जलवायु परिवर्तन: मीथेन उत्सर्जन की रिपोर्टिंग पर जीआईजेएन की गाइड

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चित्र: मार्सेले लूव (जीआईजेएन के लिए)

मीथेन जलवायु प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण है। इसके स्रोतों के बारे में रिपोर्टिंग काफी जरूरी होती जा रही है। जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, मीथेन उत्सर्जन को कम करना जलवायु परिवर्तन से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है। कार्बन डाइऑक्साइड के बाद दूसरी सर्वाधिक ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करने वाली गैस मीथेन का उत्सर्जन तेजी से बढ़ रहा है और लगातार नई ऊंचाइयां छूता जा रहा है।

मीथेन को कवर करने के लिए जीआईजेएन की पूरी मार्गदर्शिका का यह सारांश खोजी पत्रकारों को मीथेन उत्सर्जन के विशिष्ट स्रोतों की पहचान करने और कंपनियों तथा देशों की जवाबदेही तय करने में मदद के लिए तैयार किया गया है। इसका ब्योरा इस प्रकार हैं:

प्रस्तुत है, हमारे सुझावों और इन्वेस्टिगेटिव टूल्स का संक्षिप्त विवरण :

डेटा पर सवाल

चित्र: मार्सेले लूव (जीआईजेएन के लिए)

वैज्ञानिकों के बीच इस बात को लेकर व्यापक सहमति है कि मीथेन उत्सर्जन को हमेशा या तो कम करके नापा जाता है या सिरे से उसकी अनदेखी कर दी जाती है। यही वजह है कि इसकी माप खुद में रिपोर्टिंग के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बन जाती है।

मीथेन उत्सर्जन को लेकर सूचना के प्राथमिक स्रोत कई हैं। पेरिस स्थित इंटरगवर्नमेंटल संगठन अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) संसार के समग्र मीथेन उत्सर्जन पर नजर रखती है और इससे जुड़ी जानकारी प्रकाशित करती है। हाल में इसमें मीथेन ट्रैकर 2022 प्रकाशित किया है। अलग-अलग देशों के आंकड़े IEA के मीथेन ट्रैकर डेटाबेस में मौजूद रहते हैं, जहां से उत्सर्जन और इसमें “कमी आने की क्षमता” संबंधी आकलन की सूचना प्राप्त की जा सकती है।

कुछ स्टोरी आइडिया:

  • आपके देश में किस-किस तरह का उत्सर्जन कितना-कितना होता है?
  • इनके होने की जगहें कौन सी हैं?
  • क्या इन जगहों से होने वाले उत्सर्जनों का माप सही है?

यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के निर्देशानुसार, विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा अपने-अपने मीथेन उत्सर्जन का डेटा ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन’ में दर्ज कराया जाता है।

विकसित देश अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बारे में नेशनल इनवेंट्री रिपोर्ट (एनआईआर) नामक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। (यूएनएफसीसीसी साइट पर देखें, नेशनल इनवेंट्री सबमिशन 2021) । विकासशील देश अपना उत्सर्जन डेटा  अपनी द्विवार्षिक अपडेट रिपोर्ट (बीयूआर) के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

मीथेन उत्सर्जन माप की एक बड़ी कमजोरी है। हर देश अपने उत्सर्जन का हिसाब लगाने के लिए अलग-अलग तरीके आजमाता है। ऐसा करने के लिए वह पूरी तरह स्वतंत्र है। नतीजा यह कि सारा डेटा ही संदिग्ध होता है।

सरकारों द्वारा जुटाए गए मीथेन उत्सर्जन डेटा के साथ एक और बुनियादी समस्या यह है कि यह वास्तविक माप पर नहीं बल्कि अनुमानों और समीकरणों पर आधारित है। कुछ देश इस बारे में कानून बना रहे हैं।

मीथेन उत्सर्जन की जांच

चित्र: मार्सेले लूव (जीआईजेएन के लिए)

