बीते एक साल में विजुअल पत्रकारिकता हो या डेटा विश्लेषण, दोनों ही सिर्फ एक ही विषय पर केंद्रित रहे और वो है कोविड-19 महामारी। यहां दिए गए अहम प्रोजेक्ट जांच के विभिन्न दृष्टिकोणों और विश्लेषणों को दर्शाते हैं, जिनकी मदद से विजुअल पत्रकार और डेटा विश्लेषकों ने हमें कोरोनोवायरस SARS-CoV-2 को बेहतर तरीके से समझाया है।
यहां चयनित प्रोजेक्ट ये दर्शाते हैं कि पत्रकारिता बहुत उपयोगी हो सकती है अगर ये ऐसा कुछ समझाने में कामयाब हो जो मानव जीवन पर सीधा प्रभाव डालती हो। अगर ऐसा होता है तो यूजर या उपयोगकर्ता उस कंटेंट को सबसे अलग और विश्वसनीय मानने लगता है।
डेटा को समझने, उसे इस्तेमाल करने और विज़ुअल जर्नलिज़्म में बदलने को लेकर संकोची न रहें और न इसका विरोध करें। इसके लिए तैयार रहें और बहुआयामी दक्षता (मल्टीडिसिप्लिनरी स्किल) हासिल करने की मानसिकता के साथ और एक टीम के रूप में सीखने के लिए तत्पर रहें।
डिकोडिंग कोविड-19
डेटा विज़ुअलाइज़ेशन का मूल प्रभाव अनिश्चितता के बीच हमें महामारी को समझने और उपयोगी उत्तर देने में मदद करना है। विजुअल और डेटा पत्रकारों के साथ आपसी कदमताल से हम ये समझ पाए कि कोविड-19 क्या है? और हम इसके साथ कैसे जीना सीख सकते हैं? इसने हमें शिक्षित करने, महामारी की शब्दावली को आत्मसात करने और उनके बारे में चर्चा करने में सहायता की है। इसने हमारी देखभाल करने का काम किया है।
कोविड-19 ने अंततः यह जता दिया है कि डेटा विश्लेषण कभी भी जुनून नहीं रहा है, लेकिन 21वीं सदी की पत्रकारिता के लिए यह एक मूलभूत आवश्यकता जरूर बन गया है। इस अर्थ में, कोविड महामारी ने मीडिया और उन पत्रकारों को निखारा है, जिन्होंने पिछले एक दशक में तथ्यों को लगातार पेश करने के अपने तरीके को मजबूत किया है। अफसोस की बात है कि इसने उस मीडिया को भी उजागर कर दिया, जिन्होंने हाल के वर्षों में डेटा विश्लेषण और विजुअलाइजेशन टीमों को कम करके आंका। इसने उन पत्रकारों के लिए भी एक बड़ा सबक छोड़ा, जो मार्च 2020 से पहले मानते थे कि डेटा विश्लेषण सीखना निरर्थक है।
अभ्यास में निरंतरता
तीन प्रभावशाली कारक हैं: विजुअल पत्रकार की दृढ़ता, प्रशिक्षण और मीडिया के लिए संपादकीय और प्रबंधकीय दृष्टि। पिछले पांच वर्षों में, लैटिन अमेरिका में एक शिक्षक के रूप में मेरे अनुभव ने मुझे सिखाया है कि डेटा पत्रकारिता और विज़ुअलाइज़ेशन की कई अच्छी पहल खुद पत्रकारों से होती है, न कि उन लोगों से जो न्यूज़ रूम चलाते हैं।
महामारी के दौर में जो पत्रकार बेहतर कंटेंट देना चाहते हैं उन्हें अपने ही संपादकों और प्रबंधकों की संकुचित सोच (मायोपिया) के खिलाफ खड़ा होना पड़ता है। ऐसे में पत्रकार खाली समय में या उपलब्ध न्यूनतम उपकरणों के साथ, अपने दम पर धन की व्यवस्था करते हैं। इन स्थितियों में पत्रकार की जिद और जुनून से बहुत बड़ा फर्क पड़ता है और हमें उनके इस प्रयास की सराहना करना चाहिए।
इसका यह भी अर्थ है कि अगर आप पत्रकारिता की डेटा विजुअल जैसी चुनौतीपूर्ण राह पर अडिग है तो आपको एक रिपोर्ट पर सटीक और सही प्रतिक्रिया व्यक्त करने का प्रशिक्षण भी जरूरी है। फाइनेंशियल टाइम्स की टीम ने ऐसा किया है, जिसमें बताया गया है कि आंकड़ों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण क्यों है और क्यों डेटा का विश्लेषण व रेखांकन करते समय बुनियादी आंकड़ों से परे जाना पड़ता है।
अंत में, समय के साथ डेटा विज़ुअलाइज़ेशन की निरंतरता के लिए हमें एक दीर्घकालिक दृष्टि वाले संपादकों और अधिकारियों की आवश्यकता है जो न्यूज़ रूम में बहुआयामी टीमों को सशक्त और विस्तारित करें। यूएसए टुडे के ग्राफिक डायरेक्टर जेवियर ज़ाराकिना के शब्दों में: “इन्फोग्राफिक्स न्यूज़ रूम में बदलाव का इंजन है।”
2020 में ट्रेंड सेट
