फ़ेमीसाइड या स्त्री-हत्या पर रिपोर्टिंग: जीआईजेएन गाइड

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स्त्री-हत्या का तात्पर्य महिलाओं से घृणा की प्रवृति के कारण होने वाली हत्याओं से है। अंग्रेजी में इसे फेमिसाइड (Femicide) कहते हैं। यह महिला होने के कारण जानबूझकर हत्या है, क्योंकि वे महिलाएं हैं। यह स्त्री-हत्या की समस्या पूरी दुनिया में देखी जाती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ का ताजा आकलन भयावह है। इसके अनुसार, अंतरंग पार्टनर या परिजनों द्वारा हर साल लगभग 50,000 महिलाओं, लड़कियों की हत्या कर दी जाती है। यानी हर दिन 137 स्त्री-हत्या हुई। ध्यान रहे, यह आंकड़ा केवल परिवार के किसी सदस्य या अंतरंग साथी द्वारा महिलाओं की हत्या का है। इसमें सामान्य अपराध की घटनाएं, सशस्त्र संघर्ष या दहेज हत्या इत्यादि मामले शामिल नहीं हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह आंकड़ा कम रिपोर्टिंग पर आधारित है। दुनिया के अनगिनत देशों में स्त्री-हत्या के वास्तविक आंकड़े दर्ज नहीं किए जाते। इसलिए वास्तविक संख्या संयुक्त राष्ट्रसंघ के उक्त आकलन से अधिक है।

दुख की बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में स्त्री-हत्या के बावजूद ज्यादातर मामले दब जाते हैं। जीआइजेएन के इस गाइड का उद्देश्य ऐसे मामलों पर खोजी पत्रकारिता को बढ़ावा देना है। स्त्री-हत्या क्या है, इसे समझने में यह गाइड पत्रकारों की मदद करता है। आंकड़ों को खोजने और समझने के साथ ही यह भी बताया गया है कि किन विशेषज्ञों का साक्षात्कार लिया जाए।

स्त्री-हत्या की सबसे अधिक घटनाएं एशिया में होती हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार एशिया में स्त्री-हत्या के सर्वाधिक 20,000 मामले सामने आए। इसके बाद अफ्रीका में 19,000 मामले, अमेरिका में 8,000 मामले और यूरोप में 3,000 मामले दर्ज किए गए।

लेकिन आबादी के आधार पर देखें, तो स्त्री-हत्या के सबसे अधिक मामले अफ्रीका में सामने आए। वहां प्रति एक लाख महिलाओं में 3.1 स्त्री-हत्या हुई। अमेरिका में एक लाख महिलाओं में 1.6 स्त्री-हत्या हुई। ओशिनिया (प्रशांत महासागर के देशों) में यही दर 1.3, एशिया में 0.9 और यूरोप में 0.7 है।

इंग्लैंड से नामीबिया तक, और अमेरिका से तुर्की तक, दुनिया भर में स्त्री-हत्या के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों की संख्या बढ़ती जा रही है। किसी जगह ऐसी कोई खास चर्चित घटना सामने आने पर तीव्र आंदोलन भी देखे जाते हैं।

स्त्री-हत्या की परिभाषा

इस विषय पर रिपोर्टिंग के लिए आपको स्त्री-हत्या की परिभाषा समझना जरूरी है। स्त्री-हत्या पर डेटा को कैसे पढ़ा जाए, यह भी समझना होगा। इसके लिए यह जानना जरूरी है कि स्त्री-हत्या के डेटा रखने वाली एजेंसियां इसे कैसे परिभाषित करती हैं।