मीथेन उत्सर्जन के स्रोतों का- खासकर प्राकृतिक गैस और तेल उत्पादन से जुड़े औद्योगिक घरानों का भंडाफोड़ किया जा सकता है।

मीथेन की जांच के लिए इन्फ्रारेड कैमरों और उपग्रहों की जरूरत पड़ती है। मतलब यह कि इस काम में विशेषज्ञों का सहयोग लेना जरूरी है।

जीआईजेएन ने पर्यावरण पर काम करने वाले दो ऐसे समूहों की पहचान की है जिनके पास इन्फ्रारेड कैमरे हैं और जिनकी यह इच्छा भी है कि वे संभावित मीथेन उत्सर्जकों की जमीनी जांच के लिए रिपोर्टरों के साथ मिलकर काम करें।

कुछ स्टोरी आइडिया:

  • ऐसे समूहों या वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करें, जिनके पास मीथेन लीक का पता लगा सकने वाले इन्फ्रारेड कैमरे हों।
  • अधिक से अधिक स्रोतों के जरिये सैटेलाइट इमेजरी हासिल करने की ताक में रहें।

स्वच्छ वायु कार्य बल (सीएटीएफ) ने पूरे यूरोप में तेल और गैस से जुड़े संस्थानों से होने वाले उत्सर्जन का डॉक्युमेंटेशन किया है और अपने इस काम का विस्तार अन्य क्षेत्रों में भी करना चाहता है। यहां परियोजना का यूट्यूब विवरण और सीएटीएफ द्वारा इंफ्रारेड (OGI) तकनीक के उपयोग पर एक व्याख्या  उपलब्ध है। जिन पत्रकारों की इच्छा सीएटीएफ के कैमरा ऑपरेटर के साथ काम करने की हो, वे रोवन एम्सली से संपर्क कर सकते हैं।

इन्फ्रारेड कैमरे से लैस और पत्रकारों के साथ सहयोग करने की इच्छा रखने वाला एक और एनजीओ है – अर्थवर्क्स । इस काम में दिलचस्पी लेने वाले पत्रकारों को जस्टिन वासर या जोश आइजनफेल्ड से संपर्क करना चाहिए।

उपग्रह छवियों के आधार पर उत्सर्जन की जानकारी जुटाने के कुछ कमर्शियल सोर्स भी हैं। ऐसी कई कंपनियां सीमित जानकारी मुफ्त में ही दे देती हैं। ज्यादा की जरूरत होने पर वे कुछ छूट भी दे सकती हैं।

जियोफाइनेंशियल एनालिटिक्स एक अमेरिकी कंपनी है। इसके प्रॉडक्ट्स में एक नया सॉफ्टवेयर मीथेनस्कैन डेटा लेक भी शामिल है। फिलहाल उत्तरी अमेरिका पर केंद्रित यह  सॉफ्टवेयर 100,000 से अधिक ऊर्जा उत्पादकों की मीथेन उत्सर्जन रेटिंग मुहैया कराता है। इसके डेटासेट और नक्शे गैर-लाभकारी संगठनों और कम समृद्ध पत्रकारों के लिए 50% छूट (1,000 डॉलर प्रति माह) पर उपलब्ध हैं।

डेटा एनालिटिक्स कंपनी कैरॉस बीच-बीच में प्रेस विज्ञप्ति जारी करके अपने निष्कर्षों की जानकारी देती है। कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि ब्लूमबर्ग ने कैरॉस डेटाबेस से तथ्य हासिल करने का अनुबंध कर रखा है। अन्य संस्थाओं के लिए भी यह रास्ता खुला है।

जीएचजीसैट (GHGSat) भी अपने उपग्रहों द्वारा प्राप्त मीथेन उत्सर्जन संबंधी सूचनाएं जब-तब सार्वजनिक करता है।

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसीEuropean Space Agency ) और नीदरलैंड्स इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च (SRON) भी मीथेन उत्सर्जन संबंधी निष्कर्षों की जानकारी समय समय पर देती रहती है।

