युद्ध अपराध पर रिपोर्टिंग के 15 तरीके

Print More

कीव (यूक्रेन) के एक अपार्टमेंट पर रूसी मिसाइल हमले के बाद का दृश्य। इमेज: फ्लिकर

संपादकीय टिप्पणी: अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के मुख्य अभियोजक के अनुसार उनके कार्यालय ने पाया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में संभावित युद्ध अपराधों की जांच शुरू करने का उचित आधार है।

युद्ध के दौरान अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करना ‘युद्ध अपराध‘ है। इसकी रिपोर्टिंग करना एक कठिन और खतरनाक काम है। लेकिन ओपन-सोर्स रिपोर्टिंग तकनीकों ने अब कई चीजों को आसान किया है। मोबाइल फोन में अच्छे कैमरे उपलब्ध हैं। खुद सैनिकों द्वारा सोशल मीडिया पर ऑनलाइन सामग्री अपलोड की जा रही है। ऐसी सामग्री काफी हाई रिजॉल्यूशन की होती है। डिजिटल टूल की उपलब्धता के कारण बड़े पैमाने पर डेटा ऑनलाइन अपलोड किया जा रहा है। इसे आप उच्च-गुणवत्ता वाले उपग्रह इमेजरी को जोड़कर देख सकते हैं। इन चीजों के कारण पत्रकारों के पास युद्ध अपराधों पर रिपोर्टिंग की क्षमता काफी बढ़ गई है।

पहली बार सीरियाई युद्ध में यह बात साफ दिखी। यह मानव इतिहास में सबसे व्यापक रूप से दस्तावेजीकृत युद्ध था। इसके सभी पहलुओं पर वास्तविक समय में ऑनलाइन नजर रखी जा रही थी। वही स्थिति अब यूक्रेन-रूस यु़द्ध में दिख रही है। इसलिए जीआईजेएन ने मुझे ओपन-सोर्स टूल्स और तकनीकों का उपयोग करके युद्ध अपराधों की जांच संबंधी यह गाइड तैयार करने का काम सौंपा है।

मैं एक खोजी पत्रकार और वृत्तचित्र निर्माता हूं। युद्ध के दौरान मानवाधिकार हनन को उजागर करने के लिए फील्डवर्क के साथ ओपन-सोर्स तकनीक का समन्वय करने में मेरी विशेषज्ञता है। पिछले चार वर्षों में मैंने बीबीसी के लिए रिपोर्टिंग करते हुए लीबिया और सीरिया में युद्ध अपराधों का खुलासा किया है। ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस के कारण खोजी पत्रकारिता का भविष्य किस तरह बदल रहा है, इस पर मैंने पीएचडी की है।

युद्ध अपराधों की जाँच और रिपोर्टिंग के 15 तरीके और तकनीक यहां प्रस्तुत है।

1. युद्ध अपराध को समझें

युद्ध अपराध की मूल परिभाषा है ”युद्ध को नियंत्रित करने वाले नियमों का उल्लंघन करना।” युद्ध के दौरान इसे सबसे गंभीर अपराध समझा जाता है। अभियोजन पर कोई सीमा नहीं है। इसका अर्थ है कि दोषी पाए जाने पर अपराध की ऐतिहासिक प्रकृति की परवाह किए बिना मुकदमा चलाया जा सकता है।

जिनेवा कन्वेंशन ने नए प्रकार के युद्ध अपराधों को परिभाषित किया है। इसमें अभियोजन के लिए सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र स्थापित किया गया है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का एक बड़ा हिस्सा शामिल है।

रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) ने अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून या सशस्त्र संघर्ष के कानून को इस तरह परिभाषित किया है- “ऐसे नियमों का समूह, जिनका मकसद सशस्त्र संघर्ष के प्रभावों को सीमित करके मानवता की रक्षा करना है। इसके तहत उन लोगों की रक्षा करना जरूरी है, जिनसे कोई दुश्मनी नहीं और जो पहले या अब इस शत्रुता में भाग नहीं ले रहे हैं। इसके तहत युद्ध के साधनों और तरीकों को भी प्रतिबंधित किया जाता है।“

