दुनिया भर में स्वतंत्र खोजी पत्रकारों को हमेशा सम्मानजनक नजरों से देखा जाता है। भारत में भी ऐसे पत्रकारों की बड़ी तादाद है, जिन्होंने महत्वपूर्ण विषयों पर गंभीर पड़ताल करके यादगार खबरें निकालीं। विकसित देशों में स्वतंत्र, खोजी पत्रकार अपनी खबरों की समुचित कीमत समझते हैं और उसके लिए मीडिया संस्थानों से बाकायदा मोलभाव भी करते हैं। इसके लिए सबसे पहले प्रकाशन संस्थान के सम्पादक को अपना स्टोरी आइडिया बता कर उनसे स्टोरी छापने की पूर्वसहमति लेना होती है। इसी पूर्वसहमति को प्राप्त करने की प्रक्रिया को अपनी खबर को बेचना या पिच करना कहते हैं। इस प्रक्रिया को विदेशों में बेहद सहज तरीके से देखा जाता है। आप अभी जिस आलेख को पढ़ रहे हैं, उसका मूल अंग्रेज़ी शीर्षक है – ‘हाऊ टू पिच’ – यानि अपनी खबर कैसे बेचें।
हालांकि भारत में खबर बेचने की शब्दावली नकारात्मक अर्थ में समझी जाती है लेकिन यहां इसका संबंध स्टोरी आइडिया को पिच करने से है। इस आलेख में अपनी खबर को पिच करना या बिक्री करने से अभिप्राय उसे प्रकाशित, प्रसारित करने के लिए मीडिया संस्थान को सहमत कराना है। किसी भी खोजी खबर को लिखने और उसके शोध तथा यात्रा इत्यादि में काफी समय और पैसा लगता है। इस व्यय के लिए मीडिया संस्थान को सहमत कराने की कोशिश पर यह आलेख केंद्रित है।
स्वतंत्र खोजी खबरों के प्रस्ताव के लिए मीडिया संस्थान को सहमत कराना भी अन्य खबरों के लिए तैयार करने जैसा ही है। लेकिन सामान्य खबरों की तुलना में खोजपूर्ण खबरों के लिए मीडिया संस्थान थोड़ा मुश्किल से तैयार होते हैं। ऐसे मीडिया संस्थानों की संख्या बेहद कम है, जिन्हें खोजी पत्रकारिता में पर्याप्त दिलचस्पी हो।
किसी खोजपूर्ण खबर के प्रस्ताव पर मीडिया संस्थान को सहमत कराने में मुश्किल आना स्वाभाविक है। ऐसे मामलों के परिणाम अनिश्चित अथवा आपको मुश्किल में डालने वाले भी हो सकते हैं। अगर किसी बड़े खोजी अभियान के बाद कोई महत्वपूर्ण खबर हाथ न लगे, तो उस पर किया गया खर्च बेकार चला जाता है। इसलिए ऐसे मामलों में खोजी पत्रकार और मीडिया संस्थान के बीच परस्पर भरोसे की स्थापना बेहद जरूरी है। केवल ऐसे भरोसे पर भी कोई संस्थान किसी खोजी खबर के प्रस्ताव पर अपना धन लगाएगा।
इसके अलावा एक जटिलता और है। कई बार किसी खोजपूर्ण रिपोर्ट में बहुत समय लगने के कारण उसकी लागत भी काफी अधिक हो सकती है। लेकिन उसके एवज में पत्रकार को मिलने वाले मानदेय की राशि बेहद मामूली हो सकती है। एक स्वतंत्र पत्रकार के लिए कई बार यह अनुमान लगाना कठिन होता है कि किसी खोजपूर्ण रिपोर्ट में उसे कितना समय लगेगा, उसकी कितनी मेहनत लगने की संभावना है। ऐसे मामलों में उसे मीडिया संस्थान के समक्ष अपना प्रस्ताव रखने से पहले सभी पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण करना जरूरी है। वास्तविक खर्च क्या आएगा, इसका ठोस आकलन करना भी मुश्किल होता है। लिहाजा, ऐसे मामलों में लागत-लाभ का विश्लेषण करना महज एक मोटे अनुमान पर आधारित होता है।
