खोजी पत्रकारिता क्या है? इसकी सर्वमान्य परिभाषा को लेकर भले ही पत्रकारीय समूहों में मतभिन्नता हो सकती है लेकिन सभी पत्रकारीय समूह इस बात पर जरूर एकमत हैं कि व्यवस्थित-गहन पड़ताल और मूल शोध के साथ रिपोर्टिंग से एक बड़ा रहस्योदघाटन ही खोजी पत्रकारिता का मूल है। वहीं कुछ समूहों का यह भी मानना है कि खोजी पत्रकारिता में सार्वजनिक अभिलेखों और आंकड़ों का यथासंभव उपयोग किया जाना चाहिए जिससे इसके सर्वमान्य उद्देश्य ‘सामाजिक न्याय और जवाबदेही’ को हासिल किया जा सके।
यूनेस्को द्वारा प्रकाशित खोजी पत्रकारिता पर एक पुस्तिका (हैंडबुक) Story-Based Inquiry में खोजी पत्रकारिता को कुछ इस प्रकार परिभाषित किया गया है: “खोजी पत्रकारिता में उन सार्वजनिक मामलों को उजागर करना होता है, जो या तो सत्ता की ताकत के बलबूते जानबूझकर छिपाये जाते हैं या गलती से तथ्यों की उथलपुथल और परिस्थितियों के कारण उन पर पर्दा डला रहता है। खोजी पत्रकारिता के लिए छिपे और उजागर सूत्रों और दस्तावेजों दोनों का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। ”डच-फ्लेमिश खोजी पत्रकारिता समूह VVOJ ने खोजी रिपोर्टिंग को महत्वपूर्ण और गहन पत्रकारिता “critical and in-depth journalism” के रूप में परिभाषित किया है।
कुछ पत्रकार दावा करते हैं कि सभी तरह की पत्रकारिता खोजी पत्रकारिता है। इस बात में कुछ हद तक सच्चाई है – बीट पर निश्चित समय में किसी स्टोरी पर काम करने वाले और किसी स्टोरी पर हफ़्तों काम करने वाले “I-team” के सदस्य भी खोजी पत्रकारिता की तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन खोजी पत्रकारिता इससे कहीं अधिक व्यापक है। यह एक व्यवस्थित पद्धति के साथ शोध का एक ऐसा शिल्प है जिसमें पारंगत होने में वर्षों लग सकते हैं। खोजी पत्रकारिता के लिए शीर्ष पुरस्कार जीतने वाली कहानियों (स्टोरी) पर एक नज़र डालें तो मालूम होगा कि सार्वजनिक धन की लूटपाट, सत्ता की ताक़त का दुरुपयोग, पर्यावरण को नुकसान, स्वास्थ्य संबंधी घोटालों की रिपोर्टिंग में उच्च स्तरीय शोध का इस्तेमाल होता है।
गहन पड़ताल वाली खबरें, प्रोजेक्ट रिपोर्टिंग या खोजी पत्रकारिता लीक जर्नलिज्म (leak journalism) से अलग है। लीक जर्नलिज्म में आमतौर पर सत्ता में बैठे लोगों से दस्तावेजों या जानकारियां हासिल कर तुरंत धमाकेदार खबरों (scoop) के रूप में पेश किया जाता है। जबकि खोजी पत्रकारिता व्यवस्थित तरीक़े से शोध आधारित रिपोर्ट है। वास्तव में, उभरती प्रजातान्त्रिक व्यवस्थाओं में इसकी परिभाषा अस्पष्ट हो सकती है, और उन ख़बरों को अक्सर खोजी पत्रकारिता का तमगा दे दिया जाता है जो महत्वपूर्ण हैं और उनमे कोई सरकारी गोपनीय रिकार्ड उजागर किया जा रहा है। इसके अलावा अपराध या भ्रष्टाचार, विश्लेषण पर केंद्रित ख़बरें या बेबाक राय को भी खोजी पत्रकारिता मान लिया जाता है।
वरिष्ठ प्रशिक्षकों ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि सबसे अच्छी खोजी पत्रकारिता में सावधानीपूर्वक की गई एक विधि होती है, जिसमें जानकारी के प्राथमिक स्रोतों पर गहन निर्भरता, एक सिद्द परिकल्पना, और तथ्यों की गहन और बारीकी से पड़ताल शामिल है।
शब्दकोष में “investigation” की परिभाषा “व्यवस्थित जांच” है, जो आमतौर पर एक या दो दिन में नहीं हो सकती है। एक गहन जांच के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होती है। अन्य लोगों की राय में इस क्षेत्र ने नई तकनीकों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जैसे कि 1990 के दशक में आँकड़ों के विश्लेषण और विज़ुअलाइज़ेशन के लिए कंप्यूटर को अपनाना। University of Illinois में पत्रकारिता की Knight Chair of Journalism के प्रमुख ब्रेंट ह्यूस्टन के मुताबिक: “खोजी रिपोर्टिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नई तकनीक सिखाती है और काम करने के नए तरीके बताती है, इससे आप पूरे पेशे का स्तर बढ़ा रहे होते हैं। ”
इसके अंश Global Investigative Journalism: Strategies for Support से लिए गए हैं। इसके लेखक डेविड ई कैपलान, Center for International Media Assistance, 2013 हैं। वर्तमान में कैपलान, ग्लोबल इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क (GIJN) के कार्यकारी निदेशक हैं। GIJN 82 देशों में 211 गैर-लाभकारी मीडिया समूहों का संघ है जो खोजी पत्रकारिता के विकास के लिए काम करता है।