रोम संविधि को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की संस्थापक संधि माना जाता है। इसके अनुच्छेद 7 और 8 में युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों की एक विस्तृत सूची  दी गई है।

युद्ध अपराधों की चार श्रेणियां हैं: नरसंहार, शांति के खिलाफ अपराध, युद्ध नियमों का उल्लंघन और मानवता के खिलाफ अपराध।

ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस का उपयोग करके आप इन बिंदुओं का दस्तावेजीकरण करने वाली रिपोर्टिंग कर सकते हैं:

  • नागरिकों पर हमला।
  • ऐसे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर हमला, जिनका सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा है।
  • अस्पतालों और स्कूलों जैसे संरक्षित संस्थानों पर हमला।
  • ‘डबल टैप‘ जैसे हमले, जो प्रथम बचाव टीम को लक्षित करते हैं।
  • क्लस्टर युद्ध सामग्री जैसे विशिष्ट प्रतिबंधित हथियारों का उपयोग।
  • सैनिकों के शवों से छेड़छाड़ करना।
  • आत्मसमर्पण करने का अवसर नहीं देना।
  • नागरिकों के शवों से छेड़छाड़ करना।
  • युद्धकालीन यौन हिंसा, लूट, यंत्रणा।
  • बाल सैनिकों का उपयोग।
  • रासायनिक या जैविक हथियारों का उपयोग।
  • विभिन्न मामलों में अनुपात के आधार पर यह आकलन किया जाता है कि कोई घटना युद्ध अपराध है अथवा नहीं।
2. स्रोत क्या होंगे?

युद्ध अपराध की रिपोर्टिंग के लिए आपको विभिन्न स्रोत का उपयोग करना होगा। सोशल मीडिया में आपको काफी सामग्री मिल जाएगी। युद्ध अपराध संबंधी फोटो का यह एक समृद्ध स्रोत है। सैनिकों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं द्वारा अपलोड की गई फोटो और वीडियो से आपको काफी सबूत मिल सकते हैं। फेसबुक, टेलीग्राम, ट्विटर, इंस्टाग्राम, टिकटॉक इत्यादि में काफी सामग्री मिल जाएगी। जिस देश का मामला हो, वहां ज्यादा उपयोग होने वाले सोशल मीडिया पर खास नजर रखनी होगी। जैसे, रूस में वीके (पहले इसका नाम VKontakte था) काफी प्रचलित है। वीके में रूस के सैनिकों की प्रोफाइलों में जानकारी का खजाना है। टेलीग्राम चैनल में सैनिकों के प्रशंसकों तथा उनके परिजनों के ऑनलाइन समूह भी अच्छे स्रोत हैं। एक ही हैंडल का उपयोग करके कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खातों को ढूंढना भी अच्छा तरीका है। इसमें अधिक ढीली गोपनीयता सेटिंग्स हो सकती हैं। अधिकांश मामलों में सैनिकों को यह एहसास नहीं होता है कि उन्होंने युद्ध अपराध किया है। इसलिए वे इसके परिणामों से डरते नहीं हैं। लिहाजा वे इन चीजों को छिपाते नहीं।

मैंने बीबीसी के लिए लीबिया से रिपोर्टिंग की थी। इसमें लीबिया की राष्ट्रीय सेना के विशेष बल ब्रिगेड के सदस्यों द्वारा शत्रुपक्ष के सैनिकों और नागरिकों के शवों से छेड़छाड़ के सबूतों सामने आए। फेसबुक और ट्विटर पर अपलोड किए गए वीडियो के आधार पर यह जांच संभव हुई। ऐसे सबूत को सैनिकों ने अपने प्रचार के रूप में अपलोड किया था। वे इसका इस्तेमाल अपने समर्थकों के बीच हिंसा भड़काने के लिए कर रहे थे।

लीबिया में युद्ध अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए बीबीसी ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया था। लेखिका मनीषा गांगुली उस जांच टीम में शामिल थीं। इमेज: स्क्रीनशॉट