ऐसी सूचनाओं के लिए पत्रकारों को जल्द ही कुछ नए स्रोत मिलने वाले हैं। इन्हें मीथेन उत्सर्जन संबंधी सूचनाएं साझा करने का निर्देश प्राप्त है। यह काम 2023 में होने की उम्मीद है।

  • कार्बन मैपर (Carbon Mapper) एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संघ (कंसॉर्शियम) है। इसका वादा है कि वह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा विकसित तकनीक और अपने खुद के मीथेन-संवेदी उपग्रहों से प्राप्त डेटा का उपयोग करेगा। ये उपग्रह 2023 में सितंबर से नवंबर के बीच लॉन्च होने वाले हैं।
  • मीथेनसैट (MethaneSAT) उपग्रह पर्यावरण रक्षा कोष (ईडीएफ) की एक सहायक कंपनी द्वारा विकसित किया जा रहा है और 2022 में सितंबर से नवंबर के बीच लॉन्च होने वाला है।
  • अंतरराष्ट्रीय मीथेन उत्सर्जन वेधशाला (International Methane Emissions Observatory (IMEO)) की स्थापना यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा कंपनी डेटा, उपग्रह प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक अध्ययनों का उपयोग करके उत्सर्जन पर निगरानी रखने के लिए की गई थी।
  • प्रॉजेक्ट एस्ट्रा (Project Astra) एक अमेरिकी परियोजना है जो सेंसर्स का एक ऐसा जमीनी नेटवर्क खड़ा करने की योजना बना रही है जो “तेल और गैस उत्पादन के एक पूरे क्षेत्र में मीथेन उत्सर्जन की निगरानी करेगा।”
  • विश्व बैंक द्वारा स्थापित ग्लोबल गैस फ़्लेयरिंग रिडक्शन पार्टनरशिप (GGFR) (World Bank’s Global Gas Flaring Reduction Partnership) की 2021 की रिपोर्ट (2021 report) के अनुसार, ग्लोबल गैस फ़्लेयरिंग एक्सप्लोरर “एक नया और बेहतर वेब-आधारित एप्लिकेशन है जो दुनिया भर में बिना उपयोग के जला दी जाने वाली गैस के आंकड़ों की मैपिंग करेगा और 2022 में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगा।”

उत्सर्जन के बारे में जानकारी के लिए तस्वीरें एकमात्र संभावित स्रोत नहीं हैं। इसके लिए कुछ दूसरे उपाय ये रहे:

  • रेगुलेटरों द्वारा दबाकर रखे गए सरकारी दस्तावेजों की टोह लें ।
  • इस क्षेत्र में काम कर रहे स्थानीय वैज्ञानिकों और गैर-सरकारी संगठनों से दोस्ती बनाएँ। काफी सारा शोध इस बारे में पहले से चल रहा है।
  • तेल और गैस से जुड़े कल-कारखानों और अन्य संभावित उत्सर्जन स्थलों पर कार्यरत कामगारों से बात करें।

जिस भी जगह उत्सर्जन हो रहा है, वहां संबंधित अधिकारियों से उनकी टिप्पणी लेना पत्रकारीय कामकाज की सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन उनके जवाब कई बार समझ से परे और धमकाने वाले हो सकते हैं।

जिम्मेदार लोग ऐसा कह सकते हैं कि उत्सर्जन कानूनी है, या कामकाज की सामान्य प्रक्रिया में ऐसा होता ही है। उनके ये बयान सही भी हो सकते हैं और इन्हें सत्यापित करना कठिन हो सकता है। ऐसे में बेहतर यही होगा कि इस काम में सरकारी नियामकों और स्थानीय तथा राष्ट्रीय, दोनों स्तर के जानकार गैर-सरकारी संगठनों की मदद ली जाए। सूचना के अन्य संभावित स्रोत संबंधित कंपनी के आस-पास रहने वाले लोग, उद्योग विशेषज्ञ, और कंपनी के मौजूदा या पूर्व कर्मचारी हो सकते हैं।