पिछले साल हमें यह सीखने मिला कि पत्रकारिता में डेटा विश्लेषण का गणित और सांख्यिकी से [बेहतर] जुड़ाव जरूरी है। यह स्पष्ट है कि देशों या क्षेत्रों के बीच वायरस की घटनाओं की तुलना करने के लिए दरों का उपयोग किया जाना चाहिए और इसमें गणितीय सिमुलेशन मॉडल उपयोगी हैं। हमने यह भी पाया है कि कुछ प्रक्रियाओं को स्वचालित करने और जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय जैसे डेटाबेस का प्रबंधन करने के लिए आर और पायथन (ओपन-सोर्स प्रोग्रामिंग भाषा ) जैसे कार्यक्रमों का उपयोग करना भी बहुत प्रासंगिक है जैसा जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने यहां किया है। जो निम्न क्रम में प्रासंगिक है-
- सबसे पहले अपने आंकड़ों की स्वयं जांच करें, इसके अलावा आधिकारिक आंकड़ों के साथ तुलना करें, ताकि मामलों की पुनरावृत्ति से बचा जा सके।
- देशों के बीच संक्रमण वृद्धि दर की अधिक सटीक तुलना के लिए, रेखीय पैमाने के बजाय एक लघुगणक पैमाने का उपयोग करें।
एक और प्रवृत्ति यह है कि हमें बहुआयामी पहलुओं को समझने की आवश्यकता है। न केवल न्यूज़रूम में इंजीनियरों और डिजाइनरों के साथ काम करना, बल्कि वैज्ञानिकों, महामारी विशेषज्ञ, शिक्षाविदों और उन सभी विशेषज्ञों के साथ भी जो बहुमूल्य जानकारी देते हैं।
पिछले एक साल में हमने यह भी सीखा कि पत्रकारिता में डेटा की जांच के लिए जुनून पर कम और विज्ञान पर अधिक भरोसा करना चाहिए। यह डेटा को आत्मसात करने के लिए महत्वपूर्ण है जो अक्सर एक मानव द्वारा ही तैयार किए जाते हैं। इसलिए इसमें पूर्वाग्रह और गलतियों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अंत में, उम्मीद है कि संपादकों और मीडिया अधिकारियों ने यह समझा होगा कि अच्छी विजुअल जानकारी दर्शकों को पसंद आती है और यह लाभदायक है। अगर संपादकों और मीडिया प्रबंधकों में इन क्षेत्रों में निवेश और इन्हें विकसित करने का बेहतर दृष्टिकोण है।
यह साल कहानी कहने और विजुअलाइजेशन के लिए जाना जाएगा।
- वेबसाइटों के डिजाइन में “स्क्रोलिटेलिंग” तकनीक बढ़ीं।
- प्रमुख अवधारणाओं के दायरे को समझाने के लिए एनिमेशन का उपयोग।
- स्थिर और इंटरैक्टिव ग्राफिक्स का उपयोग कर महामारी के मामलों का अध्ययन करना। पूरी और विस्तृत जानकारी के साथ ग्राफिक्स अधिक स्थिर होते हैं, जो पाठक और दर्शकों को विषय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं। इंटरैक्शन पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण है, जो उपयोगकर्ता को कुछ दिलचस्प खोजने के लिए बाध्य करती है। उदाहरण के लिए: वायरस विकास दर को विस्तार से जानने के लिए, उस विशिष्ट समुदाय के बारे में जाने, जहां वह स्थित है।
- डेटा विज़ुअलाइज़ेशन केवल एक ग्राफिक नहीं, बल्कि वह तत्व है जो विषयवस्तु को लेकर उपयोगकर्ता की समझ को बढ़ाता है। संसाधन का उपयोग इस बात पर निर्भर करता है कि कौन व्यक्ति सूचना देने के उद्देश्य को पूरा करने में मदद करता है।
- विषय (टेक्स्ट) स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए।
कोविड-19 महामारी के इस दौर में एक ऐसी शुरुआत हुई है, जिसमें अच्छी विजुअल पत्रकारिता का कई भाषाओं में अनुवाद की आवश्यकता है, क्योंकि इसकी गुणवत्ता और उपयोगिता एक दूसरे से जुड़ी दुनिया में आवश्यक है।
यहां उन प्रोजेक्ट की पूरी लिस्ट है, जिसे पिछले एक साल के दौरान मैं एकत्र कर पाई। यह संभावना है कि कई और प्रोजेक्ट भी होंगे, जिनके बारे में या तो मुझे जानकारी नहीं है और या हो सकता है कि मुझसे छूट गए हों। अपने पसंदीदा प्रोजेक्ट को @HasselFallas ट्वीट पर आप अपने विचार मुझसे शेयर कर सकते हैं।
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इस लेख को पहली बार लेखिका हैसेल फॉलस ने अपनी वेबसाइट La Data Cuenta/Data Counts में प्रकाशित किया था। इसे यहां अनुमति के साथ पुनः प्रकाशित किया गया है।
इस आर्टिकल को लिखने वाली हैसेल फॉलस डेटा विश्लेषण और विज़ुअलाइज़ेशन में सलाहकार और ट्रेनर है। वह लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में फेमिसाइड डेटा मानकीकरण परियोजना की प्रमुख अन्वेषक हैं और मेक्सिको के ग्वाडलजारा विश्वविद्यालय में डेटा पत्रकारिता व विजुअल में एक वरिष्ठ व्याख्याता हैं।