जीआईजेएन टूलबॉक्स: अवैध धन पर खोजी रिपोर्टिंग के तीन नए उपकरण

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वित्तीय अपराधों की जांच करने वाले पत्रकारों को सूचनाओं का खजाना मिल सकता है। ऐसे अपराध करने और अपतटीय खाते रखने वालों की जानकारी देने वाले कई वेबसाइट और डेटाबेस उपलब्ध हैं। इमेज: शटरस्टॉक

जीआईजेएन टूलबॉक्स में आपका स्वागत है। इसमें हम खोजी पत्रकारों के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध नवीनतम उपकरणों (टूल) और तकनीकों की जानकारी देते हैं। इस आलेख में आपको तीन बिल्कुल नए टूल के बारे में बताएंगे। वित्तीय गोपनीयता तथा भ्रष्टाचार या अपराध के जरिए लाभ कमाने जैसे मामलों की खोजी रिपोर्टिंग में ऐसे टूल काफी उपयोगी हैं।

वित्तीय गोपनीयता की जांच के लिए कई प्रमुख संसाधन हैं। जैसे– एएमएल राइटसोर्स द्वारा संकलित ‘मनी लॉन्ड्रिंग इन्वेस्टिगेशन डैशबोर्ड‘  ‘ओपन कॉरपोरेट‘ डेटाबेस, ‘द पंजीवा इम्पोर्ट/एक्सपोर्ट डेटाबेस‘ और एलेफ, ओसीसीआरपी द्वारा निर्मित वैश्विक फॉलो-द-मनी डेटा संग्रह।

लेकिन खास तौर पर वित्तीय भ्रष्टाचार की जांच करने वाले उपकरण आपको विशेष समस्याओं का हल करने का अवसर देंगे। अन्य स्रोतों से आपने जो सूचनाएं एकत्रित की हैं, उनमें मौजूद किसी पहेली को सुलझाने में इन तीन नए उपकरणों से मदद मिलेगी। ऐसी खोजी रिपोर्टिंग के दौरान आपको ‘डिजिटल सुरक्षा‘  का पूरा ध्यान रखना जरूरी है। अवैध धन वाले शक्तिशाली लोग अपनी गोपनीयता बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

OpenSanctions

आप किसी बड़े व्यवसायी द्वारा टैक्स चोरी मामले की जांच कर रहे हैं। क्या आप सोच सकते हैं कि उस व्यवसायी का संबंध किसी विदेशी तानाशाह या आतंकवादी संगठन के साथ भी है? आपके राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से मिलने कोई उद्योग लॉबिस्ट जाता है। क्या उस लॉबिस्ट पर कोई आर्थिक या यात्रा प्रतिबंध लगा है? क्या आपके राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से उसकी मुलाकात में हितों के टकराव का कोई मामला जुड़ा है?

ओपेन सेन्क्शन्स एक नया ओपनसोर्स डेटाबेस है। यह पत्रकारों को दुनिया भर के ऐसे संभावित व्यक्तियों की त्वरित जानकारी दे सकता है, जिनका कोई गलत इतिहास हो। इसमें आप ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट‘ के रूप में जिस तरह के लोगों की तलाश कर रहे हों, उनकी सूची खोज सकते हैं। इसमें ऐसे लोगों के नाम मिन जाएंगे, जो आम जनता को किसी रूप में प्रभावित करते हैं। इनमें आपको बड़े राजनेता और उनसे जुड़े लोगों के नाम भी मिल सकते हैं। ऐसी जानकारी के बाद पत्रकारों को नई खोजी खबरों के लिए काफी सामग्री मिल सकती है। इसके आधार पर आपकी जांच का दायरा व्यापक हो सकता है। इसके जरिए आप ऐसे लोगों पर लगाए गए मौजूदा प्रतिबंधों की जानकारी ले सकते हैं। इसके जरिए आप संभावित हितों के टकराव और प्रतिबंधित लोगों की जांच कर सकते हैं। बड़े डेटाबेस और शेयरधारकों, पैरवी करने वालों, या सरकारी ठेकेदारों की सूचियों को क्रॉस-चेक करने का यह एक अच्छा तरीका है।