3. हर सामग्री का सत्यापन करें

सोशल मीडिया में आपको कई उपयोगी वीडियो मिल जाएंगे। लेकिन अधिकांश समय ऐसे वीडियो किसी भरोसेमंद व्यक्ति के सोशल मीडिया अकाउंट से नहीं मिलते। संभव है उसे किसी फर्जी एकाउंट से शेयर किया गया हो, या उसमें कोई फर्जीवाड़ा हो। इसलिए अपनी रिपोर्टिंग के लिए उनका उपयोग करने का पहला चरण उसकी सत्यता की जांच करना है। इसके लिए वीडियो मेटाडेटा टूल का उपयोग करके सत्यापित करना जरूरी है। इस काम में जो उपकरण आपकी मदद कर सकते हैं, वे हैं:  InVidGoogle Reverse Image SearchTinEyeRevEyeYandex, Baidu, Google LensExiftoolRedfinAmnesty Video verification, and Trulymedia.

एक बार वीडियो की प्रामाणिकता स्थापित हो जाने के बाद अगला कदम उससे जुड़े सहायक साक्ष्य ढूंढ़ना है। यदि उच्च गुणवत्ता वाले वीडियो की अन्य प्रतियां ऑनलाइन मौजूद हैं, तो उन्हें डाउनलोड कर लें। उनसे चेहरों की पहचान करना आसान होगा। एक ही घटना के विभिन्न कोणों के कई वीडियो मौजूद हैं, तो उन सबको डाउनलोड कर लें। रिपोर्टिंग और वीडियो स्टोरी बनाने में सब काम आएंगे।

4. हर चीज आर्काइव करें

तथ्यों के सत्यापन के बाद अगला चरण हर चीज को आर्काइव करना है। यह बेहद जरूरी है। संभव है कि किसी सामग्री को खुद अपलोडर द्वारा हटा दिया जाए। कई बार अपलोडर अपनी किसी सामग्री की सेटिंग बदलकर उसे सिर्फ ‘प्राइवेट‘ या सिर्फ अपने मित्रों के लिए सीमित कर देते हैं। ऐसे में आपके लिए उसे निकालना मुश्किल हो सकता है। जैसे, फेसबुक ने सीरिया और म्यांमार में युद्ध अपराध संबंधी कई वीडियो, पोस्ट इत्यादि को हटा दिया। इन्हें अंतरराष्ट्रीय अभियोजन के लिए सबूत बनाया जा सकता था। इसलिए सोशल मीडिया पर आए सबूतों को जल्द से जल्द आर्काइव करके संरक्षित करना बेहद जरूरी है।

किसी सैनिक या विशेष घटना की जांच करते समय उस मामले से संबंधित सभी चीजों को आर्काइव करना जरूरी है। सैनिक की प्रोफाइल और उसके पोस्ट को तत्काल संग्रहित कर लें। सोशल मीडिया में सैनिकों की पूरी प्रोफाइल को संग्रहित करें। उनके सहकर्मी सैनिकों को खोजना भी उपयोगी है। जिन सैनिकों की प्रोफाइल निजी हैं, उनसे जुड़ी सार्वजनिक प्रोफाइल का उपयोग करके आप पहचान सत्यापित कर सकते हैं।

जरूरी सामग्री का संग्रह (आर्काइव) करने के लिए मैंने हंचली https://www.hunch.ly/ नामक टूल का उपयोग किया है। यह इसे स्वचालित रूप से करके आपका समय बचाता है। ऑनलाइन आर्काइव के लिए  Wayback Machine भी काफी उपयोगी है। मैं आमतौर पर लिंक लॉग करने के लिए गूगल स्प्रेडशीट से शुरू करती हूं। मीडिया की हाई रिजॉल्यूशन प्रतियां डाउनलोड करने के लिए एक अलग फोल्डर का उपयोग करती हूं। वास्तविक समय में ‘हंचली‘ द्वारा वेब पेजों को स्वचालित रूप से संग्रहित किया जाता है।