एक बात और। खोजी पत्रकारिता के कई मामलों में व्यक्तिगत जोखिम भी मौजूद रहता है। स्वतंत्र पत्रकार को किसी विवादास्पद स्टोरी पर काम के दौरान विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उनके साथ ऐसे कानूनी और सुरक्षा संबंधी जोखिम जुड़ सकते हैं जिनके बारे में मीडिया संस्थान को कोई अंदाजा भी न हो। चूंकि वह स्वतंत्र पत्रकार के बतौर काम कर रहा होता है, इसलिए कई बार मीडिया संस्थान भी किसी विषम परिस्थिति में उसका दायित्व लेने से इंकार कर देते हैं।
इन सबके बावजूद, दुनिया भर में स्वतंत्र खोजी पत्रकारिता के साथ काफी रोमांच और सम्मान जुड़ा हुआ है। ऐसे पत्रकारों को काफी उच्च दर्जा मिला हुआ है। अपनी स्वतंत्र कार्यशैली और अपनी खबरों के विषय चुनने की आजादी के कारण ऐसे फ्रीलांसरों को कई प्रकार के पुरस्कार मिलते हैं। कुछ फ्रीलांसरों का विभिन्न संपादकों और मीडिया संस्थाओं के साथ लंबे समय तक चलने वाले संबंध स्थापित हो जाते हैं। कुछ फ्रीलांसरों को अपने विभिन्न खर्चों का समुचित भुगतान मिल जाता है जबकि कुछ पत्रकार, लेखक, शिक्षक या सलाहकार के रूप में अपनी पहुंच बढ़ाते हुए आय के साधनों का विस्तार करते हैं।
ग्लोबल इन्वेटिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क (जीआइजेएन) ने खोजपूर्ण खबरों के प्रस्तावों से मीडिया संस्थानों को सहमत कराने तथा लाभदायक बनाने संबंधी विशेष चुनौतियों का हल निकालने के लिए यह मार्गदर्शिका बनाई है। स्वतंत्र खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुभवी दिग्गज पत्रकारों की व्यावहारिक सलाह यहां प्रस्तुत की गई है।
हमारा फोकस इन बिंदुओं पर है:
- सही मीडिया संस्थान की तलाश करना
- खोजपूर्ण खबर के लिए प्रभावी प्रस्ताव बनाना
- आपके आइडिया की रक्षा करना
- आपका बजट बनाने में सहयोग करना
इसके अलावा, जीआइजेएन ने कोविड-19 महामारी के दौरान फ्रीलांसिंग के लिए विशिष्ट सुझावों और रणनीतियों की एक सूची भी बनाई है।
सही मीडिया संस्थान की तलाश करना
अगर आप किसी मीडिया संस्थान के सामने किसी खोजपूर्ण खबर का प्रस्ताव रखते हैं, तो उस संस्थान के लिए तत्काल फैसला करना आसान नहीं होता। किसी स्वतंत्र खोजी पत्रकार पर भरोसा करना आसान नहीं होगा। आपके माध्यम से कोई भी दांव खेलने से पहले किसी मीडिया संस्थान को आपके ऊपर पर्याप्त भरोसा होना जरूरी है। इसलिए अगर आपके पास किसी खबर के लिए ज़ोरदार आइडिया हो, तो उसे हकीकत में बदलने के लिए संपादक के साथ आपका अच्छा समन्वय होना जरूरी है। यहां इसका आशय प्रोफेशनल संबंध से है, जो आपके पेशेवर रवैये से बन सकता है।
अगर आपका उस संपादक के साथ ऐसा प्रोफेशनल संबंध नहीं हो, तो किसी बड़े प्रस्ताव से पहले सामान्य भरोसा जीतने का प्रयास करें। पहले सामान्य किस्म की खबरें लिखकर ऐसे संबंध बनाना एक अच्छा तरीका हो सकता है। संवेदनशील विषयों पर अचानक पेश किए गए प्रस्ताव पर आसानी से भरोसा पैदा करना बेहद मुश्किल होता है। जबकि एक बार सामान्य खबरों के जरिए भरोसा कायम करने के बाद आप किसी बड़ी खबर के लिए संपादक को आसानी से राजी कर सकते हैं।
इसका एक तरीका यह भी है कि आपके विषयों में दिलचस्पी रखने वाले संपादकों के साथ विभिन्न संगोष्ठियों और सम्मेलनों में शामिल होकर उनके साथ मेलजोल बढ़ाने का प्रयास करें। ऐसे ही संबंध आपके लिए आगे का रास्ता आसान करेंगे।
किन बिंदुओं पर शोध करना जरूरी है?