ध्यान रहे, इस बेबसाइट पर सूचीबद्ध कुछ नाम ऐसे भी मिलेंगे, जिन पर कोई गलत काम करने का आरोप नहीं लगाया गया है। उनके नाम केवल राजनीतिक संबंधों के कारण दिखाई देते हैं। जैसे, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बच्चों के नाम इस सूची में दिख सकते हैं। लेकिन उन पर कोई आरोप नहीं मिलेगा। रिपोर्टिंग के दौरान इन विषयों पर सावधानी बरतना जरूरी है।

फ्रेडरिक लिंडेनबर्ग  इस परियोजना के संस्थापक हैं। पहले वह ‘ओसीसीआरपी‘ की डेटा टीम का नेतृत्व भी कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि ‘ओपेन सेन्क्शन्स‘ के लिए स्वचालित डेटा एकत्र करने के कुछ ही महीनों के भीतर लगभग 140,000 लोगों की प्रोफाइल का डेटाबेस बन गया। इनमें 24,000 प्रतिबंधित लोगों के नाम हैं। इनके अलावा, राजनीतिक प्रभाव वाले ऐसे हजारों लोगों का भी नाम है, जो सार्वजनिक धन पर नियंत्रण रखते हैं। इस परियोजना में ‘प्राथमिक‘ या प्रमुख लोगों से संबंध रखने वाले अन्य 50,000 लोगों का विवरण भी शामिल हैं।

प्रतिबंधित लोगों की ‘रेड फ्लैग‘ लिस्ट को आप विभिन्न विश्वसनीय और वाणिज्यिक प्लेटफार्मों के माध्यम से खरीद सकते हैं। जैसे- ‘लेक्सिस नेक्सिस‘ और ‘रिफाइनिटिव‘। लेकिन ‘ओपेन सेन्क्शन्स‘ एक मुफ्त सुविधा है। डेटा पत्रकारों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे उपयोगकर्ता के लिए आसान प्रारूप में बनाया गया है।

‘ओपेन सेन्क्शन्स‘ के डेटाबेस में आप किसी भी व्यक्ति के संबंध में जानकारी खोज सकते हैं। यह आपके ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट‘ के लिए सर्च इंजन के रूप में काम करता है। उदाहरण के लिए जब इसमें दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा से जुड़े एक व्यवसायी का नाम सर्च किया गया तो पता चला कि उस व्यक्ति को वर्ष 2021 में ब्रिटिश वित्तीय प्रतिबंध सूची में डाला गया है। उसके कुछ रिश्तेदारों के खिलाफ कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी पता चला।

फ्रेडरिक लिंडेनबर्ग के अनुसार विभिन्न देशों से जुड़ी सीमा पार जांच परियोजनाओं के लिए यह टूल काफी उपयोगी है। ऐसी बड़ी जांच के लिए ‘इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स‘ (आइसीआइजे) के  DataShare या ओसीसीआरपी के  Aleph जैसे टूल के डेटासेट के साथ ‘ओपेन सेन्क्शन्स‘ से मिली सूचनाओं की जांच कर सकते हैं। इसका एक उदाहरण ट्यूटोरियल इस लिंक  पर देख सकते हैं।