स्त्री-हत्या शब्द की विभिन्न परिभाषाएँ हैं। लेकिन इस मुद्दे पर कार्यरत विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं एक परिभाषा से सहमत हैं : महिला होने के कारण किसी महिला की जानबूझकर हत्या को स्त्री-हत्या कहते हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के नवीनतम उपलब्ध आंकड़े वर्ष 2017 के हैं। इसके अनुसार एक साल में अंतरंग साथी द्वारा स्त्री-हत्या के 30,000 से अधिक मामले सामने आए। यह इस वर्ष हुई स्त्री-हत्या का 60 फीसदी आंकड़ा है। अन्य 40 फीसदी स्त्री-हत्या में बड़ी संख्या अपने परिवार के ही पुरूषों द्वारा की गई। इनमें मृत महिला के पिता, चाचा, या भाई और कई मामलों में किसी महिला रिश्तेदार की भी भूमिका पाई गई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के अनुसार,  स्त्री-हत्या का मामला पुरुष-हत्या से अलग है। स्त्री-हत्या के अधिकांश मामले घर में उत्पीड़न, डराने-धमकाने, यौन हिंसा, कमजोर स्थिति इत्यादि से जुड़े होते हैं। ऐसी महिलाओं के पास अपने साथी की तुलना में कम संसाधन होते हैं।

यूरोपियन इंस्टीट्यूट फॉर जेंडर इक्वलिटी ने निम्नलिखित रूपों को स्त्री-हत्या कहा है:

  • अंतरंग साथी (वर्तमान/पूर्व पति अथवा वर्तमान/पूर्व प्रेमी) द्वारा महिला की हत्या।
  • द्वेषपूर्वक महिला की हत्या।
  • कथित ‘सम्मान‘ की रक्षा के नाम पर महिलाओं/लड़कियों की हत्या (ऑनर कीलिंग)
  • सशस्त्र संघर्ष के दौरान महिलाओं/लड़कियों की लक्षित हत्या।
  • महिलाओं की दहेज से संबंधित हत्या।
  • लैंगिक पहचान अथवा यौन अभिरूचि के कारण महिलाओं/लड़कियों की हत्या।
  • आदिवासी या मूलवासी महिलाओं/लड़कियों की उनके लिंग के कारण हत्या।
  • कन्या भ्रूण हत्या, लिंग आधारित भ्रूण हत्या।
  • महिला खतना (जननांग का एक हिस्सा काटना, एफजीएम) के कारण मौत।
  • जादू टोना के आरोप या डायन के नाम पर हत्या।
  • संगठित अपराध गिरोहों, ड्रग माफिया, मानव तस्करी, छोटे हथियारों के प्रसार से जुड़ी अन्य स्त्री-हत्याएं।

ग्लोबल स्टडी ऑन होमिसाइड 2019, यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम। इमेज: स्क्रीनशॉट

कहां मिलेगा डेटा?

संयुक्त राष्ट्र संघ के ड्रग्स एंड क्राइम ऑफिस (यूएनओडीसी)  द्वारा वैश्विक डेटा प्रकाशित किया जाता है। नवीनतम डेटा 2019 तक का उपलब्ध है।

लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक आयोग द्वारा उन क्षेत्रों के ऐसे आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं। लैंगिक समानता पर नजर रखने वाली इसकी इकाई द्वारा स्त्री-हत्या के आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं।

फेमिसाइड वॉच  यूएन स्टडीज एसोसिएशन (यूएनएसए) ग्लोबल नेटवर्क और यूएनएसए वियना की फेमिसाइड टीम की यह एक संयुक्त परियोजना है। इसमें उच्च गुणवत्ता वाली जानकारी मिलती है।

आप जिस देश में स्त्री-हत्या संबंधी रिपोर्टिंग कर रहे हैं, उस देश में यदि राष्ट्रीय स्त्री-हत्या निगरानी केंद्र हो, तो उसके डेटा काफी उपयोगी होंगे। इसके साथ ही, पुलिस और ऐसे मामलों पर डेटा एकत्र करने वाले कार्यकर्ताओं तथा एनजीओ से भी आपको भरोसमंद जानकारी मिल सकती है।

