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फैशन उद्योग बदल रहा है और कपड़ों की ऑनलाइन खरीदारी से दुनिया में इस व्यापार का स्वरूप परिवर्तित हो रहा है। फोटो: टैस्टो लापिला
हम सब लोग अपने पुराने कपड़ों को अक्सर दान में दे देते हैं। आजकल कई जगहों पर ऐसे डब्बे या स्थान नियत होते हैं जहां पर इस तरह के पुराने कपड़ों को दान में स्वीकार किया जाता है। कई शहरों में अनुपयोगी वस्तुओं और कपड़ों के पुनः उपयोग का आंदोलन भी चल रहा है। अपने आसपास आपने ‘नेकी की दीवार’ नामक स्थान भी देखा होगा, जहां लोग अपने पुराने कपड़े छोड़ जाते हैं। ऐसा करने में लोगों को खुशी मिलती है।
लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इन कपड़ों का होता क्या है? वे कहाँ जाते हैं? अगर वे बेचे जाते हैं तो किसको? और सबसे ख़राब कपड़ों का क्या होता है?
आजकल आनलाइन शॉपिंग के माध्यम से लोग खरीदारी कर रहे हैं। कपड़े भी ऑनलाइन बहुत मंगाए जा रहे हैं। कई देशो में तो यदि कपड़े आपको सही नाप के नहीं आए हैं या आप उनसे संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें वापस भी कर सकते हैं। ऑनलाइन ख़रीदी के कारण लोग ज़रूरत से कई बार ज़्यादा कपड़े ख़रीद लेते हैं और उनकी अलमारी में कपड़े रखने की जगह समाप्त होती जाती है। यही कारण है कि लोग आजकल कपड़े दान भी बहुत करते हैं। किन्तु आपने कभी सोचा है कि आपके द्वारा लौटाए गए इन कपड़ों का क्या होता है? क्या इसे फिर से पैक किया जाता है या बेचा जाता है, या फिर नष्ट कर दिया जाता है?
इस खबर को करने के लिए हमने पिछले साल से ही इस विषय पर पड़ताल शुरू कर दी थी। दान किये गये या वापस किये गये आपके कपड़े कहाँ जाते हैं इसे पता लगाने हमने क्या तरकीब अपनाई और इन कपड़ों की लोकेशन को हमने किस तरह से खोजा इस लेख में यही सब हम आपको बताएँगे।
इसकी पड़ताल के लिए हमने ट्रैकर्स (ऐसे छोटे उपकरण जो बाहर सिग्नल भेज सकते हैं) का उपयोग किया और ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की खोज की जिसकी बेटरी लम्बी अवधि तक यानि कम से कम, साल भर तक चल सके।
अनुपयोगी कपड़ों का विदेशों में निर्यात
मिन्ना नुस-गैलान
इस्तेमाल किए गए कपड़ों के शुरूआती पड़ताल में ही हमें आश्चर्यजनक जानकारी लगी कि इनका दुनिया भर में गुप्त रूप से अरबों डॉलर का कारोबार हो रहा है। इस व्यापार के बारे में हमने जिन विशेषज्ञों से बात की उन्होंने बताया कि फिनलैंड जैसे देशों में ही उपभोक्ताओं द्वारा दान किए गए अधिकांश वस्त्र विदेशों में बेचे जाते हैं। लेकिन जो संगठन वस्त्र इकट्ठा करते हैं, उन्हें भी इन कपड़ो के अंतिम गंतव्य तक पहुँचने का सही पता नहीं होता।
इस सम्बन्ध में हमने फ़िनलैंड और यूरोप के कई बड़े समाजसेवी संगठनों और कपड़े छाँटने वालों से बात की किन्तु वे हमारे कैमरे के सामने न तो कोई बात करने को तैयार थे और न ही उन्होंने कोई फिल्मांकन की अनुमति ही दी।इसके बाद मुझे लगा की आख़िर मेरे पुराने कपड़ों का बाद में क्या होता है इसको लेकर इतनी गोपनीयता बरती जा रही है। दुनिया में पुराने कपड़ों का कारोबार गुप्त क्यों है? इसे सोच कर मैं परेशान थी। इसके बाद हमें इस पर आगे की पड़ताल करने के लिए GPS ट्रैकिंग टैग का उपयोग करने का विचार आया।