स्वतंत्र खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आपको इन बिंदुओं पर निरंतर शोध करते रहना होगा
- आपको ऐसे मीडिया संस्थानों पर शोध करना चाहिए, जो आमतौर पर खोजपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित, प्रसारित करते हैं। आपके विषय में रुचि रखने वाले संस्थानों की सूची बनानी चाहिए। जिन मीडिया संस्थानों में आपको खुद के लिए संभावना दिखे, उनके संबंध में विस्तार से शोध करें।
- उस मीडिया संस्थान ने आपकी रूचि के विषय और अन्य विषयों पर पहले क्या प्रकाशित या प्रसारित किया है, इसका पता लगाएं। उसके दृष्टिकोण और शैली का पता लगाएं।
- उस मीडिया संस्थान का मिशन क्या है, राजनीतिक झुकाव किधर है, यह भी जांच करें। उसके संपादक मंडल के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
- याद करें कि उस मीडिया संस्थान के संपादक मंडल के किसी सदस्य अथवा अन्य के साथ आपका कोई ऐसा व्यक्तिगत संबंध है, जिससे आपको उस संस्थान में बेहतर अवसर मिल सकता हो।
जीआईजेएन से जुड़े रोवन फिलिप एक प्रसिद्ध पत्रकार हैं। उन्होंने वर्ष 2019 में एक आलेख में लिखा कि “समाचार संकलन के दौरान आपको मिली सामग्री का अधिकतम मूल्य पा़ने के लिए आप एक साथ कई मार्केट की तलाश करें।”
वे लेख में कहते हैं कि “खोजी पत्रकारों को अपने हर रिपोर्टिंग अभियान का पर्याप्त लाभ उठाने के लिए कई अवसरों की तलाश करने की आदत डालनी होगी। इस तरह उन्हें अपने काम का आनंद मिलेगा और इसी रास्ते वे स्वतंत्र पत्रकारिता की दुनिया में टिक पाएंगे।“
रोवन फिलिप ने स्वतंत्र पत्रकारिता पर जीआईजेएन के एक विशेष पैनल के लिए आलेख में यह बातें लिखी थी। उस सत्र के अन्य पैनल विशेषज्ञों ने स्वतंत्र पत्रकारों को अपनी आय बढ़ाने के लिए कई तरीके बताए। इनमें प्रिंट मीडिया, विजुअल तथा ऑडियो फॉर्मेट शामिल है।
खोजी खबर के लिए प्रस्ताव बनाना
आप किसी आइडिया पर काम करना चाहते हों तो उसके लिए निर्धारित मीडिया संस्थान को भी ध्यान में रखना होगा। एक बार जब आप किसी विशिष्ट मीडिया संस्थान को ध्यान में रख लेते हैं, तो आपको उसके अनुसार प्रस्ताव तैयार करना होगा।
खोजी पत्रकारिता के मामलों में अपने आइडिया से संपादक को सहमत कराने के लिए आपको एक शानदार प्रस्ताव बनाना होगा। प्रस्ताव संक्षिप्त, सार्थक और आकर्षक होना चाहिए।
कोलंबियन फ्रीलांस पत्रकार कैटालिना लोबो-गुरेरो के अनुसार “आपको एक संपादक या अन्य निर्णायक व्यक्ति को यह बात समझाना जरूरी है कि इस स्टोरी के लिए आप एक सही व्यक्ति हैं, बल्कि एकमात्र आप ही इसे कर सकते हैं। कारण यह, कि आपके पास पृष्ठभूमि, स्रोत, आवश्यक अनुभव आदि हैं या आपके पास दस्तावेजों तक पहुंच है, जो किसी भी अन्य व्यक्ति के पास नहीं है।” कैटालिना के पास दस से अधिक वर्षों की पत्रकारिता का अनुभव है। वह वह जीआइजेएन में संपादक भी रह चुकीं हैं।
स्वतंत्र खोजी पत्रकारिता पर संपादकों के सुझाव