फ्रेडरिक लिंडेनबर्ग कहते हैं “यह एक डिटेक्शन टूल के रूप में काफी उपयोगी है। एक डॉक्टर किसी मरीज का एमआरआई स्कैन करने से पहले ‘डाई एजेंट‘ के तौर पर इंजेक्शन लगाकर समस्या वाले क्षेत्र का आसानी से पता लगा लेता है। यह टूल भी इसी तरह काम करता है। यह एक स्प्रेडशीट में ऐसे अपरिचित नामों की लिस्ट बनाता है, जिनमें खोजी पत्रकारों की दिलचस्पी हो। यह ऐसे लोग होते हैं, जिनकी सार्वजनिक धन तक पहुंच हो अथवा जो नियमों का उल्लंघन कर चुके हों। जैसे, पनामा पेपर्स में लाखों लोगों के नाम सूचीबद्ध हैं। इनमें ज्यादातर लोग सिर्फ व्यवसायी हैं, जो टैक्स भुगतान करने से बचते हैं, और यह आम तौर पर अवैध नहीं है। लेकिन ‘ओपेन सेन्क्शन्स‘ में आप ऐसे प्रभावशाली लोगों का विशाल डेटासेट खोज सकते हैं, जो जवाबदेही के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। संभव है कि इनमें ऐसे राजनेताओं के नाम हों, जिन्हें आतंकवाद या मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल पाया गया हो।“

डेटा-विश्लषण में माहिर एक पत्रकार किसी डेटा के आधार पर संदिग्ध व्यक्तियों की अपनी सूची भी बना सकता है। इसके लिए वह OpenRefine जैसे ओपन-सोर्स एप्लिकेशन का उपयोग कर सकता है। इसके बाद अपनी सूची की व्यापक जांच के लिए ‘ओपेन सेन्क्शन्स‘ की मदद ले सकता है। इसमें उसे एक ग्राफिकल स्कोरिंग सिस्टम मिलेगा। इससे पता चलेगा है कि एल्गोरिदम के आधार पर अपनी जांच के परिणाम में जिस व्यक्ति का विवरण मिला है, उसी व्यक्ति का नाम इस डेटासेट में है अथवा नहीं। इस तरह विभिन्न टूल्स का उपयोग करके पत्रकार अपनी जांच को पुख्ता कर सकता है।

फ्रेडरिक लिंडेनबर्ग कहते हैं “पिछले चार महीनों में ‘ओपेन सेन्क्शन्स‘ का विशाल डेटा भंडार बन चुका है। हम इसे पूरे मीडिया जगत के लिए एक उपयोगी संसाधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।“

GreyList Trace

दुनिया भर में डेटा की गोपनीयता और बैंकिंग डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े कानून हैं। फिशिंग के जरिए डेटा की चोरी भी साइबर क्राइम है। ऐसी बाधाओं के कारण विदेशी बैंकों में अवैध धन की कानूनी तौर पर जांच करना खोजी पत्रकारों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

यूनाइटेड किंगडम में एल्गोरिदम के आधार पर विकसित एक नया उपकरण काफी उपयोगी है। यह मुख्यतः वकीलों द्वारा तलाक और मुकदमेबाजी के मामलों में छिपे हुए धन को खोजने के लिए उपयोग किया जाता है। यह पत्रकारों को कानूनों या गोपनीयता नियमों का उल्लंघन किए बगैर किसी भ्रष्टाचार या छिपे हुए धन की जांच का अवसर देता है। यह एक सीमित सुविधा देता है, लेकिन यह काफी रोमांचक तरीका है।

‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘  नामक एक निजी फर्म ने संपत्ति पर नजर रखने में विशेषज्ञता हासिल की है। इसकी वेबसाइट के अनुसार यह गोपनीय बैंक खातों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से कमाई जैसी जानकारियां बिल्कुल नैतिक और कानूनी तरीके से हासिल करती है। इसका एल्गोरिदम किसी बैंक के डेटा नियमों का उल्लंघन नहीं करता है। यह किसी खाता में शेष बची राशि का पता लगाने की कोशिश भी नहीं करता है। यह किसी व्यक्ति द्वारा अलग-अलग बैंकों के लेनदेन प्रभागों के बीच पूर्व में किए गए संचार की जांच करके खातों के संभावित अस्तित्व का खुलासा करता है।

