लगातार 22 वर्षों से रूस की सत्ता पर काबिज व्लादीमीर पुतिन अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को कभी पनपने नहीं देते। सोवियत संघ के विघटन के बाद से पुतिन ने रूस से धीरे धीरे लगभग पूरे विपक्ष को समाप्त कर दिया है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से एक 45 वर्षीय वकील उनकी नाक में दम किए हुए हैं। वकील ऐलेक्सी नवलनी, रशिया ऑफ द फ्यूचर नामक राजनीतिक दल के नेता है और रूस में भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ा आंदोलन छेड़े हुए हैं। वे पुतिन के खिलाफ राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव भी लड़ चुके हैं। हाल ही में उन्हें तब जेल में डाल दिया गया जब वे जर्मनी से अपना इलाज करा कर लौटे। पिछले साल नवलनी को कथित तौर पर जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। उनका इसी सिलसिले में काफी दिनों तक जर्मनी में इलाज चला।
उनके द्वारा हाल ही में एक बड़ा खुलासा तब किया गया जब उन्होंने काला सागर के तट पर स्थित एक विशाल और भव्य महलनुमा इमारत का वीडियो जारी करते हुए बताया कि इसके असली मालिक व्लादिमीर पुतिन हैं।
लगभग दो घंटे की खोजी रिपोर्ट वाला वीडियो, जिसे नवलनी ने अपने वकील सहयोगियों की टीम के माध्यम से बनाया था पूरी दुनिया में खोजी पत्रकारिता की मिसाल बन चुका है। ‘अ पैलेस फॉर पुतिन’ नामक इस वीडियो को यूट्यूब पर 11 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा है।एक अनुमान के मुताबिक पुतिन का यह महल 13 सौ करोड़ डॉलर से भी ज्यादा कीमत का है। नवलनी ने अपनी खोजी टीम के माध्यम से यह साबित किया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस महल का निर्माण भ्रष्टाचार से अर्जित धन से किया है। द न्यूयॉर्कर समाचार पत्र की पत्रकार माँशा गेयसेन ने इस महल के प्रोजेक्ट को ‘किसी मानसिक रूप से अस्वस्थ सनकी आदमी का कारनामा’ बताया जिसे बेलिहाज़ होकर बच्चों के लिए आवंटित ज़मीन पर निर्मित किया गया।
नवलनी पत्रकार नहीं हैं। वह तो विपक्ष के नेता हैं। लेकिन उन्होंने जिस तरह से यह रिपोर्ट तैयार की है वह खोजी पत्रकारों के लिए बहुत काम की है। आइए हम आपको बताते हैं कि किस तरह से यह रिपोर्ट तैयार की।
रूस में नवलनी की टीम भ्रष्टाचार को लगातार उजागर करती रहती है। इसलिए उन्हें अक्सर मुसीबतों का सामना भी करना पड़ता है। उनकी टीम हमेशा सत्ताधारियों के निशाने पर रहती है। देश की खुफिया जांच एजेंसिया उन पर लगातार नजरें गड़ाए रखती हैं। इसलिए उन्हें रिसर्च के लिए हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। यही कारण है कि जब उनकी टीम रूस के सबसे गोपनीय महल की खोज करने के लिए निकली तो उन्हें कई सावधानियां बरतनी पड़ीं।
खुफिया एजेंसियों द्वारा नवलनी की टीम के सदस्यों के मोबाइल फोन हमेशा ट्रेक किये जाते हैं। उसके जरिए वह उनकी गतिविधियों पर नजर रखते हैं। इसलिए नवलनी की टीम ने महल की रिसर्च करते समय खुफिया एजेंसियों को भ्रम में रखने के लिए अपने मोबाइलों को टीम के एक सदस्य के पास रखकर उसे रुस के ही एक पर्यटक शहर शोची में घूमने भेज दिया।