5. प्रत्यक्षदर्शियों से घटनाओं की पुष्टि करें

धरातल पर स्थानीय लोगों से साक्ष्यों की पुष्टि करना जरूरी है। अक्सर इस काम की अनदेखी की जाती है। सोशल मीडिया से मिली सामग्री के तथ्यों की पुष्टि स्थानीय एवं संबंधित लोगों से करना एक बेहतर तरीका है। आप सिर्फ ओपन-सोर्स रिपोर्टिंग पर निर्भर होने के बजाय एक हाइब्रिड दृष्टिकोण अपना सकते हैं, जिसमें जांच के सभी आधार शामिल हों। ऐसा करने पर प्रत्यक्षदर्शी आपको नई जानकारी दे सकते हैं। इससे आपको पुख्ता जांच के लिए अतिरिक्त विवरण मिल जाएगा।

जैसे, तुर्की समर्थित सैनिकों ने सीरिया में कुर्द महिला नेत्री हेवरिन खलाफ की हत्या कर दी थी। बीबीसी की ओर से हमने इस मामले की जांच की। हम एक ऐसे प्रत्यक्षदर्शी को खोजने में कामयाब रहे, जिसने हत्या के तत्काल बाद शव को देखा था। इसके कारण हमें कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझने में मदद मिली।

बीबीसी जांच दल को तुर्की समर्थित सैनिकों द्वारा सीरिया में कुर्द महिला नेत्री की हत्या का चश्मदीद गवाह मिला। इमेज: स्क्रीनशॉट

 

6. सैनिकों की पहचान करना

वीडियो में जो सैनिक ‘युद्ध अपराध‘ करते हुए दिख रहा हो, उसकी पहचान करना जरूरी है। चेहरे की पहचान के लिए पीम-आइज (Pimeyes) नामक उपकरण काफी उपयोगी है। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध संबंधी जांच के लिए फाइन्ड-क्लोन (FindClone) नामक उपकरण का उपयोग करना बेहतर होगा। बीबीसी के लिए जांच (BBC investigation) के दौरान लीबिया में भाड़े के उग्र सैनिकों की पहचान करने में इससे काफी मदद मिली।

7. दूर से गतिविधियों पर नजर रखना

मेरीन ट्रैफिक ( Marine Traffic) फ्लाइट-राडार-24 (Flightradar24) और एडीएसबी एक्सचेंज (ADSB Exchange) जैसे ट्रैकिंग टूल का उपयोग करके सैन्य गतिविधियों को दूर से ट्रैक किया जा सकता है। इससे युद्ध अपराधों का पता लगाने में मदद मिल सकती है। जैसे, कोई सैन्य अधिकारी यह झूठा दावा कर सकता है कि उसके जेट ने किसी विशिष्ट लक्ष्य पर बमबारी नहीं की है। आप उसके ट्रांसपोंडर डेटा के आधार पर उस हमले का समय और उसके सटीक स्थान को दिखाकर उस दावे का खंडन कर सकते हैं। हालांकि अपराध करते समय इसका सबूत मिटाने के लिए पायलट अपने ट्रांसपोंडर को बंद कर सकता है।

8. किस सैन्य इकाई ने युद्ध अपराध किया, पता लगाएं

युद्ध के दौरान एक देश की किसी खास सैन्य इकाई का अलग व्यवहार हो सकता है। संभव है कि उस इकाई को कुछ खास काम दिए गए हों या कुछ विशेष छूट मिली हो। इनका पता लगाने से आप बेहतर रिपोर्टिंग कर सकते हैं। युद्ध नियमों के उल्लंघन की जांच करते समय जहां अपराधी कैमरे पर दिखाई दे रहे हैं, वहां दो अन्य प्रमुख तत्वों पर ध्यान देना चाहिए- प्रतीक चिन्ह और हथियार। पैच, अन्य समान प्रतीक चिन्ह, और वाहन चिह्न जैसी चीजों से किसी विशिष्ट सैन्य इकाई के भीतर व्यवहार का एक पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है। इससे कमांड की श्रृंखला में युद्ध अपराधों का दोष स्थापित करने में मदद मिल सकती है। यदि किसी इकाई के सैनिक हिंसा के पोस्ट अधिक कर रहे हैं, तो यह दण्ड से मुक्ति की एक विशेष स्थिति का संकेत है। सैन्य प्रतीक चिन्ह पर विकी का यह पेज बहुत उपयोगी है।