स्त्री-हत्या का डेटा समझना

  • विशेषज्ञों का मानना है कि स्त्री-हत्या के मामलों को काफी कम करके दिखाया जाता है। हजारों मामलों को स्त्री-हत्या के रूप में पंजीकृत ही नहीं किया जाता है।
  • कई समस्याओं के कारण स्त्री-हत्या संबंधी पूरा डेटा सामने नहीं आ पाता है। कई मामलों में इसे अलग से रिकॉर्ड नहीं किया जाता है। कई बार अपराधी के लिंग को दर्ज नहीं किया जाता। कई ग्रामीण या सुदूर क्षेत्रों में स्त्री-हत्या के पीड़ित पक्ष द्वारा इसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई जाती है। कई क्षेत्रों में इन्हें मैन्युअली दर्ज किया जाता है। ऐसे रिकॉर्ड पुलिस मुख्यालय तक पहुंचने से पहले खो सकते हैं। गलत रखरखाव के कारण भी ऐसे मामले राष्ट्रीय अपराध संबंधी रिकॉर्ड में नहीं आ पाते। कुछ देशों में महिलाओं की हत्या को अपराध नहीं मानने के कारण इनकी रिपोर्ट तक नहीं की जाती है। परिजनों द्वारा किसी महिला या लड़की की हत्या के बाद सभी लोग हत्यारों को बचाना चाहते हैं और उस हत्या को स्वाभाविक मौत करार दिया जाता है।
  • विभिन्न देशों में स्त्री-हत्या संबंधी आंकड़ों की तुलना करें। पता लगाएं कि ऐसे मामलों को किस तरह के ‘अपराध‘ के बतौर दर्ज किया गया है। जैसे, महिला खतना (फिमेल जेनिटल म्यूटीलेशन) से होने वाली मौत, महिला यौनकर्मियों की हत्या तथा संघर्ष की स्थितियों में महिलाओं और लड़कियों की हत्या को कुछ देशों में ‘स्त्री-हत्या‘ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • कुछ देशों में ‘स्त्री-हत्या‘ शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है। ऐसे देशों के डेटा के लिए ‘आइसीसीएस‘ की परिभाषा पर निर्भर होना पड़ेगा। इंटरनेशनल क्लासीफिकेशन ऑफ क्राइम फॉर स्टेटीस्टीकल परपसेस  ने यह परिभाषा दी है- “अंतरंग साथी या परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा महिला की हत्या।“
  • किसी देश में ऐसे डेटा संग्रह की प्रणाली कितनी अच्छी या बुरी है, इसका आकल करें। इस काम को अच्छी तरह करने के लिए प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों और चिकित्सा पेशेवरों की आवश्यकता होती है। इसके लिए ऐसे विश्वसनीय डेटा का संग्रह जरूरी है, जिसमें हत्या के प्रकार, अपराधी और पीड़ित के लिंग जानकारी, हत्या के मकसद और दोनों के बीच संबंध को रिकॉर्ड किया गया हो।

डेटा के लिए अन्य संसाधन

कई देशों में स्त्री-हत्या के डेटा रखने का समुचित सिस्टम नहीं है। ऐसे मामलों में कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवी संगठनों ने स्वयं जानकारी एकत्र की है। कुछ उदाहरण देखें:

  • मैपिंग फेमिसाइड्स ऑस्ट्रेलिया में अंतरंग साथी द्वारा महिला की हत्या को इसमें दर्ज किया जाता है।
  • फेमिसाइड वॉच  नेशनल सिटिजन ऑब्जर्वेटरी ऑन फेमिसाइड। यह 22 मैक्सिकन राज्यों के 40 संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • फेमिनिसिडियो डॉट नेट  महिला हिंसा संबंधी समाचारों का वेबसाइट। यह स्पेन और इबेरो-अमेरिकी देशों में स्त्री-हत्या के मामले दर्ज कराने के लिए एक ऑनलाइन आवेदन मंच जियोफेमिनिसिडियो भी चलाता है।
  • ब्लैक फेमिसाइड (यूएस) यह अफ्रीकी-अमेरिकी महिलाओं की हत्याओं संबंधी मीडिया रिपोर्ट एकत्र करता है।
  • वी विल स्टॉप फेमिसाइड  यह तुर्की में पुरुषों द्वारा महिलाओं की हत्या संबंधी डेटा जुटाता है। यह हर महीने कच्चा डेटा शेयर करता है।

    ग्लोबल स्टडी ऑन होमिसाइड 2019, यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम। इमेज: स्क्रीनशॉट

किनका इंटरव्यू करें?

