी की नियामक एजेंसी को जांच के लिए मजबूर कर सकती है। लेकिन मैं गलत समझ रहा था। मैं इस स्टोरों की ख़बर को ‘स्वयं’ करना चाहता था। इस तरह इसके बारे में लिखने वाला पहला व्यक्ति मैं बन गया। मुझे लगा कि छोटे व्यापारियों का आरोप पत्र सार्वजनिक डोमेन में है। मैंने एक गलती की। मैंने सोचा कि जब तक इसे प्रकाशित नहीं किया जाता है, तब तक मैं किसी से इस पर टिप्पणी नहीं मांगूंगा, ताकि कंपनी को इसकी कोई भनक न लगे। इसलिए मैं इसकी ठीक से जांच नहीं कर सका। मैंने एक बहुत छोटा ब्लॉग पोस्ट लिखकर बताया कि यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। उस रिपोर्ट के लिंक के साथ इसे मैंने जारी किया।
हम फाइनेंशियल टाइम्स में ऐसी खबरों के दौरान अक्सर पूछते हैं कि क्या हमें इस पर अपने वकील से परामर्श करना चाहिए? लेकिन ब्लॉग पोस्ट में सिर्फ कुछ ही वाक्य थे, और मुझे लगा कि यह सुरक्षित होगा। बस हमने यह काफी बड़ी गलती कर दी थी। हमारी रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद वायरकार्ड कंपनी के वकीलों ने धमकी भरे पत्र भेजने शुरू कर दिए। कहा कि फाइनेंशियल टाइम्स इस पूरी रिपोर्ट को प्रकाशित करने के लिए जिम्मेदार है। इसका मतलब है कि वायरकार्ड किसी भी समय मानहानि का मुकदमा दायर कर सकता है। इसका मतलब यह था कि अगर मैं इस 100 पृष्ठ की रिपोर्ट पर कुछ लिखता हूँ वायरकार्ड कंपनी के लिए हमारे खिलाफ मुकदमा करना आसान हो जाएगा। इसके कारण यह जांच करने वाले अन्य लोगों को भी ठंडा कर दिया गया। मैंने थोड़ी देर के लिए हार मान ली। लेकिन मुझे हमेशा अपने संपादक का समर्थन मिला। सौभाग्य से, एक के बाद एक स्टोरी मिलती गई। कई व्हिसल ब्लोअर भी आगे आए।
अतिरिक्त संसाधन
Investigative Tactics That Reporters Love
Megha Rajagopalan: What I’ve Learned About Investigative Journalism
रोवन फिलिप ग्लोबल इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म नेटवर्क के रिपोर्टर हैं। वह पहले दक्षिण अफ्रीका के संडे टाइम्स के मुख्य संवाददाता थे। एक विदेशी संवाददाता के रूप में उन्होंने दुनिया भर के दो दर्जन से अधिक देशों से समाचार, राजनीति, भ्रष्टाचार और संघर्ष पर रिपोर्ट दी है।