मुझे नहीं पता था कि इनका प्रयोग कैसे किया जाता है, फिर मैंने अनुभवी सहयोगियों से संपर्क किया जो खोजी खबरों पर शोध करने में ऐसे उपकरणों का उपयोग करते हैं। लेकिन हमारे सामने एक बड़ा गतिरोध पैदा हो गया। उनके द्वारा सुझाए गए सभी उपकरण हमारे लिए इन कपड़ों की पड़ताल में छिपाने के लिए बहुत बड़े एवं भारी थे।
तब मुझे याद आया कि वर्ष 2019 की शरद ऋतु में मैंने एक परियोजना के बारे में सुना था। जिसमे मेरे सहयोगियों ने छोटे ट्रैकर्स के माध्यम से एक फिनिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी येल में प्लास्टिक कचरे का पीछा करने के लिए प्रयोग किया था। उन्होंने इसे एक फिनलेंड की कंपनी से खरीदा था। मैंने कंपनी को फोन किया और आश्चर्य तब हुआ जब उन्होंने बताया कि उनके पास अभी-अभी नए उन्नत उपकरणों का एक सेट प्राप्त हुआ है जो हमारी आवश्यकताओं के लिए एकदम सही था। ये छोटे ट्रैकिंग उपकरण संयुक्त जीपीएस ट्रैकर्स व उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं तथा जीएसएम ट्रैकर्स, एक वायरलेस ट्रांसमिशन सिस्टम को सेल फोन से जोड़ने का काम करते हैं। ये सिम कार्ड के साथ ही काम करते हैं। ये उपकरण आमतौर पर कुत्तों या अल्जाइमर रोग वाले लोगों की ट्रेकिंग करने में मदद के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसके माध्यम से आप अपने स्मार्टफोन पर ही एक ऐप के साथ ट्रैकर की लोकेशन का अनुसरण कर सकते हैं।
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रिपोर्टर ने जीपीएस ट्रैकर्स को छह कपड़ों में छिपा दिया। फोटो: जेन जार्विनन, येल
फिर हमने छह छोटे ट्रैकरों को कई कपड़ो में छिपा कर लगा दिया: जिनमें मेरे पति की एक टूटी हुई ज़िप वाली जींस, मेरी बेटी का दागदार स्वेटर, सिगरेट के छेदों और तेल के दागों वाली जैकेट, टूटी हुई सिलाई के साथ एक हरे रंग की टोपी वाला स्वेटर, एवं अन्य दो कपड़े। वे काफी खराब स्थिति में थे। फिर हमने कपड़ों को डिब्बों में पैक करके दान लेने वाली संस्थाओं के निश्चित स्थान पर इन डिब्बों को रख दिया।
इसके बाद इस संबंध में हमने कुछ चैरिटी संगठनों से बात की, उनका कहना था कि वे खराब स्थिति वाले कपड़े निर्यात नहीं करते हैं। इन संगठनों में से एक ने हमें बताया कि वे इस्तेमाल किए गए इन कपड़ों का अफ्रीका में निर्यात बिल्कुल भी नहीं करते हैं। लेकिन हमारे ट्रैकर्स ने इसके आगे की कुछ और ही कहानी बताई। ट्रेकर लगे हमारे सभी छह वस्त्र फिनलैंड से बाहर भेजे गए। जीन्स जर्मनी पहुचा, गर्म कोट लातविया तक पहुचा, पुरुषों की जैकेट ने हेलसिंकी बंदरगाह की यात्रा की जहां इसमें लगे ट्रेकर ने सिग्नल देना बंद कर दिया। पांच महीने के बाद हमें शेष तीन में से नाइजीरिया से फटी हुई टोपी वाली स्वेटर से एक संकेत मिला, छह महीने के बाद केन्या में दागदार स्वेटर पहुँचा, तथा सबसे बड़ा आश्चर्य: सिगरेट के छेद और तेल के दाग वाली जैकेट से मिला जब वह एक साल बाद पाकिस्तान पहुँची।
