अंडरकवर रिपोर्टिंग पर जीआईजेएन की गाइड

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रेखांकन: स्मरांडा टोलोसानो

इस गाइड को जीआईजेएन रिसोर्स सेंटर की निदेशक निकोलिया अपोस्टोलू और जीआईजेएन के रिपोर्टर रोवन फिलिप ने लिखा है। रीड रिचर्डसन और लौरा डिक्सन ने इसका संपादन किया है। स्मरांडा टोलोसानो ने रेखांकन किया है।

दुनिया भर में अंडरकवर रिपोर्टिंग का प्रचलन बढ़ा है। यह छद्मवेश पत्रकारिता है। हिंदी भाषा में इसका कोई समुचित शब्द नहीं है, इसलिए इसे कई बार गोपनीय पत्रकारिता जैसी अभिव्यक्ति से भी संबोधित किया जाता है। इस तरह की रिपोर्टिंग  ने पत्रकारिता की एक प्रभावशाली शैली को जन्म दिया है। कई देशों में सार्वजनिक रिकॉर्ड की पारदर्शिता और स्रोत की सुरक्षा संबंधी कानून नहीं हैं। ऐसी स्थिति में अंडरकवर रिपोर्टिंग एक अच्छा प्रयोग है। यह ऐसा तरीक़ा है, जिसके माध्यम से जनहित की ख़बरों को सामने लाया जा सकता है।

इस जीआईजेएन गाइड में दुनिया के अनुभवी खोजी पत्रकारों द्वारा सलाह दी गई है। दुनिया भर की प्रमुख केस स्टडीज को भी शामिल किया गया है। इसमें उन गलतियों पर भी प्रकाश डाला गया है, जो पत्रकारों ने की हैं। अंडरकवर रिपोर्ट करने से पहले जिन नैतिक पहलुओं पर विचार करना जरूरी है, उन्हें भी स्पष्ट किया गया है।

इस गाइड में निम्नलिखित खंड हैं:
  • व्यावहारिक सुझाव
  • उपकरण और गियर
  • नैतिक सवाल और सरोकार
  • सफल केस स्टडी
  • क्या सावधानी बरतें
  • फील्ड से मिला सबक

कोई अंडरकवर रिपोर्टिंग या गुप्त ऑपरेशन शुरू करने से पहले अपने देश के कानूनों और नैतिक मान्यताओं का पता लगा लें। सहमति लिए बगैर किसी की रिकॉर्डिंग करना कई देशों में अपराध है। दुनिया के कई हिस्सों में पत्रकारों को गुप्त रिकॉर्ड करने के कारण लंबी कानूनी कार्रवाई, सरकारी नजरबंदी और यहां तक ​​​​कि शारीरिक खतरे का सामना करना पड़ सकता है न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्रुक क्रोगर कहते हैं “गुप्त रिपोर्टिंग करना महंगा काम है। कई महीनों तक कर्मचारियों को लगाना पड़ता है। यह बेहद तनावपूर्ण काम है। इसके लिए सभी प्रकार के कानूनी पहलुओं की जांच करनी पड़ती है। इसलिए आपको ऐसी रिपोर्टिंग का निर्णय बेहद सोच विचार कर लेना चाहिए।”

फोटो: NYU के प्रोफेसर ब्रुक क्रोगर “अंडरकवर रिपोर्टिंग : द ट्रुथ अबाउट डिसेप्शन” के लेखक। इमेज: स्क्रीनशॉट

प्रो. ब्रुक क्रोगर की पुस्तक – ‘अंडरकवर रिपोर्टिंग : द ट्रुथ अबाउट डिसेप्शन’ (Undercover Reporting: The Truth about Deception) काफी चर्चित है। उन्होंने कहा- “ऐतिहासिक रूप से ऐसी ख़बरों का काफी असर होता है। यदि अंडरकवर रिपोर्टिंग का काम सफल हो जाए, तो वह असाधारण होता है। ऐसी स्टोरीज को लोग काफी लंबे समय तक याद करते हैं।”

लेकिन अंडरकवर रिपोर्टिंग में काफी जोखिम है। इसमें त्रुटिपूर्ण रिपोर्टिंग और कमजोर मामलों के कारण मीडिया के प्रति जनता के विश्वास में कमी आ सकती है। ‘बीबीसी अफ्रीका आई’ में केन्याई निदेशक और निर्माता पीटर मुरीमी एक चर्चित खोजी पत्रकार हैं। वह अक्सर अंडरकवर रिपोर्टिंग तकनीक का उपयोग करते हैं। उनका कहना है- “अंडरकवर ऑपरेशन के लिए सुरक्षा सर्वोपरि है। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके व्हिसलब्लोअर, सभी मदद करने वाले और पत्रकारों की पूरी टीम सुरक्षित रहे। अगर आप यह नहीं कर सकते, तो यह पत्रकारिता के लिए नुकसानदायक होगा।”

 

व्यावहारिक सुझाव

अंडरकवर रिपोर्टिंग वस्तुतः खबर निकालने का सबसे खतरनाक तरीका है। इसमें पत्रकार खुद को किसी अन्य रूप में छुपाता है। इस क्रम में उसे न केवल कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि जीवन को भी खतरा हो सकता है। यही कारण है कि बीबीसी जैसे कई प्रमुख समाचार संगठनों ने इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित किए हैं। इनमें बताया गया है कि संपादकीय और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं को गुप्त रूप से किस तरह किया जाना चाहिए।

भारतीय पत्रकार अनिरुद्ध बहल 20 से अधिक वर्षों से अंडरकवर पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने ‘तहलका’ पत्रिका से इसकी शुरुआत की जिसके वह सह संस्थापक थे। फिर वर्ष 2005 में उन्होंने ‘कोबरा पोस्ट’ शुरू किया जिसके वह संपादक हैं। उनका यह गैर-लाभकारी मीडिया संगठन जीआईजेएन का सदस्य है। अनिरुद्ध बहल और उनकी टीम ने वर्ष 2000 में क्रिकेट खिलाड़ियों के मैच फिक्सिंग पर पहली अंडरकवर स्टोरी की थी। यह काफी चर्चित रही। बाद में उन्होंने कई बड़े खुलासे किए। उनकी एक अंडरकवर रिपोर्ट के कारण 11 भारतीय सांसदों इस्तीफ़ा देना पड़ा था। उन्हें संसद में सवाल पूछने के एवज में रिश्वत लेते हुए कैमरे पर कथित रूप से फिल्माया गया था

अनिरूद्ध बहल कहते हैं- “रिकॉर्ड बटन दबाने से पहले कोबरापोस्ट की जांच टीम कई मुद्दों की जांच करती है। सबसे पहले यह देखती है संबंधित लोगों के अवैध कृत्यों की प्रवृत्ति के बारे में हमारे पास जानकारी हो। यह कोई मछली पकड़ने का अभियान नहीं है। दूसरी जरूरी बात यह है कि हमारी स्टोरी के लिए कोई दस्तावेज नहीं हैं। सिर्फ गुप्त कैमरे ही हमारे लिए एकमात्र साधन हैं।”

अनिरूद्ध बहल और उनकी टीम सबसे पहले यह चर्चा करती है कि वह विषय जनहित में हो। बहल कहते हैं- “बीस वर्षों में हमने किसी भी ऐसे विषय को नहीं लिया, जो जनहित में न हो।” वह आगाह करते हैं कि गोपनीय कैमरों का उपयोग सिर्फ पेशेवर रूप से किया जाना चाहिए। ऐसा न होने पर यह महज सनसनीखेज बनकर रह जाएगा। भारत में कई मामलों में ऐसा देखा गया है।

2000 के दशक के अंत में भारत में अंडरकवर रिपोर्टिंग का प्रचलन काफी बढ़ गया। देश के लगभग 600 टीवी समाचार चैनलों ने छिपे हुए कैमरों के साथ कई स्टोरीज करना शुरू किया। बहल का मानना ​​है कि इस तरह अंडरकवर रिपोर्टिंग को बदनाम किया गया। बहल बताते हैं- “बेहद घटिया ढंग से गढ़ी गई खबरें और कुछ ऐसी स्टोरी जहां सार्वजनिक हित का पता ही नहीं लगाया जा सकता था। लेकिन अब छिपे हुए कैमरों का उपयोग शायद ही कोई करता हो।”

मुरीमी बताते हैं कि ‘बीबीसी अफ्रीका आई’ टीम एक नए स्टोरी आइडिया पर रिपोर्टिंग का तरीका किस तरह फाइनल करती है। इसमें किसी भी अंडरकवर रिपोर्टिंग को मंज़ूरी देने से पहले पत्रकारों को इसके परिणाम सोचने की सलाह दी जाती है। यह मीडिया संगठन किसी स्टोरी की योजना  बनाते वक्त सोचता है कि क्या यह कहानी किसी अन्य तरीके से कही जा सकती है? वह कहते हैं- “अंडरकवर रिपोर्ट करना अंतिम उपाय होना चाहिए। यह आपका पहला तरीका नहीं होना चाहिए। उस मामले में जनहित क्या है, यह भी देखें। यदि जनहित नहीं है, तो वास्तव में यह गोपनीय रिपोर्ट के लायक नहीं है।”