लीबिया के युद्ध अपराधों में अल सैका ब्रिगेड द्वारा हिंसा के कई वीडियो सामने आए। लीबिया की राष्ट्रीय सेना का एक विशेष बल यह अल सैका ब्रिगेड है। इसका नेतृत्व महमूद अल-वेरफल्ली (ब्रिगेड में एक कमांडर) करता है। वह हत्या के युद्ध अपराधों के 33 मामलों और असैनिकों की हत्या का आदेश देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा वांछित था। उसका वारंट सार्वजनिक होने के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। इससे मुझे यह संकेत मिला कि उसे दण्ड से मुक्ति प्राप्त है। लिहाजा मुझे उसकी इकाई के अपराधों की जांच करने की प्रेरणा मिली।

9. हथियारों का विश्लेषण करें

हथियारों के उपयोग पर भी ध्यान देना चाहिए। किन लोगों के द्वारा कौन से हथियारों का उपयोग किस जगह किया जा रहा है, यह पता लगाना भी आपकी रिपोर्टिंग के लिए जरूरी है। एक संयुक्त राष्ट्र संधि के माध्यम से कुछ युद्ध सामग्री को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित किया गया है। जैसे क्लस्टर युद्ध सामग्री। यह छोटे हथियारों से बनी होती है, जो हवा में गिराए जाने पर फट जाती है और आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाती है। ऐसी प्रतिबंधित क्लस्टर युद्ध सामग्री का उपयोग सीरिया में किया गया। अब यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा भी बीएम -21 ग्रैड रॉकेट का उपयोग हुआ जो प्रतिबंधित युद्ध सामग्री है। हथियारों की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए उपयोगी कुछ हथियार डेटाबेस इस प्रकार हैं- जेन्स डेटाबेस, जिनेवा विश्वविद्यालय का छोटे हथियार डेटाबेस, SIPRI और शस्त्र व्यापार संधि

किसी विशेष हथियार के उपयोग से पता चलता है कि हथियारों पर प्रतिबंध का अनुपालन नहीं किया गया। इससे युद्ध अपराध का संकेत मिलता है। लीबिया में बीबीसी की जांच के अनुसार 26 निहत्थे कैडेटों को मारने के लिए संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संचालित एक चीनी ड्रोन का उपयोग हुआ। एक देश के साथ युद्ध में किसी अन्य सहयोगी देश का शामिल होना संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंध नियमों का उल्लंघन है।

10. यौन हिंसा

युद्ध के समय सैनिकों द्वारा यौन हिंसा, बलात्कार इत्यादि भी युद्ध अपराध है। इसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। युद्ध के समय यौन हिंसा को सही तरीके से परिभाषित नहीं किया गया है। लेकिन यह सबसे आम युद्ध अपराधों में से एक है। इसके कई ताजा उदाहरण हैं। टाइग्रे युद्ध में इथियोपियाई राष्ट्रीय रक्षा बल के सैनिकों द्वारा युद्ध के हथियार के रूप में बलात्कार का उपयोग किया गया। रोहिंग्या नरसंहार के दौरान भी बर्मी सैनिकों द्वारा रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं का बलात्कार ऐसा ही युद्ध अपराध था।

डार्ट सेंटर यूरोप की यह मार्गदर्शिका युद्ध के दौरान यौन हिंसा पर रिपोर्टिंग के लिए बेहद उपयोगी संसाधन है। इसमें युद्ध के समय में काम करने के तरीके बताए गए हैं। इसमें खुद की देखभाल के लिए भी जानकारी दी गई है। पीड़ितों का सही तरीके से साक्षात्कार लेने और प्रस्तुति के तरीके भी बताए गए हैं। इसमें दूरस्थ रिपोर्टिंग और ऑन-द-ग्राउंड फिक्सर्स या स्रोतों के साथ संपर्क करने के बारे में सलाह भी दी गई है।