इससे खुफिया एजेंसियों को यह भ्रम बना रहा कि मोबाइल के मालिक यानी एंटी करप्शन फाउंडेशन (एफबीके) के सदस्य शोची शहर में हैं। जबकि एफबीके के सदस्य शोची शहर से 250 मील दूर ब्लेक सी (काला सागर) में व्लादीमीर पुतिन के सबसे बड़े और गुप्त महल के पास थे। उनका उद्देश्य इस महल के निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा करना था।
महल जिस क्षेत्र में स्थित है वह क्षेत्र ‘नो फ्लाई जोन’ है। यानि वहां कोई हवाई जहाज नहीं उड़ सकता। साथ ही उस क्षेत्र की रखवाली रूस की सुरक्षा एजेंसी कर रही हैं। इसके दो किलोमीटर के आसपास जाने पर भी प्रतिबन्ध है। इसलिए टीम ने इस खोज के लिए ड्रोन का उपयोग किया। पहले वे नाव में सवार होकर समुद्र के सहारे महल के नजदीकी किनारे तक गए। वहां जाने के लिए उन्हें स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेने कि जब आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने बताया कि वे समुद्र में शौकिया मछली पकड़ने के लिए जा रहे हैं।
जब वह मछली पकड़ने के बहाने महल के किनारे से कुछ दूर पर थे तब उन्होंने चुपचाप अपना ड्रोन निकालकर महल के ऊपर उड़ा दिया। ड्रोन के सहारे उन्होंने महल की कई ऐंगल से तस्वीरें ली और महल में चल रहे निर्माण और आसपास के इलाके के प्रमाण इकट्ठे किए।
महल की खोज को और प्रमाणिक बनाने के लिए उन्होंने उस जमीन के पुराने दस्तावेज खोजे। एफबीके की टीम की प्रमुख मारिया पेवचिक ने GIJN के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि इससे पहले की खोजों में हमने आधुनिक तकनीक के अलावा और दूसरे अलग-अलग तरीकों का उपयोग किया था। लेकिन पुतिन के महल की खोज में हमने पुराने जमाने के तरीक़ों का भी इस्तेमाल किया। इसके लिए टीम ने अपना अधिकांश समय भूमि पंजीकरण रिकॉर्ड की तलाश में बिताया।
मारिया पेवचिक ने बताया कि इस महल की भूमि को पहले बच्चों के कैम्प ग्राउंड के रूप में पंजीकृत किया गया था। पुतिन का यह महल 190,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। इस महल में सुविधाओं के नाम पर तरह-तरह की चीजें हैं।यहाँ एक ‘प्लाजो’ शैली में बनी मुख्य ईमारत है। इसके चारों और लक्जरी इमारतें है। एक बड़ा सा ग्रीन हाउस है। एक मूर्तिकला उद्यान है। इसके साथ ही भूमिगत सुरंगों का एक नेटवर्क पूरे 168 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।
ड्रोन कैमरे के शॉट और खोज में मिली तस्वीरों से पता चला है कि इस इमारत के डिजाइन और निर्माण में अकूत धन को बर्बाद किया गया। निर्माण को मन-पसंद बनाने के लिए कई बार तोड़ा गया है। साथ ही खोज में मिली तस्वीरों से यह भी पता चला है कि इस महल की दीवारों में अलग-अलग तरह के चित्र उकेरे गए हैं। महल में एक सिनेमा हाल भी है जिसमें ऊपर और नीचे मेहमानों के बैठने की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही महल में कैसीनो, डांस पोल के साथ हुक्का बार, मॉडल ट्रेन कक्ष, वाइऩ टेबल, वीडियो डांस रूम और संगमरमर से बना एक बड़ा सा बाथटब भी है।