टीम का अगला कदम होता है प्रारंभिक जांच करना। किसी अन्य जांच का भी यही तरीका होता है। प्रथम दृष्टया साक्ष्य एकत्र करना जरूरी है। इसके बिना आपने कोई अंडरकवर रिपोर्टिंग शुरू कर दी, तो इसका नतीजा किसी के चरित्र हनन के रूप में सामने आ सकता है। मुरीमी कहते हैं- “सबसे पहले आपको स्पष्ट तौर पर यह लिखना चाहिए कि इस भंडाफोड़ की जरूरत क्यों है। जिस व्यक्ति, या समूह या संस्था की आप जांच करना चाहते हैं, वह सचमुच किसी तरह के गलत काम कर रहा है, जिसके बारे में जनता को बताना जरूरी है? इन चीजों पर स्पष्ट और विस्तार से लिखकर पहले दस्तावेज बनाना जरूरी है।”

एक और महत्वपूर्ण बात अपनी टीम की सुरक्षा है। विचार करें कि रिपोर्टिंग टीम में शामिल सभी लोगों को किस तरह सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर सुरक्षा की गारंटी नहीं है, तो बीबीसी अपने अंडरकवर ऑपरेशन को रोक सकता है। कई बार रिपोर्टिंग टीम में बाहरी लोगों को शामिल किया जाता है। ऐसे लोगों को, जो स्थानीय समुदाय को अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन वहां नहीं रहते हैं। ऐसा होने पर स्टोरी प्रकाशित होने के बाद उन लोगों को अधिक दीर्घकालिक सुरक्षा मिल सकती है।

अंडरकवर रिपोर्टिंग टीम की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक संचार योजना भी जरूरी है। अक्सर इसकी अनदेखी की जाती है। अगर कुछ गलत हो जाता है तो फिल्माने वाले व्यक्ति और टीम सदस्यों को किस तरह सचेत करना होगा? इसकी पूरी योजना होनी चाहिए। यह काम फोन के माध्यम से किया जा सकता है। लेकिन बीबीसी ने एक सरल, पैनिक बटन डिवाइस का भी उपयोग किया है। इसके जरिये टीम के किसी अन्य सदस्य को सावधान करके परिस्थिति के अनुसार तत्काल समुचित कदम उठाने का संकेत दिया जाता है।

मुरीमी कहते हैं- “फिल्मांकन से पहले अंतिम चरण की तैयारी में आपको उस स्टोरी के नैरेटिव पर काम करना पड़ता है। आप इसे कैसे फिल्माने जा रहे हैं? आपको किन दृश्यों की आवश्यकता है? जांच के लिहाज से क्या करने की जरूरत है? फिल्मांकन के संदर्भ में क्या होना चाहिए। इन सब बातों पर स्पष्टता हासिल करने के बाद ही गोपनीय कैमरे का उपयोग करना चाहिए।”

फोटो: विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि अंडरकवर रिपोर्टिंग शुरू करने से पहले सभी साक्ष्यों की गहन जांच कर लेनी चाहिए। रेखांकन : स्मरांडा टोलोसानो

 

‘बीबीसी अफ्रीका आई’ की एक अन्य महिला प्रोड्यूसर के पास अंडरकवर रिपोर्टिंग का अच्छा ज्ञान है। वह ऐसी रिपोर्टिंग टीम को प्रशिक्षित करने के लिए महाद्वीप की यात्रा करती हैं। इसलिए वह गुमनाम रहना चाहती  हैं। वह बताती है कि अंडरकवर रिपोर्टिंग उतनी अजीब नहीं है, जितना वह दिखती है। इसका 80% काम पारंपरिक पत्रकारिता जैसा ही है। यह सामान्य रिपोर्टिंग की तरह सभी पहलुओं की जांच करने और स्रोत से सूचना लेने जैसा कार्य है। कुछ खुफिया काम और कागजी कार्रवाई भी करनी पड़ती है। फिर अंतिम 20% गोपनीय काम वह है, जो आपको परिणाम देता है। लेकिन यह तभी सफल होगा, जब पत्रकारिता के पारंपरिक तरीकों के इस ठोस आधार पर टिकी हो। इसके बगैर अंडरकवर रिपोर्टिंग नहीं हो सकती।”

बीबीसी के उक्त दोनों विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि गुप्त फिल्मांकन तभी अच्छा काम करता है जब आरोप साबित करने के लिए आपके पास कोई ‘स्रोत’ न हो। जब आरोप की जिम्मेवारी लेने वाला कोई न हो। जब गलत कामों का दस्तावेजीकरण करना मुश्किल हो। यौन शोषण या नस्लवाद के मामलों में ऐसा होता है। ‘बीबीसी अफ्रीका आई’ के वृत्तचित्र ‘सेक्स फॉर ग्रेड्स’ और ‘रेसिज्म फॉर सेल’ में ऐसे सफल प्रयोग हुए।

कुछ खतरनाक अंडरकवर रिपोर्टिंग में आपराधिक गतिविधि की जांच शामिल है। नाइजीरिया की पत्रकार टोबोर ओवुरी के प्रयोग काफी चर्चित हैं। उन्होंने नाइजीरिया के ‘प्रीमियम टाइम्स’  के लिए यूरोप में अफ्रीकी महिलाओं की तस्करी का पर्दाफाश करने के लिए अंडरकवर रिपोर्टिंग की थी। वह जीआईजेएन को बताती हैं कि अंडरकवर जाने वाले पत्रकारों को किस तरह योजना बनानी चाहिए।

कैसे करें तैयारी?
  • अपना प्रारंभिक शोध अच्छी तरह करें। हर चीज के विस्तार में जाएं। आप क्या जांच कर रहे हैं? किसकी जांच कर रहे हैं? किस प्रक्रिया के द्वारा आप अपने रिपोर्टिंग लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे? किन स्थानों पर आप जाएंगे? उस स्थानों की अच्छी तरह मैपिंग कर लें। वहाँ आप कैसे पहुंचेंगे? यदि वहां तक पहुंच प्रतिबंधित है, तो क्या करेंगे? किसके साथ, कब और क्यों जाएंगे?
  • अपनी गोपनीयता पूरी तरह बनाए रखें। आप जिस टीम के साथ काम कर रहे हैं, उसके अलावा अन्य किसी को न बताएं कि आप यह गुप्त काम कर रहे हैं। यहां तक ​​कि अपने परिवार, दोस्तों या अन्य सहयोगियों को भी नहीं बताना है।
  • गोपनीय रिकॉर्डिंग से पहले तमाम सुरक्षा उपाय जरूर कर लें। अगर भागने की जरूरत पड़ी, तो इसकी योजना होनी चाहिए। एक बचाव दल भी हो। आपात स्थिति के लिए पर्याप्त धन भी साथ रखें। अपने संपादक के साथ संचार का एक प्रभावी साधन हो। अत्यधिक गुप्त स्थिति में ट्रैकिंग के लिए डिवाइस होना चाहिए। वेश बदलकर निकलने का उपाय भी तैयार रखें।
  • अंडरकवर ऑपरेशन शुरू करने से पहले अच्छी कानूनी सलाह लें। किसी परेशानी से बाहर निकलने में इन वकीलों की आवश्यकता हो सकती है। गोपनीय रिपोर्टिंग के दौरान उन्हें स्टैंडबाय पर रखें क्योंकि आपातकाल में उनकी सेवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है। इन वकीलों के साथ संबंध अच्छे हों, तो आपको यह कानूनी सहायता मुफ्त में मिल सकती है।
अंडरकवर रिपोर्टिंग में सावधानियाँ
  • ओवुरी कहती हैं- “विभिन्न समूहों, व्यक्तियों की पहचान करने और अपनी गुप्त यात्रा की मैपिंग करने के बाद ही गोपनीय रिकॉर्डिंग करें। आपको बहुत गुप्त होना चाहिए। सरल और मिलनसार दिखाई देना चाहिए। अपना महत्वपूर्ण विवरण छिपाएं। दूसरे पक्ष को बारीकी से देखें। आपके बारे में दूसरा पक्ष कोई अनुमान नहीं लगा पाए और उसे कोई संदेह न हो।”
  • “एक गुप्त रिकॉर्डिंग उपकरण के साथ जाएं। लेकिन पेन या कलाई घड़ी पर भरोसा न करें क्योंकि अपराधियों द्वारा आसानी से इनका पता लगाया जा सकता है। अपने उपकरण को अच्छी तरह से चार्ज है करके ले जाएं।
  • “हमेशा अपनी सूझबूझ पर भरोसा करें। स्टोरी को पूरा करने के चक्कर में कभी बेताब न हों। यह निर्धारित करें कि आप किस हद तक जाना चाहते हैं। कभी भी अपनी सभी योजनाओं को ठीक उसी तरह से लागू होने की उम्मीद न करें जैसे आपने उन्हें लिखा था। किसी भी वक्त कोई अनहोनी हो सकती है। आपको उस अनुरूप कदम उठाने होंगे।