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ट्रैकिंग एप्लिकेशन ने दिखाया कि कैसे जैकेट एक साल बाद पाकिस्तान पहुंचा: स्क्रीनशॉट
हम आश्चर्यचकित थे कि ट्रैकर की बैटरी जिसका छह महीने तक चलने का अंदाजा था साल भर तक चली। इस सबसे हमने जो कुछ बातें सीखीं। इनसे निकले हमारे सुझाव यहां हैं:
- अधिक बेटरी चले इसके लिए, जीपीएस के बजाय जीएसएम, मोबाइल ट्रैकर का उपयोग करें, जो उपग्रह डेटा का उपयोग करता है। हमारे लिए, ट्रैकर का यथासंभव लम्बी अवधि तक चलना ज़्यादा महत्वपूर्ण था। यह उस तरह के सटीक स्थान की जानकारी से अधिक महत्वपूर्ण था जो आपको जीपीएस के साथ मिलती है।
- सेटिंग्स बदलें ताकि आपको सिग्नल और अलर्ट कम बार मिलें, खासकर यदि आप किसी ऐसी चीज की निगरानी लंबे समय के लिए कर रहे हैं। इस तरह की पड़ताल में समय लगेगा। कम अलर्ट बैटरी को अधिक समय तक चलने में मदद करेंगे।
- जहां संभव हो, अपने ट्रैकर्स को ठण्ड से बचाए, जो बैटरी को तेजी से खाली करता है। हमने ट्रैकर को कपड़े में लपेटकर और उन्हें जेब के अंदर वाली सिलाई के बीच रखा था।
- यदि आप कर सकते हैं, तो प्रति आइटम कई ट्रैकर का उपयोग करें क्योकि कुछ काम करना बंद भी कर सकते हैं। हमारे ट्रैकर में से एक ने अपना आखिरी सिग्नल हेलसिंकी बंदरगाह से भेजा था, जहां से हमने शुरुआत की थी: अगर हमारे पास बैकअप विकल्प होता, तो इनका पीछा करना समाप्त नही होता।
हमने अपने इन निष्कर्षों को दो वृत्तचित्रों के माध्यम से नेशनल पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टर पर येल के साथ प्रसारित किया (एक 2020 में, जिसे आप अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ देख सकते हैं, और दूसरा 2021 में) साथ ही इन कपड़ों पर वैश्विक व्यापार के बारे में कई लेख भी प्रकाशित किए।
हमारी जांच में क्या सामने आया? हमारे द्वारा चेरिटी को दान दिए गये ख़राब हालत के तीन वस्त्र यूरोप के बाहर पहुँचे जबकि चैरिटी ने तो हमें बताया था कि वे इन्हें नहीं बेचेंगे। इसके अलावा, बिचौलियों की श्रृंखला भी लंबी है जो फिनलेंड की चैरिटी को भी नहीं पता है कि उनके यूरोपीय साथी कपड़े कहां बेचते हैं।
हमारा दागदार फटे स्वेटर का अफ्रीका में अंत हुआ। हम निश्चित रूप से यह नहीं जान सकते हैं कि उनके वहां पहुंचने के बाद वास्तव में उनके साथ क्या हुआ था, लेकिन आमतौर पर दूसरों के उपयोग किये कपड़े यूरोप से अफ्रीका तक की यात्रा करते हैं, जहां ज्यादातर महिलाएं, कपड़ों की गुणवत्ता को जाने बिना उन्हें खरीदती हैं। यहा सड़क पर लगने वाले बड़े बाजारों में अच्छी हालत के पुराने कपड़े बेचे जाते हैं जबकि खराब कपड़ो को फेंक दिया जाता है।
आयात-निर्यात के फ़िनलैंड के डेटा के आधार पर, हमे पता था कि मोज़ाम्बिक उन देशों में से एक है जहाँ फ़िनलैंड उपयोग किए हुये वस्त्रों का निर्यात करता है, इसलिए हमने वहाँ फ़िल्म बनाने का निर्णय लिया। इन पुराने कपड़ों पर यहां कई लोगों की आजीविका चलती है। विक्रेताओं ने हमें बताया कि अब यहां जो कपड़े बेचे जा रहे हैं अब उनकी गुणवत्ता खराब होती जा रही है।