  • गैर सरकारी संगठन
  • समाजसेवी
  • अपराध विज्ञानी
  • अभियोजन पक्ष
  • पुलिस अधिकारी
  • नारीवादी कार्यकर्ता
  • स्वास्थ्य-प्रदाता, पोस्टमार्टम चिकित्सक
  • वकील
  • शिक्षाविद
  • फ्रंटलाइन कार्यकर्ता
  • गवाह और पड़ोसी
  • हेल्पलाइन और महिला आश्रयों में काम करने वाले लोग
  • परिवार के सदस्य
  • हमले में जीवित बचे लोग

स्त्री-हत्या का अधिक जोखिम कहां है?

यह समझना होगा कि स्त्री-हत्या का अधिक जोखिम कहां है? कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस जोखिम को समझकर स्त्री-हत्या को रोका जा सकता है। जो महिलाएं पहले भी अपने घरों में लिंग आधारित उत्पीड़न का शिकार हो चुकी हों, उनकी हत्या की संभावना अधिक होती है। ऐसी हत्याएं अक्सर पूर्व में लिंग-आधारित ऐसी हिंसा की परिणति होती है। इसलिए लिंग-हिंसा के आँकड़ों को देखना जरूरी है। डब्ल्यूएचओ ने स्त्री-हत्या से संबंधी अपराधों के लिए जोखिम के कुछ कारक इस प्रकार बताए हैं:

  • ऐसे देश में जोखिम अधिक है, जहां लैंगिक असमानता अधिक हो
  • जहां स्वास्थ्य और शिक्षा पर सरकारी खर्च कम हो, वहां भी जोखिम अधिक है

इन स्थितियों में स्त्री-हत्या का जोखिम अधिक है:

  • पुरुष साथी की बेरोजगारी
  • घर में बंदूक होना। खासकर अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका तथा संघर्ष वाले देशों में
  • जिस महिला को हथियार से मारने की धमकी मिलती हो
  • पुरूष साथी द्वारा जबरन संभोग किया जाना
  • पुरुष साथी द्वारा शराब और नशीली दवाओं का दुरुपयोग
  • पुरुष साथी की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं
  • पूर्व अंतरंग साथी द्वारा उत्पीड़न

स्त्री-हत्या का शिकार होने की कुछ अन्य वजहें

  • गर्भधारण, जब पुरूष को यह पसंद न हो
  • अपराधी द्वारा पूर्व में किया गया उत्पीड़न
  • पूर्व रिश्ते से उत्पन्न बच्चा (यानी वह हत्यारे का जैविक बच्चा नहीं)
  • साथी से मनमुटाव
  • साथी से संबंध-विच्छेद

‘द कलेक्टिव प्रोजेक्ट‘ – कोविड-19 के दौरान उपेक्षा की शिकार महिलाएं। इमेज: स्क्रीनशॉट