कॉर्पोरेट उत्सर्जन की जांच – और अधूरे वादे

चित्र: मार्सेले लूव (जीआईजेएन के लिए)

कई कंपनियां अपने मीथेन उत्सर्जन के बारे में पारदर्शी नहीं हैं, लेकिन उन पर ज्यादा जानकारियां सार्वजनिक करने और उत्सर्जन घटाने का दबाव बढ़ रहा है। उनसे बढ़ रही अपेक्षाएं पत्रकारों में- जिनमें बिजनेस जर्नलिस्ट भी शामिल हैं- ऐसी प्रेरणा जगाने के लिए काफी होनी चाहिए कि वे उनसे और ज्यादा सवाल पूछें।

लगभग एक तिहाई मीथेन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार तेल और गैस उद्योग इस मामले में ध्यान केंद्रित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। सभी नहीं, लेकिन कई कंपनियां अपने उत्सर्जन की रिपोर्ट भी जारी करती हैं, लेकिन यह काम वे जिस तरह करती हैं, उसमें घपले की गुंजाइश बनी रहती है।

कुछ स्टोरी आइडिया:

  • प्रमुख उद्योगों पर ध्यान दें।
  • उनसे उत्सर्जन के ज्ञात या अनुमानित स्तरों के बारे में पूछें।
  • ठोस उत्सर्जन लक्ष्यों और शमन संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी मांगें।

मीथेन माप की जटिलता ऐसी हर जांच के खिलाफ ढाल का काम करती है, लेकिन यह ढाल अभेद्य भी नहीं होती। इसे भेदने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि जलवायु परिवर्तन संबंधी अकादमिक और गैर-सरकारी संगठनों के विशेषज्ञों से सलाह ली जाए और यदि संभव हो तो कॉर्पोरेट निगरानीकर्ताओं और निवेशकों से बातचीत की जाए। कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगना तो इसका जरूरी पक्ष है ही।

मीथेन के बारे में कॉर्पोरेट खुलासे प्रायः मौजूद ही नहीं होते, लेकिन जहां वे होते हैं, वहां उन्हें आमतौर पर कंपनी की वेबसाइटों पर “सस्टेनेबिलिटी” रिपोर्ट में देखा जा सकता है। कुछ कॉर्पोरेट खुलासे एक एकीकृत प्रारूप में गैर-लाभकारी संगठन सीडीपी (CDP) की साइट पर भी उपलब्ध हैं।

उत्सर्जन का एक स्रोत कचरे के रूप में निकलने वाली ज्वलनशील गैसों का जलाया जाना है। विश्व बैंक ने अपनी ज़ीरो रूटीन फ़्लेयरिंग (ZRF)  पहल के तहत सरकारों और तेल कंपनियों को सूचीबद्ध कर रखा है, ताकि बिना उपयोग के जलाई गई गैस संबंधी जानकारियां सार्वजनिक करना उनके लिए जरूरी बनाया जा सके। देशों और निगमों द्वारा खुद से जारी किया गया यह फ्लेयरिंग डेटा ZRF वेबसाइट  पर प्रकाशित होता है।

तेल और गैस क्षेत्र में उत्सर्जन से जुड़ी जानकारियों को लेकर बेहतर कॉर्पोरेट रिपोर्टिंग की व्यवस्था बनाने के लिए कई तरह के प्रयास चल रहे हैं।

ऑयल एंड गैस मीथेन पार्टनरशिप (ओजीएमपी) 74 बड़े निगमों को साथ लेकर की गई एक पहल है, और यह दुनिया के कुल तेल और गैस उत्पादन के 30% हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। विभिन्न संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और ईडीएफ इसमें शामिल हैं। इससे निकले डेटा पर पहली रिपोर्ट नवंबर 2021 में जारी की गई थी।

ऑयल एंड गैस क्लाइमेट इनिशिएटिव (OGCI) इस उद्योग की तरफ से की गई एक पहल है जिसके तहत एक रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। कुछ तेल और गैस कंपनियों के एक संघ ने मीथेन मार्गदर्शक सिद्धांत बनाए, जिसमें सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीकों की जानकारी दी गई है।