ग्रे-लिस्ट ट्रेस एल्गोरिदम का उपयोग करके एक ई-मेल पते से जुड़े संभावित बैंक खातों का पता लगाने के लिए एक सर्च के कुछ परिणाम। इमेज : ग्रे-लिस्ट ट्रेस

‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ के संस्थापक का नाम बॉब डफिल्ड  है। पहले वह बीबीसी के खोजी रिपोर्टर थे। उन्होंने ब्रिटिश जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कई निर्दोष लोगों को रिहा करने में मदद की। उनका दावा है कि डेटा गोपनीयता बाधाओं और नियमों के बावजूद उनकी फर्म का एल्गोरिदम कई प्रकार के गोपनीय धन का पता लगाने का एकमात्र कानूनी तरीका है। इसके डेटा पर आधारित रिपोर्ट को अदालती कार्यवाही में सबूत के रूप में स्वीकार भी किया गया है।

बॉब डफिल्ड के अनुसार इस नई प्रणाली के जरिए प्राप्त डेटा के आधार पर किसी खोजी खबर का प्रकाशन अब तक नहीं हुआ है। लेकिन इसमें चोरी किए गए सार्वजनिक धन को कहां जमा किया गया है, इसका संकेत देने की शानदार क्षमता है।

‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ सिस्टम इस तरह काम करता है:

  • जिस व्यक्ति के पास गोपनीय वित्तीय संपत्ति होने का संदेह हो, उसका ई-मेल पता आप ‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ सिस्टम को उपलब्ध करा दें।
  • ‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ सिस्टम का एल्गोरिदम उस ई-मेल पते को एक ‘कोड पैकेट‘ में बदल देगा। फिर इस ‘कोड पैकेट‘ को दुनिया के सभी 2,20,000 बैंकों और बैंक शाखाओं के ‘ई-मेल सर्वर फिल्टर‘ को भेज देगा। यानी इसे स्वयं बैंकों के पास नहीं बल्कि उनके ‘ई-मेल सर्वर फिल्टर‘ के पास भेजा जाएगा।
  • इसके बाद ‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ सिस्टम उस ‘कोड पैकेट‘ पर ‘ई-मेल फिल्टर‘ की प्रतिक्रिया-समय को मापता है। यह प्रतिक्रिया-समय इस आधार पर भिन्न होता है कि किसी बैंक का अब तक उस ई-मेल पते से कोई संचार हुआ हो या उस पते को ‘श्वेत सूचीबद्ध‘ किया गया है। इसके बाद ‘कोड पैकेट‘ स्वयं नष्ट हो जाता है।
  • एक सप्ताह के भीतर, ‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ सिस्टम का एल्गोरिदम वैसे बैंकों की एक रिपोर्ट तैयार करता है जिनके साथ उस व्यक्ति के बैंकिंग खाते का इतिहास मिलता हो।

यह अंतिम बिंदु काफी महत्वपूर्ण है। अगर आपको बैंकों से जुड़ी रिपोर्ट मिलती हो, तो इस ‘सकारात्मक‘ परिणाम को उस व्यक्ति के वित्तीय संबंधों का केवल एक मजबूत संकेत समझना उचित होगा। ‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ सिस्टम यह नहीं बता सकता कि यह बैंक खाता अब भी चल रहा है, अथवा नहीं। इसलिए, सक्रिय बैंक खातों की पुष्टि करने या उनमें मौजूद राशि का पता लगाने के लिए अन्य संसाधनों का उपयोग करके अतिरिक्त जांच करनी होगी।

बॉब डफिल्ड कहते हैं- ”‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ सिस्टम की सबसे बड़ी ताकत यह है कि इसे कानूनी रूप से डिजाइन किया गया है। इसका एल्गोरिदम बैंकिंग प्रणाली के भीतर जाकर कोई काम नहीं करता है। यह इस आधार पर एक अनुमान लगाता है कि बैंक के ई-मेल सर्वर की सुरक्षा करने वाला फिल्टर उस एल्गोरिदम के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है।”