अटलांटिक नेशनल एडीटर स्कॉट स्टोसेल ने 2017 के एक साक्षात्कार में कई ऐसी सलाहें दी हैं जो हर पत्रकार के लिए उपयोगी हैं ।
- अपना प्रस्ताव बनाने से पहले उस विषय पर थोड़ा काम कर लें। सुनिश्चित करें कि आपका प्रस्ताव अच्छी तरह से सोच-समझकर बनाया गया है।
- हर चीज का वर्णन करें, विवरण भरें। जिस खबर पर काम करना हो, उससे जुड़े लोगांे, पात्रों के बारे में तथा उससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के संबंध में बताएं। इससे संपादक को यह बात समझ में आएगी कि वह स्टोरी उसके पाठकों के लिए क्या मायने रखती है।
- अपना लेखन कौशल भी दिखाएं। आपका प्रस्ताव खुद एक स्टोरी जैसा हो और उसमें स्टोरी एंगिल की झलक मिलती हो।
- थोड़ी दिलचस्पी, या नाटकीयता लाने का प्रयास करें। आपका प्रस्ताव रोचक हो।
- समाचार मूल्य को समझें। ताजा घटनाक्रम के साथ आपकी न्यूज स्टोरी का जितना संबंध होगा, आपका प्रस्ताव उतना ही बेहतर होगा।
- यह सामयिक हो तथा उचित समय पर प्रस्तुत किया गया हो।
कोनराड एडेनॉयर स्टिफ्टंग फाउंडेशन के ग्लोबल मीडिया प्रोग्राम के अंतर्गत खोजी पत्रकारिता नियमावली बनाई गई है। इसके अनुसार किसी खबर के प्रस्ताव में इन चीजों को शामिल करना चाहिए
- न्यूज स्टोरी की रूपरेखा।
- उस मीडिया संस्थान तथा उसके पाठकों/दर्शकों के लिए वह खबर किस तरह उपयोगी है।
- आपके दृष्टिकोण और समाचार संकलन की कार्यप्रणाली का संक्षिप्त विवरण।
- संभावित समय-अवधि, कितना समय लगेगा?
- परियोजना की लागत या बजट का विवरण। किन चीजों पर कितना खर्च आने की संभावना है?
सारा ब्लस्टेन, कार्यकारी संपादक, टाइप इंवेस्टिगेशंस (पूर्व मेंकि इन्वेस्टिगेटिव फंड) ने खोजी पत्रकारिता का प्रस्ताव का लिखने के लिए कुछ सरल बिंदु सुझाए हैं। उनके अनुसार, आपके द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव छोटा हो, प्रत्यक्ष हो और ऐसा हो जिसे कोई संपादक अपने वरिष्ठ स्तर पर आसानी से अग्रेषित कर सके। सारा ब्लस्टेन के अनुसार प्रस्ताव में आम तौर पर चार पैराग्राफ में चार महत्वपूर्ण बातें होना चाहिए जैसे –
- आपकी न्यूज-स्टोरी क्या है?
- यह क्यों महत्वपूर्ण है, और उसका सामयिक महत्व क्या है?
- आपके निष्कर्ष क्या हैं?
- आप इसे लिखने के लिए किस तरह से योग्य हैं?
खोजी पत्रकारिता को बढ़ावा देने वाली एक अमेरिकी पत्रिका मदर जोन्स ने फ्रीलांस राइटर गाइडलाइन में लिखा है:
“हमें संक्षेप में बताएं कि आप क्या कवर करना चाहते हैं? यह किस तरह महत्वपूर्ण और दिलचस्प है? आप इसे किस तरह रिपोर्ट करना चाहते हैं? इस प्रस्ताव में आपके दृष्टिकोण, मिजाज और लेखन शैली की झलक मिलनी चाहिए। साथ ही, आपके इस प्रस्ताव में इन बिंदुओं का जवाब भी मिलना चाहिए जैसे – इस विषय पर लिखने के लिए आपके पास कौन सी विशिष्ट योग्यता है? अपने स्रोतों के जरिए आपके पास क्या सूचना या सामग्री का क्या स्तर है ? यदि इस विषय पर पहले खबरें आ चुकी हों, तो आपकी स्टोरी उन पुरानी खबरों से कैसे अलग होगी, और कैसे उनसे बेहतर होगी?