बात जब कॉर्पोरेट मीथेन उत्सर्जन पर रिपोर्टिंग की आती है, तो इन सवालों से शुरुआत करना अच्छा रहता है:

  • आपके यहाँ मीथेन उत्सर्जन स्तर क्या रहते हैं?
  • ये ऊपर जा रहे हैं या नीचे आ रहे हैं? जो भी बदलाव इनमें आया है, वह कितना है?
  • ये आंकड़े आपके यहां कैसे हासिल किए जाते हैं?

ऐसी सत्यापन व्यवस्थाएं भी मौजूद हैं, जिन्हें यह प्रमाणित करने के लिए ही तैयार किया गया है कि किसी कॉर्पोरेट का व्यवहार संचालन संबंधी मानकों पर खरा उतरता है या नहीं। कंपनियों के लिए एक वाजिब सवाल यह है कि क्या वे इस तरह के सत्यापन प्रयासों में शामिल होंगी। इसके अलावा, मीथेन विनियमन के संबंध में सरकार द्वारा प्रस्तावित नीतियों के बारे में कंपनियों की राय पूछने से भी कुछ बातें सामने आ सकती है।

मीथेन उत्सर्जन घटाने का वादा करने वाले निगमों की संख्या में इधर उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालाँकि, उनकी प्रतिबद्धताओं के ब्यौरे शायद उतने स्पष्ट न हों, और समस्या को देखते हुए उनके संकल्प पर्याप्त हैं या नहीं, यह काफी बहस का विषय है।

उनके वादों के विशिष्ट पहलुओं और प्रतिबद्धताओं की कार्यप्रणाली से जुड़ी सूचनाओं की तलाश करें। इस संबंध में कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

  • घोषित कटौती लक्ष्य प्रायः लंबी अवधि के लिए होते हैं, जैसे 10 या 20 साल के लिए। ऐसे में उनसे अल्पकालिक और मध्यवर्ती लक्ष्यों के बारे में पूछें।
  • इस तरह की खोजबीन में जुटें कि हकीकत में योजना कैसे लागू की जाएगी। जब-तब इसका कहीं जिक्र भी मौजूद नहीं होता।
  • उत्सर्जन में कटौती हासिल करने के तरीकों की तह में जाएं।

सबसे बड़े मीथेन उत्सर्जक को प्रारंभिक लक्ष्य के रूप में चुनने की बात समझ में आती है। राष्ट्रीय स्वामित्व वाली बड़ी पेट्रोलियम कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करने पर सबसे ज्यादा मसाला हाथ लगने की उम्मीद की जा सकती है।

लेकिन मीथेन उत्सर्जन सिर्फ जमीन से गैस निकालने वाली जगहों पर नहीं होता है। धीरे-धीरे सबका ध्यान पूरी आपूर्ति श्रृंखला में होने वाले उत्सर्जन की ओर जा रहा है। मीथेन उत्सर्जन कृषि, विमानन, समुद्री नौवहन और अन्य क्षेत्रों में भी होता है।

चित्र: मार्सेले लूव (जीआईजेएन के लिए)

कृषि उत्पादन खास तौर पर मीथेन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, उसमें भी चावल का उत्पादन (धान के खेतों में खड़े पानी में बैक्टीरिया द्वारा उत्सर्जित गैस) और पशुपालन। अभी न केवल किसान, बल्कि खेती से पैदा होने वाले कच्चे माल का उपयोग करने वाली कंपनियां भी यह सवाल उठा रही हैं कि इस समस्या का भला क्या समाधान संभव है।

मीथेन पर रिपोर्टिंग के लिए ऐसी समस्याओं के समाधान से जुड़े नवीनतम शोधों की जानकारी रखना आपके काम का एक जरूरी पहलू है। नए विचारों का व्यवहार में तेजी से परीक्षण किया जा रहा है। विज्ञान के साथ कदम मिलाकर चलने से सामयिक प्रश्न पूछना आपके लिए संभव हो सकेगा।