बॉब डफिल्ड ने कहा कि पत्रकारों को केवल उन्हीं मामलों में इस सेवा का उपयोग करना चाहिए, जहां पारंपरिक रिपोर्टिंग के जरिए पहले से ही संदिग्ध गोपनीय धन को चिह्नित कर लिया गया हो, न कि केवल सामान्य खबरों  के लिए। अगर कोई पत्रकार हमारे पास आकर कहता है कि मुझे संदेह है कि फलां रॉकस्टार के पास अपतटीय खाते हैं, तो हमारा सिस्टम इसका पता लगाने के लिए नहीं है। आप पहले अपनी जांच के जरिए संदिग्ध गोपनीय धन को चिह्नित कर लें, तब उसकी बारीक जांच में हमारा सिस्टम उपयोगी होगा।

‘ग्रे-लिस्ट ट्रेस‘ बनाने वाली कंपनी द्वारा व्यावसायिक सेवा प्रदान की जाती है। किसी एक ई-मेल पते के साथ बैंकों के संचार की जांच के लिए 1,350 डॉलर का शुल्क लिया जाता है। साथ ही प्रत्येक बैंक के लिए अतिरिक्त 1,350 डॉलर का शुल्क है, जो तीन बैंकों तक पर लागू होता है। यह कंपनी ‘जवाबदेही पत्रकारिता‘ की मदद करती है। ऐसे कुछ मामलों में निशुल्क या रियायती रिपोर्ट प्रदान कर सकती है। यह सुविधा उसी तरह मिलती है, जिस तरह उपग्रह इमेज प्रदान करने वाले कुछ लाभकारी प्रदाताओं द्वारा मीडिया को मदद की जाती है। बॉब डफिल्ड कहते हैं कि हम जनहित के लिए मीडिया की किसी महत्वपूर्ण परियोजना में कुछ मदद अवश्य कर सकते हैं।

Offshore Leaks Database – with Pandora

क्या आप गोपनीय या काले धन के किसी मामले की जांच कर रहे हैं? उसमें जिन अपतटीय कंपनियों या टैक्स-हेवन ट्रस्टों का नाम आया है, उनके असली मालिक कौन हैं? कॉरपोरेट जगत के इस जंजाल में किन राजनेताओं के हितों का संघर्ष छिपा हुआ है?

आईसीआईजे ने अपतटीय लीक्स का विशाल डेटाबेस संकलित किया है। यह पत्रकारों और आम नागरिकों द्वारा किसी भी जांच के लिए उपलब्ध है। इसमें अब और 15,000 अपतटीय कंपनियों और ट्रस्टों के ‘लाभकारी मालिकों‘ की जानकारी जोड़ दी गई है। इस संग्रह में अब गुप्त अपतटीय संरचनाओं के पीछे 740,000 से अधिक लोगों और कंपनियों की जानकारी शामिल है।

नियो4जे विजुअलाइजेशन पत्रकारों को प्रत्येक नोड पर क्लिक करके वित्तीय संबंध देखने की सुविधा देता है। ऑफशोर लीक्स डेटाबेस का यह उदाहरण देखें। इससे ब्राजील के एक पूर्व राजनेता के कथित अपतटीय हितों का पता चलता है। इमेज: स्क्रीनशॉट / अपतटीय लीक्स डेटाबेस

अक्टूबर 2021 में प्रकाशित पेंडोरा पेपर्स  में दुनिया के 35 राजनेताओं के साथ ही 100 से अधिक अरबपतियों एवं मशहूर हस्तियों के गुप्त अपतटीय खातों का खुलासा हुआ था। एक सहयोगी जांच के जरिए निकाला गए इस डेटा में सर्च की सुविधा है। इसके अलावा, नए डेटासेट में जिन लोगों और कंपनियों के नाम हैं, उनकी जानकारी को ‘नियो4जे टूल‘ Neo4j tool का उपयोग करके आसानी से समझने वाले विजुअलाइजेशन में दर्शाया जाता है। रिपोर्टर इसके ‘नोड आइकन‘ पर क्लिक करके एक नजर में इनका विवरण और आपसी संबंध देख सकते हैं।

