कोविड-19 संबंधी स्वास्थ्य और चिकित्सा पर GIJN गाइड  

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COVID-19

महामारी के इस दौर में दुनिया भर के पत्रकार अब हेल्थ रिपोर्टर की तरह काम करते नज़र आ रहे हैं। कोरोना रिपोर्टिंग की नई जिम्मेदारी के चलते पत्रकार भी इससे जुड़े कई दावों, विशेषज्ञों की राय और इस बीमारी को ज्यादा से ज्यादा समझने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना का रोज़ बदलता परिदृश्य उनके काम को और चुनौतीपूर्ण बना रहा है। इन परिस्तिथियों को समझते हुए यहां हम एक व्यापक ग्लोबल गाइड के माध्यम से  स्वास्थ्य और चिकित्सा पर खोजी रिपोर्टिंग के महत्वपूर्ण बिंदुओं से रूबरू करा रहे हैं।

जेआईजीएन के दो एक्सपर्ट कैथरीन रीवा और सेरेना तिनारी कोविड-19 पर खोजी रिपोर्टिंग के महत्वपूर्ण पहलुओं को बता रहे हैं। इसमें बीमारी से जुड़ी दवाओं पर अनुसंधानों और स्वीकृति से लेकर वैज्ञानिक अध्ययनों का मूल्यांकन, हितों के टकराव, धोखाधड़ी, कदाचार व भ्रष्टाचार के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। यह एक ऐसा रोडमैप है जो कॉर्पोरेट प्रेस विज्ञप्ति और सरकारी अधिकारियों के दावों से कहीं आगे की तस्वीर को जानने और समझने में उपयोगी है। चलिए जानते हैं आप क्या सोचते हैं….  और कैसे इसकी तह तक पहुंच सकते हैं?

कोविड-19 के दौर में हेल्थ केयर पर रिपोर्टिंग काफी जटिल और चुनौतीपूर्ण हो चुकी है। इस पर रिपोर्टिंग के लिए लंबे-लंबे दस्तावेजों के अध्धयन के साथ ही मेडिकल फील्ड के शब्दजाल से अच्छी तरह से परिचित होना भी बहुत जरूरी है। वहीं, इससे जुड़े आंकड़ों को समझना और उन्हें अपनी खबर का हिस्सा बनाना भी बेहद अहम है। अगर आप तेजी से सीखने में दिलचस्पी रखते है तो खोजी पत्रकारिता की यह विधा वैश्विक, रोमांचक व आकर्षक भी लगेगी।

फिर भी कोरोनाकाल में अचानक से मेडिकल इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग निराशाजनक और नुकसानदेह लग सकती है, इस मानसिकता से कई पत्रकार गुजर भी रहे हैं। संकट की इस स्थित में यह मार्गदर्शिका रिपोर्टरों को बुनियादी ज्ञान प्रदान करेगी। कोविड-19 की जटिल रिपोर्टिंग के साथ ही साथ अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों के कई चुनौतीपूर्ण पहलुओं को गहराई से जानने में भी यह मार्गदर्शक साबित होगी। हम कोविड-19 पर बेहतर रिपोर्टिंग के लिए कुछ टूल और टिप्स के साथ इसकी शुरुआत कर रहे हैं।

कोविड-19-आंकड़े

शुरुआत से पहले यह ध्यान रखें कि कोविड-19 कोरोनावायरस SARS-CoV-2 के कारण होने वाली एक बीमारी का नाम है। इस गाइड में हम महामारी को आसानी से समझने के लिए कोविड-19 शब्द का उपयोग कर रहे हैं। याद रखें कि कोई भी आंकड़े केवल तभी समझ में आते हैं, जब उनका सही संदर्भ के साथ इस्तेमाल किया जाए। उदाहरण के लिए, इस महामारी से जुड़े कोई भी सुझाव देने से पहले यह समझना बहुत जरूरी है कि जो आंकड़े पेश किए जा रहे हैं, उसका बीमारी की गंभीरता से कितना वास्ता है। मरीज की हेल्थ और हॉस्पिटल के डॉक्टरों का इस वायरस के लक्षणों पर कही जाने वाली बातों पर भी ध्यान देना होगा। संदर्भ प्रदान करना आकलन करने का एकमात्र तरीका है कि क्या कोई ऐसी घटना वास्तव में पहले कभी नहीं देखी गई है या यह पूरी दुनिया के लिए बहुत ही नॉर्मल बात है।