11. स्कूल-अस्पताल और नागरिक ठिकानों पर हमलों की सूची बनाएं

युद्ध के समय स्कूल-अस्पतालों और नागरिकों को विशेष सुरक्षा मिली होती है। किसी भी हमले का लक्ष्य नागरिकों को नहीं बनाना चाहिए। ओपन-सोर्स फुटेज का जियो-लोकेशन यह निर्धारित करने के लिए एक उपयोगी उपकरण है। गूगल अर्थ (Google Earth), यान्डेक्स मैप (Yandex Maps) सेंटिनल हब (Sentinel Hub),  इकोसेक (Echosec), और विकिमेपिया जैसे जियो-लोकेशन उपकरण के जरिए स्थानों का सत्यापन कर सकते हैं। सनकेल (Suncalc) किसी हमले का समय बताने के लिए एक उपयोगी उपकरण है, जब छाया दिखाई दे रही हो। ऐसी जांच के लिए कोर्डिनेट पाॅइंट पाने के लिए लाइवयूएमैप (Liveuamap) एक अच्छा उपकरण है। गूगल अर्थ का उपयोग करके उपग्रह इमेजरी प्राप्त कर सकते हैं। बेलिंगकैट (Bellingcat) में कुछ सहायक गाइड और जियो-लोकेशन के उत्कृष्ट उदाहरण मिल जाएंगे।

लाइवयूएमैप युद्ध अपराधों की जांच में एक उपयोगी जियो-लोकेशन टूल हो सकता है। इमेज: स्क्रीनशॉट

ऐसी रिपोर्टिंग का एक उदाहरण देखें। लीबिया में प्रवासी डिटेंशन सेंटर पर बमबारी की गई थी। सोशल मीडिया और जियो-लोकेशन के ग्राउंड फुटेज से पता चला है कि डिटेंशन सेंटर एक हथियार डिपो के बगल में स्थित था। उस पर दो महीने पहले बमबारी की गई थी। इसकी पुष्टि न्यूयॉर्क टाइम्स  ने की थी। बाद में मैंने बीबीसी अरबी के लिए अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह बमबारी एक विदेशी जेट द्वारा की गई थी। जबकि लीबिया पर संयुक्त राष्ट्र ने हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा था। इसका उल्लंघन करते हुए यह युद्ध अपराध किया गया।

12. हमले के समय पर ध्यान दें

जैसा कि पहले बताया गया है, युद्ध के दौरान चिकित्साकर्मियों और अस्पतालों को अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा संरक्षित किया जाता है। इसलिए इन्हें हमले का निशाना बनाना एक युद्ध अपराध है। ‘डबल टैप‘ हमले में एक प्रारंभिक बमबारी के बाद घायलों की मदद करने वाले बचाव दल पर दूसरा हमला किया जाता है। इसलिए विभिन्न हमलों की टाइमिंग पर भी ध्यान देकर उसमें किसी युद्ध अपराध की संभावना की जांच करें। रूस द्वारा सीरिया में ‘डबल टैप‘ हवाई हमले का आरोप लगा है। वर्ष 2019 में इदलिब में एक नागरिक बाजार पर हमले की मैंने बीबीसी के लिए जांच की थी।

एक और महत्वपूर्ण व्यवहार यह देखना चाहिए कि कोई हमलावर सेना अपनी प्रतिद्वंद्वी सेना को स्पष्ट आत्मसमर्पण के बावजूद सुरक्षित निकलने का कोई रास्ता नहीं देती है।

13. संचार के साधनों पर नजर रखें

अधिकांश मामलों में हमलावर सैनिक अपने युद्ध अपराधों का खुद ही दस्तावेजीकरण करते हैं। वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। ऐसा होने के कारण कुछ मामलों में वे अपने आचरण और अपराधों के बारे में विभिन्न संचार माध्यमों में जानकारी छोड़ देते हैं। आप इन पर नजर रखकर उपयोग करें।