इस जांच के तहत हासिल 11.9 मिलियन लीक हुए दस्तावेजों में से कुछ रिकॉर्ड ऐसे भी हैं, जिन्हें गोपनीयता कानूनों के कारण प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। जैसे, बैंक रिकॉर्ड और मौद्रिक लेनदेन। आईसीआईजे की डेटा पत्रकार डेल्फिन रॉयटर  के अनुसार अतिरिक्त पेंडोरा पेपर्स डेटा जल्द ही प्रकाशित होने की संभावना है। ऐसा होने पर पनामा पेपर्स और पैराडाइज पेपर्स सहित पहले से अपलोड की गई चार जांच परियोजनाओं के वित्तीय गोपनीयता डेटा में एक नया स्तंभ जुड़ जाएगा।

डेल्फिन रॉयटर कहती हैं “हम अब ‘पेंडोरा पेपर्स‘ के अतिरिक्त डेटा की संरचना पर काम कर रहे हैं। कुछ महीनों में इन्हें एक बैच में प्रकाशित किया जाएगा। आईसीआईजे ‘पेंडोरा लीक‘ के सभी 14 अपतटीय सेवा प्रदाताओं के डेटा प्रकाशित नहीं कर सकता, क्योंकि इनकी गुणवत्ता और संरचना बहुत भिन्न होती है।“

नया प्रकाशित डेटा दो सेवा प्रदाताओं से आया है। इनमें एक पनामा की कानूनी फर्म और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह की एक मुखौटा कंपनी एजेंसी शामिल है। डेल्फिन रॉयटर ने कहा कि ‘पेंडोरा पेपर्स रिकॉर्ड‘ में शामिल डेटा उन्हें कैप्चर किए जाने के समय सटीक थे। पत्रकारों को अपनी जांच के दौरान यह बात याद रखनी चाहिए। पहले की चार जांचों के डेटासेट के साथ भी यही बात लागू होती है। इनके प्रकाशन के बाद कोई बदलाव संभव है। इसलिए अद्यतन डेटा के लिए पत्रकारों को कॉरपोरेट रजिस्ट्रेशन एजेंसी जैसे मौजूदा स्रोतों से जानकारी लेनी चाहिए।

डेल्फिन रॉयटर ने कहा कि कंपनियों की खोज करते समय वैकल्पिक और तरह-तरह के अलग नाम की भी जांच करें। जैसे, ‘लिमिटेड‘ के लिए संक्षेप में ‘एलटीडी‘ लिखकर सर्च करें। जिन व्यक्तियों के बारे में आपको जांच करनी है, उन नाम में उद्धरण चिह्न लगाकर भी सर्च करें।

जीआईजेएन का टूलबॉक्स खोजी पत्रकारों के लिए कितना उपयोगी है? अपनी राय हमें hello@gijn.org पर ईमेल करें।

अतिरिक्त संसाधन

How to Investigate Money Laundering

GIJN Toolbox: CrowdTangle, Echosec, and Searching Social Media

Lessons from the Pandora Papers: How to Investigate Financial Crime Stories


रोवन फिलिप जीआइजेएन के संवाददाता हैं। पहले वह संडे टाइम्स (Sunday Times) के दक्षिण अफ्रीका स्थित मुख्य संवाददाता थे। एक विदेशी संवाददाता के रूप में उन्होंने दुनिया भर के दो दर्जन से अधिक देशों से समाचार, राजनीति, भ्रष्टाचार और संघर्ष पर रिपोर्टिंग की है।

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