GIJN ने कोविड-19 डेटा के आधिकारिक और गैरआधिकारिक  स्रोतों को संकलित किया है। कोविड-19 डेटा के लिए ‘Our World in Data’s COVID-19 statistics and research landing page भी एक मूल्यवान स्रोत है। यूरोप के लिए, यूरो मो-मो (EuroMOMO i) एक उत्कृष्ट स्रोत है जो यूरोप पर रिपोर्ट नहीं करने वालों के लिए भी कई खोजी रिपोर्टिंग के लिए बेहतरीन विकल्प है। याद रखें कि डेटा को एकत्रित और संकलित करने में कई फैक्टर काम करते हैं, इसके लिए कई अलग-अलग तरीके अपनाएं जाते हैं। कई उलझनें भी सामने आती हैं। ऐसे में डेटा के मामले में बहुत सतर्क रहने की भी जरूरत है।

सबसे बेहतर वैज्ञानिक साक्ष्य के लिए ये हैं महत्वपूर्ण बिंदू

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 से जुड़ी जानकारियों के लिए वेबसाइट् तैयार की है। जिसमें विस्तृत रूप से कई डेटा और रिपोर्ट्स के बारे में जानकारियां उपलब्ध है। इस गाइड को पढ़ते हुए आप जानेंगे कि किसी भी विषय पर अध्ययन के सन्दर्भ में उसकी रूपरेखा और महत्व में बड़ा अंतर होता है। महामारी के इस दौर में कई तरह की रिसर्च बहुत तेजी से सामने आ रही हैं। इनमें से कई रिसर्च रिपोर्ट पर लगातार अध्ययन चल रहा है। ऐसे में अभी तक वैश्विक स्तर पर कोई भी निर्णय लेना इतना आसान नहीं है। आप किसी भी निष्कर्ष पर इतनी आसानी से नहीं पहुंच सकते हैं। संक्षेप में, चिकित्सा अनुसंधान की दुनिया में इस समय बहुत शोर है और रोजाना नई-नई तरह की जानकारियां सामने आ रही हैं। ऐसे में एक पत्रकार के लिए यह बहुत मुश्किल हो जाता है कि वह किस रिपोर्ट और तथ्यों पर विश्वास करें, क्योंकि वह इस क्षेत्र में विशेषज्ञ नहीं होता है।

ऐसे में क्या चल रहा है, यह समझने के लिए हमें सबूतों पर आधारित चिकित्सा दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। यह एक ऐसी पद्धति है जो मरीज की स्थिति जानने के लिए सर्वोत्तम है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एविडेंस-बेस्ड मेडिसिन (CEBM) की COVID-19 Evidence Service  सबसे ठोस तरीकों में से कुछ का उपयोग करके तेजी से विश्लेषण प्रकाशित करती है। इस वेबसाइट पर आपको कोविड-19 के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी सटीक जानकारी बहुत ही साधारण भाषा में मिलेगी। यहां पर कोविड-19 से संबंधित कई तरह के साक्ष्य रिपोर्टिंग में बहुत काम आ सकते हैं। जैसे, आबादी के अधिकांश लोगों द्वारा फेस मास्क पहनने से कई तरह के लाभ हैं, इस पर एक विश्वसनीय रिसर्च रिपोर्ट यहां पर मौजूद है। इन रिपोर्ट्स से यह साबित हो जाता है कि वायरस किस तरह का है और इससे कैसे निपटा जा सकता है। इसकी मृत्यु दर और प्रभावकारिता के बारे में उपलब्ध आंकड़े क्या है? साक्ष्य सेवा योगदानकर्ता ऐसे स्वतंत्र विद्वान हैं जो COVID-19 के विज्ञान के बारे में जो कुछ भी जानते हैं, उसका विश्लेषण करते हैं, जो हम जानते हैं और उसके बारे में भी जो हम नहीं जानते हैं।

एक्सपर्ट कौन है?

विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ वैज्ञानिक कोविड-19 के बारे में सार्वजनिक रूप से अपनी राय रखते हैं, लेकिन चिकित्सा विज्ञान में विशेषज्ञता का दायरा बहुत बड़ा है जिसे हमें समझना होगा। कोविड-19 महामारी के संक्रमण और वैक्सीन को लेकर अलग-अलग सम्बंधित एक्सपर्ट्स से बात करना बेहतर होगा क्योंकि महामारी के प्रसार और वैक्सीन प्रबंधन में विशेषज्ञता का दायरा भी अलग है।

किसी भी मॉडल में चेतावनी का होना बहुत जरूरी है

एक बेहतरीन मॉडल गणितीय सिमुलेशन की तरह हैं, जो संभावित परिणामों को प्रोजेक्ट करते हैं। इससे यह जानने में मदद मिलती है कि किसी निश्चित समय के दौरान किसी विशेष वायरस से कितने लोगों के संक्रमित होने की संभावना है। जैसा कि स्कॉलर कार्ल हेनेगन और टॉम जेफरसन ने अपनी रिपोर्ट मॉडलिंग द मॉडल में जिक्र किया है। सभी मॉडल, यदि वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित हैं, तो वे भावी या पूर्वव्यापी हो सकते हैं। लेकिन अगर उनकी शुरुआत में ही कुछ अनिश्चितता है तो ऐसे में सामने आने वाले बयान हकीकत बयां नहीं करेंगे। उनकी विश्वसनीयता का स्तर कई कारकों पर निर्भर करता है। खासकर डेटा पर, जिससे कई जानकारियां सामने आती हैं। महामारी की शुरुआत में कोविड-19 से जुड़े जितने भी मॉडल सामने आए वह ऐसे समय में सामने आए जब डेटा बहुत कम मौजूद था। इसके अलावा, महामारी बहुत खतरनाक होती हैं, जिससे किसी भी मॉडल के लिए यह अनुमान लगाना और भी मुश्किल हो जाता है कि क्या होने जा रहा है। ऐसी स्थिति में इन सभी बातों का अर्थ यह है कि सभी मॉडल एक चेतावनी के साथ आने चाहिए और यदि आप उन्हें अपनी पत्रकारिता के लिए उपयोग कर रहे हैं, तो आपको सभी संभावित भ्रमित कारकों और कमजोरियों पर ध्यान से विचार करना चाहिए।

स्वास्थ्य दावों से जुड़ी मीडिया रिपोर्टिंग से सावधान रहें

कई बार मीडिया में रिपोर्ट त्रुटिपूर्ण हो सकती है, अक्सर कई खबरें साक्ष्य-आधारित नहीं होती हैं और अधिकांश खबरें सरकार से प्राप्त जानकारी पर निर्भर होती हैं। यह मार्गदर्शिका बड़े पैमाने पर अनुसंधान के दावों का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन करने के तरीके से संबंधित है और अक्सर HealthNewsReview.org काम का हवाला देती है, जो कि मीडिया द्वारा प्रकाशित किए गए स्वास्थ्य और चिकित्सा दावों को स्पष्ट करने का काम करती है। इसे फेक्ट चेक भी कह सकते हैं। HealthNewsReview.org ने कोविड-19 महामारी के इस दौर में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। यह अक्सर संयुक्त राज्य अमेरिका में मीडिया परिदृश्य पर केंद्रित होता है, लेकिन इसके प्रमुख निष्कर्ष सभी देशों पर लागू होते हैं और यह आपकी पत्रकारिता के लिए एक बड़ी प्रेरणा हो सकती है।

अति सरलीकरण से सावधान रहें

वर्तमान वैश्विक स्थिति में कुछ भी सरल या आसान नहीं है। कई बार चिकित्सकों और सरकार के आंकड़ों के जाल में उलझकर रह जाते हैं। इनसे मिली जानकारी उलझन पैदा करती हैं। ऐसी स्थिति में सबसे बेहतर है कि खुद ही स्वतंत्र रूप से सबूत जुटाएं , जानकारी को क्रॉस-चेक करें और ध्यान रखें कि स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में कई बार टकराव की स्थिति भी बन जाती है। महामारी की स्थिति पर अन्य देशों से तुलना का कोई फायदा नहीं और उल्टा ऐसे में नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। मतभेद और भ्रामक कारक एक प्रासंगिक भूमिका निभा सकते हैं।

यदि आप अपने तथ्यों की अन्य देशों से तुलना कर रहे हैं, तो कई कारकों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जैसे कि उस देश में औसत आयु क्या है, जो अक्सर एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है। एक खास बात यह है कोविड-19 में अधिकांश रिकॉर्डेड मौत के मामले बुजुर्गों के हैं। इसके अलावा, हर देश में मौतों की अलग-अलग वजह और व्याख्याएं भी हो सकती हैं।

कोरोना काल में हेल्थ इश्यू को नजरअंदाज ना करें

कोविड-19 महामारी में फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग पर सभी चिकित्सक काफी जोर दे रहे हैं। इनका उपयोग करने से कोरोना का खतरा थोड़ा कम हो जाता है। COVID-19 को लेकर सरकार द्वारा दिए गए लाभ और किसी भी हस्तक्षेप के नुकसान के साक्ष्य की जांच जरूर करें। इस दौरान पड़ताल करनी होगी की क्या उम्मीद के विपरीत प्रभाव पड़ते हैं और क्या वे पारदर्शी रूप से जनता से संवाद करते हैं? यह भी याद रखें कि सार्वजनिक स्वास्थ्य में, दीर्घकालिक और सभी-कारण या समग्र मृत्यु दर अल्पकालिक आंकड़ों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें अक्सर मुद्दों के रूप में स्पष्ट किया जाएगा।

इसके अलावा, ऐसा लग सकता है कि कोविड -19 इस समय एकमात्र मुद्दा स्वास्थ्य है। हालांकि, कई अप्राप्य चिकित्सा आवश्यकताएं वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य तस्वीर का हिस्सा हैं। दुनिया भर में अरबों लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य भी बहुत मुश्किल से मिल पा रही हैं और आवश्यक दवाओं तक पहुंच की कमी है। कई क्षेत्रों में सस्ते, सुरक्षित और प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं हैं। विकासशील देशों में वैक्सीन अनुसंधान एक उदाहरण है। यदि कोविड-19 संकट ने पत्रकारों और संपादकों का ध्यान एक ही सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे पर स्थानांतरित कर दिया है, तो अन्य चिकित्सा मुद्दों पर ध्यान देना जरूरी है जो महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहे हैं।

कोविड-19 वैक्सीन और ड्रग्स के बारे में रिपोर्टिंग करते समय सावधानी बरतें

सबसे पहले आपको दवाओं और वैक्सीन से संबंधित साइंस को तेज़ी से समझना होगा। सुनिश्चित करें कि आप लाभ और हानि के बीच ठीक संतुलन को समझते हैं और यह जानें कि नियामक प्राधिकरण, वैज्ञानिक अध्ययन और निगरानी प्रणाली कैसे काम करते हैं। हमने इस मार्गदर्शिका में उस समझ का समर्थन करने के लिए आवश्यक संसाधनों को अंडरलाइन किया है। उदाहरण के लिए, जो पत्रकार कोविड-19 वैक्सीन पर रिपोर्ट करना चाहते हैं  उनके लिए Brighton Collaboration  के टिप्स काफी मददगार हो सकते हैं, ब्राइटन कोलाब्रेशन दवा उद्योग से संबंधित स्वतंत्र वैक्सीन सुरक्षा विशेषज्ञों का एक नेटवर्क है।

इसके अलावा इन टिप्स को  Journalist’s Resource द्वारा भी संकलित लिया गया है जो बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं –

  1. रिपोर्टर्स को यह समझना चाहिए कि क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न स्तर क्या हो सकते हैं और क्या नहीं हो सकते है। अकादमिक जर्नल लेखों के बजाय प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से वैज्ञानिक आंकड़ों के बारे में घोषणा करने से पहले पत्रकारों को थोड़ा सावधान रहना चाहिए।
  2. अपने दर्शकों और पाठकों को बताएं कि वे कोविड-19 का टीका लगवाने के बाद भी कुछ हल्के साइड इफेक्ट का अनुभव कर सकते हैं।
  3. टीकों का परीक्षण करने के लिए उपयोग किए जाने वाले रोगियों की जनसांख्यिकी दर्शकों और पाठकों को समझाएं। टीकों का परीक्षण कितने लोगों पर किया गया और यह कितना असरदार है, इसके बारे में भी बताना चाहिए।
  4. वैक्सीन से जुड़ी हर बात को आपने दर्शकों और पाठकों के साथ बड़ी सावधानी से शेयर करना चाहिए। उनकी जिज्ञासाओं को समझ उनका मार्गदर्शन करें।
  5. स्रोतों का एक नेटवर्क बनाएं, विशेष रूप से उस तरह जिससे ख़ास डेटा आप तक पहुंच सके।

इतिहास से सबक लें

2020 में इस महामारी ने दुनिया के सामने एक नई चुनौती खड़ी की है और पूरी दुनिया एक नए और अभूतपूर्व चिकित्सा आपातकाल का सामना कर रही है, यह समय सैकड़ों वर्षों की चिकित्सा, स्वास्थ्य देखभाल और महामारी से सबक लेकर आगे बढ़ने का है। हेल्थ केयर पर रूटीन और प्रोटोकॉल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें। यह जानने की कोशिश करें कि आमतौर पर आईसीयू में श्वसन रोगियों का इलाज कैसे किया जाता है? क्या बुजुर्ग लोगों के साथ वेंटिलेशन का उपयोग करना सही है। यह जानना भी जरूरी है कि एक मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कितनी बार और कब तक अन्य वायरल संक्रमणों की जटिलताएं प्रभावित करती हैं? दिशा-निर्देशों और दिनचर्या के बारे में सतर्क रहे और कोविड -19 के साथ होने वाली हेल्थ केयर के सामान्य मानकों की तुलना करें। एक पत्रकार को अतिउत्साह में किसी भी तरह की रिपोर्टिंग नहीं करनी चाहिए, क्योंकि संकट के इस दौर में मीडिया और सरकार के संदेश भावनात्मक रूप से लोगों को गुमराह करने वाले नहीं होने चाहिए। एक खोजी पत्रकार को अपने दिमाग को शांत रखते हुए रिपोर्ट करना चाहिए।

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