कृपया अपनी पृष्ठभूमि के बारे में एक-दो पंक्ति में लिखें। साथ ही, अपनी दो-तीन सबसे अच्छी न्यूज स्टोरी या अपनी सबसे प्रासंगिक क्लिप की काॅपी या उनके लिंक शेयर करें।
साल 2018 के नीमेन स्टोरीबोर्ड के इस लेख – द पिच : एट द गार्डियन्स लॉन्ग रीड, नो रिजिड फॉर्मूला ऑर जियोग्राफिकल लिमिट्स – में केवल खोजी पत्रकारिता के बारे में ही सुझाव नहीं है। इसमें संपादक की सलाह है कि ”जिस विषय पर आप खोजी रिपोर्टिंंग करना चाहते हों, उस संबंध में पहले जो प्रकाशित किया गया है, उसका अध्ययन करें। उस विषय के विशेषज्ञ के तौर पर अपने प्रस्ताव में ताजगी और नयेपन का एहसास लायें । प्रस्ताव कितना भी लीक से हटकर हो उसे हिम्मत से भेजें।”
एरिक कार्स्टेंस ने 2016 में में एक कालम ”हाउ नॉट टू विन ए जर्नलिज्म ग्रांट” लिखा था । हालाँकि इसे अनुदान आवेदनों को ध्यान में रखते हुए लिखा गया था, लेकिन इसमें प्रस्तावों के प्रस्तुतिकरण पर कई अच्छे विचार दिए गए हैं। इसे जीआइजेएन ने 2018 में पुनर्प्रकाशित किया।
सॉल्यूशंस जर्नलिज्म नेटवर्क के लिए 2018 में जूलिया हॉटज ने इन आठ बिंदुओं पर विस्तार से बताया। तीन-भाग की सीरीज के दूसरे हिस्से में बताया गया कि प्रस्तावों में संपादक क्या चाहते हैं:
- साफ शब्दों में विस्तार से और समय-काल को ध्यान में रखते हुए बताएं कि उस खबर से पाठक किस तरह आकर्षित होंगे?
- यह एहसास कराएं कि आप एक अच्छे कहानीकार हैं, और आपके पास बताने के लिए एक कहानी है।
- आपके पास उस खबर से संबंधित क्या साक्ष्य या प्रमाण हैं? उस खबर का गुणात्मक या मात्रात्मक कैसा प्रभाव होने की संभावना है?
- उस खबर की संभावित प्रतिक्रिया की सीमा क्या है, और इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- आपकी स्टोरी कैसे शुरू होगी, और बाकी के हिस्सों में क्या होगा, इसकी जानकारी दें।
- आप इस स्टोरी को किस तरह रिपोर्ट करेंगे, और आप इसे रिपोर्ट करने के लिए योग्य क्यों हैं, इसका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें।
- एक ऐसा शीर्षक, जो न्यूज स्टोरी को आकर्षक बनाए, और जिससे उसकी समयबद्धता दिखती हो।
- वह मीडिया संस्थान किन चीजों को कवर करता है, और किन चीजों को कवर नहीं करता है, इसकी स्पष्ट समझ आपको होनी चाहिए।
इस श्रृंखला के पहले भाग में एक प्रस्ताव तैयार करने के प्रारंभिक चरणों का वर्णन मिलता है। अंतिम भाग में विभिन्न सफल और अच्छे प्रस्तावों के उदाहरण दिए गए हैं।
टिम हेरेरा ने ”हाउ टू सक्सेसफुली पीच द न्यूयॉर्क टाइम्स” में छह सामान्य ग़लतियों की चर्चा की है। यह आलेख द न्यूयॉर्क टाइम्स ही नहीं बल्कि अन्य मीडिया संस्थानों के लिए प्रस्ताव बनाने में भी उपयोगी है। इसकी शुरुआत में कहा गया है- ”आप नहीं जानते कि आपकी कहानी क्या है।”
बेन स्लेज ने द राइटिंग कोआपरेटिव के लिए प्रमुख समाचार पत्रों के संपादकों से इंटरव्यू किया। इसमें उन्होंने खुद संपादकों से पूछा कि आपका प्रस्ताव क्यों नामंजूर हो गया था?