पोलिश पत्रकार पैट्रिक स्ज़ेपनिक ने 2019 में जीआईजेएन के लिए अपने अंडरकवर रिपोर्टिंग अनुभव लिखे। चित्र : स्क्रीनशॉट

ओवुरी ने सहकर्मियों को सलाह दी कि अंडरकवर रिपोर्टिंग से लौटे पत्रकार की मानसिक स्थिति का कुछ दिनों तक विशेष ख्याल रखना जरूरी है। न्यूज़ रूम में लौटने के बाद भी उस पर गोपनीय ऑपरेशन का कुप्रभाव हो सकता है। वह टीम को यह सुनिश्चित करने की सलाह देती हैं कि कोई व्यक्ति नियमित रूप से उस पत्रकार की जांच करे। उसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के बारे में कुछ जानकारी होनी चाहिए।

खाद्य उद्योग के अंदर गलत कामों को उजागर करने के लिए गोपनीय रिपोर्टिंग का सहारा लेना एक सामान्य बात है। ‘टीवीएन डिस्कवरी पोलैंड’ का खोजी रिपोर्टिंग कार्यक्रम ‘सुपरवाइज़र’ काफी चर्चित है। इसके लिए काम करने वाले पोलिश पत्रकार पैट्रिक स्ज़ेपनिक ने एक कसाई के रूप में अंडरकवर रिपोर्टिंग की और उन्होंने इसके अनुभव लिखे हैं

स्ज़ेपनिक ने निम्नलिखित सलाह दी है:

  • स्टोरी को प्रामाणिक बनाएं – “वास्तविक घटनाओं, भावनाओं और इतिहास के आधार पर सही पात्रों और चरित्रों को दिखाया जा सकता है। अपनी न्यूज़ स्टोरी को प्रामाणिक बनाने के लिए अपने अतीत की यादों और अनुभवों का उपयोग करें।”
  • झूठ से बचें – “मेरी सलाह है कि जितना हो सके, झूठ बोलने से बचना ही बेहतर है। ज्यादा बोलने से भी बचें। अपनी स्टोरी को याद रखें और इसे किसी के द्वारा भी किसी भी समय जांचने के लिए तैयार रहें।”
  • अपनी डिजिटल पहचान हटा दें – “सभी सोशल मीडिया तथा इंटरनेट से अपनी डिजिटल पहचान हटा दें। अपनी प्रोफाइल भी हटाने की जरूरत है। यदि आवश्यक हो, तो नई प्रोफाइल बना लें। असाइनमेंट से पहले इसे सावधानी से और अच्छी तरह से करें। मेरी गलती से सीखो। मैंने अपनी एक पुरानी तस्वीर गलती से छोड़ दी थी। जो असली नाम के साथ गूगल इमेज सर्च के छठे पृष्ठ पर वह दिखाई दी। यह बाद में मेरे एक्सपोजर का कारण बना। मेरी रात की पाली के दौरान सुबह लगभग तीन बजे मुझे अपने बॉस के कार्यालय में एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित किया गया था।”
  • अपना वेश बदलें – अपने बालों और दाढ़ी मूंछ की कटिंग कराना, या बढ़ाना। अगर दाढ़ी बाल सफेद हों तो काले कराना। ऐसी चीजें आपका हुलिया बदल सकती हैं। आपके कपड़े भी आपकी स्टोरी और आपकी भूमिका के अनुसार होने चाहिए। यहां तक कि आपके मोजे और अंडरवियर भी आपके नए वेश और गोपनीय चरित्र की भूमिका के अनुसार हों।”
  • व्यक्तित्व में बदलाव लाएं – “अपने पर्यावरण के अनुकूल अपना व्यक्तित्व बनाएं। यदि यह एक अकादमिक वातावरण है, तो एक शिक्षित व्यक्ति की तरह व्यवहार करें और बोलें। यदि यह एक कसाईखाना है, तो कसाई की तरह व्यवहार करें और बोलें। यदि यह एक आपराधिक नेटवर्क है, तो एक अपराधी जैसा व्यवहार करें।”
  • शोध करें – “अपने असाइनमेंट के बारे में जो कुछ भी रिसर्च कर सकते हैं, जरूर करें। मैंने मांस उत्पादन के बारे में बहुत सारे वृत्तचित्र देखे। लाइवलीक और यूट्यूब पर पशुओं से क्रूरता पर बहुत सारे वीडियो भी देखे।”
  • पहचान पत्र में सावधानी रखें। पोलैंड में फर्जी आईडी बनाना एक अपराध है। इसलिए हमने अपने असाइनमेंट के दौरान कोई फर्जी पहचान पत्र नहीं बनाया। इसकी वास्तव में कोई आवश्यकता भी नहीं थी।”
  • निरीक्षण और दस्तावेजीकरण – “ये गुप्त पत्रकारिता के बुनियादी नैतिक नियम हैं। आप सिस्टम या आपराधिक गतिविधियों का दस्तावेजीकरण करने के लिए हैं, न कि उकसाने के लिए। इसलिए आप उन गलत चीजों का निरीक्षण करने और उनका दस्तावेज बनाने पर केंद्रित रहें।

उपकरण और अन्य सामग्री

कुछ दशक पहले तक पत्रकारों को ब्रीफकेस के अंदर बड़े बड़े कैमरों को छिपाने के तरीके खोजने पड़ते थे। लेकिन अब कैमरों तथा रिकॉर्डिंग उपकरण के दाम काफी कम हो गए हैं। इनका आकार भी काफी कम हो चुका है। आपको गुप्त ऑपरेशन में जाने के लिए ज्यादा खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। जासूसी कैमरे मात्र 15 डॉलर में बिकते हैं। दुकानों और उपभोक्ता वेबसाइटों में उपलब्ध हैं।

‘कोबरा पोस्ट’ के अनिरूद्ध बहल कहते हैं- “वर्ष 2005 से कैमरे, उपकरण, गियर वगैरह छोटा होने लगे। मैं आमतौर पर इस बारे में बात नहीं करता कि हम क्या उपयोग करते हैं। लेकिन अगर आप शरीर में छुपाकर कैमरा ले जाते हैं, तो आपके शरीर की तलाशी का खतरा है। यदि किसी अन्य चीज में छुपा हुआ गैर-बॉडी डिवाइस लेकर जाते हैं, तो उसे कमरे से बाहर रखने को कहा जा सकता है। इसलिए आपको दोनों को संतुलित करना होगा। देखना होगा कि आप किससे मिलने जा रहे हैं।”

आजकल कई प्रकार के गोपनीय कैमरे उपलब्ध हैं। शर्ट की बटन में लगा कैमरा काफी लोकप्रिय है। अब कैमरे लगभग हर जगह छिपे हो सकते हैं- घड़ी के रिस्टबैंड, कार की चाबियों, यूएसबी, चश्मे या पेन में। यदि आपको कैमरे को किसी कमरे में छोड़कर जाना चाहें, तो अलार्म घड़ियों, एयर-प्यूरिफायर, डीवीडी केस, एयर फ्रेशनर, लैंप, निकास संकेत और टेडी बियर में गोपनीय कैमरे लगा सकते हैं।

आपको यह भी चुनना होगा कि यह कैमरा इनडोर उपयोग के लिए है या बाहरी उपयोग के लिए। इसे एक स्थान पर रखना है या उसके मूवमेंट की आवश्यकता है। उसके लिए बैटरी या प्लग इन करने की आवश्यकता है या नहीं। हार्ड-वायर्ड मॉडल भी उपलब्ध हैं।

उपयोग के लिए कैमरा चुनते समय ध्यान रहे कि इसका रिज़ॉल्यूशन कम से कम 1080 पिक्सेल हो। इससे एचडी वीडियो के लिए पर्याप्त गुणवत्ता मिलती है। यह न्यूनतम रिज़ॉल्यूशन है जिसकी टीवी चैनलों के लिए आवश्यकता होगी। अगर आपका विषय कैमरे से बहुत दूर है, तो 4K कैमरा अच्छा है। इससे आप उच्च गुणवत्ता को खोए बिना पोस्ट प्रोडक्शन में अपने विषय पर ज़ूम इन करने में सक्षम होंगे।

यदि आप संगठित अपराध गिरोह या बड़े सुरक्षा बजट वाले लोगों की जांच करने जा रहे हैं, तो सावधान रहें। उनके पास प्रति-खुफिया किट हो सकते हैं। ऐसे किट आपके गोपनीय कैमरे का पता लगा सकते हैं। विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र बनाकर आपके किसी भी रिकॉर्डिंग डिवाइस को निष्क्रिय कर सकते हैं। गोपनीय कैमरे के साथ जाने से पहले आप शोध करें कि आपके लक्ष्य द्वारा किस प्रकार के सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं।