लीबिया में गनफौडा नरसंहार के दौरान शवों को अपवित्र करने के सबूतों को हमने इकट्ठा किया था। उस दौरान हमारी टीम वैसे सैनिकों तक पहुंची जिन्होंने यह युद्ध अपराध किया था। उनमें से एक सैनिक अपनी बहादुरी की डींग मार रहा था।

14. सूचनाओं की सुरक्षा का ध्यान रखें

किसी सैनिक पर आप युद्ध अपराध का आरोप लगा रहे हैं, तो सारे सबूतों का सुरक्षित रूप से बैकअप लेना सुनिश्चित करें। यह भी जरूरी है कि जाँच और संचार के लिए उपयोग किए गए उपकरण सुरक्षित हैं। डिजिटल सुरक्षा पर कई ऑनलाइन संसाधन हैं। लेकिन प्रमुख बुनियादी बातों में पासवर्ड प्रबंधन, दो-कारक प्रमाणीकरण, आभासी निजी नेटवर्क और सोशल मीडिया जांच करने के लिए डमी प्रोफाइल का उपयोग करना शामिल है। जीआईजेएन में इसके लिए बेहतर प्रणालियों  की एक सूची दी गई है।

15. मानसिक आघात पर सचेत रहें

मानसिक आघात संबंधी जागरुकता को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। लेकिन यह युद्ध अपराधों की जांच करने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अक्सर अत्यधिक ग्राफिक इमेजरी के सपंर्क में आने के कारण पत्रकार पर मानसिक आघात संभव है। इससे बचने की सर्वोत्तम प्रथाओं में नियमित ब्रेक और छुट्टी लेना, सहकर्मियों के साथ इस काम के प्रभाव के बारे में खुलकर चर्चा करना और हिंसा के वीडियो की जांच करते समय ऑडियो बंद करना शामिल है। जिन समाचार संगठनों के कर्मचारी ऐसे हिंसा संबंधी विषयों पर काम कर रहे हैं, उनके लिए डार्ट सेंटर ने एक विस्तृत, चरण-दर-चरण प्रक्रिया विकसित की है। इसे तनाव और मानसिक पीड़ा को कम करने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है।

युद्ध अपराध की रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकारों को मानसिक आघात का जोखिम बहुत अधिक है। पीएचडी के लिए अपने शोध के दौरान मैंने 30 ओपन-सोर्स विशेषज्ञों के साथ साक्षात्कार किया। पाया कि 90 फीसदी जांचकर्ताओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ा। जैसे: दुःस्वप्न, अनिद्रा, अवसाद, चिंता इत्यादि। पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, आत्महत्या के विचार और सामाजिक अलगाव जैसे गंभीर मुद्दे सामने आए। ऐसी जांच के प्रबंधकों को उन जांचकर्ताओं की मदद करनी चाहिए जिन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता है। कर्मचारियों को लचीलापन के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए। फ्रीलांसरों को भी मानसिक स्वास्थ्य सहायता देनी चाहिए। शोध से पता चला है कि ऐसी जांच करने वाले पत्रकार आमतौर पर ग्राफिक इमेज के लिए बहुत अधिक सहनशीलता रखते हैं। वह स्वाभाविक रूप से लचीला होते हैं। इसलिए उन्हें अपना काम करने के लिए केवल एक सहायक वातावरण की आवश्यकता है।

अतिरिक्त संसाधन

How to Use Data Journalism to Cover War and Conflict

Four Quick Ways to Verify Images on a Smartphone                                               

How Open Source Experts Identified the US Capitol Rioters


Manisha Ganguly profile picमनीषा गांगुली एक खोजी पत्रकार और वृत्तचित्र निर्माता हैं। वे बीबीसी वर्ल्ड  सर्विस की  खोजी रिपोर्टिंग टीम में डिजिटल वृत्तचित्र निर्माता हैं। उन्हें फ़ोर्ब्ज़ अंडर 30 मीडिया सम्मान मिला है। उनके वृत्तचित्रों ने अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं और उनका दुनिया भर में 300 मिलियन से अधिक लोगों के बीच प्रसारण हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *