व्हाट्सअप कैसे ‘ग्लोबल साउथ’ के मीडिया संस्थानों में लोकप्रिय है !

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समय के साथ पत्रकारिता का रूप भी बदला है। प्रिंट माध्यम से शुरू हुई पत्रकारिता की यात्रा अब डिजिटल माध्यम तक पहुँच गयी है। इसके साथ ही पत्रकारिता के सामने कई चुनौतियाँ भी आई हैं। प्रिंट पत्रकारिता के लिए प्रकाशन और वितरण हमेशा एक जटिल कार्य रहा है। इससे निजात पाने के लिए कुछ अखबारों ने एक नया रास्ता निकाला है। उन्होंने प्रकाशन और वितरण की समस्याओं से बचने के लिए तकनीक का सहारा लिया। द कोरियो, द कॉन्टिनेंट और 263चैट ऐसे ही मीडिया संस्थान हैं। इनका अखबार अब पीडीएफ के रूप में व्हाट्सएप के माध्यम से लोगों तक पहुंच रहा है। इसके लिए व्हाट्सएप में ग्रुप बना कर सफलतापूर्वक पाठकों तक अखबार की पीडीएफ फाइल पहुँचाई जा रही है। साथ ही, लोगों को व्हाट्सएप के माध्यम से वेबसाइट तक लाया जा रहा है। व्हाट्सएप ग्रुप के कारण पाठकों के साथ अखबार का घनिष्ठ संबंध बन रहा है।

Correio के डिजिटल सामग्री समन्वयक व्लादिमीर पिनेहीरो ने व्हाट्सअप से बने ऐसे संबंध का एक दिलचस्प संस्मरण सुनाया। एक महत्वपूर्ण समारोह के दौरान भीड़ में एक महिला ने उन्हें देखते ही पहचान लिया। वह उन्हें कोरियो के व्हाट्सएप ग्रुप के कारण जानती थीं। उस महिला ने उनके साथ सेल्फी लेकर व्हाट्सएप ग्रुप में भेजते हुए लिखा- “मुझे कोरियो से प्यार है।“

व्लादिमीर पिनेहीरो के अनुसार यह घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंधों का एक आदर्श उदाहरण है। न्यूजरूम ने पाठकों के साथ व्हाट्सएप के माध्यम से ऐसा संबंध बनाया है।

वर्ष 2019 में ब्राजील के बाहिया स्थित साल्वाडोर शहर को इरमा डलसे के रूप में एक नया संत मिला था। वे एक ब्राजीलियाई कैथोलिक फ्रांसिस्कन बहन थीं। वह नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित थीं और ब्राजील के प्रमुख परोपकारी अस्पताल की संस्थापक थीं। वेटिकन सिटी में औपचारिक आयोजन के दौरान व्लादिमीर पिनेहीरो की मुलाकात उस पाठिका से हुई थी।

कोरिओ अखबार उत्तर-पूर्वी ब्राजील के बाहिया राज्य का एक क्षेत्रीय अखबार है। इसका रोजाना सर्कुलेशन 35 हजार है। एक महीने में इसे 18 मिलियन पेज व्यू मिलते हैं। यह समाचार पत्र 2014 से व्हाट्सएप के साथ प्रयोग कर रहा है। शुरू में इसका उपयोग यूजर द्वारा जनरेट किए गए कंटेंट को प्राप्त करने के लिए किया गया। इसके बाद एक नया प्रयोग करके फुटबाल कम्यूनिटी को तैयार करने के लिए उपयोग किया गया। उस समूह में विशेषज्ञ के रूप में काम करने वाले पत्रकार जानकारी साझा करते थे।

इस ग्रुप को बनाने वाले पत्रकार जुआन टोरेस बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने एक गूगल फॉर्म भरवाया था। जुआन के अनुसार, हम देखना चाहते थे कि लोग कैसे व्यवहार करते हैं, क्या लोग इसको महत्वपूर्ण मानते हैं, और इसे चलाना हमारे लिए कितना आसान है।

व्हाट्सएप ही क्यों?

भारत के बाद ब्राजील दूसरा ऐसा देश हैं जहां लोग व्हाट्सएप का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक ब्राजील में व्हाट्सएप के 99 मिलियन मासिक यूजर हैं। वहीं एक अन्य अनुमान के मुताबिक ब्राजील में व्हाटसएप के 120 मिलियन यूजर हैं। इस वजह से व्हाट्सएप का उपयोग करके कोरियो राष्ट्रीय ट्रेंड को फॉलो कर रहा है।

ब्राजील के अलावा भी देखें तो कई शोध हैं जो यह बताते हैं कि लतिन अमेरिका और अफ्रीका के लोगों द्वारा व्हाट्सएप का अधिक उपयोग किया जाता है। यह छोटे न्यूज रूम को अपनी खबरें लोगों तक पहुंचाने में मदद करता है और नए अवसर देता है।

2020 की डिजिटल न्यूज रिपोर्ट की मानें तो मैसेजिंग एप पब्लिसर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। सर्वे में शामिल लोगों में से आधे लोगों ने कहा कि वे कनेक्ट रहने के लिए, जानकारी शेयर करने के लिए और लोकल सपोर्ट नेटवर्क में शामिल होने के लिए ऑनलाइन ओपन और क्लोज ग्रूप का उपयोग करते हैं। वहीं ब्राजील में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाटसएप ही उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही 48 प्रतिशत ब्राजिलियन व्हाटसएप का उपयोग खबरों के लिए करते हैं।

कोरियो व्हाटसएप का उपयोग कैसे करता है?

कोरियो वर्तमान में 10 व्हाट्सएप ग्रूप संचालित करता है। फिलहाल सभी ग्रुप सामान्य खबरों के लिए हैं। हाल ही में पांच नए ग्रूप बनाए गए हैं जो कोरोना वायरस संबंधी खबरें देते हैं। व्हाट्सएप के एक ग्रुप में 256 लोगों से ज्यादा लोगों को नहीं जोड़ा जा सकता है। इसलिए कुछ ग्रूप एक समान खबरें शेयर करते हैं लेकिन उनमें शामिल लोग अलग होते हैं। पहले कुछ ऐसे भी ग्रूप बनाए गए हैं जो कि किसी विशेष विषय या कार्यक्रम पर आधारित होते हैं। जैसे मैराथन और कार्नावल।

टोरेस बताते हैं कि व्हाटसएप के जरिए हमने सोशल मीडिया के बारे में सोचने के तरीके को बदला है। वे कहते हैं कि बहुत से पब्लिसर्स व्हाटसएप और चैट एप का उपयोग सिर्फ कंटेंट के प्रसार प्रचार के लिए करते हैं। यह फिशिंग जैसा होता है कि क्या आप अपनी वेबसाइट में ट्रैफिक ला सकते हैं। सोशल मीडिया इस तरह से काम नहीं करता है। यह एक तरह से ऐसा है कि हम पब्लिसर्स के एम्स को पूरा करने के लिए सोशल मीडिया को फोर्स कर रहे हैं।

यह न्यूजपेपर व्हाटसएप के ग्रूप फंक्शन का उपयोग करता है ना कि ब्रॉडकास्ट लिस्ट का। वर्तमान में 10 ग्रूप संचालित हैं। इनमें से 5 ग्रूप में सिर्फ एडमिन ही पोस्ट कर सकता है. वहीं दूसरे 5 ग्रूप ऐसे हैं जहां सभी ग्रूप मेंबर्स पोस्ट कर सकते हैं। कुछ ऐसे ग्रुप भी हैं जिन्हें किसी विशेष प्रायोजन के लिए बनाया गया था लेकिन वर्तमान में वह ग्रूप कोरियों नहीं संचालित करता है। जैसे कि उदाहरण के लिए एक ग्रूप ओरिजनल फुटबॉल कम्यूनिटी अभी भी एक्टिव है लेकिन उसे कोरियो संचालित नहीं करता है।

व्लादिमीर पिनेहीरो कहते हैं कि हम ओपन ग्रूप को हमारे सूत्रों की तरह उपयोग करते हैं। उन ग्रूप से हमें यह पता चलता है कि लोग किस बारे में बात कर रहे हैं और क्या शेयर कर रहे हैं। हम यह भी ध्यान नहीं देते कि हमारे कॉम्पिटीटर उस ग्रूप में कुछ शेयर कर रहे हैं, क्योंकि वहां यदि सिर्फ कोरियो रह जाएगा तो वो ग्रूप एक आर्टिफिसियल ग्रूप की तरह दिखेगा।

ग्रूप में पोस्टिंग एक छोटी टीम करती है। आमतौर पर प्रतिदिन 10 पोस्ट डाली जाती है। वहीं ओपन ग्रूप में नजर रखी जाती है कि क्या बातें चल रही हैं। यदि कोई ऐसा मैसेज है जो कि कोई स्टोरी आइडिया हो सकता है तो उसे एडमिन को भेज दिया जाता है। शुरुआती कुछ परेशानियों के बाद मोडरेशन कभी भी परेशानी का विषय नही रहा है। उन्होंने कोविड-19 पर बने ग्रूप में गलत जानकारी शेयर करने वाले एक सदस्य को ग्रूप से हटा दिया। उस सदस्य ने अपनी भूल को स्वीकार किया।

टोरेस कहते हैं कि हम ग्रुप में एक विश्वसनीय सदस्य के जैसा व्यवहार रखना चाहते हैं। ग्रूप मेंबर नही चाहते कि 200 से अधिक लोगों वाले ग्रुप में एक ही व्यक्ति बार बार पोस्ट करता रहे। वह कहते हैं कि इस तरह के ग्रुप को स्थापित करना और उस ग्रप में एडमिन का लगातार एक्टिव रहना महत्वपूर्ण है।

कोरियो के बेवसाइट लगभग 7 से 10 प्रतिशत ट्रैफिक व्हाट्सएप के जरिए मिलता है। उनकी वेबसाइट में मिलने वाले ट्रैफिक स्रोत्र में व्हाटसएप गूगल और सीधे ट्रैफिक के बाद तीसरे स्थान पर है। फिर भी व्हाटसएप क्लिक के लिए उपयोगी नहीं है यह इंगेजमेंट के लिए उपयोगी है। इसका मतलब यह हुआ कि वर्तमान में 2 हजार से ज्यादा ऑडिंयस इंगेज हैं।

हमारे व्हाटसएप मेंबर वेबसाइट में आने वाले लोगों से अधिक जुड़ाव दिखाते हैं। यह एक तरह से यह सीखना है कि किस तरह से अच्छे ढंग से अलग-अलग प्लेटफॉर्म में कहानी कह सकते हैं। व्हाट्सएप नें हमें यह याद दिलाया है कि हमें उपयोगकर्ताओं को केंद्र पर रखना चाहिए।

जिम्बाब्वे में 263चैट का प्रयोग

जिम्बाब्वे का मीडिया संस्थान ‘263चैट‘ प्रयास करता है कि ऑडियंस को प्राथमिकता मिले। यह एक डिस्कसन फोरम था जिसे 2012 में वेबसाइट और डेली ई-पेपर में विकसित किया गया है। यह न्यूज पेपर पीडीएफ फाइल के रूप में व्हाट्सएप में भेजा जाता है। ई-पेपर में घरेलू, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय खबरों के साथ-साथ क्लासीफाइड लिस्टिंग भी होती है। उस अखबार की खबरें ट्रेडिशनल अखबार की खबरों की तरह होती है लेकिन उसका डिजाइन मोबाइल की ऑडियंस को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। पेपर में एक आर्टिकल 300 से 400 शब्दों का होता है।

मुगुम बताते हैं कि जिम्बाब्वे में 2014 के बाद से व्हाट्सएप बढ़ना चालू हुआ। स्थानीय मोबाइल नेटवर्क ने अपना प्रमोशन करने के लिए अलग तरीका अपनाया। ट्वीटर उपयोग करने के लिए और व्हाटसएप उपयोग करने के लिए कम कीमत वाले प्लान प्रोवाइड कराना शुरू किया। ‘263चैट‘ ने ग्रुप में लिंक शेयर करने का काम 2016 में शुरू किया। जिम्बाव्बे में दूसरे अफ्रीकन देशों की तुलना में इंटरनेट तेजी से फैला है। यहां कुछ लोगों के लिए व्हाटसएप ही इंटरनेट था।

कोरियो की तरह ही ‘263चैट‘ ने अलग अलग प्लेटफर्म के लिए अलग एडोटोरियल प्रोडेक्ट बनाना शुरू किया। साथ ही व्हाटसएप के लिए डिजाइन किया गया एक साप्ताहिक ई-पेपर लॉंच किया। उन्होंने 2017 मे जिम्बाव्बे में हुए तख्ता पलट के दौरान अपने प्रोजेक्ट की रफ्तार बढ़ाई। तब समाचार इतनी तेजी से आ रहे थे कि साप्ताहिक ई-पेपर बहुत जल्दी आउट ऑफ डेट हो जाता था। इसलिए ‘263चैट‘ ने हर रात एक नया संस्करण जारी करना शुरू किया। यह संस्करण रात आठ बजे जारी होता है।

मुगामू कहते हैं कि ‘263चैट‘ ने खबरों की दुनिया को बदलने का प्रयास किया है। हमारी यह सोच है कि आज की खबर पाने के लिए लोग कल तक का इंतजार क्यों करें। यही मुख्यधारा मीडिया करता है।

‘263चैट‘ की ट्वीटर पर उपस्थिति ने वकीलों की एक मजबूत कम्युनिटी बनाने में मदद की है। ये लोग ई-पेपर प्राप्त करने वाले पहले लोग थे। और उन्हें व्हाट्सएप पर अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ ई पेपर साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। आज ‘263चैट‘ के पास 200 व्हाटसएप ग्रूप में 44,500 सबस्क्राइबर हैं। इसमें से 15 प्रतिशत जिम्बाव्बे के बाहर रहते हैं।

‘263चैट‘ का अगला कदम उनके प्रोडेक्ट का एसएमएस वर्जन लाना है, ताकि वे इंटरनेट के बिना लोगों के बीच अपनी पहुंच बना सकें। यह उनके मिशन के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। मुगनी कहते हैं कि जिनकी इंटरनेट तक पहुंच हैं, उनके लिए हमारे पास वेबसाइट है। हम उन लोगों के लिए भी ई-पेपर बना चुके हैं जिनके पास सीमित इंटरनेट है। हम जल्द ही एक एसएमएस प्रोडेक्ट बनाएंगे जो कि उन लोगों के काम आयेगा जिनके पास इंटरनेट नहीं है लेकिन एक मोबाइल जरूर है।

ग्रामीण समुदायों तक बिना इंटरनेट का उपयोग किए पहुंचना राजनीतिक भ्रष्टाचारों को चुनौती देने के लिए महत्वपूर्ण है। राजनेता और सरकारी अधिकारी इंटरनेट पर लोगों को यह कहकर खारिज कर देते हैं कि यह लोग प्रवासी हैं। लेकिन जब आप ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को यह बताना शुरू करेंगे कि क्या चल रहा है तो आप उन्हें मजबूत बनाएंगे। हम हम लोगों को सच बता कर उन्हें मजबूत करेंगे। जब वो अगली बार वोट डालने जाएंगे तो जागरूक बन कर जाएंगे।

आपके फोन में अखबार

मैसेजिंग ऐप्स द्वारा लोगों को जोड़ने की क्षमता ने अप्रैल 2020 में एक पेपर लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया। The Continent एक पैन-अफ्रीकी अखबार है जो कि विशेष तौर पर एक पीडीएफ ई-पेपर है। इसे व्हाट्सएप के लिए डिजाइन किया गया है। यह हर तीन सप्ताह में निकाला जाता है।

प्रिंट पेपर के लिए लागत और वितरित करने की कठिनाइयां हमेशा ही परेशानी का कारण बनती है। इस वजह से आमतौर पर अखबार पेरिस या लंदन में प्रकाशित किए जाते हैं और अफ्रीकी राजधानियों में वितरित किए जाते हैं। द कॉन्टिनेंट और मेल एंड गार्जियन अफ्रीका के संपादक साइमन एलिसन ने महसूस किया कि इन सब परेशानियों का हल मैसेजिंग ऐप्स हो सकते हैं।

डिजिटल न्यूज रिपोर्ट 2020 के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका में किसी भी अन्य प्लेटफॉर्म की तुलना में व्हाट्सएप (88) का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है और यह फेसबुक (57) के बाद समाचार पढ़ने (49) के लिए सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला प्लेटफॉर्म है। एलिसन कहते हैं कि पत्रकार के रूप में हमें दर्शकों की जरूरत होती है। जरूरी नहीं वे वेबसाइट पर , फेसबुक पर, ट्विटर पर हों। हमें उन तक पहुंचने के लिए रास्ता निकालना पड़ेगा।

वे कहते हैं कि कोविड-19 हमले लिए अंतिम सिग्नल था। हमने यह महसूस किया कि यह महामारी अंतरराष्ट्रीय स्तर की कहानी है। वे आगे कहते हैं कि दक्षिण अफ्रीका के पत्रकारों को दूसरे देशों के पत्रकारों तक अपनी बात और निष्कर्ष पहुंचाने के लिए एक ऐसे प्लेटफॉर्म की जरूरत थी जहां सिर्फ दक्षिण अफ्रीका के दर्शक ही न रहें।

वर्तमान में वह एक टीम के साथ काम कर रहे हैं। इसके कंटेंट का लगभग 70 प्रतिशत संपादकीय साझेदारी के साथ मेल और गार्जियन पत्रकारिता साथ प्रकाशित हो रहा है।

साइज महत्वपूर्ण है

अखबार के फॉर्मेट को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वह पाठकों को जोड़े। उसकी लंबाई चौड़ाई उसी के अनुसार रखी जाती है। एलीसन बताते हैं कि – हमारे बड़े संस्करण ने हमारे साथ सबसे कम ग्राहक जोड़े हैं। इसलिए हमने अगले नए संस्करण में पारंपरिक डिजाइन को बदलते हुए नया एडिशन लाया। इसमें हमने कई फोटो जोड़ी, छोटे आर्टिकल रखे। इसमें हमारी खबरे 250 शब्दों की होती हैं और आर्टिकल 900 शब्दों के। उस संस्करण में हमें सबसे ज्यादा रिस्पांस मिला।

इसे मोबाइल फोन के हिसाब से डिजाइन किया गया था। द कॉन्टिनेंट की खबरों का आकार यह बताता है कि लोग इससे जानकारी के लिए किस तरह से जुड़े हैं। हमारा कॉम्पिटिशन फेसबुक, इस्टाग्राम, ट्विटर और टिकटोक से भी है। जो की तेज हैं, शॉर्ट हैं और तुरंत रिवॉर्ड देती है। हमें उनकी नकल भी करनी होगी।

लोग जिस तरह से व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं, हम उसका लाभ उठाते हुए ऐसे ग्राहकों को तैयार करने में अपना ध्यान केंद्रित करते हैं जो कि हमारे लिए एक डिस्ट्रीब्यूटर का काम भी करेंगे। यहां हमारे प्रोजेक्ट के बारे में कुछ आकड़े दिए गए हैं।

  • वर्ष 2020 के अंत में किए गए एक सर्वे में 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने हर सप्ताह में कम से कम दो या तीन लोगों के साथ द कॉन्टिनेंट को शेयर किया है।
  • लगभग 1300 लोगों में एक तिहाई लोगों ने कहा कि उन्होंने एक सप्ताह में कम से कम छह व्यक्तियों के साथ इसे शेयर किया है।
  • टीम अब इस आधार पर काम करती है कि उनके साथ 7 हजार लोग व्हाट्सएप में जुड़े हुए हैं और 4-5 हजार लोग ईमेल पर जुड़े हुए हैं। इनमें से सभी लोग सात लोगों को शेयर करेंगे। इस तरह से एक हफ्ते में लगभग 80 हजार दर्शकों तक हमारी पहुंच होगी।
  • टीम ने पाया है कि व्हाट्सएप में करीब 96 देशों के लोगों ने साइन-अप किया है।

इस तरह ऑर्गेनिक डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तैयार करना ‘द कॉन्टिनेंट‘ की पत्रकारिता में विश्वास बनाने का काम करता है। एलिसन कहते हैं कि समाचार तब ज्यादा शक्तिशाली हो जाता है जब आप इसे किसी ऐसे व्यक्ति से प्राप्त करते हैं जिसे आप जानते हैं। ये वो नेटवर्क है जिसे हम बनाना चाहते हैं। यह व्यक्तिगत संबंध हैं। यह हमारी पत्रकारिता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे लोगों के साथ विश्वास और अच्छी भावनाओं के साथ जुड़ा जा सकता है।

‘द कॉन्टिंनेट‘ की कवरेज अफ्रीका से परे हैं। द कॉन्टिनेंट ने 31 अक्टूबर को एक अतिथि संपादित एडिशन प्रकाशित किया जो कि अमेरिका के चुनावों पर आधारित था। इसमें अफ्रिकन लेखकों, विचारकों और टिप्पणीकारों ने लिखा था। उन्हें कहा गया था कि आप किसी भी भाषा में अमेरिका के चुनावों पर लिखिए। यह 11 भाषाओं में प्रकाशित हुआ था। अफ्रीका का मीडिया अक्सर अफ्रीका की कहानियों को कवर करने में भी चुप्पी साध लेता है।

एलिसन कहते हैं कि यदि कोई अफ्रीका का मीडिया घराना जिसमें विदेशी संवाददाता हो जो कि बहुत कम हैं। उनसे अफ्रीका में अंतर्राष्ट्रीय समाचार आते हैं। नहीं तो लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय समाचार पश्चिमी मीडिया के आउटलेट के माध्यम से आते हैं। यह कुछ उदाहरण हैं जिन्हें हम बदलना चाहते हैं।

व्हाट्सएप से परे भविष्य?

‘कोरियो‘ और ‘द कॉन्टिंनेट‘ दोनों अन्य मैसेजिंग ऐप के साथ भी प्रयोग कर रहे हैं। वे सिग्नल और टेलीग्राम के दर्शकों का व्यवहार करीब से देख रहे हैं। लोग किस तरह उनमें शिफ्ट हो रहे हैं इस व्यवहार को भी देखा जा रहा है।

व्हाट्सएप की ग्रूप साइज को लेकर शर्तें एक चुनौती बनी हुई है। खासकर द कॉन्टिनेंट और 263चैट जैसे प्रोडेक्ट के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए। ऐप ने बड़े पैमाने पर प्रसारण को मुश्किल बना दिया है। इसका कोई तकनीकी समाधान नहीं हैं। हमारे पास जो समाधान हो वो भी बहुत मंहगे नहीं है। एलिसन कहते हैं कि अब हम सिग्नल और ई मेल के माध्यम से ग्राहकों को साइन अप करवा रहे हैं। वहां ऐसे प्रतिबंध नहीं हैं। कोरियो और द कॉन्टिनेंट अन्य मैसेजिंग ऐप के साथ भी प्रयोग कर रहे हैं। वे सिग्नल और टेलीग्राम यूजर के व्यवहार को करीब से देख कर उन्हें समझने की कोशिश कर रहे हैं।

2023 के चुनावों में 263चैट के लिए तकनीकी मुद्दे कहीं आगे जा सकते हैं। 2019 में जिम्बाब्वे सरकार ने ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ चल हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान इंटरनेट और मैसेजिंग ऐप शट डाउन कर दिया था।

मुगमु कहते हैं कि हमें देश के बाहर एक ऐसा सिस्टम तैयार करना है ताकि यदि राजनीतिक रूप से इंटरनेट शटडाउन हो, तो बाहर से सभी चीजें प्रकाशित की जा सकें। लेकिन उन्हें व्हाट्सएप द्वारा ‘बल्क मैसेजिंग’ रोकने के लिए लाए गए प्रतिबंधों की कोई चिंता नहीं है। जबकि कई समूहों में एक एक करके अपडेट करने की प्रक्रिया थोड़ा मेहनत का काम है। यह एक ऐसा नेटवर्क है जो कि अभी भी 263चैट को दर्शकों तक पहुंचाता है। उन दर्शकों तक जिन्हें डेटा का उपयोग करके ई-पेपर डाउनलोड करना चुना जबकि जिम्बाब्वे में संसाधन सीमित हैं। इसलिए मुगमु कहते हैं कि वह इस विकल्प के साथ तब तक काम करते हैं जब तक यह विकल्प मौजूद रहेगा।

इस तकनीकी सीमाओं से निपटने के लिए ‘द कॉन्टिंनेट‘ एक ऐसा दर्शक वर्ग तैयार करने की कोशिश कर रहा है जो कि उसके लिए डिस्ट्रीब्यूटर का काम करेंगे। वे बताते हैं कि हमारे डिस्ट्रीब्यूटिंग के प्रमुख कहते हैं कि हमें बहुत सारे ग्राहक नहीं चाहिए। हम ऐसे ग्राहक चाहते हैं जो हमारे लिए कमिटेड हों क्योंकि हमारे सब्सक्राइबर ही हमारे डिस्ट्रीब्यूटर हैं।

व्हाट्सएप पर सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए कोरियो इस बात पर विचार करने लगा है कि क्या टेलीग्राम में ज्यादा इंगेज सब्सक्राइबर मिलेंगे। जुआन टोरेस के अनुसार मोनेटाइजिंग मैसेंजिंग एप में भी यह क्षमता है। हम उम्मीद करके उसपर दांव लगा सकते हैं। वे यह भी कहती हैं कि क्या हम किसी समूह में सदस्यों से सदस्यता शुल्क ले सकते हैं या इसे शुल्क देने वालों को प्रीमियर कंटेंट दे सकते हैं।

एलिसन के अनुसार द कॉन्टिंनेंट की तात्कालिक योजना यह है कि इसकी कोर टीम सुरक्षित हो और हमारी उत्पादन प्रोसेस बेहतर। वे विभिन्न भाषा संस्करणों के साथ प्रयोग करना चाहते हैं और व्यावसायिक अवसरों को भी ध्यान में रखना चाहते हैं।

263चैट के ई-पेपर में विज्ञापन भी होते हैं, लेकिन हम विज्ञापनदाताओं को ग्रूप्स तक सीधी पहुंच नहीं देते हैं। व्यापक दर्शकों तक पहुंचे के लिए मुक्त रहना जरूरी है। जिम्बाब्वे के व्यापक नजरिए को सभी के लिए खुला रखा जाएगा।

यह आर्टिकल पहली बार Reuters Institute for the Study of Journalism की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ है। इसे अनुमति के साथ यहां पुनः प्रकाशित किया गया है।

यह भी देखें :

Maximizing Social Media in Your Newsroom: A Tipsheet on Distribution and Engaging Audiences

Distribution, Collaboration, and Freelancing: A GIJN Guide

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लौरा ओलिवर स्वतंत्र पत्रकार हैं और यूनाइटेड किंगडम में रहती हैं । उन्होंने  Guardian, BBC, The Week जैसे संस्थानों के लिए लेखन कार्य किया है। वह  University of London में अतिथि व्याख्याता के अतिरिक्त मीडिया संस्थानों के लिए कंसलटेंट भी हैं ।  

 

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