अमेरिका की सोसाइटी ऑफ प्रोफेशनल जर्नलिस्ट्स ने कई प्रकाशन संस्थानों के पिचिंग गाइडलाइन्स (प्रस्ताव संबंधी दिशानिर्देश) की एक अच्छी सूची तैयार की है।
खोजी संस्थानों को आपसे कुछ ज्यादा ही उम्मीदें रहती हैं
विभिन्न खोजी प्रकाशन संस्थानों की वेबसाइट में अक्सर बताया जाता है कि उन्हें किस प्रकार की खबरों की तलाश है। हालांकि इनमें से कुछ सलाह, संस्थान केंद्रित या विशिष्ट होती हैं, जबकि अन्य में सामान्य सूचना मिलती है।
द सेंटर फॉर इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के ’रीवील’ नामक अमेरिकी खोजी रेडियो शो में बहुत सी जानकारियां मांगी जाती हैं। यहां तक कि इसमें कई कठिन सवाल भी किए जाते हैं।
इसके फॉर्म में पत्रकारों से 500 शब्दों में यह लिखने कहा जाता है।
- आपकी न्यूज स्टोरी क्या है?
- आपकी इस न्यूज स्टोरी में किस सवाल का जवाब देने की कोशिश की गई है?
- आपकी खबर से कौन प्रभावित होगा?
- क्या यह एक राष्ट्रीय कहानी है?
- क्या यह रेडियो के लिए एक आकर्षक स्टोरी है?
इसके बाद ’रीवील’ के संपादक और अधिक गहराई में जाकर कई सवाल करते हैं।
- इस स्टोरी की ऐसी पांच खास सूचना की जानकारी दें, जिसे आपने उजागर किया हो, या ऐसा करने के लिए काम कर रहे हों।
- इस स्टोरी के मुख्य पात्रों और उन दृश्यों के बारे में बताएं जिसे आप रिकॉर्ड करने की उम्मीद करते हैं।
- दूसरों लोगों ने इस मुद्दे को किस तरह कवर किया है (उसका लिंक प्रदान करें), और आपकी कहानी उससे अलग कैसे होगी, इसकी जानकारी दें?
जाहिर है कि एक पत्रकार के लिए ऐसे मीडिया संस्थान की अपेक्षाओं पर खरा उतरना बेहद मुश्किल काम है। लिहाजा, आपको ऐसे मीडिया की तलाश करनी चाहिए, जिसके संपादक मंडल को किसी स्टोरी आइडिया के लिए सहमत कराने में आपको इतने पापड़ बेलने की जरूरत न पड़े।
अनिश्चितता की स्थितियों से निपटना
कई बार आपके सामने यह स्पष्ट नहीं होता कि क्या खबर निकल कर आएगी। संभव है कि इस बात में अनिश्चितता हो कि आपकी न्यूज स्टोरी किस तरह लिखी जाएगी। लेकिन यह कोई नुकसानदायक चीज नहीं है।
लोबो-गुरेरो ने लिखा है- ”एक खोजी स्टोरी का प्रस्ताव बनाने का एक सहज तरीका यह है कि आप साफ बता दें कि अगर मेरी परिकल्पना सही साबित होती है, तो मुझे यह चीज मिलने की उम्मीद है। लेकिन अगर यह चीज मुझे नहीं मिलती है, तब भी यह एक न्यूज स्टोरी होगी, क्योंकि ……। इसमें क्रमबद्ध योजना की तरह ए, बी, सी इत्यादि स्थितियों का उल्लेख करें। इसे कुछ संपादक अधिकतम या न्यूनतम कहानी कहते हैं।”
बाल्कन इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग नेटवर्क (बीआइआरएन) के 2015 गाइड में किसी परिकल्पना को परिभाषित करने, उसकी व्यावहारिकता का आकलन करने और अधिकतम / न्यूनतम स्टोरी स्थापित करने पर उपयोगी जानकारी दी गई है। यह मार्गदर्शिका अंग्रेजी में लिखी गई है।
अपने प्रस्ताव में किस बात का खुलासा न करें?