महल के भीतर की तस्वीरें टीम के लिए उन लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट से मिलीं जिन लोगों ने इस महल के निर्माण कार्य को किया था। इसके लिए बाकायदा टीम ने सभी मजदूरों की सूची प्राप्त करने के बाद उनके सोशल मीडिया अकाउंट को खंगाला। एक-एक करके कड़ी जुड़ती गई और ड्रोन से जो ऊपर से तस्वीरें ली गई थीं उनके नीचे कक्ष के भीतर की तस्वीरें मजदूरों के सोशल मीडिया पोस्ट से मिल गई।
डॉक्युमेंट्री में नवलनी ने यह दावा किया है कि पुतिन ने एक समय देश के बड़े अमीरों के काले धन पर टैक्स ना लगाने की शर्त पर जो फंड तथाकथित रूप से देश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दिलवाया था, उसी से बाद में अस्पतालों के लिए विदेशों से बड़ी-बड़ी मशीनें खरीदी गई। इन्हीं मशीनों की खरीद से मिले कमीशन से इस महल को बनाया गया है। एक तरह से अस्पतालों के लिए जो फंड दिया गया था उसका उपयोग इस महल को बनाने के लिए किया गया है। पेवचिक के अनुसार उन्हें मिले सबूतों से यह पता चलता है कि इस महल का मालिकाना हक मिखाइल इवानोविच के नाम पर है। इस नाम का उपयोग व्लादिमीर पुतिन ने फर्जी नाम के रूप में उपयोग किया है।
इस जांच को अंजाम देने के लिए नवलनी की टीम को अलग रणनीति भी बनानी पड़ी। इसके सम्बन्ध में पेवचिक बताती हैं कि एफबीके की टीम ने उस क्षेत्र से संबधित भूमि पंजीकरण के एक दशक से भी अधिक के पुराने दस्तावेज इकट्ठे किए। साथ ही पूर्व में इन दस्तावेजों में क्या परिवर्तन हुए उन्होंने इसकी भी तलाश की। उनकी टीम ने यह भी खोजा कि कब-कब सम्पत्ति के उपयोग का विवरण बदला गया या फिर उसमें कुछ बदलाव हुआ। साथ ही उस जमीन के बारे में आवेदन करने वाली कंपनी, वकीलों के बारे में भी जानकारी एकत्रित की ताकि यह पता लगाया जा सके कि पिछले एक दशक के दौरान क्या-क्या परिवर्तन हुए हैं।
एफबीके की टीम महल के डिजाइन और उस के अंदर की चीजों को दुनिया के सामने लाना चाहती थी। इसलिए उन्होंने एक थ्री डी मॉडलिंग कंपनी को इसका काम सौंपा। इसके लिए उनके पास जितनी भी जानकारी, तस्वीरें थीं उसके आधार पर उन्होंने थ्रीडी मॉडल वाला वीडियो बनवाया। वीडियो डॉक्युमेंट्री में इसे दिखाया गया है। इसके जरिए महल के अंदर क्या-क्या सुविधाएं हैं देखा जा सकता है। पेवचिक के अनुसार उनकी टीम खोजी खबरों के लिए कुछ-न-कुछ नई तकनीक का उपयोग करती ही है ताकि काम करने में ज्यादा अच्छा लगे।
एफबीके की टीम ने ड्रोन के सहारे यह पता लगाने की कोशिश की कि महल में कुछ काम हो रहा है कि नहीं। ड्रोन से ली गयी तस्वीरों में उन्होंने देखा कि भवन के नवीनीकरण का काम चल रहा है और उसमें बहुत पैसा खर्च किया जा रहा है। टीम के सदस्यों को लगा कि वहां काम करने वाले बहुत लोग हो सकते हैं और उनमें से कुछ लोग उनके काम भी आ सकते हैं। उन्होंने मजदूरों और ठेकेदारों से संपर्क करने की कोशिश की।