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मोज़ाम्बिक का एक बाज़ार जहाँ पुराने कपड़ों को बेचा जाता है। फोटो: हन्ना नॉर्डेंसवान, येल
हो सकता है कि आपको लगे कि अफ्रीका में ऐसे कपड़े बेचना एक स्थायी और लगातार चलने वाली अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। लेकिन यूरोप या संयुक्त राज्य अमेरिका से अफ्रीका के लिए दागदार, फटे कपड़ों को भेजने का विचार किसी भी तरह से नैतिक नहीं कहा जा सकता है।
ऑक्सफैम के अनुसार, वैश्विक स्तर पर दान किए गए 70% से अधिक कपड़े अफ्रीका में बेचे जाते हैं। कई अफ्रीकी देशों में तो स्थानीय कपड़ा उद्योग को नष्ट करने के लिए पुराने पश्चिमी कपड़े के बाजार की आलोचना भी की गई है। जबकि कुछ देशों ने इस्तेमाल किए गए कपड़ों के आयात पर तो प्रतिबंध भी लगा दिया है।
हमारे निष्कर्षों से पता चला है कि भले ही चैरिटी कुछ और दावा करती हो किन्तु अमीर देश अपनी कचरे की समस्या को अफ्रीकी महाद्वीप में व्यापार करके निबटा रहे हैं। दुनिया में सस्ते फैशन की बाढ़ के साथ, टेक्सटाइल वेस्ट एक बड़ी वैश्विक समस्या बन चुका है। सिर्फ फिनलेंड वासी सालाना लगभग 70 मिलियन किलोग्राम कपड़ा फेंक देते हैं, जो 800 स्विमिंग पूल भरने के बराबर है।
हम चाहते थे कि हमारी जांच श्रृंखला सस्ते फैशन के प्रभाव को दुनिया के दूसरे छोर पर कैसे पहुच रही है उसे दिखाए।
एशिया के अनेक वस्त्र कारखानों में कम मज़दूरी और मज़दूरों से दुष्कर परिस्थियों में काम कराकर सस्ते लेकिन फ़ैशन से परिपूर्ण कपड़े तैयार किए जाते हैं। यह नए फ़ैशन के कपड़े पश्चिम जगत में सस्ती दरों पर बिकते हैं। कम कीमतें अक्सर ऐसी वस्तुओं को “डिस्पोजेबल” बनाती हैं। यह वस्त्र और इस तरह की सस्ती वस्तुएँ जल्दी ही इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाती हैं। यही वस्त्र और वस्तुएँ बाद में अपशिष्ट के रूप में कचरे का स्वरूप लेती जाती हैं। यह कचरा पश्चिम अपने यहां नहीं रखना चाहता इसलिए यह फिर से दुनिया भर की यात्रा करता है।
जिन वैज्ञानिकों का हमने साक्षात्कार किया, उन्होंने फिनलैंड से लंदन के लिए उड़ान भरने वाले 12,000 लोगों के बराबर एक वर्ष में फिनलैंड से निर्यात किये गये कपड़ो की तुलना कार्बन फुटप्रिंट की गणना से की। इस्तेमाल किए गए कपड़ों के निर्यात से इतने बड़े पैमाने पर कार्बन फुटप्रिंट के अनुमान ऐसे समय आए हैं जब फैशन उद्योग पहले से ही कार्बन उत्सर्जन, रंगों व विषाक्त पदार्थों तथा पानी के उपयोग पर परेशानियों का सामना कर रहा है।
हमें पूरी आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से फैशन उद्योग की जांच करने की आवश्यकता है: न केवल शुरुआती बिंदु जहां कपड़े का उत्पादन होता है, बल्कि यह देखने के लिए कि हमारे इस्तेमाल किए गए कपड़ों का वास्तव में क्या होता है। हमें उद्योग से अधिक पारदर्शिता की भी उम्मीद है ताकि उपभोक्ता तेजी से फैशन खरीदने के परिणामों की पूरी तस्वीर देख सकें।
भले ही चैरिटी बॉक्स में पुराने कपड़ों का एक बैग डालना हमें बेहतर महसूस कराता हो, वास्तव में यह दुनिया के दूसरी तरफ की एक नई यात्रा की शुरुआत है,
क्या होता है जब आप ऑनलाइन ख़रीदे नए कपड़े वापस करते हैं?