जब आपके पास किसी अच्छी खोजी न्यूज स्टोरी की योजना हो, या कोई धांसू आइडिया हो, तो एक बड़ी दुविधा भी आपके सामने आती है। आपके सामने यह चुनौती होती है कि अपने मौलिक विचार की रक्षा करते हुए उसे प्रस्ताव में किस तरह प्रकट किया जाए। आपको अपना प्रस्ताव विशिष्ट बनाने की जरूरत है, लेकिन यह इतना विस्तृत नहीं होना चाहिए कि कोई आपके विचार को चोरी कर ले जाए। अपने आइडिया की मौलिकता की रक्षा करना आपके सामने एक बड़ी चुनौती है।
टाइप्स इन्वेस्टिगेशन संस्था की ब्लस्टेंट का सुझाव है कि ”आप अपने प्रस्ताव हर बात का खुलासा नहीं करना चाहते हैं। अगर आप अपने निष्कर्षों की जानकारी एक ऐसे मीडिया संस्थान को दे देते हैं जो संभव है कि वह कार्य किसी अन्य रिपोर्टर को सौंप सकता है। ऐसे मामलों में आपको अपने समाचार स्रोतों की जानकारी देने से बचना चाहिए।”
ऐसे में आपको यह तय करना होगा कि किस मीडिया संस्थान पर भरोसा करें। उचित लगे तो किसी कानूनी विशेषज्ञ से मदद लेकर एक समझौते का प्रारूप बना सकते हैं। इस नान-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट की भाषा सरल होनी चाहिए।
उदाहरण के लिए, यह एग्रीमेंट इस प्रकार हो सकता है-
”प्रकाशक इस बात पर सहमत है कि लेखक की लिखित सहमति के बगैर उसके प्रस्ताव में निहित निष्कर्षों को प्रकाशित नहीं किया जाएगा।”
नान-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट की यह भाषा न्यू ऑरलियन्स, लुइसियाना के एक फ्रीलांस रिपोर्टर सामंथा सुन्ने ने तैयार की थी। उनके द्वारा टूल फॉर रिपोर्टर्स नामक एक समाचार पत्र का प्रकाशन किया जाता है।
2018 की पोस्ट में सामंथा सुन्ने कहती हैं- ”कई मामलों में ऐसे नान-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट की जरूरत नहीं होती। जरूरी नहीं कि हर स्टोरी के लिए ऐसे एग्रीमेंट किए जाएं। मैंने एक संपादक के साथ पहले कभी काम नहीं किया था। उन्होंने नान-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट करने के मेरे प्रस्ताव को ठुकरा दिया।”
सामंथा सुन्ने बताती हैं कि अब वह उन लोगों के साथ काम करती हैं जिन्हें वह अच्छी तरह जानती हैं और अब उन्हें इस तरह के किसी एग्रीमेंट या आश्वासन की कोई आवश्यकता नहीं है।
खोजी फ्रीलांसरों की सलाह है कि मीडिया संस्थानों के समक्ष स्रोत और दस्तावेज का खुलासा करते हुए पूरी सावधानी बरतें। लेकिन ऐसा करना आवश्यक है, तो एक नान-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट बना लें कि किन चीजों का खुलासा किया जा रहा है।
सामंथा सुन्ने का सुझाव है कि गोपनीयता की गारंटी प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका यह है कि ऐसे सवाल आपको ईमेल के माध्यम से पूछने चाहिए। इससे आप की हर बात रिकाॅर्ड में आ जाएगी।
कई फ्रीलांसरों के लिए मुद्दा भरोसे का बन जाता है। जिन स्वतंत्र पत्रकारों का मीडिया संस्थान के साथ काम करने का अच्छा संबंध है, वे कहते हैं कि उन्हें इसके बारे में कोई चिंता नहीं हैं। कुछ मीडिया संस्थान लेखकों की मौलिकता की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील दिखाई देते हैं।
उदाहरण के लिए, टाइप इन्वेस्टिगेशन ने पत्रकार के आइडिया की गोपनीयता बनाए रखने के लिए यह आदर्श तरीका अपनाया है।
“हम आपकी न्यूज स्टोरी के विचारों को बहुत गंभीरता से सुरक्षित रखने का दायित्व लेते हैं। हम उन्हें अपनी संपादकीय टीम के सिवाय अन्य किसी भी व्यक्ति के बीच प्रसारित नहीं करेंगे। हम यह भी जानते हैं कि आपके प्रस्ताव की सामग्री में संवेदनशील जानकारी हो सकती है। यदि आप ईमेल द्वारा विवरण प्रस्तुत करने को लेकर चिंतित हैं, तो कृपया हमें बताएं। हम संचार की किसी अन्य सुरक्षित पद्धति पर काम करेंगे।“
अपने व्यय का आकलन कैसे करें?