केस स्टडीज

  • द अनकाउंटेड :  ब्रिटेन में स्त्री-हत्या पर टोर्टोइज मीडिया ने व्यापक डेटा तैयार किया गया। देश के विभिन्न पुलिस स्टेशनों से सार्वजनिक रिकॉर्ड एकत्र किए। जिन मामलों में अंतरंग साथी या परिजनों पर हत्या का संदेह था, उन पर ध्यान केंद्रित किया। ब्रिटेन को डेटा की पारदर्शिता के लिए जाना जाता है। लेकिन ऐसे देश में भी स्त्री-हत्या के काफी मामलों को आधिकारिक आंकड़ों में दर्ज नहीं किया जाता है।
  • दोहरे उत्पीड़न का शिकार महिलाएं : जिन्हें क्वारंटाइन के दौरान मदद के बजाय उपेक्षा मिली  स्पेनिश भाषा में यह रिपोर्ट ‘लैटिन अमेरिकी सेंटिनेला कोविड-19 जर्नलिज्म अलाइंस‘ के तहत सामने आई। इसमें बताया गया है कि महामारी के दौरान महिलाओं को अंतरंग साथियों, दलालों और अधिकारियों द्वारा किस तरह दोहरे उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। सेंटिनेला के सदस्य इस प्रकार हैं।
  • ‘मैं उसे वैसे भी मार डालता‘:  यह किर्गिजस्तान के मीडिया संगठन ‘क्लूप’ की रिपोर्ट है। यह जीआईजेएन का सदस्य है। रिपोर्ट में महिलाओं की हत्या संबंधी 54 हजार पुलिस प्रेस विज्ञप्तियों और समाचारों का विश्लेषण किया गया। इनसे पता चला कि महिलाओं को अपने घरों में ही अधिक जोखिम है। इस जांच के लिए ‘क्लूप’ को ‘सिग्मा अवार्ड‘ मिला। इसमें उन्होंने कई महिलाओं की हत्या की विस्तृत जांच भी की।
  • सात साल में पुरुषों ने 2000 से अधिक महिलाओं को मार डाला: सहरा अतीला की रिपोर्ट तुर्की में:  इन पत्रकार ने स्त्री-हत्या संबंधी व्यापक डेटा की जांच की। रिपोर्ट में महिला पीड़ितों की संख्या का विश्लेषण करके कई मामलों का विवरण भी दिया गया है।
  • स्थानीय मीडिया के 59 दिन : पुरुष हिंसा को किस तरह पेश किया गया:  सेरिबन अल्की की रिपोर्ट (तुर्की में): इनहोने  2021 के जनवरी और फरवरी महीने में देश में हुई महिलाओं की हत्याओं पर ऑनलाइन समाचार माध्यमों में आई खबरों का विश्लेषण किया। अधिकांश खबरों में हत्या को प्रकारांतर से वैधता प्रदान की गई। हत्यारे के अपराध को कम करने आंकने और सहानुभूति की भावना भी दिखाई दी। कई मामलों में हत्यारे की पहचान का खुलासा नहीं किया गया। अपराधी का मूड खराब होना, उसकी आर्थिक कठिनाइयाँ, नशे में होना, मानसिक दबाव में होना इत्यादि शब्दों का उपयोग किया गया। कुछ खबरों के अनुसार ‘अपराधी को पछतावा हुआ।’ कई मामलों में अपराधी के साथ साक्षात्कार करके हत्या को उचित ठहराया गया। हत्या का औचित्य साबित करने और अपराधी के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने वाली शब्दावली का बेहद सहजता से उपयोग होता है।

से-हर-नेम, फोटो: स्क्रीनशॉट

  • ‘वह कौन थी? उसका नाम बताओ‘ : दक्षिण अफ्रीका में स्त्री-हत्या पर रिपोर्ट :  ‘मीडिया हैक‘ और ‘भेकिसिसा‘ द्वारा प्रस्तुत  स्त्री-हत्या पर डेटा-आधारित इस स्टोरी में बताया गया है कि ऐसे मामलों पर मीडिया उचित ध्यान नहीं देता है। इसमें बताया गया है कि 2018 से 2020 के बीच स्त्री-हत्या के केवल चार फीसदी मामलों को मीडिया में जगह मिली। बहुत से मामलों में तो मृतका का नाम तक नहीं बताया जाता। दक्षिण अफ्रीका में स्त्री-हत्या की उच्च दर है। वहां प्रतिदिन औसतन सात महिलाओं की हत्या अपने अंतरंग साथी या परिवार के किसी पुरूष सदस्य के जरिए होती है। इस रिपोर्टिंग टीम ने हत्याओं का पता लगाने के लिए एक नक्शा बनाया, जिसमें सबसे अधिक महिलाओं की संख्या वाले क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया।
  • ‘हम मृत समाज हैं‘:  कनाडा की एक पत्रिका ‘मैक्लीन्स‘ ने अंतरंग साथी द्वारा महिलाओं पर हिंसा पर एक महीने तक लंबी जांच की। रिपोर्ट से पता चलता है कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने में किस तरह सिस्टम, राजनेताओं और समाज के विभिन्न लोगों की भूमिका है। रिपोर्ट के अनुसार सभी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की महिलाओं को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है। अपने घरों के अंदर ही उन्हें मारा जा सकता है। रिपोर्ट ने अंतरंग-साथी हिंसा का वर्णन करते हुए इसके लिए ‘महामारी‘ शब्द का उपयोग किया। इस हिंसा का बड़ा शिकार ऐसे परिवारों के बच्चों को भी होना पड़ रहा है।
  • ‘रेड रिवर वीमेन‘:  बीबीसी की यह शोध रिपोर्ट कनाडा में स्त्री-हत्या की जांच पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार कनाड़ा में अन्य महिलाओं की तुलना में आदिवासी महिलाओं की हत्या या लापता होने की संभावना चार गुना अधिक है। कई महिलाओं के शव ‘रेड रिवर’ नदी के किनारे पाए जाते हैं।
  • ‘फेमिसाइड रोको‘:  यह अभियान ‘द ऑब्जर्वर‘ द्वारा चलाया रहा है। यह ‘द गार्जियन‘ का रविवारीय अखबार है। इसमें स्त्री-हत्या संबंधी खोजपूर्ण खबरें आती हैं। एक रिपोर्ट ‘60 साल से अधिक उम्र वाली महिलाओं की हत्या‘ पर केंद्रित है। रिपोर्ट के अनुसार स्त्री-हत्या के अनगिनत मामलों को दुर्घटना बताकर आसानी से खारिज कर दिया जाता है। ऐसे मामलों की कभी जांच नहीं होती है। आंकड़ों के अनुसार, हत्या का शिकार हुई ऐसी उम्रदराज महिलाओं में लगभग आधी संख्या उन पीड़िताओं की है, जिन्हें उनके बेटों, पोतों और रिश्तेदारों ने मार दिया।
  • ‘मैकेनिक्स ऑफ ए क्राइम फोरटोल्ड‘:  ‘ले मोंडे‘ में प्रकाशित रिपोर्ट (फ्रेंच में)  लगभग एक साल तक चली इस खोजी रिपोर्टिंग और मल्टीमीडिया परियोजना में 120 फ्रांसीसी महिलाओं की हत्या की जांच हुई।
  • ‘छिपी हुई हिंसा‘: (स्पेनिश में) – पुलिस या सेना में कार्यरत अंतरंग साथी द्वारा मारी गई अथवा प्रताड़ित कोलंबिया की महिलाओं की जांच।