मीथेन उत्सर्जन के लिए देशों को जिम्मेदार ठहराना

नवंबर 2021 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (COP26) से पहले, कई देशों ने अपने मीथेन उत्सर्जन को कम करने का वादा किया था।

कुछ स्टोरी आइडिया:

  • राष्ट्रीय उत्सर्जन में कमी के स्तर कैसे चुने गए और क्यों?
  • लक्ष्यों को कैसे पूरा किया जाएगा, और इन्हें सत्यापित कैसे किया जाएगा?

अलग-अलग राष्ट्रीय सरकारों द्वारा प्रस्तुत समान उत्सर्जन प्रतिबद्धताओं की जानकारी संयुक्त राष्ट्र की ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (एनडीसी) (NDCs) रिपोर्ट में पाई जा सकती है। जानकारी देने वाले सभी देशों के एनडीसी संयुक्त राष्ट्र की एनडीसी रजिस्ट्री (NDC Registry) पर प्रकाशित होते हैं। यूएनएफसीसीसी बीच-बीच में एनडीसी संश्लेषण रिपोर्ट भी तैयार करता है। (अक्टूबर 2021 का संस्करण यहां देखें।)

कुछ देश इन रिपोर्टों में राष्ट्रीय उत्सर्जन डेटा का खुलासा करते हैं।

ग्लोबल मीथेन संकल्प के लिए 111 हस्ताक्षरकर्ता देशों ने 2020 के स्तर से 2030 तक 30% की कमी के वैश्विक लक्ष्य पर सहमति व्यक्त की है। हालांकि, इस संकल्प पर हस्ताक्षर करने वाले अलग-अलग देशों को कोई विशिष्ट लक्ष्य अपनाने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है।

योजनाओं की आलोचना के लिए स्थानीय/क्षेत्रीय पर्यावरण समूह, वैज्ञानिक, व्यापारिक समुदाय और राजनेता सबसे अच्छा स्रोत साबित होंगे।

उत्सर्जन का मापन एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु है। इसे समझने की प्रक्रिया में रिपोर्टर उत्सर्जन का अनुमान लगाने के लिए उपयोग में लाई गई कार्यप्रणाली की जांच कर सकते हैं।

राष्ट्र से नीचे की इकाइयां- जैसे प्रांत और शहर भी उत्सर्जन को शून्य पर लाने का संकल्प ले रहे हैं।

पूर्व रिपोर्टर राफेल लोरेंटे ने कहा- “मीथेन गैस उत्सर्जन एक बड़ी समस्या है, इस बात को लेकर तो कोई सवाल ही नहीं है। हमारे ग्रह पर जलवायु परिवर्तन की रफ्तार को निर्णायक क्षण में यह अचानक बढ़ा सकती है।” राफेल लोरेंटे वर्तमान में मैरीलैंड विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के ग्रेजुएट स्कूल के निदेशक हैं। उन्होंने कहा कि “पत्रकारों के सामने यह चुनौती है कि उस कहानी को ताकतवर तरीके से कैसे सुनाया जाए।”

अतिरिक्त संसाधन

Climate Change: GIJN’s Guide to Investigating Methane (full guide)

New Data Tools and Tips for Investigating Climate Change

Investigating Environmental Crimes and Climate Change


टोबी मैकिन्टोश जीआईजेएन के रिसोर्स सेंटर के वरिष्ठ सलाहकार हैं। 39 साल तक वे  वाशिंगटन में ब्लूमबर्ग बीएनए के साथ जुड़े रहे। वह FreedomInfo.org के पूर्व संपादक हैं, जहां दुनिया भर में अपनाई गई एफओआई (सूचना का अधिकार) नीतियों के बारे में वे लिखते रहे हैं। अभी सूचना का अधिकार के पक्षधर लोगों के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क, एफओआईएनेट की संचालन समिति को वह अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

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