पत्रकारों को अपनी गुप्त रणनीति सावधानी पूर्वक बनानी चाहिए। गोपनीय वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग उपकरण को संचालित करने का तरीका ठीक से समझना चाहिए। रेखांकन: स्मरांडा टोलोसानो

नैतिक सवाल और सरोकार

ब्रूस शापिरो (कार्यकारी निदेशक, डार्ट सेंटर फॉर जर्नलिज्म एंड ट्रॉमा, कोलंबिया विश्वविद्यालय) पत्रकारीय नैतिकता के विशेषज्ञ हैं। वह बताते हैं कि अंडरकवर रिपोर्टिंग में कानूनी और शारीरिक जोखिम अलावा नैतिक मामले भी जुड़े हैं। इसका आपकी प्रतिष्ठा पर गहरा असर पड़ सकता है। वह कहते हैं- “कोई बड़ी खबर निकालने के लिए पत्रकार को अपनी पहचान या उद्देश्य के बारे में झूठ बोलना पड़ सकता है। लेकिन इस क्रम में आपके ऊपर धोखाधड़ी का इल्जाम लगाकर बदनाम किया जा सकता है। इसलिए गुप्त रिपोर्टिंग से पहले, उसके दौरान और बाद में भी बहुत सावधानी की आवश्यकता है।”

शापिरो बताते हैं कि अंडरकवर रिपोर्टिंग की पूरी प्रक्रिया में नैतिक मुद्दों के बारे में हमें किस तरह सोचना चाहिए।

रिपोर्टिंग से पहले

अंडरकवर रिपोर्टिंग परियोजना शुरू करने से पहले हमें तीन बुनियादी प्रश्न पूछने चाहिए:

  1. विकल्प: क्या इस खबर को निकालने के लिए गुप्त रिपोर्टिंग ही वास्तव में एकमात्र तरीका है?  क्या पारंपरिक स्रोत से मिली जानकारी, सार्वजनिक दस्तावेज़, मानव स्रोत तथा अन्य तरीके से यह खबर निकालने का प्रयास किया है?
  2. लागत-लाभ विश्लेषण: क्या यह स्टोरी ऐसी होगी जो गुप्त तरीकों का उपयोग करने को सही साबित कर सके? क्या इससे जनहित का कोई मामला सामने आएगा?
  3. जोखिम मूल्यांकन: क्या आपने रिपोर्टिंग टीम, अपने नियोक्ता और अपने स्रोतों के लिए संभावित खतरों का सही तरीके से आकलन कर लिया है? इसमें किस तरह के शारीरिक खतरे और कानूनी परिणाम सामने आ सकते हैं? टीम के सदस्यों पर गहरा मनोवैज्ञानिक तनाव आ सकता है। आपके तरीकों के सार्वजनिक होने पर आपकी प्रतिष्ठा पर खतरा हो सकता है। आपके स्रोतों को भी नुकसान हो सकता है।
रिपोर्टिंग के दौरान

आप चाहे अकेले काम कर रहे हों या एक टीम के साथ, अंडरकवर रिपोर्टिंग काफी तनावपूर्ण काम है। इसमें नैतिक चुनौतियां भी लगातार बनी रहती हैं। शापिरो बताते हैं कि अपनी गोपनीय भूमिका बनाए रखना, अपनी पहचान उजागर होने से बचने की चिंता करना जरूरी है। इसके लिए आपको हर दिन अपने संपादक के साथ संपर्क में रहना होगा।

  • अंडरकवर रिपोर्टिंग के दौरान किसी भी तरह के सहयोग की आवश्यकता पड़ सकती है। यह कानूनी, तकनीकी, संपादकीय, या मनोवैज्ञानिक किसी भी तरह की जरूरत हो सकती है।
  • आपको कैसे पता चलेगा कि कब बाहर निकलने का समय आ चुका है? यदि जोखिम या अन्य खतरे हैं तो आपकी आपातकालीन योजना क्या है?
  • दिन-प्रतिदिन के कठिन रिपोर्टिंग निर्णयों पर बात करते हुए अपने विश्वसनीय सहयोगियों या संपादक के साथ नियमित रूप से संवाद करना महत्वपूर्ण है। अंडरकवर रिपोर्टिंग साझा जिम्मेदारी की मांग करती है।
रिपोर्टिंग के बाद

अंडरकवर रिपोर्टिंग की पद्धति में एक व्यवस्थित छल शामिल है। इसलिए अपनी स्टोरी में आपको पूर्ण पारदर्शिता रखनी होगी। ऐसा करके ही आप उस धोखेबाजी या छल के तरीके की क्षतिपूर्ति कर सकते हैं। शापिरो कहते हैं- “गुप्त रिपोर्टिंग के अपने निर्णय और इसमें उपयोग की जाने वाली विधियों को पूरी तरह से समझाएं। अज्ञात स्रोतों का उपयोग न करें। अधिकतम लोगों की बात उनकी जुबानी प्रस्तुत करें। एट्रिब्यूशन को अधिकतम करें। दस्तावेज़ों और ओपन सोर्स सामग्री के लिए हाइपरलिंक भी डालें। आपने जिसके खिलाफ रिपोर्टिंग की है, उसे आपकी विश्वसनीयता पर हमला करने का कोई मौका न दें।

शापिरो की इस सलाह को अन्य विशेषज्ञ भी दोहराते हैं। पत्रकारिता की हरेक आचार संहिता में रिपोर्टिंग प्रक्रिया के दौरान ईमानदार और पारदर्शी बने रहने की सलाह दी जाती है। किसी भी प्रकार की धोखेबाजी न करने को जरूरी समझा जाता है।

अंडरकवर रिपोर्टिंग के दौरान धोखेबाजी नहीं करने की यह आचार संहिता काफी महत्वपूर्ण है। अगर नैतिक मानदंड का ध्यान नहीं रखा गया, तो मीडिया की विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी। हाल के वर्षों में कई नकारात्मक मामले सामने आए हैं। विशेष रूप से मुख्यधारा के पश्चिमी समाचार संगठनों में। मीडिया शोधकर्ता कई मुद्दों पर अंडरकवर रिपोर्टिंग के संदिग्ध तरीके अपनाते हैं। स्तरहीन टैब्लॉइड प्रेस द्वारा छिपे हुए कैमरे के दुरूपयोग जैसे मामले भी आते हैं। अनुभवहीन न्यूज़ रूम द्वारा लापरवाह जोखिम लेना, किसी को फंसाने के मामले भी सामने आते हैं। कुछ देशों में बड़े पैमाने इस तकनीक का दुरुपयोग देखा गया है। इसका राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा भी दुरूपयोग हुआ है। ऐसी चीजें मीडिया के प्रति जनता का भरोसा कम करने के लिए जिम्मेदार हैं।

अंडरकवर रिपोर्टिंग का महत्व

ब्रुक क्रोएगर ‘न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय’ में पत्रकारिता की प्रोफेसर हैं। उनकी पुस्तक ‘अंडरकवर रिपोर्टिंग : द ट्रुथ अबाउट डिसेप्शन’ काफी चर्चित है। इसमें उनका तर्क है कि गुप्त रिपोर्टिंग को गलत तरीके से बदनाम किया गया है। जबकि इसने प्रभाव के मामले में पिछले 150 वर्षों में पत्रकारिता के अन्य रूपों को मात दी है।

ब्रुक क्रोएगर के शोध पर आधारित सैकड़ों प्रभावशाली ‘गुप्त रिपोर्टिंग’ का संग्रह किया गया है। Undercoverreporting.org में इसे देख सकते हैं। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय लाइब्रेरी के सहयोग से इसे बनाया गया है। इसमें उत्तरी अमेरिका की ज्यादा रिपोर्ट्स हैं।

ब्रुक क्रोएगर का कहना है कि अंडरकवर रिपोर्टिंग का उपयोग विशेष मामलों में अपवाद के रूप में तथा जवाबदेही के साथ करना चाहिए। अक्सर गलत धारणा के कारण इस तकनीक का उपयोग करने से बचा जाता है। जबकि सार्वजनिक हित के मामलों में ऐसी रिपोर्टिंग काफी कारगर है। चूक के अवसरों की ओर जाता है। कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार और खराब श्रम स्थितियों को उजागर करने में यह बेहद प्रभावी है।

ब्रुक क्रोएगर ने पांच प्रकार की गोपनीय रिपोर्टिंग का वर्णन किया। वह कहती हैं कि प्रत्येक मामले से जुड़े नैतिक और कानूनी पहलुओं की विभिन्न स्तरों की जांच आवश्यक है।