वहां काम के दौरान कई मजदूरों ने महल के अंदर की कुछ तस्वीरे अपने सोशल मीडिया अकाउंट में शेयर की हुई थीं। इससे सोफा, दीवारों में बने चित्र, कमरों में रखे सामान व् अन्य तस्वीरें मिली। जिसके माध्यम से उन्होंने तस्वीरों में दिख रहे सामानों की बाजार में कीमत पता की और डॉक्युमेंट्री में दिखाया। उस पूरे क्षेत्र में महल के आसपास सेटेलाइट की तस्वीरों के माध्यम से एफबीके की टीम ने यह भी पता लगया कि तीसरे हेलीपेड की जगह तीन मार्गों से प्रवेश करने वाला एक भूमिगत आइस हॉकी मैदान बनाया गया है। यह 56 मीटर लंबा और 26 मीटर चौड़ा है। बाद में उस महल में काम करने वाले एक ठेकेदार ने इसकी पुष्टि भी की।
एफबीके की टीम ने खुद को ख़ुफ़िया एजेंसी की नजरों से बचाने के लिए एहतियातन कई कदम उठाए। जैसे उन्होंने सिम कार्ड बदले, सस्ते जीएसएम फोन उपयोग में लाए इत्यादि।
एफबीके की टीम को जांच के दौरान कुछ मजदूरों की तस्वीरें भी मिली जिसमें मजदूर महल के मंहगे फर्नीचर के साथ खड़े दिख रहे हैं। उन्होंने इन फनीर्चर की कीमतों को पता लगाने के लिए दुकानों में संपर्क किया। उन्हें कुछ तस्वीरों में फ्लोर पर लिखे इटालियन ब्रांड का पता चला। इसके बाद उन्होंने ग्राहक बनकर इटालियन डिजाइनर से संपर्क किया और कैटलॉग की मदद से फर्नीचर की कीमत पता की। जिसमे उन्होने पाया कि एक सोफे की कीमत 27,000 डॉलर है।
इन सब जानकारियों को लाने में एफबीके की टीम को तीन महीनों का वक्त लगा। उन्होंने थ्री डी मॉडलिंग वाला काम अपने ऑफिस में ही किया। नवलनी की टीम ने वीडियो एडिटिंग और ग्राफिक्स का काम भी खुद ही किया।
इन सौ तर्कों में से छाँटकर 25 तर्क चुने गए और उन्हें डॉक्युमेंट्री में दिखाया है। हालाँकि इस डॉक्युमेंट्री के आने के बाद पुतिन के प्रवक्ता ने इसे निराधार बताया लेकिन तब तक इस वीडियो को इंटरनेट पर 11 करोड़ बार देखा जा चुका था।
नवलनी की टीम ने पुतिन के इस महल की खोज के पहले भी कई खोजें की हैं जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। इसके पहले उन्होंने यह खुलासा भी किया था कि कैसे रूस के एक सरकारी बैंक के अध्यक्ष ने सार्वजनिक धन से अपनी प्रेमिका को एक सुपर यॉट (महँगी नाव) उपहार में दी। लगभग 440 करोड रुपए के इस याट की खोज के लिए उनकी टीम ने विभिन्न खोजी पत्रकारिता के टूल्स का सहारा लिया।
इंस्टाग्राम के साथ मरीन ट्रेफिक और फ्लाइट रडार जैसे टूल का उपयोग किया। उन्होंने फ्लाइट रडार नामक टूल से यह पता लगाया कि शहर में कौन सा निजी जेट उतर रहा है और मरीन ट्रेफिक टूल से यह पता लगाया कि निजी विमान के उतरने के कुछ समय बाद शहर के बंदरगाहों में कौन सी नौका मौजूद थी।
इन टूल की मदद से यह पता चला कि निजी विमान के आने के समय शहर के चारों बंदरगाहों में केवल एक नौका मौजूद थी। उस नौका का नाम सुपर यॉट था। बैंकर की प्रेमिका ने अपनी छुट्टियों के दौरान नौका मे जो लम्हें बिताए थे उनकी फोटो इंस्टाग्राम में अपलोड की थी। नवलनी की टीम ने जब सुपर यॉट की तस्वीरें और विशेषताएं इस नौका से मिलाईं तो वे मेल खा रहीं थीं। इस वीडियो को लगभग डेढ़ करोड़ व्यूज मिले थे।