जेसिका स्टोलज़मैन
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जांच की जा रही है कि लौटाए गए कपड़े कहां हैं। फोटो: टैस्टो लापिला, येल
कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन शॉपिंग में तेजी से वृद्धि हुई है। कई देशों में, जहां दुकानें बंद थीं या लोगों को बढ़ती संक्रमण दर को रोकने के लिए घर पर रहने की सलाह दी गई थी, ऑनलाइन रिटेल ने राजस्व को चालू रखने का एक तरीका पेश किया।
ऑनलाइन खरीदारी के आँकड़ों के अनुसार, महामारी से पहले भी लौटाए गए सामानों में बड़ी वृद्धि देखी गयी है। फ़िनलैंड के डाकतार विभाग आंकड़ों के अनुसार, फ़िनलैंड में, ऑनलाइन ऑर्डर की गई औसतन हर तीसरी वस्तु को दुकानों में वापस भेज दिया जाता है। जब ऐसे कपड़े की बात आती है जो तेजी से बदलते फैशन के लिए बनते हैं और उपभोक्ताओं को सस्ते में उपलब्ध कराए जाते हैं तब तो कुछ लोगो का मानना है कि यह आंकड़ा हर दूसरी वस्तु से भी अधिक हो सकता है।
इसी तरह की स्वीडिश वेबसाइट ब्रेकिट की एक जांच से प्रेरित होकर, मैंने यह जांचने का फैसला किया कि ऑनलाइन खरीदे गए और वापस किए गए कपड़ों का क्या होता है। मैंने वही ट्रैकर खरीदे, लेकिन चूंकि मुझे पता था कि जिन कपड़ों को मैं देख रही हूं वे तेजी से यात्रा करेंगे, मैंने जीएसएम के बजाय ट्रैकर के जीपीएस से उपग्रह डेटा का उपयोग किया। मैं चाहती थी कि ये “अनावश्यक” कपड़े ले जा रहे ट्रैकर सटीक मार्ग का निर्धारण करने के लिए हर दूसरे घंटे मुझे वापस रिपोर्ट करें।
मैंने सबसे लोकप्रिय ऑनलाइन कपड़ों की दुकानों से पांच आइटम खरीदे और प्रत्येक को एक ट्रैकर के साथ वापस भेज दिया। कुछ ही दिनों में हमारे लगभग सभी ट्रैकर स्वीडन के अलग-अलग गोदामों में पहुंच गए थे।
लेकिन कपड़ों का क्या हुआ, इसका अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। क्या वे फिर से बिक गए, या उन्हें नष्ट कर दिया गया? कंपनियों ने मुझे आश्वस्त किया था कि यह बहुत दुर्लभ है कि ऐसे कपड़े फिर से नहीं बेचे जा सकते हैं, लेकिन मैं इसका पता लगाना चाहती थी.
दुर्भाग्य से, कुछ ट्रैकर्स को मैन्युअल रूप से निष्क्रिय कर दिया गया था, जबकि अन्य की गोदाम में बैटरी खत्म हो गई थी। मैंने एक खुली जांच का विकल्प चुना था, जिसका मतलब था कि ट्रैकरों को छिपाया नहीं जाए। प्रत्येक खोजकर्ता को एक संदेश और मेरा ई-मेल पता भेजा ताकि वे मुझसे संपर्क कर सकें।
अगर हमें बेहतर बैटरी वाले छोटे ट्रैकर मिलते तो शायद हम उन्हें और अधिक समय तक ट्रैक कर सकते थे। लेकिन संभावित रूप से उपभोक्ता की गोपनीयता का उल्लंघन करने से बचने के लिए, अगर कपड़े फिर से बेचे गए तो हम किसी ग्राहक को ट्रैक नहीं करना चाहते थे।
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एक ट्रैकर के साथ लौटाई गई प्रत्येक वस्तु एक संदेश के साथ बंडल में आई, इस उम्मीद में कि खोजकर्ता हमसे संपर्क करेगा। फोटो: टैस्टो लापिला, येल
लेकिन भाग्यवश एक ट्रेकर का पता चला जो एस्टोनियाई राजधानी तेलिन के पास खत्म हुआ था। जीपीएस ने मुझे कपड़ों का सटीक स्थान दिया, इसलिए मैंने तेलिन की यात्रा की, जहां मुझे “वापसी प्रबंधन” में विशेषज्ञता वाली एक कंपनी मिली, जो एस्टोनिया और पोलैंड जैसे देशों में एक बढ़ता हुआ व्यवसाय है।