फ्रीलांसिंग संबंधी अपने काम को लाभदायक बनाने के लिए अच्छा बजट बनाना बेहद महत्वपूर्ण है।
अपने व्यय / खर्च का अनुमान लगाने से आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि आपको कितनी राशि की मांग करनी है और कम राशि की पेशकश होने पर कब वापस पीछे हटना है।
अमेरिकी फ्रीलांसर सुन्ने ने लिखा है कि- “खोजी पत्रकारिता के दौरान आए खर्च को समायोजित करने की कोशिश करने के कुछ सालों बाद मैंने एक फ्रेमवर्क बनाया जिसे मैंने टायर्स का नाम दिया है।“
वह बताती हैं कि प्रत्येक आइडिया की तलाश में वह कितना प्रयास करेंगी। “इसके लिए मेरे तर्क बहुत स्पष्ट हैं। मैं साक्षात्कार, सार्वजनिक रिकॉर्ड, यात्रा की लागत इत्यादि सभी चीजों को ध्यान में रखना चाहती हूं। अगर मुझे कोई हस्ताक्षरित अनुबंध नहीं मिलता है, या कोई संपादक उस विषय में पर्याप्त रूचि नहीं ले रहा हो, तो मैं उस स्टोरी को छोड़ दूंगी।“
अन्य फ्रीलांसर्स सहमत हैं कि उन परियोजनाओं को अस्वीकार करने के लिए तैयार रहें जो आपके ब्रेक-ईवन बिंदु से नीचे जाते हैं।
खबर के लिए आपके संभावित व्यय का आकलन करना भी जरूरी है। यात्रा की अनुमानित लागत में प्रत्याशित के साथ अप्रत्याशित व्यय का भी आकलन करना चाहिए। कोई दस्तावेज हासिल करने के दौरान संभावित खर्च को भी ध्यान में रखना चाहिए। ऐसा करने से व्यावहारिक बजट बनाना संभव होगा।
रोरी पेक ट्रस्ट ने ऐसे बजट बनाने में मदद करने के लिए कई टेम्पलेट तैयार किए हैं।
खोजी पत्रकार इमैनुएल फ्रायडेंथल ने 11 वें ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस में एक फ्रीलांस जर्नलिस्ट के रूप में जीवन-बसर करने के संबंध में छह टिप्स दिए। उन्होंने ऐसे खर्चों की गणना और उन पर नजर रखने के लिए स्मार्टरेट्स और वावेप्स या एक्सेल जैसे ऐप का उपयोग करने का सुझाव भी दिया है।
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टोबी मैकिनटोश जीआईजेएन संसाधन केंद्र के वरिष्ठ सलाहकार हैं। वह वाशिंगटन में ब्लूमबर्ग बीएनए के साथ 39 साल तक जुड़े रहे। वह फ्रीडमइन्फो डाॅट ओआरजी (2010-2017) के पूर्व संपादक हैं, जहां उन्होंने दुनिया भर में सूचना के अधिकार के बारे में लिखा है। उनका ब्लॉग eyeonglobaltransparency.net है।
मैं 22 साल से देश के नंबर वन अखबार में उप संपादक के साथ रिपोर्टिंग कर रहा हूं मैं इस कड़ी से जुड़ना चाहता हूं फ्रीलांसर के रूप मे
धन्यवाद, विपिन दुबे जी। आप अपनी समाचार संस्था के माध्यम से मेम्बर्शिप के लिए आवेदन दे सकते हैं। सदस्यता के लिए क्या अर्हताएँ हैं, यह जानकारी हिंदी में हमारी वेबसाइट पर है। अधिक जानकारी के लिए आप हमारा न्यूज़ लेटर भी सब्स्क्राइब कर सकते हैं।
खोजी पत्रकारिता की मार्केटिंग के संबंध अत्यधिक उपयोगी जानकारी।
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