  1. उपभोक्ता पत्रकारिता परीक्षण – कोई पत्रकार अगर केवल एक उपभोक्ता का अनुभव बताने के लिए गोपनीय रिपोर्टिंग करे, तो इसमें कोई नैतिक बाधा नहीं है। जैसे, कार की मरम्मत के बदले ज्यादा रकम वसूलने का मामला। पत्रकारिता के सामान्य सिद्धांत में प्रकाशन से पहले सामने वाले का पक्ष लेना भी लागू होता है। ऐसे मामलों पर रिपोर्टिंग में किसी नैतिक पक्ष के विशेष पुनरीक्षण की आवश्यकता नहीं है।
  2. चुपचाप दूसरों की बातें सुनना – गोपनीय रिपोर्टिंग के दौरान एक पत्रकार के बतौर अपनी भूमिका को छिपाने और गोपनीय तरीके से किसी की बात सुनने को उचित ठहराया जा सकता है। अधिकारियों की अमर्यादित टिप्पणियों को जनहित के किसी महत्वपूर्ण मामले की स्टोरी में दिखाया जा सकता है। यदि किसी रिकॉर्डिंग डिवाइस का उपयोग किया जाता है। ऐसे मामलों में अपने देश के गोपनीयता नियमों के बारे में कानूनी सलाह को जरूर लेनी चाहिए। सूत्रों को अपनी टिप्पणियों के बारे में स्पष्ट करने या समझाने का अवसर भी देना चाहिए। पाठकों को बताना चाहिए कि उद्धरण कैसे एकत्र किए गए हैं।
  3. सार्वजनिक संस्थान में विजिट – पत्रकार उस स्थान में घूमने के लिए स्वतंत्र हैं, जहां आम जनता जा सकती है। पत्रकारों को कई बार चुनौतियों से बचने और किसी संस्थान में घूमकर रिपोर्टिंग के लिए पत्रकार के बतौर अपना परिचय छिपाने की जरूरत होती है। इसके लिए अपना प्रेस बैज हटा लें। अपने रिपोर्टर होने की बात न कहें। अन्य नियमित आगंतुकों की तरह कपड़े पहनने चाहिए। पत्रकारों को ऐसी विजिट के दौरान जानबूझकर धोखा देने वाली पोशाक का उपयोग नहीं करना चाहिए। जैसे सफेद कोट पहनना, स्टेथोस्कोप लटकाना, या किसी विशिष्ट प्रतीक, टैटू का उपयोग करके किसी पेशे की नकल करना। ऐसी विजिट के दौरान यदि कोई आपकी पहचान पर सवाल करे, तो तुरंत यह बात स्वीकार कर लें कि आप एक पत्रकार हैं। अपने संपादक और एक बाहरी सलाहकार के साथ नैतिक और रणनीति संबंधी चर्चा करना उपयोगी होगा।
  4. गोपनीय कैमरा प्रोजेक्ट – फिल्मांकन से पहले और बाद में गोपनीय कैमरों के उपयोग के संबंध में कानूनी और नैतिक सलाह लेनी चाहिए। प्राप्त साक्ष्य को पारंपरिक रिपोर्टिंग के माध्यम से अच्छी तरह जांच लेना चाहिए।
  5. डीप अंडरकवरझूठी कहानी बताकर नौकरी लेना, या वेश बदलकर किसी भूमिका में खुद को पेश करने में हमेशा सावधानीपूर्वक योजना बनानी चाहिए। हर स्तर पर व्यापक कानूनी, नैतिक और सुरक्षा संबंधी पहलुओं की जांच कर लें। तथ्यों को इकट्ठा करने के लिए किसी भी वैकल्पिक तरीके को खोजना चाहिए।

ब्रुक क्रोएगर के अनुसार खास तौर पर महिला पत्रकारों ने गुणवत्ता पूर्ण अंडरकवर रिपोर्टिंग में काफी योगदान किया है। जैसे, नेल्ली बेली का मामला काफी चर्चित है। उन्होंने 19 वीं शताब्दी के अंत में न्यूयॉर्क के एक आश्रम में एक मनोरोगी के रूप में रहकर संस्थागत क्रूरता को उजागर किया था।

प्रमुख सिद्धांत
  • कोई नुकसान न पहुंचाएं – सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आपकी गोपनीय रिपोर्टिंग के दौरान किसी को कोई नुकसान न हो। ब्रुक क्रोएगर का कहना है कि पत्रकारों को यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि उनका गुप्त काम जोखिम पैदा न करे। आपके कारण आम लोगों को महत्वपूर्ण सेवाओं से वंचित न होना पड़े। जैसे, किसी मानसिक स्वास्थ्य केंद्र या वृद्धाश्रम में किसी वास्तविक जरूरतमंद को बिस्तर चाहिए, तो उसे वंचित करके पत्रकार कोई बिस्तर न लें।
  • कानून कभी न तोड़ें – पत्रकारों को उनकी गोपनीय परियोजना के कानूनी खतरों और रिपोर्टिंग रणनीति के बारे में पहले से जानकारी दी जानी चाहिए। उन्हें अच्छी तरह मालूम हो कि कानूनी रेखाएं कहां खींची गई हैं। कभी किसी कानून को न तोड़ें।
  • अपने प्रयास से लोगों में भरोसा पैदा करें – ब्रुक क्रोएगर का कहना है कि जिन परियोजनाओं में पत्रकारों ने हफ्तों समय गुजारकर स्थिति का अनुभव किया है, वहां लोगों का भरोसा पाने की ज्यादा संभावना होती है। गोपनीय कैमरे के स्टिंग की तुलना में दर्शकों से अधिक सम्मान प्राप्त होता है।
  • सीधे झूठ से बचें – लिखित रूप में या किसी भी दस्तावेज़ पर किसी भी झूठ से बचना चाहिए। खासकर जहां पर हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है, वहां ऐसा बिल्कुल न करें। ब्रुक क्रोएगर कहती हैं कि कृत्रिम तरीके से चकमा देना और धोखे के अन्य रूप उन मामलों में स्वीकार्य हैं जहां जनहित के मामलों में तथ्य प्राप्त करना आवश्यक है। लेकिन आपको पूरी तरह से झूठ बोलने से बचना चाहिए।
  • वकील तथा सलाहकार से परामर्श लें – अंडरकवर रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट के लिए किस तरह की रणनीति स्वीकार करने योग्य है, इस पर बाहरी सलाहकारों और वकीलों से परामर्श लें। उसमें प्रकाशित करने योग्य तथ्यों पर निर्णय लेते समय भी ऐसी सलाह लेना जरूरी है। आपकी रिपोर्टिंग टीम और संपादकों के अलावा वकील तथा स्वतंत्र सलाहकार को मिलाकर एक मजबूत परामर्श ग्रुप बन सकता है। यह आपको सही दिशा में ले जाएगा और गलतियों से बचाएगा।
  • पुराने अनुभवों से सीख लें – डेटा-आधारित खबरों हेतु प्रश्नों का निर्धारण करने के लिए पिछले अंडरकवर रिपोर्टिंग के अनुभवों से शिक्षा ग्रहण करें। यह काम न्यूज़रूम से किया जा सकता है। ब्रुक क्रोएगर का कहना है कि एक अंडरकवर रिपोर्टर ने अमेरिकी अस्पताल में सुरक्षा मुद्दे की जांच करते समय धोखाधड़ी के सबूत देखे। इसके आधार पर एक अलग स्टोरी बन गई। जब तक आप किसी समस्या को खुद नहीं देखते, तब तक आप उसकी जांच भी नहीं कर सकते हैं।

सफल केस स्टडीज

  • अपहरण कर के नशामुक्ति केंद्र में बंधक बनाने की गोपनीय जांच (2021 – यूक्रेन) : मारिया गोर्बन (Maria Gorban) और  Slidstvo.info के पत्रकारों ने यह अंडरकवर रिपोर्टिंग की थी। यूक्रेन के नशामुक्ति केंद्रों में नागरिकों का अपहरण करके जबरन रखने का आरोप था। बंधकों के रिश्तेदारों के इशारे पर ऐसा हो रहा था। संपति हड़पने या किसी झगड़े के कारण लोग अपने ही परिवार के किसी सदस्य को नशे का आदी बताकर जबरन अपहरण कराके इन केंद्रों में बंद करा देते थे। बदले में हर महीने उस केंद्र को मोटी रकम का भुगतान भी करते थे। पूरे यूक्रेन में ऐसे 50 केंद्र थे। पत्रकारों ने इनमें से दो केंद्र में गुप्त रूप से जाकर खुद को ऐसे रिश्तेदार के रूप में पेश किया, जो नशामुक्ति केंद्र में अपने परिवार के किसी सदस्य को जबरन रखना चाहते थे।
  • अमेरिका के अति-रूढ़िवादी संगठनों से जुड़े मनोवैज्ञानिकों द्वारा समलैंगिकता के ख़िलाफ़ चिकित्सा  (2021 – कोस्टा रिका) : ओपन डेमोक्रेसी (openDemocracy ) और रेडियोमिसोरस यूसीआर के पत्रकारों ने यह जांच की। अमेरिका के एक कट्टरपंथी ईसाई संगठन के कोस्टा रिकान कार्यालय ने ऑनलाइन ‘कन्वर्शन थेरेपी’ का आयोजन किया था। पत्रकारों ने गोपनीय तरीके से इसके सत्रों में शामिल होकर इसकी रिपोर्टिंग की।
  • बांग्लादेश: प्रधानमंत्री कार्यालय में भ्रष्टाचार (2021 – बांग्लादेश): अल जज़ीरा (Al Jazeera’s Investigations Unit) टीम ने एक व्हिसल ब्लोअर की मदद से यह गोपनीय रिपोर्टिंग की। बांग्लादेश में सरकार के उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप था। जांच टीम ने व्हिसल ब्लोअर को छिपे हुए कैमरे प्रदान किए। उसने ऐसे ‘लक्ष्य’ को रिकॉर्ड किया जिनका बांग्लादेश के प्रधानमंत्री से संबंध था। इस जांच रिपोर्ट ने 2021 में डीआईजी अवार्ड जीता।
  • महिला पत्रकार ने ‘गुलाम’ बनकर रिपोर्टिंग की (2020 – युगांडा) : एक महिला पत्रकार ने युगांडा के अखबार ‘न्यू विजन’ के लिए बेहद साहसिक गुप्त रिपोर्ट की। वह दुबई में नौकरी करने के लिए एक भर्ती कंपनी के माध्यम से वेश बदलकर चली गई। वहां उसे काम पर रखा गया। उसने अपने पॉडकास्ट में अपने अनुभव बताए। उसने प्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार और आधुनिक गुलामी प्रथा को अपनी आंखों से देखा और महसूस किया। उसका लक्ष्य अफ्रीकियों को चेतावनी देना था जो तेल समृद्ध अरब देशों में काम के लिए जाते हैं।
  • महिलाओं का यौन शोषण करने वाले हेल्थ प्रेक्टिशनर का भंडाफोड़ (2021 – घाना) : खोजी पत्रकारिता संस्था ‘द फोर्थ एस्टेट’ की अंडरकवर टीम ने यह रिपोर्ट की। घाना में एक हेल्थ प्रैक्टिशनर द्वारा अपने लाइसेंस की आड़ में महिलाओं का यौन शोषण किया जा रहा था। पत्रकार मानसेह एज्युर आवुनी ने गुप्त रूप से इसे फिल्माया। प्रजनन संबंधी उपचार और सहायता की मांग करने आई महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने वाले का भंडाफोड़ हुआ। इस स्टोरी के कारण अभियुक्त की गिरफ्तारी हुई। उसने अपना अपराध कबूल भी किया
  • सरोगेट मदर की गोपनीय रिपोर्टिंग (2021 – केन्या): महिला पत्रकार नैपानोई लेपापा ने कई महीनों तक अंडरकवर रहकर यह गोपनीय रिपोर्ट की। पहले उन्होंने एक अभिभावक के रूप में ‘सरोगेट मदर’ की तलाश की। बाद में, खुद को एक सरोगेट मदर बनने को तैयार महिला के रूप में पेश किया, जो किसी के लिए संतान जन्म देने के लिए तैयार हो। यह रिपोर्ट केन्या के ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म ‘द एलीफेंट’ में प्रकाशित हुई। इस जांच में सरोगेट मदर के नाम पर धंधेबाजी और शोषण का खुलासा हुआ। सरोगेट माताओं और बच्चों की मानव तस्करी, जबरन गर्भपात, पहचान संबंधी जालसाजी उजागर हुई।
  • चीन के अल्पसंख्यकों की डिजिटल निगरानी का खुलासा (2020 – चीन) : इस फ्रंटलाइन डॉक्यूमेंट्री के निर्माताओं ने पड़ोसी कजाकिस्तान से बाहर काम किया। उन्होंने गोपनीय रिपोर्टिंग के द्वारा यह पता लगाया कि चीन के मुस्लिम अल्पसंख्यक उइगरों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से लगातार निगरानी कैसे की जाती है। उन्होंने शिनजियांग क्षेत्र में जाने के लिए एक चीनी व्यवसायी को काम पर रखा। उनके अंडरकवर प्रॉक्सी रिपोर्टर के रूप में काम किया। वहां विदेशियों का पीछा किया जाता है और उइगरों पर निगरानी रखी जाती है।
  • फुटबॉल की मैच फिक्सिंग उजागर (2018 – केन्या) : ‘बीबीसी अफ्रीका आई’ के लिए प्रसिद्ध अंडरकवर रिपोर्टर अनस अरेमेयाव अनस ने यह रिपोर्ट की। उन्होंने केन्या और पश्चिम अफ्रीकी में फ़ुटबॉल मैच संबंधी भ्रष्टाचार का दस्तावेजीकरण करने के लिए अंडरकवर रिपोर्टिंग में दो साल बिताए। उन्होंने पूरे क्षेत्र के 100 फुटबॉल अधिकारियों को मैच फिक्सिंग के लिए नकद रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद किया।
  • व्हाट्सएप पर ‘सीक्रेट एबॉर्शन क्लिनिक’ (2018 – ब्राजील): बीबीसी न्यूज ब्राजील की एक टीम ने यह रिपोर्ट की। टीम ने एक व्हाट्सएप ग्रुप में पहुंच हासिल की और पांच महीने तक चुपचाप उसे देखा। इसमें अवैध रूप से गर्भपात कराने वाले पदार्थ की बिक्री होती थी। इसमें उन महिलाओं को सलाह दी जाती थी जो कानूनी गर्भपात नहीं चाहती थी। टीम ने पाया कि इस व्हाट्सअप समूह के प्रशासकों के पास कोई चिकित्सा प्रशिक्षण नहीं था। उनके द्वारा बेचे जाने वाले पदार्थ और उनकी सलाह महिलाओं के लिए जानलेवा हो सकती थी।
  • फ्रांस में गोपनीय रिपोर्टिंग – Goutte d’Or Editions  नियमित रूप से फ्रेंच में अंडरकवर जांच प्रकाशित करता है। फ्रांस में पुलिस के बीच मौजूद नस्लवाद और हिंसा का खुलासा करने वाली यह स्टोरी काफी चर्चित रही। पोर्न उद्योग पर आधारित यह स्टोरी भी अंडरकवर रिपोर्टिंग का एक अच्छा उदाहरण है।
  • प्राइवेट जेल के गार्ड के बतौर चार माह के अनुभव (2016 – यूएस) : मदर जोन्स की इस जांच रिपोर्ट को गोल्डस्मिथ पुरस्कार मिला। रिपोर्टर शेन बाउर ने अमेरिकी राज्य लुइसियाना की एक निजी जेल में वेश बदलकर चार महीने तक गार्ड का काम किया। इस दौरान उन्होंने बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार और कुप्रबंधन का दस्तावेजीकरण किया। उनकी रिपोर्ट प्रकाशित होने के कुछ समय बाद न्याय विभाग ने निजी जेलों का उपयोग बंद करने का ऐलान किया।
  • बेकरी उद्योग में श्रमिकों का शोषण (2017 – कनाडा) : टोरंटो स्टार की इस अंडरकवर रिपोर्ट में बेकरी उद्योग के भीतर श्रमिकों का शोषण उजागर किया गया। रिपोर्टर सारा और ब्रेंडन केनेडी ने वेश बदलकर एक महीने तक एक बेकरी कंपनी में अस्थाई श्रमिक के बतौर काम किया। इस रिपोर्ट में बताया गया कि अस्थायी कर्मियों के सहारे किस तरह ज्यादातर काम कराए जाते हैं। श्रमिकों को नियमित रूप से असुरक्षित का सामना करते हैं। उन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं मिलता। वेतन भी काफी कम मिलता है।

टोरंटो स्टार की रिपोर्टर सारा ने एक बेकिंग प्लांट में अस्थायी कर्मचारी के रूप में गुप्त रूप से नौकरी की। रेखांकन: स्मरंडा टोलोसानो

 

सावधानी सबसे जरूरी

खोजी पत्रकारों को गोपनीय रिपोर्टिंग के खतरों को अच्छी तरह समझना चाहिए। इसमें वह अपने जीवन को दांव पर लगाते हैं। साथ ही, उनके मीडिया संगठन को किसी प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। किसी भारी मुकदमे का शिकार होने की नौबत आ सकती है। कई देश प्रेस की स्वतंत्रता से अधिक महत्व ‘गोपनीयता के अधिकार’ को देते हैं। इसलिए अंडरकवर रिपोर्टिंग में काफी सावधानी बरतना जरूरी है। किस तरह के खतरे आ सकते हैं, इसका उदाहरण देखें-

  • मोंटेनेग्रो में, खोजी पत्रकार जोवो मार्टिनोविच को 15 महीने तक जेल में रहना पड़ा। वह बाल्कन में हथियारों की तस्करी पर अंडरकवर रिपोर्टिंग के दौरान गिरफ्तार हो गए थे। बाद में उन्हें नशीली दवाओं के आरोप में एक साल जेल की सजा सुनाई गई थी। मार्टिनोविच ने इन आरोपों से इनकार किया। उन्होंने ‘कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ को बताया कि उनकी रिपोर्टिंग के प्रतिशोध में उन्हें फंसाया गया है।
  • 1990 के दशक में ‘एबीसी न्यूज’ टीवी नेटवर्क की एक गोपनीय रिपोर्ट काफी चर्चित रही। इसके पत्रकारों ने यूएस किराना स्टोर चेन ‘फूड लायन’ में नौकरी की। इस दौरान उन्होंने एक्सपायर्ड मीट के गलत तरीके से इस्तेमाल और रीपैकेजिंग की वीडियोग्राफी की। यह रिपोर्ट काफी चर्चित हुई। लेकिन उस स्टोर में नौकरी पाने के लिये पत्रकारों ने अपना रिज्यूमे गलत जानकारी वाला बनाया था। इस आधार पर ‘फ़ूड लायन’ ने एबीसी न्यूज़’ पर मुकदमा चलाया। यह प्रेस स्वतंत्रता का ऐतिहासिक मामला बन गया। टीवी नेटवर्क के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों को अंततः खारिज कर दिया गया था। लेकिन अंडरकवर रिपोर्टिंग करने वाले एबीसी न्यूज के निर्माता को गलत तरीके से प्रवेश का दोषी पाया गया। उन्हें हर्जाने में लाखों डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया। हालांकि एक संघीय अपील अदालत ने उस फैसले और कई जुर्माने के हिस्से को उलट दिया। यह उदाहरण बताता है कि अंडरकवर रिपोर्टिंग के लिए गलत दस्तावेज के उपयोग में कितना जोखिम है।
  • पत्रकारों को किसी भारी भावनात्मक दुष्परिणाम का सामना करना पड़ सकता है। भारत की एक ऑनलाइन वेबसाइट ‘द क्विंट’ का उदाहरण देखें। इसके रिपोर्टरों ने एक भारतीय सैनिक को अपने ऊपर लादे गए अनावश्यक कामों के बारे में शिकायत करते हुए गुप्त रूप से फिल्माया था। उसे एक वरिष्ठ अधिकारी ने ऐसा करने के लिए मजबूर किया था। रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद सैनिक ने आत्महत्या कर ली। इसके कारण पत्रकारों पर काफी भावनात्मक और नैतिक दबाव आ गया। इस मामले का विश्लेषण करते हुए ‘पोयन्टर’ ने निष्कर्ष निकाला कि भारतीय सैनिकों द्वारा अपने वरिष्ठ अफसरों के लिए ऐसे काम करने की कहानी पहले सामने आ चुकी है। इसलिए यह बताने के लिए ऐसा अंडरकवर स्टिंग करना अनावश्यक था। एक खास सैनिक के अनुभव को इस तरह सामने लाना भी उचित नहीं।

फील्ड से प्राथमिक सबक

रोवन फिलिप

मैंने दक्षिण अफ्रीका में एक वरिष्ठ रिपोर्टर के रूप में अपने 15 वर्षों के दौरान चार अंडरकवर रिपोर्टिंग की। उनमें से तीन में महत्वपूर्ण त्रुटियां कीं। इनमें से सभी में एक गलती शामिल थी, यानी गुप्त जांच की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना। इनमें से कुछ त्रुटियां सामान्य न्यूज़रूम में भी रहती हैं। इन्हें टाला जा सकता है।

अंडरकवर रिपोर्टिंग में जल्दबाजी न करें

जोहान्सबर्ग में हम एक संदिग्ध मानव तस्कर का पर्दाफाश करना चाहते थे। मैं एक संभावित ग्राहक के रूप में उससे मिलना चाहता था। मेरे समाचार संपादक ने भी इस पर सहमति व्यक्त की। लेकिन उस आदमी ने अचानक उसी रात मिलने का प्रस्ताव दिया। मैं बिना किसी उचित योजना के उससे मिलने निकल पड़ा। बैठक के अंत में उसने मेरा लैंडलाइन नंबर मांगा। हड़बड़ी मैंने अपने न्यूज़रूम का डायरेक्ट लाइन का नंबर दे दिया। यह नंबर सीधे वॉइसमेल पर जाता था। उस आदमी ने शांति से मेरी ओर देखा और कहा कि उसने मेरे द्वारा दिए गए नंबर को पहचान लिया है। उसके बाउंसरों से शारीरिक हमले के डर से मैं जल्दी से मुड़ा और गली से नीचे भाग गया। इस तरह हम उस गोपनीय रिपोर्टिंग से वंचित रह गए।

क्या सबक मिला?

  • गोपनीय जांच की योजना बनाने के लिए आवश्यक समय लें। आपके ‘लक्ष्य’ को उसके अनुसार जांच को निर्देशित करने का अवसर न मिले।
  • अपने ‘लक्ष्य’ को देने के लिए एक बर्नर फोन या गूगल वॉयस नंबर रखें। कभी भी अपना नंबर मत दें।

गोपनीय के बजाय पारंपरिक रिपोर्टिंग पर विचार करें

एक अन्य मामला देखें। हमारे अखबार ने एक स्थानीय कैसीनो की जांच का फैसला किया। उस कैसीनो में आए जुआरियों के बच्चों को रात भर एक छोटे से कथित देखभाल केंद्र में छोड़ दिया जाता था। उन्हें बिना निगरानी के घूमने और फर्श पर सोने के लिए छोड़ दिया जाता था। कुछ बच्चों को पार्किंग में कारों में छोड़ दिया गया था।

कैसीनो के हायरिंग मैनेजर ने मुझे चाइल्ड केयर सेंटर में एक स्वयंसेवक के रूप में रखा। वहां मैंने कई हफ्तों में 10 शामें बिताईं। इससे ऐसा अनुभव हुआ, जो उन आरोपों की पुष्टि कर रहे थे। इस स्टोरी ने प्रभाव डाला। कैसीनो के अधिकारियों ने निष्कर्षों पर विवाद नहीं किया। उन्होंने अपनी बाल देखभाल नीतियों को ठीक करने और नए सामाजिक कार्यक्रमों के लिए अधिक खर्च करने का निर्णय लिया। लेकिन जल्द ही कई समस्याएं सामने आईं। हमारी कहानी पाठकों के सामने मेरे गुप्त काम का खुलासा करने में विफल रही, जिससे तथ्यों का पता नहीं चला। हमें एहसास हुआ कि इस स्टोरी के लिए गुप्त जांच की आवश्यकता नहीं थी। मुझे माता-पिता के आरोपों की पुष्टि करने के लिए पूर्व कर्मचारियों, कैसीनो सीसीटीवी वीडियो फुटेज, या आंतरिक दस्तावेजों जैसे स्रोत मिल सकते थे।

क्या सबक मिला?

  • एक अंडरकवर प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले अपनी टीम की एक और मीटिंग करें। एक बार फिर से विचार करें कि उस मामले की आवश्यक जानकारी एकत्र करने का एकमात्र तरीका अंडरकवर रिपोर्टिंग है।
  • बच्चों, कमजोर वर्गों एवं अन्य पीड़ितों से जुड़े किसी विषय पर गुप्त रिपोर्टिंग करनी हो तो पर्याप्त संसाधनों का इंतजाम करें। साथ ही इसके नैतिक और कानूनी पहलुओं पर अच्छी तरह विचार करें।
  • पाठकों के साथ हमेशा पारदर्शी रहें। उन्हें बताएं कि आपने तथ्यों तक कैसे पहुंच हासिल की, और क्यों।
‘स्कूप’ या सनसनीखेज मानसिकता से बचें

तीसरा मामला देखें। बोत्सवाना में एक महिला पर हत्या का मामला चल रहा था। मेरे समाचार संपादक को आशंका थी कि उसे सही न्याय नहीं मिल पाएगा। उसे मौत की सजा हो सकती थी। देश में प्रेस कानूनों के तहत उस महिला से मिलने के लिए मुझे जेल में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल सकती थी। तब मैं उस महिला के वकील के रूप में पोशाक पहनकर जेल गया। वहां मैंने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि मुझे कानूनी मुद्दों पर महिला से चर्चा करनी है। इस तरह मुझे मुलाकात का अवसर मिल गया।

महिला से मिलने पर मैंने तुरंत एक रिपोर्टर के रूप में अपनी पहचान बताई। उस महिला ने कहा कि वह भी अपनी कहानी साझा करने के लिए उत्सुक है। इसके बाद उसने पूरी बात बताई। कई मजबूत और नए सबूत प्रदान किए। इनसे पता चलता था कि महिला उस मुकदमे का सामना करने के लिए मानसिक रूप से सक्षम नहीं है। साथ ही, वह हत्या करने में शारीरिक रूप से अक्षम थी, और संभवतः कानूनी कदाचार का शिकार थी।

हालांकि, प्रकाशित होने के बाद यह स्टोरी कोई प्रभाव डालने में विफल रही। अदालत पर इसका कोई असर नहीं हुआ। महिला को दो महीने बाद फांसी पर लटका दिया गया। बोत्सवाना में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि मैंने जेल में अवैध पहुंच हासिल करके कानून का उल्लंघन किया है। मैंने भी महसूस किया कि इस खबर के साथ अतिरिक्त रिपोर्टिंग की कमी थी। इसे समय से पहले, जल्दबाजी में प्रकाशित कर दिया गया था। उस स्टोरी को मैंने ‘प्रथम-व्यक्ति’ शैली (फर्स्ट पर्सन) में लिखा था। इसके कारण तीसरे व्यक्ति और स्रोतों के माध्यम से तथ्यों को प्रस्तुत करना मुश्किल हो गया था। इसके अलावा, मुझे पता नहीं था कि मैंने वेश बदलकर जेल में महिला से मिलकर स्थानीय कानूनों का उल्लंघन किया है।

क्या सबक मिला?

  • किसी विशेष अंडरकवर स्कूप को तुरंत प्रकाशित करने के प्रलोभन से बचें, खासकर जब किसी व्यक्ति के जीवन या हितों का बड़ा मामला हो।
  • ‘प्रथम-व्यक्ति’ शैली (फर्स्ट पर्सन) की सीमाओं को पहचानें। यह आपकी रिपोर्ट को प्रभावित कर सकता है।
  • परियोजना को पूरा करने के लिए समय निकालकर सफल अंडरकवर साक्षात्कार के साथ ही ऑन-द-रिकॉर्ड पारंपरिक रिपोर्टिंग और सावधानीपूर्वक पुनरीक्षण के साथ गुप्त कार्य का पालन करना सुनिश्चित करें।
  • किसी विदेशी देश में अंडरकवर जांच के दौरान संभावित कानूनी उल्लंघनों के संबंध में स्थानीय कानूनी विशेषज्ञों से संपर्क करें।
कई बार आसान तरीके बेहतर होते हैं

मेरी एकमात्र पूरी तरह से सफल अंडरकवर परियोजना में कोई धोखा या झूठ शामिल नहीं था। इसके बजाय, इसमें एक गुप्त बैठक में बात की गई थी। मैंने प्रत्येक पक्ष को इस भ्रम में रखा कि मैं दूसरे पक्ष का सदस्य हूं।

दक्षिण अफ्रीकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र वार्ता पर यह एक्सक्लुसिव स्टोरी थी। यह बुनियादी अंडरकवर रिपोर्टिंग शैली का उपयोग करके प्राप्त की गई थी। इमेज: स्क्रीनशॉट

वर्ष 2014 में मैंने इन अफवाहों की जांच की थी कि दक्षिण अफ़्रीकी सरकार गुप्त रूप से रूस से आठ परमाणु ऊर्जा रिएक्टर खरीदने की योजना बना रही है। लगभग 70 अरब अमेरिकी डॉलर के भारी भरकम मूल्य पर यह एक अवैध सौदा समझा जा रहा था। हालांकि, सरकार ने इस बात से इनकार किया था कि ऐसी कोई बातचीत चल रही है। इसकी जांच करने के लिए, मैंने ट्रैक किया कि एक दूरस्थ पर्वतीय रिसॉर्ट में एक रूसी परमाणु ऊर्जा प्रतिनिधिमंडल ने दौरा किया था। एक सूट पहने हुए मैं भी एक बैठक कक्ष में पहुंच गया जहां दक्षिण अफ्रीकी अधिकारी एकत्र हुए थे।

उस बातचीत में ऑफसेट सौदों, तकनीकी सुरक्षा सुविधाओं और परमाणु कचरे के निपटान की विस्तृत चर्चा शामिल थी। आखिरकार, अधिकारियों ने महसूस किया कि मैं किसी भी प्रतिनिधिमंडल के साथ नहीं हूँ। तब मुझे कमरे से निकाल दिया गया। मैंने वहां एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर दोनों प्रतिनिधिमंडलों से संपर्क किया। खुद को एक रिपोर्टर के रूप में घोषित किया, और टिप्पणी मांगी। दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों ने अनिच्छा से वार्ता की पुष्टि की। मेरी फॉलो अप रिपोर्टिंग ने तब खुलासा किया कि  रूसी एजेंसी के साथ किसी भी इतिहास के बारे में उनके इनकार के बावजूद तत्कालीन दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा ने पहले उस एजेंसी की एक सहायक कंपनी के साथ परमाणु ईंधन सौदे का समर्थन किया था। इस स्कूप के बाद अन्य पत्रकारों ने भी गुप्त वार्ता पर व्यापक खोजी रिपोर्टिंग की। इसके कारण परमाणु समझौते को रद्द कर दिया गया।

कारगर रणनीति
  • मीटिंग में जाकर चुपचाप सुनने की विधि ने अच्छी तरह से काम किया। (1) हम दिखा सकते हैं कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर विवरण एकत्र करने का कोई अन्य तरीका नहीं था। (2) मैंने अपनी बातचीत को रिकॉर्ड करने के तुरंत बाद एक रिपोर्टर के रूप में अपनी पहचान का खुलासा किया, और उन्हें पूर्ण प्रतिक्रिया का अवसर दिया। (3) हम पाठकों के साथ पूरी तरह से पारदर्शी थे, यह समझाते हुए कि सभी तथ्य कैसे एकत्र किए गए थे।
  • हम पारंपरिक रिपोर्टिंग के साथ संक्षिप्त अंडरकवर तथ्य-संग्रह का उपयोग करने के प्रति सावधान थे। फिर एजेंसी और सरकार की पूर्व गुप्त परमाणु वार्ता में एक पारंपरिक जांच के साथ स्कूप का पालन किया।
  • हमने रेडियो साक्षात्कारों और अन्य न्यूज़ रूम के साथ सहयोग के जरिये इस स्टोरी के प्रभाव को और गहरा किया।

जीआईजेएन के लिए गाइड हेतु यह सामग्री एकत्र करने के लिए टोबी मैकिन्टोश, बेनन ओलुका, एना बीट्रिज़ असम, मिराज अहमद चौधरी, मारियल लोज़ादा, अमेल गनी, अलीम खोलीकुल और दीपक तिवारी को धन्यवाद।

अंडरकवर रिपोर्टिंग के संसाधन

मल्टीमीडिया आउटलेट्स में अंडरकवर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के लिए एक गाइड (A Guide to Undercover Investigative Journalism for Multimedia Outlets), ‘बीबीसी अफ्रीका आई’ के चार्ली नॉर्थकॉट और बीबीसी वर्ल्ड सर्विस तथा मल्टीमीडिया निर्माता गबोलाहन पीटर मैकजॉब के साथ आईजेनेट द्वारा आयोजित एक वेबिनार।

द प्रिक्स इटालिया मास्टर क्लास – “अंडरकवर: इनसाइड चाइनाज डिजिटल गुलाग,” की टीम के साथ बातचीत। (The Prix Italia Masterclass talk with the creators of: “Undercover: Inside China’s Digital Gulag) हार्डकैश / आईटीवी (यूके), और पीबीएस (यूएस), एक जांच जिसने पीबॉडी अवार्ड जीता।

गोपनीय रिपोर्टिंग करने वाले प्रारंभिक पत्रकारों में से एक – नेल्ली बेली – की कहानी पर एक एनीमेशन। अंडरकवर इन ए इनसेन एसाइलम: हाउ ए 23-ईयर-ओल्ड चेंज्ड जर्नलिज्म (Undercover in an Insane Asylum: How a 23-Year-Old Changed Journalism)। इसे जीआईजेएन सदस्य ‘सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग’ ने निर्मित किया है।

अतिरिक्त संसाधन

Becoming a Butcher: Lessons From Working Undercover

From #MeToo to Going Undercover: Tips from Women Investigators

How They Did It: Feminist Investigators Go Undercover to Expose Abortion Misinformation


निकोलिया अपोस्टोलू  जीआईजेएन संसाधन केंद्र की निदेशक हैं। 15 वर्षों के लिए तक उन्होंने बीबीसी, एपी, द न्यूयॉर्क टाइम्स, पीबीएस, ड्यूश वेले और अल जज़ीरा सहित 100 से अधिक मीडिया आउटलेट्स के लिए ग्रीस, साइप्रस और तुर्की से वृत्तचित्र लिखे और उनका निर्माण किया।

 

रोवन फिलिप जीआईजेएन रिपोर्टर हैं। पहले वह दक्षिण अफ्रीका के संडे टाइम्स के मुख्य संवाददाता थे। एक विदेशी संवाददाता के रूप में उन्होंने दुनिया भर के दो दर्जन से अधिक देशों से समाचार, राजनीति, भ्रष्टाचार और संघर्ष पर रिपोर्ट दी है।

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