इस वीडियो को भी नवलनी ने बेहद ही रोचक तरीके से शुरू किया था। इस कहानी को वह न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क से शुरू करते हुए बताते हैं कि आखिर इस वीडियो की शुरुआत यहां से करना क्यों जरूरी है। वह कहानी बताते हुए आगे बढ़ते हैं और एक बेंच में बैठ जाते हैं। फिर बेंच में लगी एक प्लेट की तरफ इशारा करते हैं। जिस पर कैमरा जूम करता है और उसमें लिखा होता है भ्रष्टाचार करने वाले उस बैंकर का पूरा नाम और उनकी महिला मित्र को समर्पित किया गया प्रेम संदेश जिसे दस हज़ार डालर खर्च करके बेंच पर लिखवाया गया था ।
इस कहानी को याद करते हुए नवलनी की टीम की प्रमुख सदस्य पेवचिक कहती हैं कि यह एक मजेदार कहानी थी। इसमें हमने कई तकनीकों का उपयोग किया है। इसमें हमने कोडिंग का भी उपयोग किया है। हमारी टीम के पास सभी प्रकार की तकनीकों का ज्ञान नहीं है लेकिन हम हर खोज एक नए तरीके से करने की कोशिश करते हैं और फिर हमारी टीम उस नए तरीके को सीखती भी है।
मारिया पेवचिक एफबीके की कार्यप्रणाली को बताते हुए कहती हैं कि हमारा दृष्टिकोण हमेशा ‘कॉमन सेंस’ के साथ सोचना और अपनी बात पर अडिग रहना होता है। नवलनी की टीम, लोगों तक अपनी बात या कहानी वीडियो के रूप में ही पहुँचाने की कोशिश करती है।
पेवचिक ने बताया कि अक्सर खोजी पत्रकारिता लिखित रूप में की जाती है। यहां तक कि बेलिंगकैट जैसे उन्नत और आधुनिक मीडिया संस्थान में भी खोजी पत्रकारिता लिखित में ही की जाती है, लेकिन मैं GIJN के पाठकों से कहूँगी कि वे अपनी बात वीडियो रूप में बताएं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया बहुत बदल गई है। लोग अब अलग तरह से जानकारी प्राप्त करने लगे हैं।
यूट्यूब पर जब आप वीडियो अपलोड करेंगे तो उसमें आपको प्रिंट की तुलना में बीस-तीस या सौ गुना अधिक दर्शक मिलेंगे। यही बात बोत्सवाना, युगांडा या एशिया के पत्रकारों के लिए भी लागू होती है। यदि आप एक रिपोर्ट लिख सकते हैं तो आप एक अच्छी स्क्रिप्ट भी लिख सकते हैं और वीडियो बना सकते हैं।
नवलनी के इस संगठन को अपने काम के तरीके की वजह से रूस के खोजी पत्रकारों से आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ता है। पिछले साल ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट के साथ एक साक्षात्कार में रूस के खोजी मीडिया इस्तोरिज के संपादक रोमन अनिन ने एफबीके के बारे में बात करते हुए कहा था कि एफबीके के खोजी पत्रकार पत्रकारिता के मानकों और मानदंडों का पालन नहीं करते हैं और न ही कभी दूसरे पक्ष को सुनने की कोशिश करते हैं। हालांकि उनका यह भी मानना है कि एफबीके रूस का सबसे प्रभावी खोजी मीडिया आउटलेट है और खोजी पत्रकारों को उनसे सीखना चाहिए।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले एक दशक के दौरान एफबीके ने एक दर्जन से ज़्यादा मामलों में बड़े ही रचनात्मक और साहसी ढंग से खोजी पत्रकारिता की है। यह तरीके निरंकुश शासन् और जिन देशों में प्रेस प्रतिबंधित है वहां के खोजी पत्रकारों के लिए उपयोगी साबित होंगे।
ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट के क्षेत्रीय संपादक और अनुभवी पत्रकार रोमन श्लेनोव यह मानते हैं कि एफबीके की टीम बहुत ही अच्छी और उच्च गुणवत्ता वाली खोज करती है। इतना ही नहीं वह उन खोजों को अच्छे तरीके से राजनीतिक संदेशों के साथ प्रस्तुत करने में भी कामयाब होते हैं। उन्होंने एफबीके की पुतिन के महल वाली डॉक्युमेंट्री को सराहा भी।
रोमन श्लेनोव ने कहा कि एफबीके और नवलनी ने पुतिन के महल वाली डॉक्युमेट्री में बेहतरीन काम किया है। इसके लिए उन्होंने भवन से संबंधित नए दस्तावेज इकट्ठे किए, साथ ही उन्होंने भवन बनाने में शामिल कंपनियों के साथ पुतिन के दोस्तों के लेन-देन को भी स्पष्ट किया। पुतिन के अधिकांश दोस्तों ने राज्य की कंपनियों के साथ अनुबंध करके करोड़ों कमाए हैं। इस डॉक्युमेंट्री में यह भी बताया गया है कि आखिर इस महल को बनाने के लिए पुतिन को किसी भी दस्तावेज में हस्ताक्षर करने की आवश्यकता क्यों पड़ी।
उल्लेखनीय यह है कि नवलनी के एफबीके में कुल जमा दो रिसर्च करने वाले और दो कैमरामैन हैं, जिनमें से एक को हाल ही में जेल हो गई। इतने सीमित संसाधनों के बावजूद नवलनी खुद ही इन खोजी डॉक्युमेंट्री को निर्देशित करते हैं और वॉइसओवर देते हैं। पेवचिक जो कि पूर्व में वित्तीय सलाहकार का काम करती थीं और राजनीति शास्त्र की विद्यार्थी रही हैं, वह कहती है कि उनकी टीम के लिए कोई विधिवत खोजी पत्रकारिता में ट्रेनिंग नहीं मिली है। वह हर बार खोजी पत्रकारिता का कोई ना कोई नया टूल ढूंढते हैं और उसका इस्तेमाल करते हैं। वह कहती हैं कि हमारे एक साथी जोरजी अलब्रोव कोडिंग में रुचि रखते हैं और उन्होंने ही नवलनी को पाइथन कोड लिखने की ट्रेनिंग दी।
सीमित संसाधनों के बावजूद नवलनी की टीम ने जिस तरह से खोजी रिपोर्टिंग को अंजाम दिया है वह खोजी पत्रकारों के लिए एक अच्छा उदाहरण है। एफ़बीके की इस टीम ने बहुत सावधानी से ना केवल राजस्व के रिकार्डों को खंगाला बल्कि उनकी सेटेलाइट इमेजरी के माध्यम से तस्दीक़ भी की। सोशल मीडिया से प्राप्त महल के भीतर की तस्वीरों को जिस तरह से टीम ने 3D मॉडलिंग कंपनी की मदद से पूरा विडियो बनाया वह अपने आप में अप्रतिम है। इसी तरह ड्रोन के माध्यम से उच्च क्वालिटी के वीडियो बनाना तथा टेलीग्राम चैट बोट का उपयोग करके विभिन्न स्रोतों और अपने संपर्कों से जानकारी जुटाना सचमुच में अनुकरणीय है ।
अतिरिक्त पाठन
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रोवन फिल्प GIJN में रिपोर्टर हैं। इसके पहले वे दक्षिण अफ्रीका के संडे टाइम्स में चीफ रिपोर्टर थे।पूर्व में उन्होंने विदेश मामलों के संवाददाता होने के नाते दो दर्जन से ज्यादा देशों से राजनीति, भ्रष्टाचार और संघर्ष के मुद्दों पर रिपोर्टिंग की है।