मैकेनिक्स ऑफ ए क्राइम फोरटोल्ड। इमेज: स्क्रीनशॉट

स्त्री-हत्या संबंधी पुस्तकें

  • Femicide in South Africa दक्षिण अफ्रीका की पत्रकार नेचामा ब्रोडी की पुस्तक। इस देश में स्त्री-हत्या की दर सबसे अधिक है। यहां विश्व औसत से पांच गुना अधिक स्त्री-हत्या होती है।
  • Honour Unmasked  पत्रकार नफीसा शाह की यह पुस्तक पाकिस्तान के सिंध प्रांत में कथित ‘सम्मान‘ के नाम पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर आधारित है। ऐसे मामलों से निपटने में आधुनिक न्याय प्रणाली कारगर नहीं है और पारंपरिक अनौपचारिक प्रणाली अब भी हावी है। इसके कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा मिलता है।

आपका मानसिक स्वास्थ्य

ऐसे मामलों को कवर करना मुश्किल होता है। खासकर उन पत्रकारों के लिए, जिन्होंने पहले कभी ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान मानसिक आघात का अनुभव किया है। इसलिए ‘डार्ट सेंटर फॉर जर्नलिज्म एंड ट्रॉमा‘ के इस गाइड का पालन अवश्य करें: ‘अपनी मानसिक भलाई के लिए गुड प्रेक्टिसेस‘

हिंसा के मामलों में जीवित बचे लोगों और परिवार के सदस्यों से बात करना भी काफी कठिन होता है। आपको इसके लिए भी समुचित तैयारी करनी चाहिए। ऐसे मामलों में साक्षात्कार के बारे में मार्सेला तुराती के टिप्स  देखें।

अन्य संसाधन

इस संसाधन को बेहतर बनाने के लिए आपके सुझावों का स्वागत है। कृपया जीआईजेएन वेबसाइट के माध्यम से हमसे संपर्क करें।

अतिरिक्त संसाधन

निकोलिया अपोस्टोलू  जीआईजेएन रिसोर्स सेंटर की निदेशक हैं। वह विगत 15 वर्षों से बीबीसी, एसोसिएटेड प्रेस, एजे़ प्लस, द न्यूयॉर्क टाइम्स, द न्यू ह्यूमैनिटेरियन, पीबीएस, डॉयचे वेले और अल जजीरा सहित 100 से अधिक मीडिया संस्थानों के लिए ग्रीस, साइप्रस और तुर्की से लेखन और वृत्तचित्र निर्माण कर रही हैं।

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