वहां कंपनी ने कपड़ों के वापसी के राज को खोला। वहां मुझे पता चला की कपड़ों को सही स्थिति में लाने के उद्देश्य से जांचा, उदाहरण के लिए बालों और रोए को हटाया, ताकि उन्हें फिर से बेचा जा सके। जिस मेनेजर का हमने साक्षात्कार किया था उसने बताया कि वहां प्राप्त किए गए कई कपड़े ग्राहकों द्वारा उपयोग किए गए हैं – वे कपड़ों पर गंध या दाग से बता सकते हैं।
लेकिन मैंने तेलिन में कपड़े को पुराने स्वरूप में लाने वाली महिलाओं और उनके मेनेजर से बात करने से एक आश्चर्यजनक तथ्य पाया, वह यह है कि € 60 ($ 70 अमरीकी डालर) से कम मूल्य की वस्तुओं को बचाने योग्य नहीं माना जाता है। इसलिए इसके बजाय उन्हें किसी दूसरी कंपनी को बेच दिया जाता है या दान कर दिया जाता है। ये कंपनियां या चैरिटी तब या तो उन्हें नष्ट कर देती हैं या उन्हें यूरोप के बाहर बेच देती हैं।
साल्वेशन आर्मी इन कपड़ों को दान में से प्राप्त करने वालों में से एक है। एस्टोनिया से वापस यात्रा करते हुए, मैंने फिनलैंड के दक्षिण-पश्चिम में तेलिन से बाल्टिक सागर के पार कुछ सौ किलोमीटर पर टूर्कू में एक चैरिटी के गोदामों में से एक का दौरा किया। वहाँ का डिपो उन बक्सों से भरा हुआ था, जो उत्तरी इराक में इरबिल के रास्ते हर साल यूरोप से भेजे जाने वाले कपड़े थे।
महामारी के कारण, मैं इराक की यात्रा नहीं कर सकी, इसलिए मैं इरबिल में एक कैमरामैन के संपर्क में आयी, जिसे साल्वेशन आर्मी द्वारा फ़िनलैंड से भेजे गए कपड़े मिले। पहले चैरिटी एक स्थानीय कंपनी को कपड़े बेचती है, जो उन्हें ओस्लो और स्टॉकहोम नामक स्थानीय दुकानों के खरीदारों को बेचती है। वहां, कपड़ों को उन वस्तुओं के साथ बेचा जाता है जो सीजन से बाहर हैं या जो पिछले फैशन क्रम में नहीं बिके थे। दुकान के मालिकों ने हमें बताया कि सिर्फ कुछ कपड़े ही बेचने लायक हैं, और बाकी इरबिल के बाहर एक कचरा घर पर खत्म हो जाते हैं।
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इराक़ का वह कचराघर जहां यूरोप से लौटे कपड़े अंततः समाप्त हो सकते हैं । फोटो: हॉकर अहमद, येल
इस जांच से हमें क्या पता चला? हमने अपने निष्कर्षों पर एक शोध आधारित खबर और एक वृत्तचित्र दोनों प्रकाशित किए, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे कुछ कपड़े जो हम ऑनलाइन खरीदकर वापस करते हैं उनको किस तरह से दूसरे महाद्वीप के कचरे के ढेर में फेंक दिया जाता है या पुनः बेचा जाता है। किसी वस्तु को किसी स्टोर या नए उपभोक्ता को वापस करने का अर्थशास्त्र कई कंपनियों के लिए लाभहीन हो सकता है। लेकिन हम जानते हैं कि इसके चारों ओर एक विशाल और जटिल डिमांड-सप्लाई की श्रृंखला बन गई है।
हमने यह भी पाया कि जब कपड़े यूरोप से बाहर जाते हैं तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है। कपड़े एक बिचौलिए से दुसरे बिचौलिए तक जाते हैं। किसी को भी अंतिम गंतव्य का पता नहीं रहता है। वास्तव में, प्रतिस्पर्धी कारणों से, कई वस्त्र कंपनियां अपने स्वयं के बाजार से बाहर कपड़े ले जाने के लिए दान या कंपनियों के साथ काम करती हैं। लेकिन निश्चित रूप से, यह कपड़ो की यात्रा और कार्बन फुटप्रिंट के आकलन को जोड़ता है।
हमने इस परियोजना के दौरान ट्रैकिंग टैग का उपयोग करने के बारे में कई बातें भी सीखीं। मुख्य समस्या थी कि बैटरी की समस्या के कारण ट्रैकर काफी कम समयावधि तक ही कपड़ों को ढूंढ पा रहा था, जिसमे अभी भी एक अच्छी गुणवत्ता वाली बैटरी की जरूरत थी। हमारे द्वारा उपयोग किए गए ट्रैकर सर्वोत्कृष्ट नहीं थे इसलिए हम इराक में कचरे के ढेर तक किसी विशिष्ट आइटम को ट्रैक नहीं कर सके।
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लौटाए गए कई कपड़ों से बदबू आती है या उन पर दाग पड़ जाते हैं और इन्हें दोबारा बेचा नहीं जा सकता। फोटो: टैस्टो लापिला, येल
हालाँकि, ट्रैकरों ने मेरे द्वारा लौटाए गए सामानों में से एक का मार्ग खोजने में हमारी मदद की, साथ ही फ़िनलैंड के कुछ लौटे हुए कपड़ों के मार्ग भी पता चले। इसके बदले हमें कार्बन फुटप्रिंट की गणना करने में मदद मिली, साथ ही हमें व्यापक संचालन और क्रियान्वयन नेटवर्क की ओर भी इशारा किया जो अवांछित कपड़ों की देखभाल करता है।
हमें फ़िनलैंड के एक पर्यावरण संस्थान में एक वैज्ञानिक के साथ वापस किये गये कपडो के कार्बन फुटप्रिंट की गणना के काम करने में मदद मिली। इस आंकड़े की गणना जीवन चक्र मूल्यांकन दृष्टिकोण का उपयोग करके की गई थी: यह परिवहन से संबंधित उत्सर्जन के लिए एक मूल्य देता है जो दूरी के आधार पर भूमि या समुद्र से यात्रा करता है, उसका वजन, और उन परिवहन विधियों के औसत उत्सर्जन से इसे गुणा करता है।
गंभीर निष्कर्ष: जब आप एक वर्ष के दौरान यूरोप में सभी वापस किये गये कपड़ों के कार्बन फुटप्रिंट को जोड़ते हैं, तो वे समान अवधि के दौरान एक प्रमुख शहर के कार्बन उत्सर्जन के बराबर होते हैं।
इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकतर वापस किये गये कपड़े अनावश्यक हैं। और अगर लोगों को पता हो कि लौटाए गए कपड़ों और संबंधित पर्यावरणीय लागत का क्या हो सकता है, तो मेरा मानना है कि वे शायद काफी अलग व्यवहार करेंगे। कम से कम मैं अपने घर को फिटिंग रूम के रूप में इस्तेमाल करने से पहले दो बार सोचूंगी, ताकि दुनिया के दूसरी तरफ अधिक कचरा पैदा न हो सके।
सम्पादकीय टिप्पणी : दोनों लेखक वैश्विक खोजी पत्रकारिता सम्मेलन में कपड़ों की आपूर्ति श्रृंखलाओं की जांच के अपने काम के बारे में प्रस्तुतीकरण देंगीं। आप यहां 1-5 नवंबर को होने वाले ऑनलाइन सम्मेलन में भाग लेने के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।
अतिरिक्त संसाधन
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मिन्ना नूस-गैलन फिनिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी, येल में खोजी टीम एमओटी पर एक रिपोर्टर हैं। मनी लॉन्ड्रिंग, बांग्लादेश के वस्त्र कारखानों और भ्रष्टाचार के विषयों के कवरेज पर कई पुरस्कार अर्जित किए हैं। उन्होंने कई सीमा पार परियोजनाओं में भाग लिया है और पनामा पेपर्स पर “प्रोजेक्ट पनामा” पुस्तक की लेखिका हैं।
जेसिका स्टोल्ज़मैन फिनिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी येल के स्वीडिश-भाषी खंड में पुरस्कार प्राप्त खोजी पत्रकार हैं। उन्होंने पहले एक विदेशी समाचार रिपोर्टर के रूप में काम किया था। कुछ साल पहले वह ब्राजील में ट्रांसजेंडर मुद्दों, काम करने की स्थिति और भूमि संघर्ष जैसे विषयों को कवर करते हुए खोजी पत्रकारिता करने लगीं ।